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मंगलवार, 22 मई 2012

परंपरा को जीवित रखने का अनूठा प्रयास


कोषाध्यक्ष जगनलाल अग्रवाल

प्रबंधक प्रहलाद रोहिला
बुजुर्गो के सेवा कार्य से सैकड़ो मुसाफिरों को मिलता है लाभ
पत्थलगॉंव / रमेश शर्मा
      शहरों में गरीब यात्रियों के ठहरने का सहारा ध्‍ार्मशाला  की परम्परा भले ही अब लुप्त होने लगी है। मगर जशपुर जिले के पत्थलगांव में  के समाजसेवियों व्दारा इस पुरानी परम्परा का आज भी बेहतर ढंग से सचंालन किया जा रहा है। बस स्टैण्ड यहॉं पर स्थित हरियाणा ध्‍ार्मशाला  को व्यावसायिक उपयोग से अलग रखकर  सेवा और मदद की भावना को ही सबसे उपर रखा गया है।
     पत्थलगांव में 40 साल पहले  पर हरियाणा से आकर बसने वाले बुजुर्गो ने आपस में धनराषि एकत्रित कर इस ध्‍ार्मशाला  की नींव रखी थी।  दानदाताओं की लम्बी कतार के साथ निःस्वार्थ भावना से यंहा का काम में सहयोग देने वालों के चलते इस ध्‍ार्मशाला  की दूर दूर तक पहचान बन गई है। पत्थलगांव की धर्मशाला से गरीबों को ठहरने का सहारा के अलावा कम खर्च पर वैवाहिक कार्यक्रम पूरे करने वालों को अच्छी खासी मदद  मिल जाती है। इस ध्‍ार्मशाला  से होने वाली मामूली आय के साथ अन्य दानदाताओं की आर्थिक सहायता को शामिल कर दूर दराज से आने वाले यात्रियों को अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। महंगाई के बदलते दौर में भी  ठहरने वाले यात्रियों को महज 50 रू. और 10 रू. में कमरा उपलब्ध कराया जा रहा है।
       के प्रबंधक प्रहलाद रोहिला का कहना है कि ध्‍ार्मशाला  में सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए प्रबंधक मंडल ने  पर यात्रियों के लिए कुछ आवश्‍यक नियम बनाऐं हैं। सभी यात्रियों से इन नियमों का पालन करना अनिवार्य रखा गया है। इसके अलावा  साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। उन्होने कहा कि आपराधिक घटनाओं के मददेनजर  ठहरने वाले का पहचान पत्र की कड़ाई अवष्य की गई है। श्री रोहिला ने बताया कि कभी कभी परिस्थितिवश मुसाफिर से ठहरने की शुल्क को भी माफ कर दिया जाता है।
व्यवस्थापक नत्थूराम शर्मा
     हरियाणा से आए हुए बुजुर्गो ने वर्ष 1968 के दौरान जिस उद्देश्‍य को लेकर पत्थलगांव में हरियाणा ध्‍ार्मशाला  की नींव रखी गई थी उस मदद की भावना को आज भी पूरे विष्वास के साथ जारी रखा गया है। चार दषक पहले निर्मित यह ध्‍ार्मशाला  की पिछले दिनों काफी जर्जर हालत हो जाने से इसका पुनः जीर्णोंध्दार कराया गया है। मौजूदा समय में  पर यात्रियों को ठहरने के लिए आधुूनिक सुविधाओं का पूरा खयाल रखा गया है।
                        धर्मशाला में सुविधा विस्तार की बृहद योजना
       हरियाणा ध्‍ार्मशाला  के कोषाध्यक्ष जगनलाल अग्रवाल ने बताया कि इस ध्‍ार्मशाला  में पुराने कमरे और शौचालयों को हटाकर नई सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यात्रियों के लिए चौबीस घन्टे बिजली पानी जैसी जरूरी सुविधाओं के बदले   पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा रहा है। गर्मी के दिनों में यात्रियों कूलर, पंखों की व्यवस्था के साथ ठंड के दिनों में गददे, कम्बल जैसी सुविधाओं का भी बेहतर प्रबंध किया गया है। शहर के दानदाताओं व्दारा हरियाणा ध्‍ार्मशाला  में आर्थिक मदद कर अपने बुजुर्गो के नाम षिलालेख पर दर्ज करा दिए हैं। ध्‍ार्मशाला  के व्यवस्थापक नन्थुराम शर्मा ने बताया कि इस ध्‍ार्मशाला  सचंालन के लिए कभी भी व्यावसायिक दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाता है। वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान पहले आओ पहले पाओ का नियम रखा गया है। उन्होने कहा कि मंहगाई के इस दौर में ज्यादातर शहरों में गरीब यात्रियों के ठहरने की पुरानी ध्‍ार्मशाला  का नाम भले ही लुप्त हो गया है पर  की ध्‍ार्मशाला  में सभी सदस्यों का सहयोग से यात्रियों को निरतंर सुविधा मिल रही है। उन्होने बताया कि इस धर्मशाला में यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जल्द ही बदलाव करने की योजना है। इसके लिए ध्‍ार्मशाला  व्यवस्थापक मंडल ने बृहद कार्य योजना बनाई है। श्री शर्मा ने कहा कि आज महंगाई के दौर में ध्‍ार्मशाला  संचालन का काम  थोड़ा कठिन अवश्‍य है पर  ठहरने वाले गरीब यात्रियों की दुवाओं से काफी सुखद अहसास होता है। श्री शर्मा ने बताया कि लम्बे समय के बाद भी ध्‍ार्मशाला  का सचालन में रूकावट नहीं आने के पीछे इसके सदस्यों की एकता, आपसी भाईचारा तथा सेवा की भावना प्रमुख कारण है।  ध्‍ार्मशाला  व्यवस्थापक मंडल के संरक्षक धर्मपाल अग्रवाल व्दारा आय ब्यय की आडिट के बाद ही नई योजना को स्वीकृति दी जाती है।
     गरीब यात्रियों को इस अनजाने शहर में महंगे होटल और लॉज की दिक्कत के कारण उसे ध्‍ार्मशाला  का काफी बड़ा सहारा मिल जाता है। ध्‍ार्मशाला  में ठहरने का बेहद कम खर्च के बाद गरीब यात्री खाने पीने की महंगाई का आसानी से मुकाबला कर लेते हैं। पत्थलगांव ध्‍ार्मशाला में प्रति दिन 50 से 150 यात्रियों को ठहरने का लाभ मिल रहा है। छोटा व्यवसाय करने वाले लोग बेफिकर होकर पत्थलगांव ध्‍ार्मशाला  पहुंचते हैं।

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