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गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

2014 का कैलेंडर 1947 जैसा



डा.शत्रुघन त्रिपाठी 
ज्योतिषाचार्य वाराणसी

तारीखों का संयोग.
नए साल का कैलेंडर में यादें आजादी के साल की
 पत्थलगांव/   रमेश शर्मा
    आने वाला साल 2014 का कैलेंडर में आजादी का साल 1947 की अनेक यादों को समेट कर ला रहा है। इस कैलेंडर में 67 साल पुराना कैलेंडर की तरह अनेक तीज त्यौहारों का एक जैसा संयोग देखने को मिलेगा।
   पत्थलगाांव पहुंचे वाराणसी के प्रमुख ज्योतिषाचार्य डा.शत्रुघ्न त्रिपाठी ने चर्चा में बताया कि आजादी के साल के बाद 2014 का कैलेंडर में भी कई तिथियंा और दिनों का एक जैसा संयोग होने से आने वाला साल भी आजादी के साल की तरह कई मायनों में खास बन गया है। उन्होंने बताया कि आने वाला नया साल के ज्यादातर तीज त्यौहारों की तारीख के साथ दिन में भी अंतर नहीं है। 67 साल पुराना कैलेंडर की तरह नए साल में पहला और आखिरी दिन बुधवार को पड़ेगा। इसमें भी हर महीने के दिन वार और दोनों वर्षो की तारीखें एक समान हैं। उदाहरण के तौर पर 15 अगस्त 1947 में आजादी का दिन शुक्रवार था । इस वर्ष में भी 15 अगस्त शुक्रवार को ही पड़ रहा है।
   डा.शत्रुघन त्रिपाठी ने बताया कि नए साल में कुछ तिथियों में मामूली उलटफेर के चलते कुछ त्योहारों की ही तारीख अलग हो गई है अन्यथा आजादी के साल की तरह सभी कुछ एक जैसा हो जाता।
            डा.त्रिपाठी ने बताया कि आने वाला साल 2014 के तीज त्योहारों में आजादी का साल की तरह दिन की समानता है। बुधवार 1 जनवरी नया साल, मंगलवार 7 जनवरी गुरूगोविंद सिंह जयंती, रविवार 26 जनवरी गणतंत्र दिवस, बुधवार 19 जनवरी षिवाजी जयंती, रविवार 13 अप्रेल महावीर जयंती, सोमवार 14 अप्रेल आंबेडकर जयंती, शुक्रवार 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस, गुरुवार 2 अक्टूबर गांधी जयंती, गुरुवार 6 नवंबर गुरुनानक जयंती, गुरुवार 25 दिसंबर क्रिसमस, बुधवार 31 दिसंबर साल का आखिरी दिन ।
                 67 साल के बाद इस संयोग के साथ कई समानताओं ने नागरिकों का उत्साह को दोगुना कर दिया है। आने वाला साल में गणतंत्र दिवस ,स्वतंत्रता दिवस के साथ गुरुनानक देव जी की जयंती में आजादी के साल की यादें ताजा हो जाएंगी।इसलिए दोगुने उत्साह के साथ त्योहारों को मनाया जाएगा।

सोल्लास मनाया गया क्रिसमस

बुनियादी प्रशिक्षण संस्था में क्रिसमस की खुशियां
 पत्थलगांव  रमेश शर्मा
  प्रभु यीशु का जन्मोत्सव बुधवार को यहाँ मसीहजनों ने काफी धूमधाम के साथ मनाया। शहरी और ग्रामीण अंचल के मसीही लोग काफी बड़ी संख्या में प्रातः गिरजाघर पहुंच कर विशेष प्रार्थना के कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके बाद दिन भर क्रिसमस की बधाइयों का सिलसिला चलते रहा।


