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सोमवार, 25 नवंबर 2013

घड़ल्‍ले से जारी है मानव तस्‍करी

                                             
     रमेश शर्मा          
पत्थलगांव/       छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में मानव तस्करी के मामलों की रोकथाम के लिए पुलिस व्दारा अलग सेल का गठन करने के बाद भी इस तरह की शिकायतों पर विराम नहीं लग पाया है। मानव तस्करी करने वाले दलालों व्दारा अच्छा रोजगार दिलाने का लालच ने यहां सैकड़ों आदिवासी बालाओं को नर्क से भी बदतर जिन्दगी जिने के लिए मजबूर कर दिया है। मानव तस्करी की लगातार घटनाओं के मददेनजर पुलिस का अलग जांच सेल का गठन के बाद भी इस तरह की शिकायतों पर विराम नहीं लग पाया है। 
     जशपुर जिले में दूर दराज के गांवों में रहने वाली आदिवासी बालाओं को महानगरों में रोजगार दिलाने का झांसा देकर उन्हे अंधेरे की गर्त में ढ़केलने वालों ने अब आदिवासियों के नाबालिक बच्चों तथा युवकों को भी मध्यप्रदेश, पंजाब तथा दक्षिण भारत के बड़े शहरों में भेज कर उनके सौदे करने शुरू कर दिए हैं।
    जशपुर जिले का सुदूरवर्ती गांव करदना के 7 पहाड़ी कोरवा बच्चों के दल को तमिलनाडू में ले जाकर बेचे जाने का मामला में पुलिस ने यहंा 1 महिला सहित 4 दलालों के विरूध्द अपराधिक मामला दर्ज कर उन्हे गिरप्तार किया है। यहां से तमिलनाडू के सेलम शहर में ले जाकर बेचे गए 7 बच्चों का दल में से एक युवक आरोपियों के चंगुल से निकल कर वापस अपने गांव लौटा है।इस युवक ने अपने परिजनों को आप बीती बताए जाने पर सन्ना थाना अन्तर्गत सोनक्यारी पुलिस चैकी ने आरोपियों के विरूध्द मानव तस्करी का मामला दर्ज कर 4 दलालों को गिरफतार कर जेल भेज दिया है।
    तमिलनाडू से आरोपियों के चंगुल से बच कर आए नन्दकिशोर नगेशिया सहित 7 बच्चों को 20 सितंबर 13 को यहां से रोजगार दिलाने के नाम पर ले जाया गया था। मानव तस्करी करने वाले दलाल ने सोनक्यारी पुलिस चैकी अन्तर्गत ग्राम चीरोटोली के सुरजनराम पिता मोहनराम कोरवा 15 वर्ष, भिन्तुराम पिता मोहनराम 13 वर्ष, राममुरतराम पिता चन्दरराम कोरवा उम्र 16 वर्ष, रविन्द्रराम पिता फिरनराम कोरवा उम्र 14 वर्ष, बालेश्वरराम पिता फुलसाय कोरवा 13 वर्ष ,महाबीरराम पिता रोयलाराम कोरवा उम्र 18 वर्ष और नन्दकिषोर राम पिता हलुराम नगेषिया उम्र 25 वर्ष को  आरोपी कृष्णराम बंसोड़ ग्राम चीरोटोली ने महानगरों में रोजगार दिलाने का झांसा दिया था।
   पुलिस सुत्रों के अनुसार इस आरोपी ने पहले दुलदुला व फरसाबहार विकासखंड में मजदूरी दिलाने की बात कही थी। बाद में इन्हे खाना पीना मुफ्त के साथ सात हजार रू.महीने की पगार दिलाने का झांसा देकर उन्हे उड़ीसा के झारसुगड़ा रेल्वे स्टशान से तमिलनाडू ले जाया गया था। वहंा पर इन पहाड़ी कोरवा परिवार के सदस्यों का सौदा कर मानव तस्करी के पेशेवर दलालों ने उन्हे भगवान भरोसे छोड़ दिया था। तामिलनाडू में इन सदस्यों से रात दिन बर्बरता पूर्वक काम कराए जाने पर उन्हे बंधक होने का आभास हो गया था। तामिलनाडू में लगातार प्रताड़ना सहने के बाद नन्दकिशोर नामक युवक ने भागने की योजना बनाई थी। नन्दकिशोर इस प्रयास में सफल तो हो गया पर अहिन्दी भाषा का क्षेत्र होने के कारण वहंा पर उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अपने गांव पहुंचने के लिए इस युवक को किराए की जरूरत थी। बगैर पैसों के दो दिन तक वह भूख प्यास से बेहाल होता रहा था। बाद में इस युवक ने अपना मोबाइल को चार सौ रूपयों में बेच कर किसी तरह जशपुर तक पहुंचने में कामयाब हो पाया।
