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मंगलवार, 19 मार्च 2013

हेंडपम्प उगलने लगे लाल पानी


ग्राम पंचायत कुकरीचोली के हेंडपम्प का लाल पानी
पत्थलगांव/  रमेश शर्मा
  छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में गर्मी की शुरुआत से पहले ही जल स्तर में डेढ़ से दो फीट की गिरावट के साथ कई हेंडपम्पों में दूषित लाल पानी निकलने की समस्या सामने आने लगी है। इस वर्ष ग्रामीण अचंल के लोगों के सामने जल स्तर में गिरावट के चलते पीने का पानी की समस्या के साथ हेंडपम्पों से मिलने वाली दूषित पानी ने चिंता बढ़ा दी है। लोक स्वास्थ्य यात्रिकी विभाग ने पत्थलगांव विकासखंड के दो दर्जन से अधिक गांवों में लाल पानी उगलने वाले हेंडपम्पों को चिन्हित कर इस पानी को सेवन नहीं करने की बात कही है।
   ग्रामीण अचंल में दूर दराज के गांवों में दूषित पानी देने वाले हेंडपम्पों की समस्या का समाधान नहीं हो पाने से ग्रामीणों को इसी पानी को छान कर पीने के उपयोग में लेना पड़ रहा है। समीप ग्राम खरकटटा के स्कूल परिसर के हेंडपम्प में लाल पानी निकलने की समस्या का समाधान नहीं हो पाने के बाद स्कूल समिति के सदस्यों ने लाल पानी उगलने वाला हेंडपम्प को उखाड़ कर अलग कर दिया है। यहां के ग्रामीणों का कहना था कि मध्यान भोजन के बाद स्कूली बच्चों को इसी हेंडपम्प का दूषित पानी पीना पड़ता था। इससे बच्चों व्दारा अक्सर पेट दर्द की षिकायतों के बाद हेंडपम्प को बन्द कर दिया गया है।
                दूषित पानी की समस्या
  यहां पर तमता का बथानपारा, ग्राम जामजुनवानी का नरवा टिकरा, जामझोर का स्कूल पारा, पगंषुवा, कुकरीचोली के समीप मठपहाड़ एवं खमतराई तथा राजाआमा का स्कूलपारा में लाल पानी उगलने वाले हेंडपम्प की समस्या से आसपास के लोग खासे परेषान हैं। तमता के निवासी भास्कर शर्मा ने बताया कि यहां पर बथानपारा के हेंडपम्प में लाल पानी निकलने की समस्या के बारे में कलेक्टर को पत्र लिख कर अवगत कराया जा चुका है। उन्होने कहा कि पीने का स्वच्छ पानी के बदले दूषित पानी की इस समस्या का निराकरण के लिए त्वरित ध्यान देना चाहिए। ग्राम पंचायत कुकरीचोली के दो हेंडपम्पों में लाल पानी की समस्या के बाद भी वहंा के ग्रामीणों को इसी पानी को छान कर पीना पड़ रहा है। यहां के ग्रामीण तीरथ मोहन ने बताया कि आसपास पीने का पानी के लिए अन्य साधन नहीं होने से उन्हे इसी पानी का सेवन करना पड़ रहा है। इस गांव में दूषित पानी के चलते अनेक लोगों व्दारा पेट दर्द और दांतों में कालापन दिखने की परेषानी आ गई है। हेंडपम्प की समस्या को लेकर यहां के सरपंच ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को लिखित षिकायत कर दी है। इसके बाद भी लाल पानी की समस्या यथावत है।
 दो दर्जन हेंडपम्पों से निकल
 रहा है लाल पानी
   यहां लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अनुविभागीय अधिकारी सीबी सिंग ने बताया कि यहां गर्मी की शुरूआत के पहले ही भू-जल स्तर में गिरावट दिखने लगी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में दो फीट तक जल स्तर नीचे चला गया है। उन्होने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए हेंडपम्प में पाइप बढ़ाए जा रहे हैं। श्री सिंग ने बताया कि यहां के अलग अलग गांवों में दो दर्जन से अधिक हेंडपम्पों में लाल पानी उगलने की समस्या सामने आई है। इन सभी हेंडपम्पों का परीक्षण करने के बाद उन्हे चिन्हित कर उसका पानी को पीने के उपयोग में नहीं लेने को कहा गया है। श्री सिंग ने बताया कि संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव को लाल पानी उगलने वाले हेंडपम्पों का पानी के लिए आवष्यक सतर्कता बरतने को कहा गया है। उन्होने कहा कि लाल पानी की समस्या से प्रभावित गांवों के लिए विशेष कार्य योजना बना कर उच्च अधिकारियों के पास जानकारी भेज दी गई है।
              लाल पानी की समस्या से प्रभावित गांव
  पत्थलगांव क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांवों में हेंडपम्प का लाल पानी लोगों की परेषानी का सबब बन गया है। यहां पर कुकरीचोली ग्राम पचंायत में तीन हेंडपम्पो से लाल पानी निकल रहा है। इसी तरह खरकटटा और कुड़केलखजरी के लोग भी हेंडपम्प से लाल पानी की समस्या को लेकर खासे नाराज हैं। लोक स्वास्थ्य यात्रिकी विभाग ने ग्राम पंचायत तमता बथानपारा, पण्डरीपानी उपरपारा, कुड़केलखजरी पटेलपारा, कुड़केलखजरी बैगापारा, बेलडेगी स्कूलपारा, तिलडेगा शांतिपारा, कुकरीचोली खमतराई, कुकरीचोली उरांवपारा, कुकरीचोली मठपहाड़, लोकेर बिछीकानी, जमरगी बी झिंगरेल, जामझोर मंदिरपारा, गोलियागढ़ मुख्य बस्ती, पंगषुवा बसंतपुर, खरकटटा स्कूलपारा, खरकटटा दर्रीमहुआ, जामजुनवानी नरवाटिकरा, राजाआमा स्कूलपारा के हेंडपम्प का पानी को दूषित बता कर इसका सेवन नहीं करने की जानकारी दी है।
              स्वास्थ्य के लिए हानिकारक लाल पानी
  यहां सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक पुरुषोत्तम सुथार ने बताया कि हेंडपम्प से निकलने वाला लाल पानी को छान लेने के बाद भी वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहता है। उन्होने कहा कि इसमें फलोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण इस पानी का रंग लाल हो जाता है। उन्होने कहा कि लाल पानी का सेवन करने से पेट दर्द तथा अन्य बीमारियों की सम्भावना बनी रहती है। इससे दांत, कमर की हड्डी प्रभावित होने का भी अंदेषा रहता है।



