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मंगलवार, 1 मई 2012

शहीद जवान का परिवार उपेक्षा का शिकार

शहीद की विधवा श्रीमती सीमा
 कुजूर अपने दो बच्‍चों के साथ 

 सुकमा कलेक्टर अपहरण कांड 
  पत्थलगांव/ जशपुर रमेश शर्मा        
       सुकमा कलेक्टर अलेक्स पॉल मेनन को अगवा करने से पहले नक्सलियों की गोलियों से शहीद हाने वाला जवान किशुन कुजूर का परिवार पिछले एक सप्ताह से षासकीय नुमाईदों से मिलने वाली आर्थिक सहायत की बाट जोह रहा है पर अभी तक किसी भी अधिकारी ने इस शहीद के परिजनों के कच्चे घर में पहुंचकर दस्तक नही दी है। सुकमा कलेक्टर की रिहाई के लिए समुचे प्रदेश में कैंडल जलाकर उनके  सकुशल वापस लौटने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है पर इसी कलेक्टर की सुरक्षा में तैनात शहीद जवान किशुन कुजूर का परिवार अपने कच्चे घर में अंधरे के बीच अकेला बैठा हुआ है।सरकारी अमला की उपेक्षा से दुखी शहीद की माँ श्रीमती जेरमीना का कहना है कि उसे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है लेकिन प्रशासनिक अमला की उपेक्षा से काफी दुख पहुंचा है। जेरमीना ने कहा कि उसका छोटा बेटा भी पुलिस सेवा में कार्यरत है। अपने बड़े बेटे के शहीद होने के बाद सरकारी उपेक्षा से पीड़ित इस महिला ने छोटा बेटा आमोद कुजूर की नौकरी से त्यागपत्र दिलाने का मन बना लिया है।
       बीते सप्ताह ग्राम सुराज अभियान के दौरान सुकमा कलेक्टर श्री मेनन की सुरक्षा के लिए तैनात यह शहीद नक्सलियों की गोलियों का षिकार बन गया था। कलेक्टर को अगवा करने के बाद इस शहीद का शव जशपुर जिले में बगीचा के समीप उसके पैत्रृक गंाव सेमरडीह भेजा गया था। इसके पहले परिजनों को अपने जवान बेटे की मौत की खबर भी नही थी। शहीद के पिता अब्राहम ने आज बताया कि अचानक गांव में पुलिस अधिकारियों की गाड़ियों का काफीला और तिंरगे में लिपटा हुआ ताबुत जब उसके घर के सामाने पहूंच तो उसे अनहोनी कि आषंका हो गई थी। अब्राहम ने बताया कि उसके दोनो बेटे पुलिस सेवा में तैनात है इसलिए वह समझ नही पा रहा था कि इस ताबुत में कौन से बेटे का शव है।
   जब उसे पुलिस अधिकारियों ने बताया कि किशुन कुजूर अब उनके बीच नही रहे तो अब्राहम का पूरा परिवार फफक फफक कर रोने लगा था।छोटे से गांव में यह खबर आग की तरह फैल गई थी। इस खबर को सुनते ही पुरा गांव उसके घर पर इकट्ठा हो गया था। पुलिस कर्मियों ने दुख की इस घड़ी में उसके परिवार को ढाढस बंधाया और शहीद के अंतिम संस्कार करने में मदद की थी। इसके बाद एक पुलिस अधिकारी ने अब्राहम कुजूर को 25 हजार रू.नगद राशि का लिफाफा दिया था। यह लिफाफा इस घर में आज भी ज्यों का त्यों रखा हुआ है। शहीद जवान के परिवार के पास उसके आंसू पोछने के लिए अब कोई भी नही है।
               कांग्रेस नेताओं ने भी मुंह फेरा
    जवान किशुन कुजूर के पिता अब्राहम ने बताया कि सबसे बड़ी बिडम्बना तो यह है कि  बगीचा जशपुर मुख्य मार्ग पर मेरा गांव है मगर आज तक कोई भी अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उनका हालचाल जानने नही पहुंचे हैं।अब्राहम ने बताया कि कांग्रेस विधायक शक्राजित नायक एवं रामपुकार सिंह सहित अन्य कांग्रेसी नेता वादा निभाओं आन्दोलन के तहत बगीचा पहुंचे थे। पर इन नेताओं ने भी उनके पास आकर बातचीत करने की जरूरत नहीं समझी।इसके पहले कांग्रेस के नेता वोट के लिए कई बार उसके घर पहुंच कर दस्तक दे चुके हैं। दुःख की घड़ी में कांग्रेसी नेताओं का इस तरह मुंह फेर लेना ठीक नहीं है।अब्राहम के परिजनों का कहना हैं कि शहीद के परिवार को क्या आर्थिक सहायता मिलती है। इस बारे में उसे कुछ भी पता नही है।

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