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सोमवार, 14 अप्रैल 2014

शादी के सीजन में सोने का कारोबार मंदा


          सराफा दुकानदार के पास ग्राहकों व्दारा
 चांदी के आाभूषणों की पूछ-परख
चांदी की पूछ परख बढ़ी
पत्थलगाँव / रमेश शर्मा
   शादी सीजन होने के कारण इन दिनों सराफा बाजार में ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है। सोने के भाव में 35 हजार रुपए प्रति तोला की रिकार्ड तेजी के बाद अब लगभग 5 हजार की गिरावट के बाद भी गरीब वर्ग के साथ मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों ने भी स्वर्ण आभूषणों से दूरी बना ली है।
      सराफा व्यापारियों का कहना है कि इस साल शादी का आधा सीजन बीत जाने के बाद भी उनका कारोबार 20 फीसदी तक नहीं पहुंच पाया है। यहां मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों का कहना है कि मंहगाई के दौर में साने की खरीददारी के बाद इसे पहन कर आवाजाही करने में भी भय बना रहता है। यही वजह है कि अपनी बीटिया के हाथ पीले करके चांदी देकर विदा करने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।
      इधर सराफा दुकानदारों का कहना है कि पहले की अपेक्षा सोने का कारोबार 40 फीसदी भी नहीं रह गया है। इन दिनों शादी का सीजन होने के बाद भी उनके पास पहुंचने वाले ज्यादातर ग्राहक चांदी से ही काम चला रहे हैं। सोने की खरीदी के नाम पर अंगूंठी अथवा कम बजट के दूसरे आभूषण की खरीददारी से काम चला रहे हैं। पत्थलगांव में सराफा का काफी बड़ा बजार है। यहां पर दर्जन भर सराफा दुकानों में शादी ब्याह का सीजन में प्रति दिन लाखो रूप्यों का कारोबार होता है। सोने चांदी के आभूषणों की खरीदी करने वाले ग्राहकों का कहना है कि यहां का बाजार में राजधानी रायपुर के भाव में मामली अंतर होने के चलते यहां रायगढ़, जशपुर के अलावा सरगुजा जिले के कस्बों से ग्राहकों की भीड़ पहुंचती है। शादी और त्यौहारी सीजन के समय यहां के दुकानदारों की व्यस्तता काफी बढ़ जाती है, लेकिन इस बार शादी का सीजन में साने की बिक्री बेहद कम हो गई है।
     यहां सराफा दुकानदार श्रवण अग्रवाल का कहना था कि दो दशक पहले सोना साढ़े चार हजार रुपए तोला तथा दस साल पहले छः हजार रुपए तोले में बिकने वाला पीला धातु सोने की कीमत बढ़ कर अब 30 हजार रुपए प्रति तोला हो गया है। बीते वर्ष सोने के भाव में रिकार्ड तेजी के बाद इसके भाव 35 हजार रुपए .प्रति तोला की उंचाइयों में जा पहुंचे थे। साने के भाव में अप्रत्याशित तेजी के कारण यह धातु अब गरीब वर्ग से दूर हो गई है। यहां सराफा व्यवसायी सुरेश अग्रवाल का कहना था कि उनके पास ग्राहकों की भीड़ तो पहले की तरह पहुंच रही है, लेकिन सोने के भाव सुन कर लोग मायूस हो जाते हैं और खरीदी नहीं कर पाते हैं।
               साने में निवेश हुआ कम
यहां सोने के भाव स्थिर नहीं रहने से इसमें निवेश करने का हर व्यक्ति साहस नहीं कर रहा हैं। जानकार लोगों का कहना था कि सोने में उतार चढ़ाव का दौर से सराफा व्यापारियों के साथ निवेश के शौकीनों के भी होश उड़ गए हैं। यहां पर जमीन का कारोबार करने वाले व्यवसायी रम्मू शर्मा ने बताया कि साने का कारोबार में इन दिनों भविष्य सुरक्षित दिखाई नहीं दे रहा है। इसके विपरित जमीन का कारोबार में साल दो साल का इंतजार के बाद ही लाभ की गुंजाइश दिखने लग जाती है।
                       खरीददार उच्च वर्ग
      सराफा व्यवसायी चन्द्रशेखर अग्रवाल का कहना था कि सोने के रेट में तेजी जरूर आई है,लेकिन इसकी खरीददारी बुरी तरह से प्रभावित हो गई है। उन्होने कहा कि अब सोने के खरीददारों की बड़ी संख्या उच्च वर्ग के लोगों की ही रह गई है। उन्होंने कहा कि इन दिनों सोने के दाम में गिरावट का दौर बन जाने से मध्यमवर्गीय परिवार इसकी मामली खरीदी करने लगे हैं। पर वे भी अपना बजट से बाहर जाने का साहस नहीं कर पाते हैं। उन्होने बताया कि होली के बाद से ही सोने के दाम में रूक रूक कर कमी आई है। अब शादियों का सीजन शुरू हो जाने के बाद भी खरीददारी में वृध्दि नहीं हो पाई है।
                    चांदी से कन्यादान
     यहां गोलाबुड़ा के शुद्रोधर महकुल का कहना था कि पहले की अपेक्षा साने के भाव में बेतहाषा वृध्दि हो जाने से अब इसकी खरीददारी के बारे में सोचना ही छोड़ दिया है। उन्होने कहा कि वे अपनी लाडली को कन्यादान में सोने के गहने देने के बजाए चांदी से ही काम चला लेंगे। उन्हांेने कहा कि गरीबों के लिए धीरे धीरे सोना दुर्लभ धातु बन गया है। इसकी खरीदी करना अब हर किसी के बस की बात नहीं है।इसलिए चांदी के गहनों के साथ बेटी की बिदाई सबसे बेहतर काम है।

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