    इस मामले की रिपोर्ट के बाद पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र सिंह मीणा ने नाबालिग आदिवासी बच्चों को बंधक बनाने जाने का मामला को गम्भीरता से लिया था। इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने एक महिला सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया है।श्री मीणा ने नाबालिग युवकों की खोजबीन के लिए तामिलनाडू और मध्यप्रदेश के अलग अलग शहरों में दबिश भी दी है। पर पहाड़ी कोरवा बच्चों को मुक्त नहीं कराया जा सका है। 
         प्रमुख समाजसेवी डा.परिवेश मिश्रा का कहना है कि जशपुर जिले में लम्बे समय से आदिवासी बालाओं को महानगरों में रोजगार दिलाने के नाम पर ले जाकर बेचे जाने का सिलसिला चल रहा है। यहंा के ग्रामीण अचंल में अशिक्षा और गरीबी की वजह से ज्यादातर मामलों की पुलिस थानों में रिपोर्ट ही दर्ज नहीं हो पाती है।
     पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र सिंह मीणा का कहना है कि मानव तस्करी के मामलों में पुलिस ने गांव गांव में जागरूकता अभियान चलाया है। ऐसे मामलों में पुलिस की कोशिशों के बाद अब गांव के लोग अपनी व्यथा को लेकर पुलिस थानों तक पहुंचने लगे हैं।श्री मीणा ने बताया कि वर्ष 2013 में यहंा के विभिन्न थानों में पुलिस ने 44 लोगों के गुम होने के मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होने बताया कि  माह सितंबर में 11 और अक्टूबर माह में 6 लोगों को पुलिस की टीम ने मुक्त करा कर उनके परिजनों को सौंपा है। माह अक्टूबर 13 में पुलिस ने मानव तस्करी के अपराध में लिप्त रहने वाले 30 दलालों को गिरफ्तार कर उन्हे जेल भेजा है। इसके पहले वर्ष 2011 में 21 प्रकररणों में 36 दलाल तथा वर्ष 2012 में 31 प्रकरणों में 64 दलालों को गिरफतार कर उन्हे जेल भेजा गया था। 
    श्री मीणा ने बताया कि यहां पर निरंतर मानव तस्करी के मामलों की शिकायतों के मददेनजर जिले में अलग से गुम इंसान सेल का गठन किया गया है।इसमें पुलिस उप अधीक्षक,सहायक निरीक्षक सहित पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं।मानव तस्करी के मामलों में ज्यादातर दलाल दिल्ली, मुंबई, चेन्नई ,गोवा,पुणे आदि देष के महानगरों में प्लेसमेंट एजेंसी के सम्पर्क में रह कर इनके सौदे करने की बात सामने आई है। 
वर्ष   .       गुम इंसान प्रकरण    . लापता की संख्या  . बरामद . शेष
2011 .                21  .                       66 .            62 .       4 
2012                 31                           69              65.        4
2013                11                            20               6        14

1 टिप्पणी:

Ramesh Sharma ने कहा…
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