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शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

सिंचाई बाँधों के पानी से वंचित किसान

नी से लबालब गेरा नाला सिंचाई बाँध
 अधूरी सिंचाई योजना फाइलों में पूर्ण
  सिंचाई अनुबंध के लिए भटक रहे किसान
   रमेश शर्मा/पत्थलगांव /
        सिंचाई बाँधों में लबालब पानी भरा होने के बाद भी जलसंसाधन विभाग इस अंचल के किसानों को रबी फसल के लिए पानी उपलब्ध कराने की योजना पर कोई काम नहीं कर पा रहा है। यहाँ सिंचाई बाँधों में नहर निर्माण और अन्य अधूरे कार्य के बावजूद सिंचाई योजनाओं को फाइलों में पूर्ण बता देने के बाद इन योजनाओं को शासन से आबंटन नहीं मिल पा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि कई सिंचाई बाँध की नहरों में मिट्टी और घांस से पट जाने के बाद बाँध का कीमती पानी इधर उधर बह कर बर्बाद हो रहा है।
    घास और मिटटी से 
पट गई नहर

बालाझर की अधूरी नहर
        इन दिनों रबी फसल की तैयारी करने वाले किसानों को सिंचाई के लिए पानी की जानकारी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है।पत्थलगांव जलसंसाधन अनुविभागीय अधिकारी तथा अन्य कर्मचारी अक्सर मुख्यालय से गायब रहने के कारण यहाँ किसानों की समस्या का निराकरण नहीं हो पा रही है। किसानों का कहना है कि उन्हे रबी फसल के लिए नहरों से पानी लेने के लिए जलसंसाधन विभाग से अनुबंध करना पड़ता है। पर जलसंसाधन विभाग ने अभी तक इसके लिए कोई पहल नहीं की है। भैंसामुड़ा के किसान रोशन साय ने बताया कि जलसंसाधन विभाग का पटवारी सेवानिवृत हो जाने के बाद इस काम को करने वाला कोई नहीं हैं। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी मुख्यालय से गायब रहने के बाद यहाँ भृत्य के भरोसे कार्यालय को छोड़ दिया जा रहा है। इस अचंल के अलग अलग क्षेत्र के किसान आए दिन सिंचाई कार्यालय के चक्कर लगा कर लौट रहे हैं।
     इस वर्ष गेरा नाला बाँध, खमगड़ा बाँध, घरजियाबथान बाँध, खरकटटा बाँध तमता जलाशय, बालाझर बाँध की नहरों में अभी तक साफ सफाई का काम शुरू नहीं हो पाया है। इस वजह खेतों में पानी मिलने की बात से किसान आशंकित हैं।  यहाँ के ज्यादातर सिंचाई बाँधों में लबालब पानी भरा होने के बाद भी क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं।
         अधूरी सिंचाई योजनाओं को बताया पूर्ण  
      बताया जाता है कि जलसंसाधन अधिकारियों ने विभिन्न सिंचाई योजनाओं पर बाध बनाने का काम कराने के बाद नहर निर्माण तथा अन्य जरूरी कार्यो को अनदेखा कर दिया है। यहंा किसानों को सिंचाई का दोहरा लाभ देने वाली गेरा नाला योजना में नहरों का अधूरा कार्य के बाद भी इस योजना को पूर्ण बता दिया गया है। गेरा नाला सिंचाई बाँध को पूर्णता का दर्जा मिलने के बाद अब यहाँ एक रूपये का भी आबंटन नहीं मिल पा रहा है। जलसंसाधन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उनके पूर्व के अधिकारियों ने गेरा नाला सिंचाई योजना का 79 प्रतिशत काम कराने के बाद ही इसे पूर्णता प्रमाण पत्र दे डाला था। इस योजना को शासकीय दस्तावेज में पूर्णता प्रमाण पत्र मिल जाने से यहाँ अधूरी नहरो तथा टूट फुट के कार्यो को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
