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गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

जन्मदिन के उपहार ने बनाया लड़ाकू विमान का पायलट

रमेश शर्मा | पत्थलगांव
बचपन में जन्म दिन का उपहार के रूप में मिलने वाला जगुवार जहाज की शक्ल वाला साधारण खिलौना को समझने की उत्सुकता ने ग्राम कछार का होनहार बालक राकेश यादव को वायुसेना में फ्लाइंग आफिसर के पद पर पहुंचा दिया है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे और हैदराबाद में एयर फोर्स का प्रशिक्षण पूरा कर लेने के बाद यह बालक देश के लड़ाकू विमान का पायलट बन जाएगा।
यूपीएससी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे की परीक्षा में 211 वें रेंक के साथ सफलता अर्जित कर लेने के बाद इस युवक ने एसएसबी बोर्ड इलाहाबाद की परीक्षा भी 66 वें रेंक में उत्तीर्ण कर ली है। इस कठिन दौर की परीक्षाओं में शानदार सफलता के बाद राकेश यादव का लड़ाकू विमान के प्रशिक्षण के लिए चयन हो गया है।
पत्थलगांव के समीप छोटा सा कछार नामक गांव का निवासी होनहार बालक 28 दिसंबर से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पूणे में आयोजित तीन साल का प्रशिक्षण में भाग लेने जा रहा है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे में सुपर डिमोना ब्लॅाइडर का प्रशिक्षण के बाद उसे हैदराबाद में एक साल एयर फोर्स अकादमी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसे पूरा कर लेने के बाद राकेश यादव सुखोई, मिग 29 और मिराज 23 की उड़ान भरने लगेगा।
                                                         आड़े नहीं आता ग्रामीण परिवेश
राकेशयादव का कहना है कि यदि एकाग्रता के साथ लक्ष्य बना कर पढ़ाई की जाए तो ग्रामीण माहौल कहीं भी आड़े नहीं पाता। जरूरत इस बात की है कि ग्रामीण अंचल के प्रतिभावान बच्चों को आगे बढ़ने के लिए उनके अभिभावकों को सही पाठयक्रम की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। इससे प्रतिभावान बच्चों को अपना लक्ष्य हासिल करने में समुचित सहयोग मिल जाता है। राकेश यादव का कहना था कि गाला जैसे छोटे से गांव में पढ़ाई की शुरुआत करने के बाद भी उसे सैनिक स्कूल की प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने एवं पाठयक्रम के बारे में पूरी जानकारी उसके पिता से निश्चित समय पर मिल गई थी। इसी की बदौलत उसको अपना लक्ष्य मिल पाया है।
                                                   गाला गांव से हुई थी पढ़ाई की शुरुआत
गाला के सरस्वती शिशु मंदिर में अपनी प्राइमरी शिक्षा की शुरुआत के बाद इस बालक की लगन और मेहनत से उसका रींवा के सैनिक स्कूल में चयन हो गया था। रींवा के सैनिक स्कूल में विभिन्न विषय की पढ़ाई के साथ वहां परेड और अनुशासन के साथ शारीरिक क्षमता पर विशेष ध्यान देने के बाद इस बालक की प्रतिभा में और भी निखार गया था। राकेश यादव का कहना है कि सैनिक स्कूल में पारिवारिक माहौल में रहकर उत्कृष्ट शिक्षा के बाद लड़ाकू विमान में पायलट बनने का सपना आसान दिखने लगा था। इसी लक्ष्य को सामने रख कर राकेश ने गणित एवं कम्प्यूटर साइंस विषय में मजबूत पकड़ बना ली थी। हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई के दौरान इस बालक को गणित में 100 में 100 अंक के अलावा कंप्यूटर साइंस की प्रैक्टिकल परीक्षा में 30 में 30 अंक प्राप्त होते थे। यहां 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसने यूपीएससी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे की परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन भरा था। इसमें 211 वें रेंक की अच्छी सफलता के बाद आगे की राह भी आसान हो गई। राकेश यादव के पिता लक्ष्मण यादव ग्राम गाला में पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनका कहना है कि लगन और लक्ष्य के साथ गांव में रह कर भी ऊंचाइयों को छुवा जा सकता है। फ्लाइंग आफिसर के लिए राकेश यादव का चयन हो जाने के बाद इस होनहार बालक ने अपनी सफलता का श्रेय ग्राम गाला के गुरुजनों के अलावा उसकी माता डिलेश्वरी यादव और पिता लक्ष्मण यादव को दिया है। इस बालक का कहना है कि वह देश की रक्षा के लिए लड़ाकू विमान चला कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करना चाहता है।

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वाह रमेश जी, चुन कर लाएँ हैं आप इस जानकारी को। बहुत ही बढ़िया लगा। युवा इससे अवश्य प्रेरणा लेंगे।
डॉ. महेश परिमल

http://dr-mahesh-parimal.blogspot.com/ ने कहा…

वाह रमेश जी, चुन कर लाएँ हैं आप इस जानकारी को। बहुत ही बढ़िया लगा। युवा इससे अवश्य प्रेरणा लेंगे।
डॉ. महेश परिमल