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शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

गुम इंसान की रिपोर्ट दर्ज होने में विलंब न हो



मानव तस्करी संगठित अपराध  समाज में जागरूकता की जरूरत  
 रमेश शर्मा/  पत्थलगांव/
      देश में कानून को सर्वोपरि माना गया है। रियासतकाल के बाद देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए विधि का निर्माण किया गया था। विधि के समक्ष सभी व्यक्ति समान हैं, एवं सभी को इसका सरंक्षण प्राप्त है। देश में विधि के बारे में सभी को जागरूक होना जरूरी हैं,तभी हम अपने अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।उक्त बातें रविवार को यहाँ जिला एवं सत्र न्यायाधीश रविशंकर शर्मा ने मानव तस्करी की समस्या पर आयोजित सेमीनार में कही।
      उन्होने कहा कि दूसरों की वेदना को समझ कर ही हम पीड़ित व्यक्ति को मदद कर सकते हैं। इसके लिए वेदना सहने वाले से जुड़कर उसकी बातों को समझना जरूरी है। श्री शर्मा ने कहा कि मानव तस्करी एक संगठित अपराध है। इसकी रोकथाम के लिए पुलिस अधिकारियों की बेहद अहम जिम्मेदारी बन जाती है। किसी भी गुम इंसान की रिपोर्ट पर पुलिस को चाहिए की उसकी तत्काल रिपोर्ट दर्ज की जाए। ऐसे मामले की विवेचना में यदि गुम होने के पीछे अपराध की भावना नहीं है, तो इसका खात्मा भेजना चाहिए।श्री शर्मा ने कहा कि मानव तस्करी की समस्या से मुकाबला करने के लिए हम सभी संकल्प लेकर प्रयास करें तो इस समस्या से आसानी पूर्वक छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है।
        शोषण के शिकार को सचेत रहना जरूरी
 पत्थलगांव में मानव तस्करी की
समस्या पर आयोजित सेमीनार
 इस सेमीनार में न्यायाधीश अनिष दुबे ने कहा कि शासन की कल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार प्रसार करने की दिशा में ठोस पहल होनी चाहिए। उन्होने कहा कि रोजगार के साथ अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी के अभाव में लोग भटक जाते हैं। इसके लिए सरकारी एजेंसियों को अपने दायित्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए। उन्होने कहा कि मानव तस्करी की समस्या को दूर करने के लिए समाज में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है। कई मामलों में साक्ष्य के अभाव में न्यायालय को भी लाचार होना पड़ जाता है। इसके लिए शोषण का शिकार को अपने अधिकार के लिए सचेत रहने की जरूरत है।
        न्यायाधीश अशोक कुमार लाल ने कहा कि मानव तस्करी संगठित अपराध कोने के कारण ऐसे अपराधों की विवेचना में पुलिस को अंतिम आरोपी तक सभी को शामिल करना चाहिए। मानव तस्करी के मामलों में कई आरोपियों तक पुलिस के नहीं पहुंचने से इन अपराधों की रोकथाम नहीं हो पा रही है।उन्होने कहा कि महानगरों में प्लेसमेंट एजेंसी का सचंालन करने वालों के विरूध्द भी कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। इससे मानव तस्करी का अपराध करने वालों में कानून का भय बनेगा। श्री लाल ने कहा कि बाल विवाह, बच्चों का अवैध व्यापार जैसे अपराधों की रोकथाम के लिए समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। इस सेमीनार में न्यायाधीश अनिल पाण्डेय ने मानव तस्करी से जुड़े अपराधों में कमी लाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होने पुलिस को विवेचना के दौरान सभी बातों का ध्यान रखने का सुझाव दिया। कई बार उम्र अथवा पुलिस विवेचना की अन्य खामियों का लाभ आरोपियों को मिल जाता है। इस पर ध्यान देने से आरोपियों को उनके कृत्य की सजा दिलाई जा सकती है। इस कार्यक्रम में जिले के पुलिस अधिकारी, पत्रकार, अधिवक्तागण, शासकीय कर्मचारी तथा अनेक समाजसेवी संस्था के पदाधिकारी भी उपस्थित थे। मानव तस्करी की समस्या के इस सेमीनार में स्कूली छात्र छात्राऐं भी काफी संख्या में उपस्थित थी।
        
संवैधानिक अधिकारों का निर्वहन हो
    इस कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अजय राजपुत ने कहा कि हमारे देश में नित्य नए कानून निर्मित हो रहे हैं, जो समाज कल्याण में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।विधि के चलते ही प्रत्येक नागरिक सुरक्षित व स्वतंत्र है। उन्होने कहा कि संवैधानिक अधिकारों व दायित्वों का निर्वहन होना चाहिए। विधि की अखंडता एवं गरिमा बनाए रखना बेहद जरूरी है।

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