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बुधवार, 16 नवंबर 2011

जमीन में नमीं नहीं होने से मुंगफल्ली फसल को नुकसान



पत्थलगांव/
  जमीन में नमी नहीं रहने से किसानों की मुगंफल्ली फसल बाहर नहीं निकल पा रही है। खेतों में पानी डाल कर काफी मषक्कत के बाद भी मुंगफल्ली की अधूरी पैदावार मिलने से इस अचंल के किसान हताष हो गए हैं।
   किसानों का कहना है कि दीपावली के एक पखवाड़ा पहले बारिष थम जाने से जमीन काफी कड़ी हो गई है।फसल के आखिरी मौके पर बारिष थम जाने से अब मुगंफल्ली की पैदावार जमीन से बाहर नहीं निकल पा रही है। कई गांवों में मुंगफल्ली की फसल को बाहर निकालने के लिए किसानों व्दारा पानी की व्यवस्था नहीं कर पाने से यह फसल खेतों में ही रह गई है।
       समीप ग्राम बहना टांगर के किसान रवि सिदार ने बताया कि मुगंफल्ली की पैदावार को जमीन से निकालने के लिऐ किसानों को दूर दूर से कांवर में पानी लाना पड़ रहा है। इसके बाद अगले दिन खेतों से आधी अधूरी फसल ही बाहर निकल पा रही है।किसानों का कहना है कि मुगंफल्ली की अच्छी पैदावार के बाद भी उन्हे अपनी फसल का पूरा लाभ नही मिल पा रहा है। किसानों का कहना था कि तमता जलाषय, केराकछार जलाषय, खरकटटा जलाषय की नहरों का जाल तो दूर दूर तक फैल गया है पर इनमें पानी नहीं रहने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्राम बहनाटांगर के किसानों का कहना था कि बीते तीन चार साल से वे अपने गांव की लगभग पांच कि.मी.लम्बी नहर में बांध का पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं पर उनकी मांग को बार बार अनसुना कर दिया जा रहा है। इस गांव के किसानों का कहना था  िकइस समय मुंगफल्ली की फसल निकालनें में नहरों का पानी काफी लाभप्रद साबित हो सकता था।किसानों का कहना था कि ऐसे विपरित समय में सिंचाई नहरों से पानी देने पर उदारता दिखानी चाहिए।


  पत्थलगांव क्षेत्र के लगभग दो हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में किसान मुंगफल्ली की पैदावार लेते हैं।इस बार दीपावली से पहले बारिष नहीं होने से जमीन की नमीं समाप्त हो गई है। इसी वजह मुंगफल्ली की पैदावार निकालने में किसानों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।किसानों को पानी डालकर फसल निकालने की सलाह दी जा रही है।
       पी एस भदौरिया, कृषि उद्यान अधीक्षक पत्थलगांव







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