     क्रिसमस का त्योहार पर अन्य समुदाय के लोगों ने भी प्रभु यीशु के अनुयायियों को ईसा मसीह के जन्मोत्सव के अवसर पर उनके घर पहुंच कर बधाइयां दी। बंदियाखार स्थित कैथोलिक गिरजाघर में मंगलवार को देर रात तक यीशु जन्मोत्सव के कार्यक्रम होते रहे। यहाँ मसीही लोगों ने जलसा का कार्यक्रम में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया था। यहाँ पर प्रस्तुत की गई लघु नाटिका में प्रभु यीशु के अवतरण का दृश्य प्रस्तुत करते हुए संदेश दिया कि मानवता के उत्थान के लिए ही प्रभु यीशु का अवतरण हुआ था। इस कार्यक्रम में बंदियाखार चर्च के प्रमुख तथा अन्य गणमान्य लोग काफी संख्या में उपस्थित थे। यहाँ आयोजित जलसा कार्यक्रम में दूर दराज के ग्रामीण अचंल से भी हजारों मसीहीजन पहुंचे थे। आधी रात को प्रभु यीशु क जन्म के बाद नन्हा बालक के घास की चरनी में लाकर रख दिया गया था। यहाँ पर लोगों की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही थी।
           सजाई गई चरनी और गौशाला
      क्रिसमस के दिन यहाँ प्रातः से ही चहल पहल बढ़ गई थी। बुनियादी प्रशिक्षण संस्था सहित अन्य मिशन संस्थान के प्रांगण में भी प्रभु यीशु की जन्मस्थली के प्रतीक स्वरूप घास-फूस से बनाई गई चरनी व गौशाला की आकर्षक साज सज्जा कर आराधना की गई। इसमें प्रभु के जन्म के समय मौजूद गडरियों व मजिसियों की भी झांकी बनाई गई थी। यहाँ बीटीआई की वयोवृद्ध सिस्टर विनिता ने बताया कि प्रभु यीशु मसीह के जन्म का कोई निर्धारित समय उल्लेखित नहीं है, लेकिन मान्यता है कि कड़कड़ाती ठंड में आधी रात को प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। इसी के अनुसार 24 दिंसबर की रात को प्रभु का अवतरण माना जाता है और 25 दिसंबर को विश्वभर में क्रिसमस पर्व को सेलिब्रेट किया जाता है। 
विकलांग बच्चों के साथ केक काट कर मनाई खुशियां
     विकलांग बच्चों के साथ केक काट कर मनाई खुशियां
  यहाँ विकलांग सेवा केन्द्र के बच्चों के साथ केक काट कर क्रिसमस डे सेलीब्रेट किया। राहा की निदेशक सिस्टर एलिजाबेथ के अलावा अनेक लोग उपस्थित थे। यहाँ पर सिस्टर रूथ ने कहा कि प्रभु यीशु दया, प्रेम   क्षमा व करूणा के प्रतीक हैं। उन्होने मानव समाज के उद्धार के लिए खुद का बलिदान कर दिया। उन्होंने कहा कि विकलांग बच्चों के साथ इस त्यौहार की खुशियों को आपस में बांटने से और भी आनंद बढ़ जाता है। सिस्टर अर्पणा बरूआ ने कहा कि प्रभु यीशु ने अपने महान जीवन दर्शन के जरिए पूरी दुनिया को मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होने अपना पूरा जीवन सत्य, अंहिंसा, दया, करूणा और परोपकार के लिए समर्पित कर दिया। प्रभु यीशु के विचार उपदेश आज भी प्रासंगिक और प्रेरणा दायक हैं। इस कार्यक्रम में कनाडा के नागरिक ग्लेन यदु, गौरव यदु ने विकलांग बच्चों के साथ क्रिसमस के त्योहार का केक काट कर उन्हे बधाइयंा दी। यहाँ पर क्रिसमस के मौके पर सभी उपस्थित लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी।

     

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

सिंचाई बाँधों के पानी से वंचित किसान

नी से लबालब गेरा नाला सिंचाई बाँध
 अधूरी सिंचाई योजना फाइलों में पूर्ण
  सिंचाई अनुबंध के लिए भटक रहे किसान
   रमेश शर्मा/पत्थलगांव /
        सिंचाई बाँधों में लबालब पानी भरा होने के बाद भी जलसंसाधन विभाग इस अंचल के किसानों को रबी फसल के लिए पानी उपलब्ध कराने की योजना पर कोई काम नहीं कर पा रहा है। यहाँ सिंचाई बाँधों में नहर निर्माण और अन्य अधूरे कार्य के बावजूद सिंचाई योजनाओं को फाइलों में पूर्ण बता देने के बाद इन योजनाओं को शासन से आबंटन नहीं मिल पा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि कई सिंचाई बाँध की नहरों में मिट्टी और घांस से पट जाने के बाद बाँध का कीमती पानी इधर उधर बह कर बर्बाद हो रहा है।
    घास और मिटटी से 
पट गई नहर

