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शनिवार, 30 नवंबर 2013

विदेशी परिन्दों को भाया जशपुर का रामतिल



    रमेश शर्मा       
पत्थलगांव/जशपुर जिले की ऊंची-नीची पहाड़ियों और नदी तट वाले क्षेत्र में लगने वाली पीले फुलों वाली रामतिल की फसल ने छत्‍तीसगढ़ की विदेशों में अलग पहचान बना दी है। विदेशी परिन्दो को रास आने वाली इस तिलहन फसल का बीते 2 वर्षो से बम्फर निर्यात की बदौलत यहां मे.विनोद जैन एप्रोएक्जिम प्राइवेट लिमिटेड के संचालक को केन्द्र सरकार ने पुरूस्कार से भी नवाजा गया है।
   श्री जैन ने वर्ष 2011-2012 में जशपुर जिले से साढे़ छः हजार मेट्रिक टन रामतिल का रिकार्ड निर्यात किया था। इसके बाद वर्ष 2012-2013 में भी लगभग सात हजार मेट्रिक टन का निर्यात करने पर लगातार दूसरे वर्ष केन्द्र सरकार व्दारा पुरस्कृत किया है। रामतिल का निर्यात में बेहतर प्रदर्शन दिखाने वाले श्री जैन को बीते वर्ष गोवा में तथा इस वर्ष अक्टूबर माह में हैदराबाद में आयोजित एनुवल ट्रेड मीट के कार्यक्रम में संचालक विनोद जैन व संजना जैन को एग्रीकल्चर एंड प्रोसिड फूड प्राडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथार्टी ने पुरस्कृत किया है। 
   जशपुर जिले में सबसे ज्यादा रामतिल का उत्पादन कुनकुरी, बगीचा, जशपुर और मनोरा क्षेत्र में होता है। यहां कृषि अधिकारियों का मानना है कि जशपुर की अनुकुल जलवायु के चलते इस अचंल में सबसे अच्छी क्वालिटी का रामतिल की फसल तैयार होती है। यहां के किसान अगस्त माह में रामतिल की बोआई करने के बाद नवम्बर दिसंबर माह में इस फसल को काट कर अपने खलिहानों में इकटठा कर लेते हैं।
    रामतिल की फसल के लिए यहां की बालुई दोमट और पथरीली पहाड़ी की उंची नीची जमीन काफी उपयुक्त मानी गई है। इस फसल के लिए 18 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान मिलने के बाद यहां के खेतों में रामतिल फसल की पीली चादर का नजारा दूर से ही दिखाई देता है। यहां पर रामतिल की उपज लेने वाले किसानों का कहना है कि उन्हे प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल का उत्पादन मिल जाता है।किसानों का कहना है कि मिटटी में मौजूद पोषक तत्व और हल्की बारिश हो जाने के बाद यह फसल देखते ही देखते लहलहाने लगती है। यही वजह है कि रामतिल की फसल किसानों के साथ व्यापारियों के लिए भी लाभ का सौदा माना जाता है।
