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शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

मिट्टी में सोना पर दाम औना पौना

  पुराने माप से स्वर्ण कणों का तौल में ठगे जा रहे ग्रामीण
              रमेश शर्मा
     छत्तीसगढ़ जशपुर जिले में सोने जैसी कीमती धातु का तौल करने के लिए आज भी वर्षो पुराने तराजू और आना, धान जैसे बांट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी वजह यहां  पत्थलगांव, फरसाबहार के ग्रामीण अचंल में मिट्टी से स्वर्णकण एकत्रित करके स्थानीय दुकानदारों के पास  बेचने वालों का जमकर शोषण हो रहा है।
     पूर्व सांसद एवं प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष पुष्पा देवी सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकार की बेरूखी के चलते यहंा ईब और मैनी नदी के तट की मिट्टी में स्वर्ण कणों का सग्रंहण करने वालों का जमकर शोषण हो रहा है। उन्होने बताया कि जिले के पत्थलगांव, फरसाबहार विकासखंड के गांवों में जगह जगह मिट्टी धोकर स्वर्ण कण तलाश  करने वालों की भीड़ दिखाई देती है। यहां मिटटी से कीमती सोना का संग्रहण करने वालों से खरीददारों व्दारा आज भी पुराने तराजू एवं पुराने बांट का इस्तेमाल किया जा रहा है।

  पूर्व सांसद पुष्पादेवी का कहना था कि इन दिनों सोने के भाव में निरतंर हो रही वृध्दि के चलते यहंा मिटटी में सोना निकालने वाले गरीब परिवार का रहन सहन भले ही बदल गया है मगर सोने का तौल करने के लिए स्थानीय खरीददारों व्दारा इलेक्ट्रानिक तराजू के स्थान पर वर्षो पुराने आना रत्ती और धान का दाना वाला माप का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होने बताया कि यहंा पर मिटटी में सोना तलाश  कर उसे बेचने वालों को इसकी कीमत देने के लिए धान का दाना पर ही भाव तय किया जाता है।

   उल्लेखनीय है कि जिले के पत्थलगांव व फरसाबहार और कांसाबेल विकासखंड अन्तर्गत कई गांव के लोग ईब और मैनी नदी के तट पर मिटटी में कीमती स्वर्ण कणों की तलाश  कर के अपना जीवन यापन करते हैं।यहंा पर तिलंगा, बागबहार, तरेकेला, सबदमुंडा, बरजोर, हथगड़ा, सोनाजोरी, सिहारजोरी, धौरासांड़ गांव के लोग बरसात के दिनो में अपने पूरे परिवार के साथ मिटटी में सोना तलाश ने का काम में व्यस्त हो जाते हैं। मिटटी और रेत को पानी में धोने के कठिन प्रक्रिया पूर करके इन ग्रामीणों के पास प्रति दिन 500 से एक हजार रू. तक के स्वर्ण कण इकटठे हो जाते हैं। 

    मिटटी से कीमती सोना निकालने वाले इन ग्रामीणों को सोने के दाम में बेतहाश ा वृध्दि होने से भले ही अच्छी खासी आमदनी होने लगी है। मगर कीमती सोना का तौल करने के लिए खरीददारों के पास आज भी प्रचलन से बाहर के माप होने से इन गरीबों का जमकर शोषण हो रहा है।बागबहार से पांच कि.मी.दूर तिलंगा गांव का सुखबासु पारा में रहने वाले राजुराम, सोमारी बाई, लोहरा एवं पीलाराम का कहना था कि वे मजदूरों का ग्रुप बना कर मिटटी में सोना निकालने का काम करते हैं। इस दौरान मिटटी से मिलने वाले सोने के कणों को बेच कर राश ि को आपस में बराबर बांट लेते हैं। ग्राम बागबहार में राजुराम नामक एक मजदूर ने बताया कि यहंा सोना की कीमत तोला में नहीं बल्कि धान का एक दाना के तौल पर तय की जाती है। इन दिनो सोना के भाव में तेजी के चलते एक दाना धान के बराबर सोना के दाम 100 रू.से बढ़कर 150 रू.तक पहुंच गए हैं। 

      यहां  पर ग्रामीणों से सोना खरीदने वाले एक स्थानीय व्यापारी का कहना था कि धान के 200 दाने के बराबर एक तोला का वजन है। यहंा मिट्टी में मिलने वाला सोना 24 कैरेट का होने के बाद भी इसमें मिट्टी के अंश  रह जाते हैं। इसलिए स्थानीय स्तर पर सोने का भाव कम नहीं है। फरसाबहार के थाना प्रभारी ए आर छात्रे ने बताया कि यहां  मिट्टी में स्वर्ण कण तलाश  करने वाले ज्यादातर भोले भाले लोग होने के कारण वे सोना का तौल में शोषण होने की बात से अनभिज्ञ हैं। उन्होने बताया कि इस अचंल में आसपास के नदी नालों में ग्रामीणों व्दारा काफी बड़ी मात्रा में स्वर्ण कण निकालने का काम किया जाता है। बरसात के दिनों में मिट्टी गिली होने तथा नदी नालों में पानी आसानी से मिल जाने के कारण यहंा जगह जगह स्वर्ण कण तलाश ने वालों की टोली दिखाई देती है। श्री छात्रे ने कहा कि इस अचंल में लम्बे समय से सोना तौलने के लिए धान का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इस संबंध में यदि सोना संग्रहण करने वालो की श िकायत मिलती है तभी वे मामला दर्ज कर कार्रवाई कर सकते हैं।