सोमवार, 18 मार्च 2013

कृषि उत्पादकता में श्रेष्ठ प्रदर्शन: मनोज अंबस्थ सम्मानित

कृषि मंत्री से पुरस्कार ग्रहण करते हुए
 तिलडेगा के किसान मनोज अम्बस्थ

पत्थलगांव/ रमे शर्मा
    जशपुर जिले में कृषि उत्पादकता के क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्श न करने वाले ग्राम तिलडेगा के कृषक मनोज अंबस्थ को इस वर्ष एक्सटेंशन रिफार्म्स (आत्मा) योजनांतर्गत कृषि उत्पादकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। रायपुर के कृषि महाविद्यालय में आयोजित एक समारोह में कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया। श्री अम्बस्थ ने अपने छोटे से गांव में सुविधाओं का अभाव के बाद भी श्री पदयति से धान की बम्फर पैदावार ली है। इस किसान ने उन्नत खेती अपना कर दूसरे किसानों को भी प्रेरण दी है।
       यहां वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी श्रीमती अनिता एक्का ने बताया कि कि कृषि क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक्सटेंशन रिफॉर्म्स योजना संचालित की है। इस योजना के तहत उत्कृष्ट कृषि आधारित उत्पादन के लिए राज्य सरकार द्वारा कृषि उत्पादकता पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इस योजना के लिए प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से कृषकों का चयन किया गया था। इसमें पत्थलगांव विकासखंड से कृषि उत्पादकता के लिए श्रेष्ठ कृषक के रूप में तिलडेगा के उन्नतषील कृषक मनोज अम्बस्थ चयनित हुए थे। उन्होने बताया कि बीते सप्ताह रायपुर के कृषि महाविद्यालय में आयोजित एक रंगा रंग समारोह में प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने उन्हें 25 हजार रू का चेक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
     कृषि उत्पादकता में श्रेष्ठ प्रदर्षन करने वाले किसान श्री अम्बस्थ ने बताया कि उन्होंने परंपरागत व्यवसाय के रुप में कृषि को एक नया आयाम दिया है। इस किसान का कहना था कि खेती के काम में नई तकनीकों और कुशल प्रबंधन की बदौलत उन्होंने प्रति ईकाई फसलोत्पादन में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। उल्लेखनीय है कि यह पुरस्कार हासिल करने वाले वह क्षेत्र के पहले कृषक हैं।
                        किसान बदल सकते हैं तस्वीर
   श्री अम्बस्थ को कृषि उत्पादकता के क्षेत्र में सम्मानित करने परयहां के किसानों ने प्रसन्नता व्यक्त की है। विधायक रामपुकार सिंह ने कहा कि मनोज अम्बस्थ ने खेती के काम काज में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने से दूसरे किसानों को भी उनके अनुभव का लाभ मिल सकेगा।श्री सिंह ने कहा कियहां खेती के क्षेत्र में काम करने की असीम संभावनाऐं हैं। किसानों को सिंचाई के लिए छोटे बांध तथा अन्य सुविधाऐं मुहैया करा कर यहां  की तस्वीर बदली जा सकती है।
  यहां के पूर्व मंडी अध्यक्ष डमरूधर यादव का कहना था कि पत्थलगांव के किसान ने कृषि उत्पादकता के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करके वे आस-पास के किसानों के लिए एक मिसाल बनकर उभरे हैं। श्री यादव ने कहा कि इस अंचल में धन की दोहरी फसल लगाई जाती है।  तिलडेगा गांव के किसान को मिले इस सम्मान से दूसरे किसानों का भी उत्साह बढ़ेगा। श्री अम्बस्थ को सम्मानित करने पर यहां कृषक समाज के प्रतिनिधियों और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ किसान नेता वेदप्रका मिश्रा, राजेश  अग्रवाल ,विजय त्रिपाठी,वेदप्रकाश मिश्रा,हरगोविंद अग्रवाल, सुरेन्द्र चेतवानी, मुकेश अग्रवाल, नीरज गुप्ता, छत्रमोहन यादव,निसामुद्दीन खान ने बधाई दी है।


