कुल पेज दृश्य

बुधवार, 22 जनवरी 2014

हमारी माताजी का स्‍वर्गवास

तुम बहुत याद आओगी मॉं
रमेश शर्मा
पत्‍थलगॉंव। गत 29 दिसम्‍बर 2013 को मेरी माताजी श्रीमती शांति देवी शर्मा का 93 वर्ष की अवस्‍था में स्‍वर्गवास हो गया। अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं। जिसमें बेटे बहू नाती पोते शा‍मिल हैं। उनका जाना हम सबके लिए किसी हादसे से कम नहीं था। जब तक वे हमारे बीच थीं, हमें कोई फिक्र ही नहीं थी। अब लगता है कि हमारे सर से एक वरदहस्‍त ही उठ गया। हम सभी ने भीगी आँखों से उन्‍हें अंतिम विदाई दी। आज भी वे हमें बहुत याद आतीं हैं। ईश्‍वर उनकी आत्‍मा को शांति दे। मॉं पर दो कविताऍं याद आ रही हैं। जो इस प्रकार है

मॉं
मॉं मूरत है ममता की,
मॉं सूरत है समता की,
मॉं जग में है सबसे प्यारी,
बच्‍चों के दुख हरने वाली,
जीवन में उजियारा करने वाली,
सच मॉं मूरत है ममता की...

भूखी रहकर हमें खिलाए,
दुखी रहकर हमे हँसाए,
खुद जाग वो हमें सुलाए,
सच मॉं मूरत है ममता की...

ठोकर जब तुम खाओगे,
दुख में जब घिर जाओगे,
मॉ से ही सुख पाओगे,
सच मॉं मूरत है ममता की...

मॉं को न तुम कभी भूलाना,
मॉं को न तुम कभी सताना,

सुख से मॉं का जीवन भर दो,
मॉ का नाम तुम रोशन कर दो
क्‍योंकि सच है मॉं मूरत है ममता की...

---------------------------------------------------------

चूम लेना उसकी हथेलियाँ
किसी आग़ाज़ से पहले,
सुना है माँ हथेली में
दुआऐं रखती है...

तेरे हर सफ़र में
सरगोशी होगी रहमतों की,
सुना है माँ लबों पे
सदायें रखती है...

उसे बताते ही ज़ख्मों का
दर्द काफ़ूर हो जायेगा,
सुना है अपनी फूंक में वो
ठण्डी हवायें रखती है...

गौर कर तू गुनहगार
होकर भी मासूम है,
सुना है अपनी नेकी देकर
वो खतायें रखती है...

कभी सोचा क्यूँ तेरे रास्ते
कोई आफ़त नहीं आती?
सुना है अपनी नज़र में वो
चारो दिशायें रखती है...

डर मत तुझे
बुरी नज़र नहीं लगेगी,
सुना है तुझसे दूर वो
सारी बलायें रखती है....

तू अकेला है सफ़र पे
कैसे मान लिया तूने?
सुना है ख़ुदा की जगह वो
तुझपे निगाहें रखती है...

सुना है माँ हथेली में दुआऍं रखती है...!!!

कोई टिप्पणी नहीं: