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मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

किसान की सूझबूझ काम आई, खुद ही बनाई जैविक खाद

 प्रगतिशील किसान वेदप्रकाश  मिश्रा अपने खेतों में
     
पत्थलगांव
        रमेश शर्मा
  वर्तमान में किसानों को जहां रासायनिक खादों से खेती करना महंगा साबित हो रहा है।वहीं यहॉं पर एक प्रगतिशील किसान वेदप्रकाश मिश्रा ने अपने ही खेतों में जैविक खाद बनाकर दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा की मिसाल बन गए हैं।
      इस किसान ने पुरानी बस्ती के पास अपने खेतों में ही जैविक खाद तैयार करके न केवल खेती का रकबा बढ़ा लिया है, बल्कि खाद पर नाममात्र का खर्च करके अपने खेतों में पैदावार को दो गुना से अधिक कर लिया है।श्री मिश्रा ने इस वर्ष धान आदि की खेती के अलावा गन्ना का बम्फर उत्पादन लेकर अपनी आमदनी को तीन गुना बढ़ा लिया है। इस किसान के खेतों में जैविक खाद का उपयोग को देखने के लिए आसपास के गांवों से किसान पहुंच रहे हैं। श्री मिश्रा अब इन किसानों को जैविक खेती से अधिक मुनाफे का गुर सीखा रहे हैं।श्री मिश्रा ने चर्चा के दौरान बताया कि उसने अपने खेत पर जैविक खाद के तहत दीवार नाडेप, केंचुवा खाद, समाध खाद, विभिन्न प्रकार की पत्तियंा से कीट नियंत्रक दवा तैयार की है। इसका अपने खेतों में उपयोग करके लगभग 12 एकड़ भूमि में उन्नत फसल का लाभ लिया है।इस किसान ने बताया कि खेतों के बीच में खाली भूमि पर विभिन्न साग सब्जी उगा लेने से उसे बाजार में महंगी सब्जी नहीं खरीदनी पड़ रही है। इस किसान का कहना था कि उसके खेतों में तैयार होने वाली फसल के साथ वह साग सब्जी से भी नगद आमदनी ले रहा है। वेद प्रकाश मिश्रा के खेतों में इन दिनों विभिन्न फसल को उगाने का तरिका तथा जैविक खाद बनाने की विधि को आस पास के किसान देख रहे हैं।
     श्री मिश्रा ने अपने खेतों में नींबू ,मिर्च के भी पौधे लगा लिए हैं।उनका कहना था कि कृषि विभाग से बीते वर्ष उन्होंने तालाब निर्माण के लिए सहायता मांगी थी। इस आवेदन पर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीमती अनिता एक्का ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे तालाब निर्माण के लिए अनुदान उपलब्ध कराया था। इस किसान के खेत में तालाब बनाने के बाद वहॉं  इन दिनों लबालब पानी भर गया है। इस किसान का कहना था कि वह सरकारी मदद के बाद जैविक खाद का उपयोग करकें अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहा है।जैविक खाद के बारे में अपना रूझान के संबंध में वेद प्रकाष मिश्रा ने बताया कि रासायनिक खाद खादों का लगातार उपयोग करने से उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है।खेत की मिटटी का उपचार नहीं होने से धीरे धीरे फसल में काफी कम उत्पादन होने लगता है।उन्होने बताया कि रासायनिक खाद की महंगाई तथा उत्पादन कम होने से उन्होने जैविक खाद बनाने पर विचार किया था।अब यह जैविक खाद उसके विकास का आधार बन चुकी है।

रमेश शर्मा
                        
                                

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