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गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

युवा भी जुटे स्वच्छता अभियान में

स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय का निर्माण
 बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता जरूरी
पत्थलगांव/ रमेश शर्मा /
शहर में चलाया जा रहा स्वच्छ भारत मिशन का अभियान के प्रति लोगों की जागरूकता के चलते विभिन्न वार्डो में बदलाव दिखने लगा है। नगर पंचायत का अमले व्दारा बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता की जरूरत का पाठ पढ़ाने से लोगों के घरेलू शौचालय बनाने का काम भी काफी आसान हो गया हैं। इस अभियान को लेकर विभिन्न वार्ड में रहने वाले गरीब तबका के लोग इन दिनों स्वतः नगर पंचायत कार्यालय में पहुंच कर आवेदन देने लगे हैं।
शहर के कई वार्डो में जहां कचरा का ढेर दिखाई देता था, वहां पर अब स्वच्छ भारत मिशन का अभियान का स्पष्ट असर दिखने लगा है। नगर पंचायत अन्तर्गत दूर दराज वाले मुहल्लों में घर के आस पास साफ सफाई के साथ पिछवाड़े में शौचालय का निर्माण हो जाने से अन्य लोग भी इसका अनुशरण करने लगे हैं। नगर पंचायत के सीएमओ खजांची कुम्हार ने मंगलवार को बताया कि शहर के 15 वार्डो में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 350 शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया था। इसमें दो महिने में ही 100 से अधिक लोगों ने अपने घरों में शौचालय निर्माण का काम पूरा कर लिया है।लोगों में इस अभियान के प्रति जागरूकता के परिणाम स्वरूप ही सभी हितग्राही निर्माण कार्य में गुणवत्ता पर भी समुचित ध्यान दे रहे हैं। शहर में एक ठोस अवशिष्ट प्रबंधन की सुविधा प्रदान करने की इस योजना में गरीब तबके के लोग स्वतः आगे बढ़ कर अपने घरों में परिवर्तन ला रहे हैं। जिस मुहल्ले में स्वच्छ भारत मिषन के तहत शौचालय बनाने का काम हो चुका है वहंा पर गलियों और घरों के आस पास भी साफ सुथरा वातावरण दिखने लगा है। श्री कुम्हार ने बताया िकइस अभियान का उददेष्य पांच वर्षो में भारत को खुला शौच से मुक्त देष बनाना है। स्वच्छ भारत अभियान से लोगों को स्वच्छता संबंधी आदतों को बेहतर बनाना है। इन बातों को लेकर जब विभिन्न मुहल्लों में नागरिकों की बैठक ली जा रही है तो इसके जगह जगह अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं।
 प्रयास वेल्फेयर सोसायटी के सदस्यों
 ने चलाया स्वच्छता अभियान
युवाओं की भागीदारी से स्वचछता 
अभियान में दिखने लगी गति
नगर पंचायत के एल्डरमेन हरजीत सिंह भाटिया ने बताया कि नगर पंचायत का स्वच्छता पखवाड़े के दौरान शहर के युवाओं ने भी आगे बढ़ कर इस अभियान में अपना सहयोग देना शुरू कर दिया है।शहर के आधा दर्जन युवाओं ने प्रयास वेलफेयर सोसायटी का गठन कर सबसे पहले स्वच्छता अभियान की शुरूवात की थी।रमेश अग्रवाल, पप्पी भाटिया, शक्तिनाथ मिश्रा, जितेन्द्र गुप्ता, सुरेन्द्र चेतवानी, कल्लू अग्रवाल,अमर अग्रवाल,आकाष गर्ग, के बाद अब इस टीम में अनेक लोग इसमें शामिल हो चुके हैं। शहर के युवा रमेश अग्रवाल के साथ युवाओं की टीम में प्रवीण गर्ग,हरिओम अग्रवाल,अमन अग्रवाल जैसे सक्रिय ख्ुवा भी जुड़ जाने के बाद प्लास्टिक कैरी बैग, प्लास्टिक डिस्पोजल जैसे कचरा के ढे़र अब दिखाई नहीं दे रहे हैं। शहर में युवाओं की टीम ने स्वच्छता के काम में बढ़-चढकर भागीदारी देने के बाद काफी अच्छे परिणाम सामने आए है।स्वच्छता के अभियान में ़इन युवाओं की भागीदारी बढ़ जाने से स्वच्छ भारत मिशन का अभियान में यहंा गति दिखने लगी है। श्री भाटिया ने बताया कि यहां पर स्वच्छता की सुविधाओं में इजाफा करने के लिए घर घर पहुंच कर कचरा एकत्रित करने तथा अन्य योजनाओं पर भी जल्द ही क्रियान्वयन कर दिया जाएगा। मुख्य मार्ग एवं शहर की गलियों के अलावा सार्वजनिक स्थान से कचरा का ढ़ेर को नियमित उठाने के लिए नगर पंचायत के सफाई कामगारों के साथ यहंा के नगर पंचायत के कर्मियों को भी जिम्मेदारी दी गई है। इस अभियान में नागरिकों की जागरूकता के साथ उनका अच्छा सहयोग मिल जाने से लोगों का जीवन स्तर को बेहतर बनाने का अभियान को धीरे धीरे गति मिलने लगी है।
स्कूलों में भी पहुंचा स्वच्छता अभियान
नगर पंचायत के सीएमओ श्री कुम्हार ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन का अभियान के साथ स्कूलों में पहुंच कर विद्यार्थियों के साथ अच्छे स्वास्थ्य की शिक्षा देते हुए उन्हे सफाई व स्वच्छता की आवष्यकता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। स्कूलों में प्रयोगशाला,कक्षा और पुस्तकालयों की सफाई की बातों पर स्कूली बच्चों में अच्छा प्रभाव दिखने लगा है।शहर का कन्या हाई स्कूल, बालक हाई स्कूल तथा अन्य प्राथमिक स्कूलों में स्वच्छता पखवाड़ा के तहत किया गया सम्पर्क के बाद अब खेल मैदान व स्कूल परिसर में साफ सफाई पर नियमित ध्यान दिया जा रहा है।

