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सोमवार, 28 अप्रैल 2014

बच्चे भी चाहते हैं बदलाव

बच्चों को रास नहीं आ रहे 
गुडडे और टेडीबियर
पत्थलगांव/     रमेश शर्मा
   स्कूली बच्चों की छुट्टियां शुरू होते ही खिलौना मार्केट में ग्राहकों की चहल पहल जरूर बढ़ गई है, लेकिन अब छोटे बच्चे पहले की तरह गुड्डे गुड़िया या गाड़ी मोटर अथवा टेडीबियर की तरफ अपनी उंगली नहीं करते हैं।
      मनोरंजन का शौक में बदलाव का दौर के चलते ही बच्चों ने अपने माता पिता से जिद करना छोड़ दिया है। छोटे बच्चों का वीडियोगेम का शौक मोबाइल हैंडसेट से पूरा हो जाने के कारण दुकानदार अब ड्राईंग बाक्स व पेंटिंग वाले खिलौने पहले दिखा रहे हैं।
   यहाँ खिलौने बिक्री करने वाले दुकानदार जगन्नाथ गुप्ता का कहना है कि अब बदलते दौर में खिलौने बनाने वाली कंपनियां भी बच्चों का मनोरंजन को ध्यान में रख कर कलात्मक अभिरूचि को पूरा कर रही हैं। इसी वजह खिलौना बाजार में अब बच्चों के लिए पेंटिंग व ड्राईंग के प्रति आकर्षित करने वाले सामानों की पूछ परख बढ़ गई है।
   छुट्टियों में बच्चे टेडीबियर और महंगी कार को अनदेखा कर लैपटाप खिलौने व गिटार, माईक अथवा पेंटिंग ड्राईंग प्रोजेक्टर के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। खिलौने विक्रेताओं का कहना है कि बच्चों में टीवी के रियलिटी प्रोग्राम देख कर गाने की झिझक दूर करने की चाहत बढ़ गई है।
                     खिलौना दुकानदारों का कहना था कि पहले स्कूल की छुटिटयॉं शुरू होते ही उनके पास वीडियोगेम का जबरदस्त क्रेज था। लेकिन अब बच्चों का वीडियोगेम से ध्यान हट गया है। इन दिनो मोबाइल के हैंडसेटों में ऐसे ऐसे गेम आ गए हैं कि दुकान पर वीडियोगेम पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है। पहले महंगे से महंगे वीडियोगेम की आसानी से बिक्री हो जाती थी लेकिन अब इन खिलौनों की पूछ परख बिल्कुल बंद हो गई है।
        बच्चों की पंसद को ध्यान में रखने के कारण चायना मार्केट का आज भी दबदबा कम नहीं हो पाया है। चायना खिलौनों में शिक्षा को बढ़ावा देने वाले आयटम बच्चों को खूब रास आ रहे हैं। कई बच्चे लैपटाप लेकर उसी के खेल में व्यस्त रहना अधिक पसंद कर रहे हैं। एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी नीतेश शर्मा का कहना था कि लैपटाप में बच्चों को ड्रांईग में रंग भरना तथा अन्य खेल मिल जाने से उनका शिक्षाप्रद मनोरंजन हो रहा है। यही वजह है कि वे अपने बच्चे को लैपटाप से दूर नहीं कर पा रहे हैं।
    अन्य पालक भी अपने बच्चों की रूचि को देख कर शिक्षाप्रद नए खिलौनों को बेहतर मान रहे हैं। स्कूलों के समर वेकेशन शुरू होते ही शहर में म्यूजिक क्लासेस में भी बच्चों की भीड़ बढ़ने लगी है।बच्चों का म्यूजिक क्लासेस में बढ़ता रूझान को देख कर कुछ निजी स्कूलों ने सुगम संगीत,फिल्मी व गैर फिल्मी गीत सिखाने की शुरुआत कर दी है।स्कूल की छुट्टियां होने के बाद कई घरेलू कामकाज करने वाली महिलाओं ने डांस की ट्रेनिंग का काम शुरू कर दिया है। इनके पास छोटे बच्चे और युवतियों की भीड़ बढ़ने लगी है। डांस ट्रेनिंग में एक गीत को नृत्य के साथ सिखाने के लिए 150 रुपए.फीस ली जा रही है। इसमें ब्रेक डांस को बारीकी के साथ सिखाया जा रहा है।  

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