बुधवार, 6 मार्च 2013

अब वृक्ष मंदिर और जल मंदिर बनाने की जरूरत- रमेश भाई



वर्षा का पानी संरक्षण से ही इस विकराल समस्या के उपाय
पत्थलगांव/छत्तीसगढ़/6 मार्च/  
    रमेश शर्मा
   पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और प्रकृति से बेवजह छेड़छाड़ का दुष्परिणाम के रूप में हमें पानी की विकराल समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या से अपनी आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए हमें अभी से ठोस उपाय करने की जरूरत है। इस कड़ी में सबसे पहले वर्षा के जल का संग्रहण, छोटे डेम, तालाब और कुएँ बनाने की पहल करनी होगी। तभी हम अपना भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। उक्त बातें देश के विख्यात भागवत कथा वाचक एवं राज्य अतिथि रमेश भाई ओझा ने यहंा चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम वृक्ष मंदिर और जल मंदिर बनाएं।
       श्री ओझा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में गर्मी की शुरुआत से पहले ही पानी की विकराल समस्या बढ़ने लगी हैं। उन्होने कहा कि जशपुर रायगढ़ और सरगुजा सहित अनेक जिले में पानी को लेकर काफी भयावह स्थिति बन जाती है। यहां हेंडपम्प तथा कुओं में प्रति वर्ष 10 मीटर से भी अधिक जल स्रोतों में गिरावट काफी चिन्ता की बात हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पानी की समस्या का निराकरण के लिए यहंा वर्षा का जल को संरक्षण करने के काम पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अभाव में प्रति वर्ष नदियों की खूबसूरती कम होकर वहंा अब पानी की पतली धारा ही दिखाई पड़ रही है।यह स्थिति हमारे सुखमय जीवन में बाधा उत्पन्न करने के संकेत हैं। श्री ओझा ने कहा कि जल सरंक्षण के काम में सरकारी तंत्र के अलावा सामाजिक स्तर पर भी ईमानदारी के साथ प्रयास करने की जरूरत है। इस काम को कर लेने से छत्तीसगढ़ पूरे देश में एक मिसाल बन सकता है। उन्हांेने कहा कि अब बड़े बांध बनाने के बजाए सरकार को तालाब और छोटे डेम के कार्यो को प्राथमिकता देनी चाहिए। गांव गांव में तालाबों का निर्माण में यदि गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है तो इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे। श्री ओझा का कहना था कि हमें पूजा पाठ के लिए कांक्रीट के मंदिर बनाने के बजाए जल मंदिर ;तालाब तथा वनों के मंदिर, वृक्षारोपण बनाने पर ठोस पहल करनी होगी। इसके बगैर विकास की बातें केवल बेमानी है। श्री ओझा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कम से कम 6 पेड़ों का उपयोग करता है। इसलिए हर आदमी को अपना ऋण चुकता करने के लिए कम से कम 6 पौधे रोपकर उनका सरंक्षण करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले दिनो उनके साथ साधु संतों का एक प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली पहुंच कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ भेंट कर गंगा, यमुना सहित अन्य नदियों को अविरल बहने की दिषा में उपाय करने की बात पर जोर दिया था। इन नदियों में गंदगी तथा मिटटी का कटाव होने से बदहाल स्थिति का ब्यौरा दिया गया था। साधु संतों के प्रतिनिधि मंडल के ध्यानाकर्षण के बाद गंगा नदी को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मान लिया गया है। लेकिन नदियों का संरक्षण के लिए अभी तक सार्थक पहल नहीं हो पाई है। इसके लिए सरकारी तंत्र के अलावा सामाजिक स्तर पर भी काम करने की आवश्‍यकता है। ऐसा करने के बाद ही हम पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस उपाय कर पाएंगे।