   जशपुर के प्रमुख व्यवसायी विनोद जैन ने रामतिल की फसल का निर्यात करने का लायसेंस लेकर क्लिनिंग के लिए प्लांट भी लगा लिया है। जशपुर जिले में यह प्रदेश का एक मात्र क्लिनिंग प्लांट है। यहां पर 25 और 50 किलों की पैकिग के बाद इसे मुंबई और विशाखापटनम के बन्दरगाहों से अमेरिका तथा यूरोपीय देशों में निर्यात किया जा रहा है।
   पूरे विश्व में भारत का रामतिल सबसे अच्छी क्वालिटी का माना जाता है। इस वजह अमेरिका, नाथरलैंड, स्पेन, बेल्जियम, कनाडा, मैक्सिको, इंडोनेशिया, सिंगापुर आदि देश के व्यवसायी अब सीधे छŸीसगढ़ में सम्पर्क करने लगे हैं। छŸाीसगढ़ का रामतिल विदेशों में पहुंचने के बाद इसे एक किलो के छोटे पैकटो में भर कर बेचा जाता है। यूरोप और अमेरिका में रामतिल को पक्षियों को खिलाया जाता है।
आसानी से पड़ती विदेशी परिन्दो की नजर
अमेरिका और यूरोपीय देशो में चारों ओर बर्फ की चादर ढकी होने के चलते पक्षियों को भोजन मिलने की परेशानी बन जाती है।ऐसे वक्त में विदेशी परिन्दो के लिए छत्तीसगढ़ का रामतिल इनका सबसे बेहतर भोजन बन जाता है। ठंडे देशों के नागरिक अपने घर के आस पास एक डब्बे में रामतिल को रख कर पक्षियों के लिए छोड़ देते हैं। कुछ लोग इसे बर्फ पर भी बिखेर देते हैं। विदेशों के पक्षी प्रेमियों का कहना है कि बर्फ पर काले रंग का रामतिल को बिखेर देने के बाद इस पर विदेशी परिन्दो की नजर आसानी से पड़ जाती है। सफेद बर्फ पर बिखरा हुआ रामतिल को विदेशी परिन्दे देखते ही देखते चट कर जाते हैं।
   दो दशक पहले जब यहां से रामतिल का निर्यात नहीं हो पाता था उस समय यहां के किसानों को अपनी फसल औने पौने दाम पर बेचनी पड़ती थी। लेकिन केन्द्र सरकार व्दारा निर्यात में सरलीकरण करने के बाद जशपुर का रामतिल की पुछ परख बढ़ गई है। यहां के किसानों को मौजूदा समय में रामतिल 40 से 42 रूपये प्रति किलो के दाम मिल रहे हैं।
राज्य में नहीं मिल रहा किसानों को प्रोत्साहन
 विदेशों में छŸाीसगढ़ राज्य को अलग पहचान देने वाला रामतिल का उत्पादन करने वाले किसान और निर्यात करने वाले व्यापारियों को राज्य सरकार ने अभी तक प्रोत्साहन देने की योजना नहीं बनाई है। जशपुर जिले के किसान लगभग 24000 हेक्टेयर भूमि पर रामतिल का उत्पादन करते हैं। स्थानीय लोग रामतिल को गुंजा के नाम से जानते हैं। पूर्व मंत्री गणेशराम भगत का कहना है कि जशपुर जिले में रामतिल की फसल के लिए अनुकूल जलवायु है। यहां के किसानों को राज्य सरकार व्दारा प्रोत्साहन देने के लिए पहल करनी चाहिए। श्री भगत का कहना था कि आदिवासी बाहुल्य जिले के व्यापारियों को भी शासन को मंडी टैक्स तथा अन्य छुट देकर इस दिशा में सार्थक पहल करनी चाहिए।  