       इसी तरह की समस्या बालाझर सिंचाई बाँध, घरजियाबथान सिंचाई बाँध तथा अन्य बाँधों में भी बन गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि यहाँ स्वीकृत सिंचाई योजनाओं की नहर बनने से पहले ही काफी मंहगी दर पर सीमेंट के पाईपों की खरीदी कर ली गई है। ग्रामीण अचंल में जगह जगह  इन पाईपों का ढेर लगा कर सिंचाई योजना की स्वीकृत राशि समाप्त कर दी गई है।बताया जाता है कि घटिया पाईपों की खरीदी कर इसमें काफी बड़ी राशि की सहज ढंग से हेराफेरी कर ली गई है। यहाँ पर आधा दर्जन सिंचाई योजना के नाम से पांच करोड़ से अधिक राशि के सीमेंट पाईपों की खरीदी करने के बाद इन सिंचाई योजनाओं को फाईलों में छोड़ दिया गया है। यहाँ पर बालाझर सिंचाई योजना में बनाई गई ज्यादातर माईनर नहरों की पहचान करना भी मुश्किल हो गया है। यहाँ पर जल संसाधन विभाग व्दारा लाखों रूपयों की लागत से तैयार किए गए कई स्टाप डेम भी अब लुप्त हो चुके हैं। विभाग के अधिकारी इस बारे में कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हैं। पत्थलगांव अनुविभाग के अन्तर्गत कापू क्षेत्र में लुप्त हो चुके पांच स्टाप डेम को फाइलों में बन्द करने के बाद छैः माह पहले उस क्षेत्र को धरमजयगढ़ अनुविभाग से जोड़ दिया गया है। कापू के पूर्व जनपद सदस्य विजय शर्मा का कहना है कि यहाँ सिंचाई बाँध के साथ स्टाप डेम के निर्माण कार्यो की जांच कराने से करोड़ों रूपयों का बड़ा घोटाला उजागर हो सकता हैं 
         सभी सिंचाई योजनाओं की बदहाल स्थिति
   जलसंसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी एसके धमिजा ने बताया कि यहाँ पर 8 सिंचाई बाँध और 2 व्यवपर्तन सिंचाई योजनाओं की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। उन्होने बताया कि पुरानी सिंचाई योजनाओं का रख रखाव के लिए शासन का आबंटन नहीं मिल पाने से लुड़ेग और भारारी व्यवपर्तन योजना अब मृत हो चुकी है। श्री धमजा ने बताया कि यहाँ पर अधूरी सिंचाई योजनाओं को फाइलों में पूर्ण बताने के बाद उनका काम पूरा करने के लिए शासन के पास पुनरिक्षित प्रशासकिय स्वीकृति के लिए प्रयास शुरू किया गया है। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद किसी भी योजना में आबंटन नहीं मिल पाया है।
               सिंचाई कर्मचारियों की कमी
      पत्थलगांव जलसंसाधन अनुविभाग में किसानों को रबी फसल में सिंचाई सुविधा के लिए अनुबंध कराने के लिए पटवारी तथा लिपिक नहीं रहने से सभी जरूरी काम ठप्प हो गए हैं। एसडीओ श्री धमिजा ने बताया कि यहाँ पर पदस्थ दोनो कर्मचारी सेवानिवृत हो जाने के बाद नई पदस्थापना नहीं हो पाई है। इस दिशा में उच्च अधिकारियों से बार बार पत्र व्यवहार के बाद भी कोई सार्थक पहल नहीं हो पाई है।

 
 पूर्णता प्रमाण पत्र की आड़ में 
वित्तिय अनियमिततओं पर पर्द

 सरकारी दस्तावेजों में पत्थलगांव अनुविभाग की एक मात्र लोकेर जलाशय योजना को अधूरा माना गया है। इसके अलावा खमगड़ा जलाशय, गेरानाला जलाशय, घरजियाबथान जलाशय,खरकटटा जलाशय, तमता जलाशय और बालाझर सिंचाई योजना को पूर्णता प्रमाण पत्र दिया जा चुका है। यहाँ पर घरजियाबथान,खरकटटा बालाझर तथा गेरा नाला में कई नहरों का काम अभी तक प्रारंभ ही नहीं हो पाया है। सिंचाई योजनाओं को बेवजह पूर्णता प्रमाण दे देने से यहाँ पूर्व में हुई वित्तिय अनियमितताओं पर पर्दा डाल दिया गया है। अब इन सिंचाई योजनाओं के रख रखाव के लिए शासन से आबंटन नहीं मिल पाने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

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