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शुक्रवार, 1 मार्च 2013

भागवत कथा भगवान का दूसरा स्वरूप: रमेश भाई ओझा


राज्य अतिथि रमेश  भाई ओझा का स्वागत करने श्रध्दालुओं की उमड़ी भीड़
पत्थलगांव/  रमेश  शर्मा
  श्रीमद भागवत कथा का वाचन करने वाले देश  के विख्यात संत रमेश  भाई ओझा शुक्रवार को 11 बजे विशेष   हेलीकाप्टर से पत्थलगांव पहुंचे। यहंा राधे राधे सेवा समिति के प्रमुख सदस्य सत्यनारायण शर्मा व जगनलाल अग्रवाल ने हेलीपेड पर उनका आत्मीय स्वागत किया। बालक हाई स्कूल के खेल मैदान पर बनाया गया हेलीपेड पर इस संत का स्वागत के लिए हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी हुई थी।
    संत श्री ओझा ने  पहुंचकर सभी कथा प्रेमियों का हाथ जोड़ कर अभिवादन किया।राज्य अतिथि का दर्जा प्राप्त श्री ओझा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के इस वनवासी अचंल में लोगों की आस्था को देख कर वे अभिभूत हो गए हैं। उन्होने कहा कि श्रीमद भागवत कथा भगवान का ही दूसरा स्वरूप है। हमारे शरीर की आंखे और कान अच्छाई ग्रहण करने के महत्वपूर्ण द्वार हैं। हम सावधानी से निर्णय करके इनसे जीवन को सफल बनाने वाली चीजों को प्राप्त करें तो दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं। उन्होने कहा कि मनुष्य की संगत अच्छी हो तो उसका जीवन सुधर जाता है अन्यथा बुरी संगत में रहकर उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है।संत श्री ओझा ने कहा कि मनुष्य केवल विपत्ति में ही भगवान का स्मरण करता है। यदि वह सदैव प्रभु का स्मरण करता रहे तो कभी भी विपत्ति में नहीं फंस सकता है। पत्थलगांव पहुंचने के बाद यंहा के लोगों की धर्म के प्रति रूचि को देख कर उन्होने प्रसन्नता व्यक्त की।
              धार्मिक आयोजन बुराइयों से दूर रहने की सीख 
      विशाल शोभायात्रा के बाद  मंडी प्रागंण में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के मंच पर अपरान्ह तीन बजे किलकिलेश ्वर धाम के प्रमुख कपिलदेव मुनि द्वारा दीप प्रज्वल्लित किया गया। इसके उपरान्त खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष गिरधर गुप्ता ने स्वागत भाषण दिया। श्री गुप्ता ने छत्तीसगढ़ी में कहा कि लोगों में धर्म के प्रति अपार आस्था के बाद भी पशु वध की कुरीतिंयों का समर्थन किया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। उन्होने कहा कि यहां के प्रमुख आदिवासी संत गहिरा गुरु ने जनजागरण के माध्यम से लोगों को शराब जैसी बुराईयों से दूर करने का अलख जलाया था।इ स अलख को दूर दूर तक फैलाने की जरूरत है।श्री गुप्ता ने कहा कि इस तरह के आयोजन से लोगों को बुराइयों से दूर रहने में मदद मिलती है।
        वनवासी नृत्य और तीर धनुष के साथ पहाड़ी कोरवा
    पर दोपहर अम्बिकापुर मार्ग से प्रारम्भ हुई कलश  यात्रा बस स्टैण्ड के रास्ते से प्राचीन सत्यनारायण मंदिर में पहुंची थी। इस यात्रा में हजारों महिला और बालिकाएं  सिर पर कलश  लेकर शामिल हुई। शोभायात्रा में वनवासियों का पारम्परिक नृत्य के नगाड़ों की भी गूंज दूर दूर तक सुनाई दे रही थी। इसके अलावा जश पुर जिले में रहने वाली विलुप्तप्राय जनजाति पहाड़ी कोरवा परिवार के सैकड़ो सदस्य भी अपने पारम्परिक तीर और धनुष के साथ पहुंचे हुए थे। शोभा यात्रा में भागवत कथा का वाचन करने वाले संत श्री ओझा एक श  रथ में सवार होकर चल रहे थे। उनकी एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी हुई थी।राज्य अतिथि होने के कारण पुलिस ने उनकी सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए थे। पुलिस अधीक्षक मनीष शर्मा सहित काफी बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद था। अम्बिकापुर मार्ग के मंदिर से प्रारम्भ इस शोभा यात्रा को आधा कि.मी.की दूरी तय करने में लगभग तीन घंटे से अधिक वक्त लग गया।शहर के लोगों का भारी उत्साह और आस्था का  पर अनोखा नजारा देखने को मिल रहा था।
भागवत कथा की शोभा यात्रा में शामिल पहाड़ी कोरवा
  मंडी प्रागण में आयोजित भागवत कथा के पहले दिन पंडाल में श्रध्दालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। कथा के पंडाल में आयोजन समिति के सदस्यों ने बैठ कर पूजा अर्चना की।  पर प्रातः से ही शहर के लोगों की भारी संख्या में भीड़ पहुंच गई थी। भागवत कथा सुनने के लिए अन्य राज्यों से भी लोगों के पहुंचने का तांता लगा हुआ है। 1 से 8 मार्च तक चलने वाले इस आयोजन के पंडाल में महिला और पुरूषों के लिए बैठने के अच्छे इंतजाम होने के कारण लोग पूरी कथा को शांतिपूर्वक श्रवण कर रहे हैं।

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