बालाझर की अधूरी नहर
        इन दिनों रबी फसल की तैयारी करने वाले किसानों को सिंचाई के लिए पानी की जानकारी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है।पत्थलगांव जलसंसाधन अनुविभागीय अधिकारी तथा अन्य कर्मचारी अक्सर मुख्यालय से गायब रहने के कारण यहाँ किसानों की समस्या का निराकरण नहीं हो पा रही है। किसानों का कहना है कि उन्हे रबी फसल के लिए नहरों से पानी लेने के लिए जलसंसाधन विभाग से अनुबंध करना पड़ता है। पर जलसंसाधन विभाग ने अभी तक इसके लिए कोई पहल नहीं की है। भैंसामुड़ा के किसान रोशन साय ने बताया कि जलसंसाधन विभाग का पटवारी सेवानिवृत हो जाने के बाद इस काम को करने वाला कोई नहीं हैं। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी मुख्यालय से गायब रहने के बाद यहाँ भृत्य के भरोसे कार्यालय को छोड़ दिया जा रहा है। इस अचंल के अलग अलग क्षेत्र के किसान आए दिन सिंचाई कार्यालय के चक्कर लगा कर लौट रहे हैं।
     इस वर्ष गेरा नाला बाँध, खमगड़ा बाँध, घरजियाबथान बाँध, खरकटटा बाँध तमता जलाशय, बालाझर बाँध की नहरों में अभी तक साफ सफाई का काम शुरू नहीं हो पाया है। इस वजह खेतों में पानी मिलने की बात से किसान आशंकित हैं।  यहाँ के ज्यादातर सिंचाई बाँधों में लबालब पानी भरा होने के बाद भी क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं।
         अधूरी सिंचाई योजनाओं को बताया पूर्ण  
      बताया जाता है कि जलसंसाधन अधिकारियों ने विभिन्न सिंचाई योजनाओं पर बाध बनाने का काम कराने के बाद नहर निर्माण तथा अन्य जरूरी कार्यो को अनदेखा कर दिया है। यहंा किसानों को सिंचाई का दोहरा लाभ देने वाली गेरा नाला योजना में नहरों का अधूरा कार्य के बाद भी इस योजना को पूर्ण बता दिया गया है। गेरा नाला सिंचाई बाँध को पूर्णता का दर्जा मिलने के बाद अब यहाँ एक रूपये का भी आबंटन नहीं मिल पा रहा है। जलसंसाधन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उनके पूर्व के अधिकारियों ने गेरा नाला सिंचाई योजना का 79 प्रतिशत काम कराने के बाद ही इसे पूर्णता प्रमाण पत्र दे डाला था। इस योजना को शासकीय दस्तावेज में पूर्णता प्रमाण पत्र मिल जाने से यहाँ अधूरी नहरो तथा टूट फुट के कार्यो को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
       इसी तरह की समस्या बालाझर सिंचाई बाँध, घरजियाबथान सिंचाई बाँध तथा अन्य बाँधों में भी बन गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि यहाँ स्वीकृत सिंचाई योजनाओं की नहर बनने से पहले ही काफी मंहगी दर पर सीमेंट के पाईपों की खरीदी कर ली गई है। ग्रामीण अचंल में जगह जगह  इन पाईपों का ढेर लगा कर सिंचाई योजना की स्वीकृत राशि समाप्त कर दी गई है।बताया जाता है कि घटिया पाईपों की खरीदी कर इसमें काफी बड़ी राशि की सहज ढंग से हेराफेरी कर ली गई है। यहाँ पर आधा दर्जन सिंचाई योजना के नाम से पांच करोड़ से अधिक राशि के सीमेंट पाईपों की खरीदी करने के बाद इन सिंचाई योजनाओं को फाईलों में छोड़ दिया गया है। यहाँ पर बालाझर सिंचाई योजना में बनाई गई ज्यादातर माईनर नहरों की पहचान करना भी मुश्किल हो गया है। यहाँ पर जल संसाधन विभाग व्दारा लाखों रूपयों की लागत से तैयार किए गए कई स्टाप डेम भी अब लुप्त हो चुके हैं। विभाग के अधिकारी इस बारे में कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हैं। पत्थलगांव अनुविभाग के अन्तर्गत कापू क्षेत्र में लुप्त हो चुके पांच स्टाप डेम को फाइलों में बन्द करने के बाद छैः माह पहले उस क्षेत्र को धरमजयगढ़ अनुविभाग से जोड़ दिया गया है। कापू के पूर्व जनपद सदस्य विजय शर्मा का कहना है कि यहाँ सिंचाई बाँध के साथ स्टाप डेम के निर्माण कार्यो की जांच कराने से करोड़ों रूपयों का बड़ा घोटाला उजागर हो सकता हैं 
         सभी सिंचाई योजनाओं की बदहाल स्थिति
   जलसंसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी एसके धमिजा ने बताया कि यहाँ पर 8 सिंचाई बाँध और 2 व्यवपर्तन सिंचाई योजनाओं की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। उन्होने बताया कि पुरानी सिंचाई योजनाओं का रख रखाव के लिए शासन का आबंटन नहीं मिल पाने से लुड़ेग और भारारी व्यवपर्तन योजना अब मृत हो चुकी है। श्री धमजा ने बताया कि यहाँ पर अधूरी सिंचाई योजनाओं को फाइलों में पूर्ण बताने के बाद उनका काम पूरा करने के लिए शासन के पास पुनरिक्षित प्रशासकिय स्वीकृति के लिए प्रयास शुरू किया गया है। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद किसी भी योजना में आबंटन नहीं मिल पाया है।
               सिंचाई कर्मचारियों की कमी
      पत्थलगांव जलसंसाधन अनुविभाग में किसानों को रबी फसल में सिंचाई सुविधा के लिए अनुबंध कराने के लिए पटवारी तथा लिपिक नहीं रहने से सभी जरूरी काम ठप्प हो गए हैं। एसडीओ श्री धमिजा ने बताया कि यहाँ पर पदस्थ दोनो कर्मचारी सेवानिवृत हो जाने के बाद नई पदस्थापना नहीं हो पाई है। इस दिशा में उच्च अधिकारियों से बार बार पत्र व्यवहार के बाद भी कोई सार्थक पहल नहीं हो पाई है।