        हिन्दू धर्म में खुलापन होने से विदेशियों का रूझान बढ़ा
 श्री ओझा ने कहा कि भारत में धर्म के प्रति खुलापन होने के कारण विदेशों में भी भागवत और राम कथा के प्रति रूझान बढ़ा है। विदेशों में धर्म विशेष पर ध्यान केन्द्रित कर देने से अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र में अब 45 प्रतिशत युवाओं की गीता, भागवत में रूचि बढ़ रही है।उन्होने कहा कि विदेशों में भी भागवत कथा सुनने वालों की भीड़ उमड़ने लगी है। उन्होंने कहा कि फिजी के अलावा यूरोप, स्वीटजरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका में भी अब हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रन्थों का अध्ययन कर उसका अनुसरण किया जा रहा है।श्री ओझा ने कहा कि विष्व में पर्यावरण सन्तुलन बिगडने के बाद बड़े बड़े वैज्ञानिकों ने हमारे प्रचीन ग्रन्थों में वृक्ष,पर्वत और नदियों की पूजा अर्चना की बातों का महत्व को समझा है। अब वृक्षारोपण, नदियों और प्रकृति की सुरक्षा के लिए अलग अलग योजनाएं बनाई जाने लगी हैं।यही बातें सैकड़ों वर्ष पहले हमारे ग्रंथों में लिखी गई है। नदियों की साफ सफाई, वनों की सुरक्षा जैसे कार्यो से ही हम जल स्तर की गिरावट पर काबू पा सकते हैं। इन बातों को पर्यावरण संरक्षण के नाम पर पूरे विष्व ने स्वीकार कर लिया है।
               देश की बागडोर के लिए नरेन्द्र मोदी उपयुक्त
  श्री ओझा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी को देश की बागडोर सौंपने में देरी हुई थी वह देरी अब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए नहीं होनी चाहिए। श्री मोदी ने अपनी क्षमता से जिस तरह गुजरात में नर्मदा नदी का कायाकल्प करके विकास को नई दिषा दी है उस क्षमता का लाभ पूरे राष्ट्र को मिलना चाहिए। उन्हांेने कहा कि भारत अब गरीब देश नहीं है। यंहा का केवल मैनेजमैंट गरीब है।इसके लिए अनुषासित और विकास की दृढ़ इच्छाशक्ति रखने वाले व्यक्ति को देश की बागडोर सौंपनी होगी।श्री ओझा ने वनवासियों का धर्मान्तरण पर भी चिन्ता व्यक्त की। उन्होने कहा कि भय और लालच से धर्मान्तरण करने के बजाए यहंा इच्छे इंसान बनाने की जरूरत है।इसके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है।    

