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सोमवार, 30 जनवरी 2012

खोई हुई बेटी को सामने पाकर वे फूट-फूट कर रोने लगे

बासंती की मॉं

गुजरात के स्वास्थ्य कर्मियों ने उपचार कर परिजनों से भी मिलाया
पत्थलगांव/छत्तीसगढ़/
रमेश शर्मा
गुजरात का दिल सचमुच बहुत बड़ा है। उसके आगे बढ़ने के पीछे परोपकार की भावना का भी समावेश होता है। परसेवा के लिए जो परशेवा (पसीना) बहा दे, वही सच्च गुजराती है। अब किसने सोचा था कि सात साल पहले जो बेटी खो गई हो, वह अचानक माता-पिता के सामने आ जाए। इससे माता-पिता ही नहीं, बल्कि पूरा गाँव ही खुशियों से झूम उठा। ग्रामीणों ने उस टीम को देखा जिसने उनकी बेटी को सही सलामत घर तक पहुँचा दिया। उन्होंने टीम का ही नहीं, बल्कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार व्यक्त किया। लड़ककी के माता-पिता ने टीम को आशाीष देते-देते नहीं थकती। बेटी को पाकर वे आल्हादित हैं। मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण सात साल पहले अपनी ससुराल से गायब होने वाली एक ग्रामीण युवती को गुजरात स्थित अहमदाबाद के मानसिक आरोग्य हास्पिटल के कर्मचारियों ने उपचार कर इस महिला को उसके घरजियाबथान स्थित परिजनों के पास  लाकर मिला दिया।
गुजरात से आए दल के साथ
बासंती पति के साथ

    गुजरात के स्वास्थ्य कर्मियों का पांच सदस्यी  दल के साथ यहां आकर बसंती नायक यह महिला जब अपने परिजनों से मिली  तो उसके आंसु थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने तथा लम्बे समय से गायब रहने के कारण बसंती के माता पिता ने उसके जीवित होने की भी उम्मीद छोड़ दी थी। बसंती के पिता मानसाय ने बताया कि वर्ष 2004 में उसकी बेटी पत्थलगांव के समीप कंटगतराई में अपने दो नन्हे बच्चों को ससुराल में छोड़ कर अचानक गायब हो गई थी।इस युवती की ससुराल और मायके वालों ने मिल कर उसकी जगह जगह तलाश की थी लेकिन बसंती का कहीं पता नहीं चल सका था। मानसाय ने बताया कि बसंती के नहीं मिल पाने के बाद उसने पत्थलगांव पुलिस के पास जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने भी बसंती के फोटो लेकर उसकी तलाश की पर कहीं भी पता नहीं चल सका।
          
        ठीक होकर लिया पत्थलगांव का नाम  
 बसंती को लेकर पत्थलगांव पहुंचे गुजरात के स्वास्थ्य कर्मियों के दल की महिला सदस्य सुश्री पारूल सोलंकी ने बताया कि अहमदाबाद स्थित मानसिक आरोग्य हास्पिटल में बीते वर्ष अप्रेल माह में गुजरात पुलिस ने इस युवती को लावारिश हालत में बरामद किया था। मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण यह महिला पुलिस को कुछ भी जानकारी नहीं दे पा रही थी।गुजरात पुलिस ने इस महिला को अहमदाबाछ स्थित मानसिक आरोग्य स्वास्थ्य कर्मियों के पास लाकर उन्हे सौंप दिया था। यहां के स्वास्थ्य कर्मियों ने अनजान महिला को अपना कर उसी दिन से इलाज और उसकी सेवा का काम शुरू कर दिया था। मानसिक आरोग्य हास्पिटल के कर्मचारियों से अपनापन और बेहतर इलाज मिलने के कारण इस युवती की दशा में जल्द सुधार होने लगा था। जब यह युवती ठीक होकर कुछ समझने बुझने लगी तो गुजरात के स्वास्थ्य कर्मियों ने राहत की सांस ली थी । स्वास्थ्य कर्मियों के दल ने बताया कि पहले अपने परिजन तथा अन्य के बारे में कुछ भी नहीं बता पाने वाली यह युवती जब पूरी तरह से  स्वस्थ्य हो गई तो उसने सबसे पहले पत्थलगांव का नाम बताया था। इस युवती को मानसिक आरोग्य हास्पिटल के कर्मचारियों से अपनापन मिलने के बाद उसकी गुमी हुई याददाश्त भी धीरे धीरे लौटने लगी थी। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि बसंती से जब उसका जशपुर जिले का पूरा पता मिला तो फिर इस युवती को लाकर उसके परिजनों से मिलाया गया।
    पत्थलगांव के समीप घरजियाबथान गांव में जब गुजरात के स्वास्थ्य कर्मियों का दल पहुंचा तो बसंती ने स्वयं आगे बढ़ कर अपने घर का रास्ता बता दिया । इस युवती के पिता मानसाय को अचानक उसकी खोई हुई बेटी मिली तो वह फूट-फूट कर रोने लगा था। मानसाय तथा उसकी पत्नी एतवारी बाई ने बताया कि उन्हे बसंती के वापस मिलने की रंचं मात्र भी उम्मीद नहीं थी। गुजरात से यहां पहुंचा स्वास्थ्य कर्मियों का दल में उपस्थित पी .पी.नाडिया, मोरारजी सोलंकी, प्रिती सोलंकी, सुनीता रावत तथा पारूल सोलंकी ने बताया कि बसंती को उसके परिजनों से मिला कर उन्हें जो खुशी मिली है उसे वे लोग शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते हैं। उन्होने कहा कि गुजरात के मानसिक अस्पताल में रह कर वे बसंती जैसे सैकड़ों मरीजों का उपचार करते हैं। लेकिन इस तरह वषरे से बिछुड़े हुए मरीज को लाकर उसके परिजनों से मिलाने में सफल हो जाते हैं तो उनकी मेहनत सार्थक हो जाती है। पत्थलगांव के समीप घरजियाबथान गांव में खोई हुई युवती को देखने के लिए ग्रामीणों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ पडी़ थी। यहां के लोगों से अपनापन मिलने के बाद गुजरात के स्वास्थ्य कर्मी भी अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे।
रमेश शर्मा

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