 
 पूर्णता प्रमाण पत्र की आड़ में 
वित्तिय अनियमिततओं पर पर्द

 सरकारी दस्तावेजों में पत्थलगांव अनुविभाग की एक मात्र लोकेर जलाशय योजना को अधूरा माना गया है। इसके अलावा खमगड़ा जलाशय, गेरानाला जलाशय, घरजियाबथान जलाशय,खरकटटा जलाशय, तमता जलाशय और बालाझर सिंचाई योजना को पूर्णता प्रमाण पत्र दिया जा चुका है। यहाँ पर घरजियाबथान,खरकटटा बालाझर तथा गेरा नाला में कई नहरों का काम अभी तक प्रारंभ ही नहीं हो पाया है। सिंचाई योजनाओं को बेवजह पूर्णता प्रमाण दे देने से यहाँ पूर्व में हुई वित्तिय अनियमितताओं पर पर्दा डाल दिया गया है। अब इन सिंचाई योजनाओं के रख रखाव के लिए शासन से आबंटन नहीं मिल पाने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

भ्रष्टाचार की कहानी बन गया तमता बाँध


तमता बाँध की सूखी नहर
लोकार्पण पत्थर

] नहरें भी हो गई जीर्ण-शीर्ण
  रमेश शर्मा पत्थलगांव/
       तमता जलाशय की नहरों से किसानों को पानी देने के लिए जलसंसाधन अधिकारियों की कभी ना  तो  कभी हाँ के चलते यहां रबी फसल की खेती का काम में गति नहीं आ रही है। तमता बाँध के भरोसे रबी की फसल लेने वाले पांच गांवों के हजारों किसानों को जलसंसाधन अधिकारियों का ढुलमुल रवैया के चलते इन दिनों खासा परेशान होना पड़ रहा हैं। तमता मुख्य बाँध पर विशेष मरम्मत कार्य के लिए 1 करोड़ रूपयों का आबंटन मांगा गया है। छह माह पहले तैयार इस प्रस्ताव को अभी तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है। 
       तमता जलाशय का मुख्य बाँध में बड़े पैमाने पर हुआ घटिया निर्माण कार्य के चलते तीन बार मरम्मत कार्य के बाद भी यहां की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा हुआ है। बीते वर्ष तमता बाँध से पानी का रिसाव बढ़ जाने के बाद जलसंसाधन विभाग ने यहां 10 लाख रूपये खर्च करके विशेष मरम्मत का कार्य कराया था। इसके पहले वर्ष भी तमता सिंचाई बाँध का एक हिस्सा की मिटटी धंस जाने से लाखों रूपये खर्च कर आनन फानन में मरम्मत का काम कराया जा चुका है। इस बाँध की बार बार मरम्मत के बाद भी यहां मुख्य बाँध स्थल पर गिटटी धसकने और मिटटी बैठने का सिलसिला बन्द नहीं हो पा रहा है। इसी वजह स्लूस के नीचे गिट्टी बह जाने के बाद वहां लोहे की राड दिखने लगी हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुख्य बाँध पर स्लूस का 60 मीटर हिस्सा पर तत्काल मरम्मत कार्य शुरू नहीं कराने से यहां पर बाँध का खतरा दूर नहीं हो पाएगा।