सोमवार, 25 नवंबर 2013

घड़ल्‍ले से जारी है मानव तस्‍करी

                                             
     रमेश शर्मा          
पत्थलगांव/       छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में मानव तस्करी के मामलों की रोकथाम के लिए पुलिस व्दारा अलग सेल का गठन करने के बाद भी इस तरह की शिकायतों पर विराम नहीं लग पाया है। मानव तस्करी करने वाले दलालों व्दारा अच्छा रोजगार दिलाने का लालच ने यहां सैकड़ों आदिवासी बालाओं को नर्क से भी बदतर जिन्दगी जिने के लिए मजबूर कर दिया है। मानव तस्करी की लगातार घटनाओं के मददेनजर पुलिस का अलग जांच सेल का गठन के बाद भी इस तरह की शिकायतों पर विराम नहीं लग पाया है। 
     जशपुर जिले में दूर दराज के गांवों में रहने वाली आदिवासी बालाओं को महानगरों में रोजगार दिलाने का झांसा देकर उन्हे अंधेरे की गर्त में ढ़केलने वालों ने अब आदिवासियों के नाबालिक बच्चों तथा युवकों को भी मध्यप्रदेश, पंजाब तथा दक्षिण भारत के बड़े शहरों में भेज कर उनके सौदे करने शुरू कर दिए हैं।
    जशपुर जिले का सुदूरवर्ती गांव करदना के 7 पहाड़ी कोरवा बच्चों के दल को तमिलनाडू में ले जाकर बेचे जाने का मामला में पुलिस ने यहंा 1 महिला सहित 4 दलालों के विरूध्द अपराधिक मामला दर्ज कर उन्हे गिरप्तार किया है। यहां से तमिलनाडू के सेलम शहर में ले जाकर बेचे गए 7 बच्चों का दल में से एक युवक आरोपियों के चंगुल से निकल कर वापस अपने गांव लौटा है।इस युवक ने अपने परिजनों को आप बीती बताए जाने पर सन्ना थाना अन्तर्गत सोनक्यारी पुलिस चैकी ने आरोपियों के विरूध्द मानव तस्करी का मामला दर्ज कर 4 दलालों को गिरफतार कर जेल भेज दिया है।
    तमिलनाडू से आरोपियों के चंगुल से बच कर आए नन्दकिशोर नगेशिया सहित 7 बच्चों को 20 सितंबर 13 को यहां से रोजगार दिलाने के नाम पर ले जाया गया था। मानव तस्करी करने वाले दलाल ने सोनक्यारी पुलिस चैकी अन्तर्गत ग्राम चीरोटोली के सुरजनराम पिता मोहनराम कोरवा 15 वर्ष, भिन्तुराम पिता मोहनराम 13 वर्ष, राममुरतराम पिता चन्दरराम कोरवा उम्र 16 वर्ष, रविन्द्रराम पिता फिरनराम कोरवा उम्र 14 वर्ष, बालेश्वरराम पिता फुलसाय कोरवा 13 वर्ष ,महाबीरराम पिता रोयलाराम कोरवा उम्र 18 वर्ष और नन्दकिषोर राम पिता हलुराम नगेषिया उम्र 25 वर्ष को  आरोपी कृष्णराम बंसोड़ ग्राम चीरोटोली ने महानगरों में रोजगार दिलाने का झांसा दिया था।
   पुलिस सुत्रों के अनुसार इस आरोपी ने पहले दुलदुला व फरसाबहार विकासखंड में मजदूरी दिलाने की बात कही थी। बाद में इन्हे खाना पीना मुफ्त के साथ सात हजार रू.महीने की पगार दिलाने का झांसा देकर उन्हे उड़ीसा के झारसुगड़ा रेल्वे स्टशान से तमिलनाडू ले जाया गया था। वहंा पर इन पहाड़ी कोरवा परिवार के सदस्यों का सौदा कर मानव तस्करी के पेशेवर दलालों ने उन्हे भगवान भरोसे छोड़ दिया था। तामिलनाडू में इन सदस्यों से रात दिन बर्बरता पूर्वक काम कराए जाने पर उन्हे बंधक होने का आभास हो गया था। तामिलनाडू में लगातार प्रताड़ना सहने के बाद नन्दकिशोर नामक युवक ने भागने की योजना बनाई थी। नन्दकिशोर इस प्रयास में सफल तो हो गया पर अहिन्दी भाषा का क्षेत्र होने के कारण वहंा पर उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अपने गांव पहुंचने के लिए इस युवक को किराए की जरूरत थी। बगैर पैसों के दो दिन तक वह भूख प्यास से बेहाल होता रहा था। बाद में इस युवक ने अपना मोबाइल को चार सौ रूपयों में बेच कर किसी तरह जशपुर तक पहुंचने में कामयाब हो पाया।
