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सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

गरीब बच्चों को मिलती है वैदिक संस्कृति की शिक्षा


सलखिया का गुरुकुल आश्रम है सद्भावना की अनोखी मिसाल


 संसदीय सचिव ओमप्रकाश राठिया एवं प्रमुख समाजसेवी पोम्मी भाटिया व्दारा गरीबों को कम्बल का वितरण किया गया। 
                    
   पत्थलगांव / रमेश शर्मा
     गरीब तबका के बच्चों को जातिगत भेद भाव से दूर रखकर गुरुकुल आश्रम की प्राचीन परम्पराओं के अनुरूप वेद की शिक्षा के साथ साथ उन्हे आत्म निर्भर बनाने के लिए सराहनीय पहल की जा रही है। पत्थलगांव के समीप लैलूंगा विकास खंड के सलखिया गांव में स्थित यह विद्यालय प्रेरणा और सद्भावना की अनोखी मिशाल है।
      इस विद्यालय के वार्षिक उत्सव कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि संसदीय सचिव ओम प्रकाश राठिया उपस्थित थे। उन्हांेने  कहा कि आज भाग दौड़ की जीवन में अच्छे संस्कार देकर गरीब बच्चों वैदिक संस्कृति सिखाना बेहद कठिन काम है। श्री राठिया ने कहा कि आपस की सद्भावना को कायम रखने के लिए प्राचीन शिक्षा पद्यति को लुप्त होने से बचाना होगा। उन्होने कहा कि सलखिया गांव में इस काम को पूरी ईमानदारी और लगन के साथ किया जा रहा है। श्री राठिया ने कहा कि गरीब बच्चों को शिक्षा देने के इनक कार्यो में सभी को अपनी भागीदारी निभानी चाहिए। सलखिया स्थित आर्य विद्या सभा के वार्षिक उत्सव में शामिल होकर सैकड़ों गरीब लोगों को ठंड से बचने के लिए कम्बल वितरण किए। इस कार्यक्रम में आर्य विद्या सभा ने तीन दिनों तक वेद प्रवचन का आयोजन भी किया।जिसमें देश के कोने कोने से आए विदवानों ने वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला।
   वेद प्रवक्ता डॉ. धर्मवीर ने कहा कि मौजूदा परिवेश में वेदों का अनुशरणकाफी महत्वपूर्ण हो गया है।वेद के अनुसरण से ही एकता और अखंडता की प्रेरणा मिलती है। डा.धर्मवीर ने कहा कि जाति और धर्म को अलग अलग करके व्देष और हिंसा को बढ़ा दिया गया है। इसके विपरित वेद में एक धर्म एक भाषा तथा अखंडता व शांति को महत्व दिया गया है। इसी तरह दिल्ली से प.ं दिनेश दत्त एवं देहरादून से आए सत्यपाल सरल ने भी ज्ञानवर्धक उपदेश देकर सभी का मन मोह लिया। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के उपप्रधान सुरेश अग्रवाल ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरूवात की। वार्षिक उत्सव के समापन समारोह में विद्यालय के छात्रों ने शाररिक योग तथा वेद के विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए।तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में रायगढ़ ,जशपुर,सरगुजा जिलों से आए हजारों लोगों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दी। आर्य विद्या सभा ने इस दौरान प्रति दिन 5000 से अधिक निर्धन व्यक्तियों को भोजन करा कर उन्हे जीवन में उन्नति की डगर दिखाई।


वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में हजारों लोगों ने भोजन किया
 
  आर्य सभा के अध्यक्ष स्वामी रामानंद ने बताया  िकइस विद्यालय में पहली से बारहवीं तक की आवासीय निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। जिसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले बच्चों को आत्म निर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हांेने बताया कि वेद पाठशाला में ग्रामीण अचंल के 27 बच्चों का चयन किया गया है। इन बच्चों को वेैदिक संस्कृति  की शिक्षा के साथ प्रति माह पांच सौ रू.की छात्रवृत्ति भी दी जा रही है।वेदिक संस्कृति के छात्र आसन,व्यायाम,प्राणायाम करके अपनी शारीरिक उन्नति, यज्ञ, ब्रम्हयज्ञ,तथा वेद पाठ के माध्यम से आत्मिक प्रगति कर रहे हैं। स्वामी जी ने बताया कि इस ग्रामीण विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को विभिन्न ट्रेडों के तहत  कृषि,वेल्डिंग,स्क्रीन प्रिटिंग,कारपेंटरी आदि का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस संस्था में 100 गाय की एक बृहद गौशाला भी  संचालित है। इसके अलावा वृध्दों की सुव्यवस्था के लिए वृध्दाश्रम का भी संचालन किया जा रहा है। आश्रम में वृध्दों को समुचित व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं।
      आर्य सभा के अध्यक्ष रामानंद ने बताया कि यहंा की गतिविधियों का सचंालन के लिए रायगढ़ के प्रमुख समाजसेवी पोम्मी भाटिया से भरपूर सहयोग मिल रहा है।उन्होने कहा कि यहंा प्राचीन रूढ़ियों को तोड़ कर अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के बालकों को वेद संस्कृति की शिक्षा देकर उन्हे आत्म निर्भर बनाने की पहल की गई है।

      
रमेश शर्मा

1 टिप्पणी:

Dr. Parivesh Mishra ने कहा…

प्रिय रमेश जी
दशकों से आप के समाचार पढ़ रहा हूँ. अब तक आप के समाचार समाचार पत्रों और एजेंसी की मांग के कठघरों के भीतर सिमट कर रह जाया करते थे. ब्लॉग के ज़रिये आपने अपने लिए एक नया कैनवस इज़ाद किया है जिसकी सीमा भी आप ही तय करेंगे और विषय वस्तु भी. इस ब्लॉग ने आपकी प्रतिभा के नए आयाम प्रस्तुत किये हैं. वैदिक शिक्षा वाली कहानी इसका प्रमाण है. आपने पत्थलगाँव और जशपुर क्षेत्र को इन्टरनेट और ब्लॉग के ज़रिये वैश्विक पंहुच के भीतर पंहुचाया है. बधाई स्वीकार करें और यह काम इसी तरह जारी रखें. डॉ. परिवेश मिश्र