       लगभग 7 करोड़ रूपयों की लागत से बनाया गया तमता जलाशय का 6 जून 2002 को तत्कालीन मुख्य मंत्री अजीत जोगी ने लोकार्पण किया था। इस बाँध का निर्माण के दौरान कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देने से यह बाँध अब जलसंसाधन विभाग के लिए परेशानी का सबब बन गया है। तमता का मुख्य बाँध स्थल पर मिटटी भराव के दौरान जमकर लापरवाही बरते जाने से अब यहां हर समय खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
        मुख्य बाँध स्थल पर घटिया निर्माण पर पर्दा डालने के लिए जनसंसाधन विभाग के पत्थलगांव अनुविभागीय अधिकारी ने बाँध का जिर्णोध्दार के नाम से लगभग एक करोड़ रूपयों का विशेष मरम्मत का प्रस्ताव तैयार किया है। इस कार्य के लिए ट्रीपल आर योजना के तहत केन्द्र सरकार से आबंटन की मांग की गई है।

सिंचाई सुविधा को लेकर
 चिंतित किसान
       जलसंसाधन अनुविभागीय अधिकारी एसके धमिजा ने बताया कि तमता बाँध को बचाने के लिए विशेष मरम्मत की कार्य योजना को इस वर्ष स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इस वजह किसानों को रबी फसल के लिए नहरों से पानी देने के लिए फिर स तैयारी शुरू कर दी गई है। उन्होने बताया कि इसके पहले बाँध के जिर्णोध्दार का काम को देखते हुए इस बार किसानों को रबी फसल के लिए पानी उपलब्ध कराना संभव नहीं लग रहा था। श्री धमिजा ने बताया कि इस वर्ष अधिक बारिश के चलते तमता बाँध में खतरा का अंदेशा व्यक्त कर नहरो से अधिक पानी को छोड़ दिया गया था। इससे ग्राम बालाझर के आस पास कई जगह नहरें क्षतिग्रस्त हो गई। इनकी मरम्मत के लिए जिला प्रशासन से आंबटन की मांग की गई है। तमता क्षेत्र के 5 गांव के 1100 से अधिक किसानों को सिंचाई सुविधा के लिए बनाया गया बाँध की नहरों पर बार बार मरम्मत का काम कराने के बाद भी यहां के किसानों को सिंचाई का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
 
      बाँध व नहरों की मरम्मत कार्य की जांच होनी चाहिए
       तमता के समीप भैंसामुड़ा के सरपंच अमीरसाय ने बताया कि इस बाँध से 861 हेक्टेयर खरीफ और 659 हेक्टेयर रबी फसल को सिंचाई देने का प्रावधान के सभी आंकड़े बोगस हैं। उन्होने कहा कि बगैर सिंचाई सुविधा के ही तमता बाँध की नहरों में नरेगा तथा अन्य योजनाओं से मरम्मत का काम करा कर जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। श्री साय ने कहा कि तमता मुख्य बाँध की तरम्मत और नहरों की मरम्मत के दस्तावेजों की जांच करने से यहां वित्तीय अनियमितता का बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। यहां के अन्य किसानों में भी तमता बाँध से सिंचाई का पानी देने के लिए कभी ना तो कभी हां कहने की बात से आक्रोश व्याप्त है।