    इस मामले की रिपोर्ट के बाद पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र सिंह मीणा ने नाबालिग आदिवासी बच्चों को बंधक बनाने जाने का मामला को गम्भीरता से लिया था। इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने एक महिला सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया है।श्री मीणा ने नाबालिग युवकों की खोजबीन के लिए तामिलनाडू और मध्यप्रदेश के अलग अलग शहरों में दबिश भी दी है। पर पहाड़ी कोरवा बच्चों को मुक्त नहीं कराया जा सका है। 
         प्रमुख समाजसेवी डा.परिवेश मिश्रा का कहना है कि जशपुर जिले में लम्बे समय से आदिवासी बालाओं को महानगरों में रोजगार दिलाने के नाम पर ले जाकर बेचे जाने का सिलसिला चल रहा है। यहंा के ग्रामीण अचंल में अशिक्षा और गरीबी की वजह से ज्यादातर मामलों की पुलिस थानों में रिपोर्ट ही दर्ज नहीं हो पाती है।
     पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र सिंह मीणा का कहना है कि मानव तस्करी के मामलों में पुलिस ने गांव गांव में जागरूकता अभियान चलाया है। ऐसे मामलों में पुलिस की कोशिशों के बाद अब गांव के लोग अपनी व्यथा को लेकर पुलिस थानों तक पहुंचने लगे हैं।श्री मीणा ने बताया कि वर्ष 2013 में यहंा के विभिन्न थानों में पुलिस ने 44 लोगों के गुम होने के मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होने बताया कि  माह सितंबर में 11 और अक्टूबर माह में 6 लोगों को पुलिस की टीम ने मुक्त करा कर उनके परिजनों को सौंपा है। माह अक्टूबर 13 में पुलिस ने मानव तस्करी के अपराध में लिप्त रहने वाले 30 दलालों को गिरफ्तार कर उन्हे जेल भेजा है। इसके पहले वर्ष 2011 में 21 प्रकररणों में 36 दलाल तथा वर्ष 2012 में 31 प्रकरणों में 64 दलालों को गिरफतार कर उन्हे जेल भेजा गया था। 
    श्री मीणा ने बताया कि यहां पर निरंतर मानव तस्करी के मामलों की शिकायतों के मददेनजर जिले में अलग से गुम इंसान सेल का गठन किया गया है।इसमें पुलिस उप अधीक्षक,सहायक निरीक्षक सहित पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं।मानव तस्करी के मामलों में ज्यादातर दलाल दिल्ली, मुंबई, चेन्नई ,गोवा,पुणे आदि देष के महानगरों में प्लेसमेंट एजेंसी के सम्पर्क में रह कर इनके सौदे करने की बात सामने आई है। 
वर्ष   .       गुम इंसान प्रकरण    . लापता की संख्या  . बरामद . शेष
2011 .                21  .                       66 .            62 .       4 
2012                 31                           69              65.        4
2013                11                            20               6        14

मंगलवार, 5 नवंबर 2013

गंदगी से पटे तालाब में कैसे करेंगे छठ स्नान

शहर के मध्य में सुता तालाब की बदहाली
 नपं सीएमओ को निलंबन करने की मांग
पत्थलगांव/  रमेश शर्मा
      चार दिवसीय छठ पूजा की बुधवार से शुरुआत हो रही है।पत्थलगांव में काफी बड़ी तादाद में श्रध्दालुओं व्दारा छठ पूजा के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। नगर पंचायत व्दारा शहर के तालाबों की साफ सफाई पर ध्यान नहीं देने से इस बार सूर्य षष्ठी का त्यौहार मनाने वाले श्रध्दालुओं में चिंता व्याप्त है। नगर पंचायत के उपाध्यक्ष सहित अनेक पार्षदों का आरोप है कि प्रभारी सीएमओ नारायण सिंह की निष्क्रीयता के चलते यहां तालाबों की साफ सफाई का काम नहीं हो पाया है।यहां के ज्यादातर तालाब घांस और गंदगी से अटे होने के कारण स्नान और पूजा करने के स्थल लुप्त हो गए हैं।
    छठ पूजा का त्यौहार मनाने वाले श्रध्दालु पहले शहर के बीच में स्थित सुता तालाब में पहुंचकर ढ़लते सूर्य और अगले दिन भोर में उगते सूर्य को अर्ध्य दिया करते थे। पर नगर पंचायत व्दारा इस तालाब में साफ सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी यहां की बदहाली ज्यों कि त्यों है।इस तालाब में साफ सफाई काम की अनदेखी करने के बाद यह तालाब अब लुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है।
    सुता तालाब के चारों ओर घास और कचरा पट जाने के बाद श्रध्दालुओं को मजबूरीवश अब दूर जाकर छठ पूजा करनी पड़ रही है। इस बार पुरन तालाब में भी गंदगी की साफ सफाई नहीं होने से शहर के लोग यह सोचकर दुखी हैं कि इस बार नगर पंचायत अधिकारी का निकम्मापन के चलते उन्हे गंदगी के बीच में ही स्नान व पूजा के लिए मजबूर होना पड़ेगा। नगर पंचायत ने पुरानी बस्ती का बेल तालाब और बैगा तालाब की साफ सफाई के लिए कोई पहल नहीं की है।यहां के तालाबों में घांस के साथ गंदगी रहने से निस्तार का काम दुभर हो गया है। तालाब पर अधेरा पसरा रहने से छठ पूजा के अवसर पर श्रध्दालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

नहीं बचा तालाबों का अस्तित्व
पुरानी बस्ती में घांस और गंदगी से पटा हुआ बेल तालाब
    छठ पूजा के दौरान तालाबों की अव्यवस्था से नगर पंचायत के पदाधिकारी और पार्षद भी काफी क्षुब्ध हैं। पार्षद वेदप्रकाश ने बताया कि नगर पंचायत की बैठक में कई बार तालाबों की साफ सफाई कर बेहतर व्यवस्था के लिए आवाज उठाने के बाद भी इस दिषा में कोई पहल नहीं हो पाना दुर्भाग्यजनक है। नगर पंचायत की उपाध्यक्ष श्रीमती स्नेहलता शर्मा का कहना था कि नगर पंचायत के प्रभारी सीएमओ व्दारा शहर के लोगों को सुविधा मुहैया कराने के सभी कार्यो के प्रति अनदेखी की जा रही है।उन्होने कहा कि तालाबों का सरंक्षण के नाम पर भारी भरकम राषि खर्च करने के बाद भी तालाबों का अस्तित्व नहीं बच पाया है।श्रीमती शर्मा ने कहा कि कलेक्टर एलएस केन को ऐसे अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर देना चाहिए।
चार दिन चलेगी छठ पूजा
    यहां के प्रमुख समाजसेवी विजय त्रिपाठी ने बताया कि इस बार 8 नवंबर को ढलते सूर्य और 9 नवंबर को उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही चार दिवसीय पर्व का समापन होगा। श्री त्रिपाठी ने बताया कि परिवार की सुख समृध्दि की कामना को लेकर चार दिवसीय छठ पूजा की शुरूवात बुधवार को होगी। पहले दिन नहाना खाना की परम्परा निभाई जाती है।दूसरे दिन गुरूवार को खरना किया जाएगा। तीसरे दिन शुक्रवार को महिलाऐं बिना पानी पिए निर्जला उपवास रखकर शाम को तालाब किनारे कमर तक पानी में डूब कर ढ़लते सूर्य को अर्ध्य देकर घर लौटेंगी। आधी रात के बाद महिलाएं पुनः तालाब किनारे एकत्रित होकर पूजा अर्चना करेंगी और फिर उगते सूर्य को अर्ध्य देकर प्रसाद ग्रहण कर अपना उपवास तोडेंगी।