रविवार, 20 सितंबर 2015

नासिक कुंभ मेले के लिए जत्था रवाना

नासिक में आयोेजित कुंभ मेले में दूसरे शाही स्नान में भाग लेने के लिए पत्थलगाँव से श्रद्धालुओं का जत्था 13 सितम्बर को रवाना हुआ। सड़क मार्ग से रवाना हुए इस जत्थे में पत्थलगाँव एवं आसपास के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। नागरिकों ने इन श्रद्धालुओं को खुश होकर विदाई दी। सभी श्रद्धालु पूरे जोश-खरोश के साथ शाही स्नान में भाग लेने के लिए रवाना हुए। इस दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

बुधवार, 9 सितंबर 2015

मांड नदी से 1600 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई का लाभ

सिंचाई सुविधा में इजाफा के बाद बहनाटांगर क्षेत्र
में बढ़ेगा मुगंफल्ली, तिलहन और दलहन का रकबा
गुड न्यूज
39 करोड़ की लागत की सुसडेगा व्यवपर्तन योजना को मिली
 हरी झंडी: 6 ग्राम पंचायत के सैकड़ों किसानों को मिलेगा लाभ
रमेश शर्मा/पत्थलगाँव
मांड नदी के तट पर सुसडेगा गांव में किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए 39 करोड़ रुपयों की लागत से सुसडेगा व्यवपर्तन सिंचाई योजना को हरी झंडी मिल गई है। इस अचंल के किसानों ने सिंचाई साधनों की कमी के संबंध में पिछले दिनो क्षेत्रीय विधायक शिवशंकर साय पैंकरा के समक्ष जोर शोर से मांग उठाई थी। श्री पैंकरा ने सुसडेगा अंचल के किसानों को जल्द ही सिंचाई योजना स्वीकृत कराने का आष्वासन दिया था। सुसडेगा व्यवपर्तन सिंचाई योजना से ग्राम पंचायत बहनाटंागर, केराकछार, करमीटिकरा, किलकिला और सुसडेगा के सैकड़ों किसानों को इस सिंचाई योजना के पूरा हो जाने पर उनकी खेती का काम आसान हो जाएगा। सुसडेगा में स्वीकृत इस सिंचाई योजना से 1600 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों के खेतों में पानी की सुविधा मिल जाने से यहंा पर वर्षा के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा।
सुसडेगा के आस पास छः ग्राम पंचायतों में सिंचाई नहरों का जाल बिछ जाने से यहंा भू जल स्तर भी उपर आने की बात कही जा रही है। ग्राम पंचायत बहनाटांगर की महिला सरपंच श्रीमती सम्पति बाई सिदार का कहना था कि इस अचंल की भूमि उपजाउ होने के बाद भी किसानों के पास सिंचाई साधनों की कमी है। इसके चलते ज्यादातर किसान मूँगफल्ली,दलहन और तिलहन फसल की अधिक पैमाने पर उपज नहीं ले पाते हैं। सिंचाई साधनों की कमी से यहंा पर ग्रामीणों को मजदूरी तथा अन्य कार्य करके जीवन यापन करना पड़ता था। उन्होने कहा कि बहनाटांगर में पहले सिंचाई सुविधा के लिए नहरों सं पानी देने की पहल भी हुई थी, लेकिन नहरों का सही रख रखाव नहीं हो पाने से किसानों को वर्षा का पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता था।श्रीमती सिदार का कहना था कि यहंा पर सिंचाई का लाभ मिल जाने के बाद किसान अपने खेतों में धान की उपज के अलावा मुंगफल्ली,तिलहन और अन्य फसल लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकेंगे।
