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सोमवार, 3 जून 2013

चाय उत्पादन से छत्तीसगढ़ की बनेगी अलग पहचानः उसेंडी

जशपुर में चाय की खेती

       पत्थलगांव /छत्तीसगढ़ /रमेश शर्मा /        प्रदेश के वन मंत्री विक्रम उसेंडी का कहना है कि जशपुर जिले में चाय की खेती की सफलता के बाद बस्तर जिले में भी चाय के बगान लगाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होने कहा कि यहॉं अच्छे किस्म की चाय तैयार कर छत्तीसगढ़ की विश्‍व स्तर पर अलग पहचान कायम करने का प्रयास किया जाएगा। श्री उसेंडी जशपुर अंचल में  चाय बगान का अवलोकन के बाद यूनीवार्ता सवांददाता रमेश शर्मा  से चर्चा कर रहे थे।
     उन्होंने कहा कि जशपुर जिले में चाय उत्पादन की विपुल सम्भावनाओं को देखते हुए यहॉं चाय की प्रोसेस मषीन स्थापित कर अच्छे किस्म की चाय तैयार की जाएगी।श्री उसेंडी ने बताया कि जशपुर जिले में मनरेगा योजना के तहत वन विभाग ने बीते वर्ष 22 हजार चाय के पौधे तैयार किए थे। इस वर्ष यहॉं दाजीलिंग से उत्कृष्ट किस्म के बीज मंगा कर 70 हजार चाय के पौधे तैयार किए जा रहे हैं।उन्हांेने बताया कि यहॉं दार्जीलिंग से मंगाऐ गए चाय के पौधों की तुलना में स्थानीय स्तर पर तैयार किए गए चैधों की ग्रोथ अधिक है।श्री उसेंडी ने बताया कि वन विभाग व्दारा यहॉं तैयार चाय बगान से आगामी सिंतबर माह में चाय की पहली फसल मिलनी शुरू हो जाएगी।उन्होने कहा कि जशपुर जिले में मनरेगा के तहत चाय की खेती करने का अनूठा प्रयास था।यह प्रयास पूरी तरह सफल रहा है।बस्तर जिले की जलवायु जशपुर से मिलती जुलती होने के कारण वहंा के कुछ क्षेत्रों में भी चाय के बगान तैयार किए जाऐंगे।श्री उसेंडी ने कहा कि बस्तर के साथ छत्तीसगढ़ में चाय उत्पादन के अन्य क्षेत्रों पर भी गम्भीरता से विचार किया जा रहा है।यहॉं चाय के बगान लगा कर किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।
      जशपुर वन मंडल अधिकारी चन्द्रषेखर तिवारी ने बताया कि यहंा 27 एकड़ भूमि में 18 किसानों ने चाय की खेती शुरू की है।इन किसानों को चाय की खेती के लिए असम भेज कर प्रषिक्षण दिलाया गया था।इन किसानों व्दारा चाय की खेती में अच्छी सफलता के बाद इस वर्ष यहॉं चाय का रकबा बढ़ा कर दो गुना करने की तैयारी की गई है।
  श्री तिवारी ने बताया कि यहॉं किसानों की समिति बना कर उन्हे चाय उत्पादन के लिए समुचित सहयोग दिया जा रहा है।इस बात से यहॉं के अन्य किसान भी चाय की फसल को लेकर उत्साहित हैं। श्री तिवारी ने बताया जशपुर जिले के चाय बगानों से 20 हजार किलो चाय की हरी पत्ती टूटने की संभावना है।जिसमें 300 किलो दानेदार चाय तथा 100 किलो ग्रीन टी तैयार होगी।उन्होने बताया कि प्रारम्भ में स्थानीय किसानों की उपज को पश्चिम बंगाल तथा अमृतसर में मार्केट दिलाने के लिए वन विभाग व्दारा मदद की जाएगी।



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