शुक्रवार, 1 मार्च 2013

भागवत कथा भगवान का दूसरा स्वरूप: रमेश भाई ओझा


राज्य अतिथि रमेश  भाई ओझा का स्वागत करने श्रध्दालुओं की उमड़ी भीड़
पत्थलगांव/  रमेश  शर्मा
  श्रीमद भागवत कथा का वाचन करने वाले देश  के विख्यात संत रमेश  भाई ओझा शुक्रवार को 11 बजे विशेष   हेलीकाप्टर से पत्थलगांव पहुंचे। यहंा राधे राधे सेवा समिति के प्रमुख सदस्य सत्यनारायण शर्मा व जगनलाल अग्रवाल ने हेलीपेड पर उनका आत्मीय स्वागत किया। बालक हाई स्कूल के खेल मैदान पर बनाया गया हेलीपेड पर इस संत का स्वागत के लिए हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी हुई थी।
    संत श्री ओझा ने  पहुंचकर सभी कथा प्रेमियों का हाथ जोड़ कर अभिवादन किया।राज्य अतिथि का दर्जा प्राप्त श्री ओझा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के इस वनवासी अचंल में लोगों की आस्था को देख कर वे अभिभूत हो गए हैं। उन्होने कहा कि श्रीमद भागवत कथा भगवान का ही दूसरा स्वरूप है। हमारे शरीर की आंखे और कान अच्छाई ग्रहण करने के महत्वपूर्ण द्वार हैं। हम सावधानी से निर्णय करके इनसे जीवन को सफल बनाने वाली चीजों को प्राप्त करें तो दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं। उन्होने कहा कि मनुष्य की संगत अच्छी हो तो उसका जीवन सुधर जाता है अन्यथा बुरी संगत में रहकर उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है।संत श्री ओझा ने कहा कि मनुष्य केवल विपत्ति में ही भगवान का स्मरण करता है। यदि वह सदैव प्रभु का स्मरण करता रहे तो कभी भी विपत्ति में नहीं फंस सकता है। पत्थलगांव पहुंचने के बाद यंहा के लोगों की धर्म के प्रति रूचि को देख कर उन्होने प्रसन्नता व्यक्त की।
              धार्मिक आयोजन बुराइयों से दूर रहने की सीख 
      विशाल शोभायात्रा के बाद  मंडी प्रागंण में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के मंच पर अपरान्ह तीन बजे किलकिलेश ्वर धाम के प्रमुख कपिलदेव मुनि द्वारा दीप प्रज्वल्लित किया गया। इसके उपरान्त खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष गिरधर गुप्ता ने स्वागत भाषण दिया। श्री गुप्ता ने छत्तीसगढ़ी में कहा कि लोगों में धर्म के प्रति अपार आस्था के बाद भी पशु वध की कुरीतिंयों का समर्थन किया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। उन्होने कहा कि यहां के प्रमुख आदिवासी संत गहिरा गुरु ने जनजागरण के माध्यम से लोगों को शराब जैसी बुराईयों से दूर करने का अलख जलाया था।इ स अलख को दूर दूर तक फैलाने की जरूरत है।श्री गुप्ता ने कहा कि इस तरह के आयोजन से लोगों को बुराइयों से दूर रहने में मदद मिलती है।
        वनवासी नृत्य और तीर धनुष के साथ पहाड़ी कोरवा
    पर दोपहर अम्बिकापुर मार्ग से प्रारम्भ हुई कलश  यात्रा बस स्टैण्ड के रास्ते से प्राचीन सत्यनारायण मंदिर में पहुंची थी। इस यात्रा में हजारों महिला और बालिकाएं  सिर पर कलश  लेकर शामिल हुई। शोभायात्रा में वनवासियों का पारम्परिक नृत्य के नगाड़ों की भी गूंज दूर दूर तक सुनाई दे रही थी। इसके अलावा जश पुर जिले में रहने वाली विलुप्तप्राय जनजाति पहाड़ी कोरवा परिवार के सैकड़ो सदस्य भी अपने पारम्परिक तीर और धनुष के साथ पहुंचे हुए थे। शोभा यात्रा में भागवत कथा का वाचन करने वाले संत श्री ओझा एक श  रथ में सवार होकर चल रहे थे। उनकी एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी हुई थी।राज्य अतिथि होने के कारण पुलिस ने उनकी सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए थे। पुलिस अधीक्षक मनीष शर्मा सहित काफी बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद था। अम्बिकापुर मार्ग के मंदिर से प्रारम्भ इस शोभा यात्रा को आधा कि.मी.की दूरी तय करने में लगभग तीन घंटे से अधिक वक्त लग गया।शहर के लोगों का भारी उत्साह और आस्था का  पर अनोखा नजारा देखने को मिल रहा था।
भागवत कथा की शोभा यात्रा में शामिल पहाड़ी कोरवा
  मंडी प्रागण में आयोजित भागवत कथा के पहले दिन पंडाल में श्रध्दालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। कथा के पंडाल में आयोजन समिति के सदस्यों ने बैठ कर पूजा अर्चना की।  पर प्रातः से ही शहर के लोगों की भारी संख्या में भीड़ पहुंच गई थी। भागवत कथा सुनने के लिए अन्य राज्यों से भी लोगों के पहुंचने का तांता लगा हुआ है। 1 से 8 मार्च तक चलने वाले इस आयोजन के पंडाल में महिला और पुरूषों के लिए बैठने के अच्छे इंतजाम होने के कारण लोग पूरी कथा को शांतिपूर्वक श्रवण कर रहे हैं।