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बुधवार, 29 अप्रैल 2015

थोड़ा सा दाना, थोड़ा सा पानी

पेड़ पौधों पर पक्षियों के लिए मिटटी के बर्तन में पानी
अच्छी खबर..........
पक्षियों को दाना पानी की छोटी पहल का बड़ा लाभ
        रमेश शर्मा/ पत्थलगांव/
       गर्मी के दिनों में सूरज की तपन से मनुष्य ही नहीं, बल्कि पशु पक्षियों को भी राहत की जरूरत होती है। शहर में कई लोगों व्दारा सूरज की तपन बढ़ते ही पक्षियों के लिए दाना पानी उपलब्ध कराने की सार्थक पहल की जा रही है। परोपकार के इस काम में अब कई लोग आगे बढ़ कर हाथ बंटाने लगे हैं। पक्षियों के लिए थोड़ा दाना थोड़ा पानी देने के इस सहयोग का अन्य लोग भी अनुषरण करने लगे हैं। गर्मी के दिनों में दाना पानी देने की इस छोटी सी पहल का अनेक पक्षियों को अच्छा खासा लाभ मिल जाता है।
    यहां इंगलैंड के नाॅटिंघम से अन्तरराष्ट्रीय कानून तथा विकास पर एलएलएम की शिक्षा लेकर लौटी कुलिशा मिश्रा का कहना है कि उन्हे गर्मी के दिनों में पक्षियों को थोड़ा दाना,थोड़ा पानी देने में काफी सुकून मिलता है। उन्हांेने कहा कि पक्षियों के लिए पानी की एक एक बंूद का महत्व रहता है।उन्होने जब घर में रहने वाली गौरैया को पानी की एक बून्द से तृप्ति करते हुए देखा तभी से वह पक्षियों के लिए नियमित रूप से दाना पानी देने का काम कर रही है। कुलिशा का कहना था कि आमतौर पर हर घर में नजर आने वाली गौरैया चिडि़या अब शहर से ही दूर होने लगी है। इसके लिए तेजी से बढ़ते पाॅल्यूशन,रेडिएशन और हरियाली की कमी ने गौरैया को शहरों से दूर कर दिया है। हालांकि शहर के कुछ हरियाली भरे क्षेत्र में गौरैया सुबह शाम झुंड में नजर आती हैं, लेकिन इन्हे घरों में रखने की हमारी पहल में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। कुलिशा का कहना था कि वास्तव में गौरैया चिडि़या भी मनुष्य के आस पास रहने में ही दिलचस्पी दिखाती है। इस नन्ही चिडि़या को वापस घर में बुलाने के लिए हमारी पहल अवश्य लाभप्रद साबित होगा।
घर की छत पर कुलिशा मिश्रा पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करते हुए
हा                  सुकृत्य से मिलता है सुकून
         दरअसल तापमान में वृध्दि के बाद पानी की एक एक बून्द के लिए पक्षियों को भी मशक्कत करते हुए देखा जाता है। गर्मी में पक्षियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए यहां के राईस मिलर श्रवण अग्रवाल ने भी सराहनीय पहल की है। उनके व्यावसायिक परिसर में गौरैया को खाने के लिए दाना तो भरपूर मिल जाता था, लेकिन पानी की दो बूंद के लिए इन पक्षियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। पक्षियों की परेशानी को महसूस कर इस व्यवसायी ने अपने परिसर तथा आस पास के अनेक पेड़ की टहनियों पर मिटटी की तश्तरियंा टांग दी हैं। इनमें नियमित रूप से पीने का पानी भरने से अब यहां हर वक्त चिडियों का शोरगुल सुनाई देने लगा है।श्रवण अग्रवाल का इस सुकृत्य की सीख उसके बुजुर्गो से मिली थी। गर्मी के दिनों में दाना पानी की अनुपलब्धता के कारण कई छोटे पक्षी दम तोड़ देते हैं। इन पक्षियों को बचाने के लिए मिटटी के बर्तन में पानी रखने से उन्हे निष्चित ही लाभ मिलता है। इस वजह गर्मी के दिनों में पक्षियों के लिए दाना पानी उपलब्ध कराने से उन्हे काफी सुकून मिलता है।
                                         दैनिक भास्कर ने की है दाना पानी की पहल
 यहां के पर्यावरणविद डा.परिवेश मिश्रा ने गौरैया चिडि़या की लगातार कम होती संख्या पर चिंता जाहिर की है। उन्होने कहा कि गौरैया मूलतः अपने घर में ही या आसपास ही देखने को मिल जाती थी, लेकिन अब पक्के घरों में गौरैया के घोंसले बनाने की जगह नहीं मिल पाने से यह बाहर उड़ चुकी है। लोगों को जागरूक करने के लिए दैनिक भास्कर ने थोड़ा सा दाना थोड़ा पानी का नारा देकर इस दिशा में सार्थक पहल की है। उन्होने कहा कि गर्मी के दिनों में सभी को घरों की छत पर या उंचाई वाले स्थान पर पक्षियों के लिए दाना पानी देने के काम में अपनी भागिदारी निभानी चाहिए।