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मंगलवार, 16 जून 2015

मधु मक्खियों के हमले से दूर भागे जंगली हाथी

रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
    पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के दर्जन भर गांवों में उत्पात मचा रहे जंगली हाथियों को अन्यत्र खदेड़ने के काम में वन अधिकारियों के सारे प्रयास भले ही विफल हो गए थे, लेकिन मधुमक्खियों का झुंड ने इन उत्पाती हाथियों की चंद मिनटों में ही अकल ठिकाने लगा कर दूर भागने के लिए मजबूर कर दिया।
      बताया जाता है कि बीते माह पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के महेष्षपुर गांव में ग्रामीणों के घरों में तोड-फोड़ करने वाले जगंली हाथियों को यहां का वातावरण इतना रास आ गया था कि वे यहंा से हटने का नाम ही नहीं रहे थे। महेशपुर के बाद खाड़ामाचा,खमगड़ा आदि गांवों में उत्पात मचाने वाले इन हाथियों के यंहा पर डेरा डाल देने से वन अधिकारी भी खासे परेशान हो गए थे।
      महेशपुर, खाड़ामाचा और कोतबा क्षेत्र में एक पखवाड़ा से डेरा डाल कर बैठे जंगली हाथियों के सामने दो दिन पहले उस समय असहज स्थिति बन गई थी जब खाड़ामाचा गांव के समीप इन हाथियों पर मधु मक्खियों के बड़े झुंड ने अचानक हमला बोल दिया। उत्पात मचाने वाले जंगली हाथियों की गतिविधियों की देख रेख करने वाले ग्रामीणों ने बताया कि कोतबा क्षेत्र के एक जलाशय में कई घंटों तक जल क्रीडा करने के बाद हाथियों का दल ने गांव की ओर जाने का रुख किया था। खाड़ामाचा गांव पहुंचने से पहले जंगली हाथियों का दल ने जैसे ही एक पेड़ की टहनियां तोड़ी उसी वक्त अचानक मधु मक्खियों के बड़े दल ने इन हाथियों पर हमला बोल दिया।एक साथ सैकड़ों मधु मक्खियों का हमला हो जाने से जंगली हाथियों का दल विचलित हो गया था। इधर उधर भागने के बाद भी जब मधु मक्खियों के हमले से इन हाथियों को राहत नहीं मिली हाथियों ने वापस भागने में ही अपनी भलाई समझी।
       ग्राम पंचायत खाड़ामाचा के एक प्रत्यक्षदर्शी मंगल साय ने बताया कि मधु मक्खियों से पीछा छुड़ाने के लिए जंगली हाथियों का दल देखते ही देखते वहंा से ओझल हो गया। बाद में जंगली हाथियों के इस दल को छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर स्थित जशपुर वन मंडल के तपकरा वन परिक्षेत्र के जंगलों में देखा गया है।
                                     तपकरा क्षेत्र पहुंचा हाथियों का दल
      पत्थलगांव के वन उप मंडल अधिकारी व्हीके साहु ने बताया कि बीते एक पखवाड़ा से काडरो क्षेत्र में डेरा डाल कर बैठा जंगली हाथियों का दल ने यहंा के दर्जन भर गांव में 50 से अधिक लोगों के घरों में तोड़ फोड़ कर काफी नुकसान पहुंचाया है। जंगली हाथियों के इस दल को अन्यत्र खदेड़ने के लिए वन विभाग की हल्ला बोल पार्टी, पटाखों के शोर तथा मशाल जलाने जैसे कई उपाय किए गए। इसके बाद भी उत्पाती हाथी यहंा से अन्यत्र जाने का नाम नहीं ले रहे थे।श्री साहू ने बताया कि इन जंगली हाथियों का लगातार उत्पात से इस अचंल के ग्रामीण खासे परेषान हो कर उन्होने वन कर्मियों के विरोध में ही मोर्चा खोल दिया था। इसी वजह वन सहायक तथा दो बीट गार्डो ने अपनी छुटटी का आवेदन देकर घरों में बैठ गए थे। श्री साहु ने कहा कि जंगली हाथियों का दल दूर भाग जाने के बाद यहां के ग्राम वासियों के साथ वन कर्मियों ने भी राहत की सांस ली है।

1 टिप्पणी:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

सरगुजा में हाथियों की समस्या अत्यधिक बढ़ चुकी है, जिसका कोई हल नहीं दिखाई दे रहा। पिछले फ़रवरी में 32 हाथियों का दल प्रतापुर शहर में घुस गया था। वैसे भी हाथियों का भ्रमण क्षेत्र बहुत अधिक होता है, झारखंड से भी हाथियों का प्रवेश छत्तीसगढ़ में होता है। जुलाई माह में झारखंड के वन एवं खनिज सचिव से इस समस्या को लेकर बात हुई थी। सभी को इस समस्या का हल गंभीर रुप से ढूंढना चाहिए। हाथियों के साथ जनधन की भी हानि हो रही है।