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बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

गुटका हुआ महंगा व्यापारियों के पौ-बारह

भाव में तीन गुना वृद्धि प्रशासन खामोश
पत्थलगांव / रमेश शर्मा
    तंबाकू गुटखा पाउच की बिक्री पर प्रतिबंध लगने के सात माह बाद भी इसका पालन अधिकांश विक्रेताओं द्वारा नहीं किया जा रहा है। गुटखा पाउच की बिक्री पर पूर्ण रोक लगने के वावजूद शहर की विभिन्न दुकानों में इसकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है।
    शासन व्दारा इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद यहॉं के थोक विक्रेता मनमाना दाम वसूलने लगे हैं। यहॉं पर तंबाकू गुटका पाउच की चिल्हर बिक्री करने वाले दुकानदारों का कहना है कि प्रतिबंध के बाद इसके थोक भाव में दो से तीन गुना तक वृद्धि हो चुकी है। इसी वजह पान ठेला और अन्य दुकानों में चिल्हर विक्रेताओं को भारी भरकम दाम वसूल कर गुटका पाउच की बिक्री करनी पड़ रही है। गुटका के शौकीनों का कहना है कि  इसकी बिक्री पर प्रतिबंध की महज औपचारिकता की गई है। गुटका की अवैध बिक्री को देख कर भी यहॉं का शासकीय अमला चुप्पी साधे हुए हैं। गुटके का सेवन करने वालों ने बताया कि इन दिनों बाजार में गुटका के कई नए ब्रांड भी पहुंच गए हैं। इनमें कई पाउच के अन्दर बेहद बदबूदार तंबाकू की सामग्री रहती है। ऐसे पाउच की भारी कीमत आधी करने के बाद भी उन्हें अपनी बुरी लत से छुटकारा नहीं मिल रहा है। दिन में कई बार गुटका खाने की आदत के कारण गुटका के शौकिनों की जेब जमकर ढीली हो रही है। प्रतिबंध के बावजूद तंबाकू गुटका का सेवन करने वालों में सरकारी अमला के लोगों की भी लम्बी कतार देखी जा रही है। ऐसे लोग कार्यालयीन समय में अपने वरिष्ठ अधिकारी के सामने ही धड़ल्ले से तंबाकू गुटका का सेवन करते देखे जा रहे हैं। इनके अलावा सामान्य लोगों को भी तम्बाकू गुटका पर प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ा है। गुटका के शौकीनों का कहना है कि तंबाकू गुटका पर प्रतिबंध के नाम से केवल मुनाफाखोरी बढ़ गई है। यहॉं पर तंबाकू गुटका के एक चिल्हर विक्रेता ने बताया कि इसकी बिक्री पर प्रतिबंध के बाद पहले दुकानदारों में थोड़ा खौफ बना था लेकिन इसके विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं होने से अब थोक और चिल्हर बिक्री करने वाले दुकानदार फिर बेखौफ हो गए हैं।
                  कड़ा रूख अपनाने की जरूरत
    यहॉं सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक पुरुषोत्तम सुथार का कहना था कि गुटका पाउच में तंबाकू और निकोटीन की मात्रा अधिक मिला देने से सेहत पर इसका विपरित असर पड़ता है। उन्होने कहा कि इसका सेवन से मुख कैंसर जैसी बीमारियों की सम्भावना बढ़ जाती है।श्री सुथार ने कहा कि विगत 26 जूलाई से गुटका की बिक्री पर प्रतिबंध के बाद भी कड़ाई से पालन  नहीं कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस दिषा में से जागरूकता अभियान की भी पहल होनी चाहिए। डा.सुथार ने कहा कि स्वास्थ्य के लिए इस हानिकारक सामग्री की बिक्री पर रोक लगाने के लिए शासकीय अमले को जल्द ही कड़ा रूख अपनाना चाहिए।

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