] नहरें भी हो गई जीर्ण-शीर्ण
रमेश शर्मा पत्थलगांव/
तमता जलाशय
की नहरों से किसानों को पानी देने के लिए जलसंसाधन अधिकारियों की कभी ना तो कभी
हाँ के चलते यहां रबी फसल की खेती का काम में गति नहीं आ रही है। तमता बाँध के भरोसे
रबी की फसल लेने वाले पांच गांवों के हजारों किसानों को जलसंसाधन अधिकारियों का ढुलमुल
रवैया के चलते इन दिनों खासा परेशान होना पड़ रहा हैं। तमता मुख्य बाँध पर विशेष मरम्मत
कार्य के लिए 1 करोड़ रूपयों का आबंटन मांगा गया
है। छह माह पहले तैयार इस प्रस्ताव को अभी तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
लगभग 7 करोड़ रूपयों की लागत से बनाया गया तमता जलाशय का 6 जून 2002 को तत्कालीन मुख्य
मंत्री अजीत जोगी ने लोकार्पण किया था। इस बाँध का निर्माण के दौरान कार्य की गुणवत्ता
पर ध्यान नहीं देने से यह बाँध अब जलसंसाधन विभाग के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
तमता का मुख्य बाँध स्थल पर मिटटी भराव के दौरान जमकर लापरवाही बरते जाने से अब यहां
हर समय खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
मुख्य बाँध
स्थल पर घटिया निर्माण पर पर्दा डालने के लिए जनसंसाधन विभाग के पत्थलगांव अनुविभागीय
अधिकारी ने बाँध का जिर्णोध्दार के नाम से लगभग एक करोड़ रूपयों का विशेष मरम्मत का
प्रस्ताव तैयार किया है। इस कार्य के लिए ट्रीपल आर योजना के तहत केन्द्र सरकार से
आबंटन की मांग की गई है।
![]() |
सिंचाई सुविधा को लेकर चिंतित किसान |
बाँध व नहरों
की मरम्मत कार्य की जांच होनी चाहिए
तमता के
समीप भैंसामुड़ा के सरपंच अमीरसाय ने बताया कि इस बाँध से 861 हेक्टेयर खरीफ और 659 हेक्टेयर रबी फसल
को सिंचाई देने का प्रावधान के सभी आंकड़े बोगस हैं। उन्होने कहा कि बगैर सिंचाई सुविधा
के ही तमता बाँध की नहरों में नरेगा तथा अन्य योजनाओं से मरम्मत का काम करा कर जमकर
भ्रष्टाचार किया जा रहा है। श्री साय ने कहा कि तमता मुख्य बाँध की तरम्मत और नहरों
की मरम्मत के दस्तावेजों की जांच करने से यहां वित्तीय अनियमितता का बड़ा घोटाला उजागर
हो सकता है। यहां के अन्य किसानों में भी तमता बाँध से सिंचाई का पानी देने के लिए
कभी ना तो कभी हां कहने की बात से आक्रोश व्याप्त है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें