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मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

छुक-छुक गाड़ी का इंतजार तीन दशक से

तत्कालीन सांसद सुश्री पुष्पा देवी सिंह ने की थी पहल
पत्थलगांव / रमेश शर्मा
    रेल सुविधा से वंचित छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के लोगों का सपना इस बार भी पूरा होने की सम्भावना दिखाई नहीं दे रही हैं।पिछले चार दषक से इस अंचल के लोग यातायात सुविधा के लिए रेल का सपना को आंखों में संजोए हुए हैं। दो साल पहले कोरबा से लोहरदगा तक 326 कि.मी लम्बी नई रेल लाइन का सर्वे का काम पूरा हो चुका है। इस नई रेल लान का सर्वे के बाद 2443.74 करोड़ रू.की लागत का यह प्रोजेक्ट वर्ष 2011 में  रेल्वे बोर्ड के पास जमा किया जा चुका है। यह नई रेल लाईन आदिवासी अचंल के लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के साथ सरकार के लिए भी फायदे का काम बताया जा रहा है।  के लोग अब यातायात सुविधा में रेल लाईन का सपना को हकीकत में बदलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
    आदिवासी बहुल इस अंचल के लोगों का कहना है कि लगभग तीन दशक पहले तत्कालीन सांसद पुष्पादेवी सिंह ने कोरबा से रांची के बीच नई रेल लाइन का संसद में प्रस्ताव देकर अविभाजित रायगढ़ जिले में यातायात की सुविधा बढ़ाने की पहल की थी।  के प्रमुख पर्यावरणविद निशिकांत अग्निहोत्री ने बताया कि सांसद सुश्री सिंह ने इस परियोजना से आदिवासी अचंल के लोगों का सर्वांगिण विकास की बात पर जोर देते हुए इसके लिए अन्य सांसदों का भी समर्थन जुटाया था। उन्होने बताया कि सुश्री सिंह व्दारा इस काम के लिए की गई सार्थक पहल के परिणामस्वरूप ही इस परियोजना को पूरा करने के लिए समय समय पर आवाज उठती रही है। बाद में केन्द्र की यूपीए सरकार ने भी इस रेल परियोजना के महत्व को स्वीकार करते हुए इसे कोरबा से लोहरदगा तक नई रेल योजना का नाम दिया था। इसी के तहत ममता बनर्जी के रेल मंत्रालय ने कोरबा से लोहरदगा रेल लाइन का सर्वे के आदेदिए थे। 
         जशपुरवासियों का रेल सपना पूरा होने को लेकर 2010 के रेल बजट में आशा की किरण दिखाई पड़ी थी। एस बार कोरबा से लोहरदगा तक रेल लाईन का सर्वे कराने की स्वीकृति मिलने के बाद जिले के लोगों ने खुशी व्यक्त की थी।
         रेल्वे बोर्ड के पास पहुंची प्रोजेक्ट रिपोर्ट
    सांसद विष्णुदेव साय का कहना है कि  पर  कोरबा से लोहरदगा तक की रेल लाईन की परियोजना को गति देने के लिए कई बार संसद में आवाज उठाने के बाद भी केन्द्र सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।उन्होने बताया कि 326 कि.मी.लम्बी रेल लाईन में रायगढ़ जिले का धरमजयगढ़ एवं पत्थलगांव व जषपुर को शामिल किया गया है। श्री साय ने बताया कि कोरबा से लोहरदगा की  इस नई रेल लाइन का सर्वे का काम पूरा कर 2443.74 करोड़ रू.की लागत के इस प्रोजेक्ट को विगत 1 फरबरी 2011 को  इसे रेलवे बोर्ड के पास जमा किया जा चुका है।उन्होने बताया कि आदिवासी बहुल जषपुर और रायगढ़ जिले के लोगो को इस परियोजना से काफी तेजी से विकास हो सकेगा। उन्होने कहा कि कोरबा से लोहरदगा की नई रेल लाईन का काम के लिए प्रदेके सांसदों का दल ने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री से भी मुलाकात की है। पर यातायात की सुविधा के अलावा परिवहन के काम में भी सरकार को करोड़ों रू.का लाभ हो सकता है।उन्होने कहा कि मौजूदा समय में कोयला तथा अन्य खनीज का परिवहन के लिए रेलवे को लम्बी दूरी का सफर पूरा करना पड़ता है। लेकिन कोरबा से लोहरदगा तक नई रेल लाईन बन जाने से इस कम दूरी वाली रेल लाईन का लाभ मिल सकता है।
           जूदेव से थी उम्मीद
  भाजपा के जिला मंत्री हरजीत सिंह भाटिया का कहना था कि अब जषपुरवासियों का रेल सपना हर हालत में पूरा होना चाहिए।उन्होने कहा कि केन्द्रीय मंत्री मंडल में  के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव को स्थान मिलने के बाद  के लोगों को विकास के अधूरे काम पूरे होने की उम्मीद बढ़ गई थी। इसमें कोरबा लोहरदगा रेल लाईन का समना पूरा होने की भी उम्मीद जगी थी।यहॉं श्री भाटिया ने कहा कि जषपुर जिले के लोगों का रेल लाइन का सपना जल्द पूरा होना चाहिए।

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