सरगुजा जिले का सीमावर्ती गांव सुसडेगा के समीप मांड नदी का पानी को किसानों के खेतों तक पहुंचाने के लिए लम्बे अर्से से मांग की जा रही थी। लेकिन इस सिंचाई योजना को शासन से स्वीकृति नहीं मिल पा रही थी। पिछले दिनों विधायक शिवशंकर साय ने गांव गांव और घर घर पहुंचकर जनसम्पर्क करने का कार्यक्रम आयोजित किया तो सुसडेगा, सुरेशपुर, बहनाटांगर क्षेत्र के लोगों ने फिर से सिंचाई सुविधा मुहैया कराने की मांग पर जोर दिया था। सुरेशपुर क्षेत्र की उपजाउ भूति होने के बाद भी यहंा सिंचाई के साधनों की कमी है। इस वजह किसानों को खेती के अलावा मजदूरी का काम करना पड़ता है। अब यहंा सुसडेगा व्यवपर्तन योजना के लिए शासन से 3884.99 करोड़ रुपयों की प्रशासकीस स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। इससे अचंल के सैकड़ों किसानों को खेती के काम में भरपूर लाभ मिलेगा।
सिंचाई के साधनों में होगा इजाफा
संसदीय सचिव व क्षेत्रीय विधायक शिवशंकर साय पैंकरा ने बताया पत्थलगांव क्षेत्र में सिंचाई के साधन बढ़ा कर इस अचंल के किसानों को आत्म निर्भर बनाया जाएगा। उन्होने बताया कि सुसडेगा,बहनाटांगर,किलकिला क्षेत्र में सिंचाई साधनों की कमी को देखते हुए यह व्यवपर्तन सिंचाई योजना किसानों के लिए जीवन दायनी योजना साबित होगी। श्री पैंकरा ने बताया कि पत्थलगांव क्षेत्र के किसानों को लाभान्वित कराने के लिए सिंचाई के साधनों में इजाफा करना बेहद जरूरी है। यहंा सुसडेगा व्यवपर्तन योजना के बाद बुढ़ाडांढ़ क्षेत्र के लिए भी एक और सिंचाई योजना स्वीकृत कराने का प्रयास किया जा रहा है। इन सिंचाई योजना को स्वीकृत कराने के साथ इनका नियत समय के भीतर कार्य पूरा कराने का भी प्रयास रहेगा ताकि किसानों को जल्द लाभ मिल सके। श्री पैंकरा ने कहा कि सुसडेगा व्यवपर्तन सिंचाई योजना मांड नदी तट के किनारे वाले 6 गांव के लोगों के लिए वरदान साबित होगी।
मिल गई प्रशासकीय स्वीकृति
जल संसाधन विभाग के एसडीओ सुनिल कुमार धमिजा ने बताया कि सुसडेगा व्यवपर्तन योजना की प्रषासकीय स्वीकृति का पत्र प्राप्त हो गया है। इस योजना को पूरा करने के लिए निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। श्री धमिजा ने बताया कि लगभग 39 करोड़ रूपयों की लागत वाली इस सिंचाई योजना की निविदा हो जाने के बाद जल्द ही काम शुरू करा दिया जाएगा।


शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

राष्ट्रपति पुरस्कारःमापदंड पर खरे नहीं उतर रहे हैं शिक्षक

 कन्या माध्यमिक स्कूल पत्थलगांव
              की शिक्षिकाओं को नहीं है

कन्या हाई स्कूल की शिक्षिका
विडम्बनाः  ग्रामीण अंचल के शिक्षकों को नहीं है विस्तृत जानकारी
रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
      जशपुर जिले में अब तक किसी भी शिक्षक को शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार नहीं मिल पाया है। यहाँ पर शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कई योग्य शिक्षक तो हैं, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को नियत समय पर आवेदन और आवश्यक  जानकारी देने का समुचित ब्यौरा ही नहीं है। इस वजह भी जिले के शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान से वंचित हैं।
      दरअसल शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य के अलावा चुनाव, जनगणना अन्य जरूरी काम की जिम्मेदारी तो सौंप दी जाती है, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। बुधवार को पत्थलगांव क्षेत्र में बुड़ाढ़ाड़, शिवपुर, गाला, सारसमार, पुरानी बस्ती स्कूल पहुंच कर वहाँ के शिक्षकों से शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान के बारे में जब पूछा गया तो किसी भी स्कूल के शिक्षक इसकी विस्तृत जानकारी नहीं दे पाए। शिक्षकों ने ये तो बता दिया कि देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। लेकिन शिक्षकों को मिलने वाले सम्मान के बारे में शिक्षकों को ही विस्तृत जानकारी नहीं थी।     
कन्या हाई स्कूल
  
                                               नहीं पूरे हुए तय मापदंड
      इस जिले के कई शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार तो मिल चुके हैं। लेकिन राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अब तक किसी भी शिक्षक ने तय मापदंड पूरे नहीं कर पाने से यह उपलब्धि नहीं मिल पाई हैं। यही वजह जशपुर जिले के शिक्षकों का नाम राष्ट्रीय क्षितिज पर रोशन नहीं हो पा रहा है।
       जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता का कहना है कि विभिन्न पुरस्कारों के लिए शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया एक साल पहले से ही प्रारम्भ हो जाती है। शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए जिन शिक्षकों के नाम सामने आते हैं उनके दस्तावेजों की जांच पड़ताल के बाद उच्च अधिकारियों को फाइल भेज दी जाती है। मौजूदा वर्ष 2015 के लिए मनोरा और जशपुर के दो शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए प्रदेश कार्यालय में उनके नाम भेजे गए थे। इन शिक्षकों व्दारा निर्धारित मापदंड पूरा नहीं कर पाने से दोनों नाम पर विचार नहीं हो पाया। श्री गुप्ता ने बताया कि जशपुर जिले में राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अब तक किसी भी शिक्षक ने दावेदारी नहीं की है।
                                         यह मिलता है पुरस्कारस्वरूप
      शिक्षकों को मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान में राष्ट्रपति व्दारा शाॅल श्रीफल, सिल्वर मेडल के साथ 50 हजार रुपयों का चेक दिया जाता है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक को यह सम्मान देने के लिए राष्ट्रपति भवन आमंत्रित किया जाता है। वहाँ पर  राष्ट्रपति  और प्रधानमंत्री की उपस्थिति में रात्रि भोज में भी शामिल किया जाता है। इस सम्मान को प्राप्त करने वाले शिक्षक को जीवन भर रेल यात्रा मंे 50 फीसदी की छूट मिलती है। साथ ही केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय व्दारा अनेक योजनाओं का लाभ भी दिया जाता है। शिक्षा विभाग व्दारा 2 वेतन वृध्दि, शारीरिक रूप से सक्षम होने पर दो साल की सेवावृध्दि के अलावा अन्य सुविधा दी जाती है। 
                          जिले के पांच शिक्षकों को मिल चुका सम्मान
   जशपुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 5 शिक्षकों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। इन शिक्षकों को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के हाथों सम्मानित किया गया है।
                           1.एम.एस.राठौर    सेवानिवृत          वर्ष 2006
                          2.राकेश राठौर     महादेवडांढ़           वर्ष 2008
                          3.बी.डी.मिश्रा      लोदाम                   वर्ष 2009
                          4.सरजीत मिश्रा     जशपुर                वर्ष 2010
                          5.विजय कुमार सिन्हा जशपुर           वर्ष 2011


    

शनिवार, 27 जून 2015

सिविल अस्पताल में होने लगे सफल आपरेशन

सफल आपरेशन के बाद बिहानुराम
 मांझी की चिकित्सकों व्दारा देख रेख
15 सालों से अनुपयोगी मशीन, उपयोगी बनी
रमेश शर्मा/पत्थलगांव/ 
   शहर का सिविल अस्पताल में 15 सालों से बेकार पड़ी लाखों रुपयों की लागत वाली सी आॅर्म मशीन में आवश्यक सुधार कर इस मशीन को उपयोगी बना लेने से यहां आर्थोपेडिक्स मरीजों का सफल आपरेशन होने लगा है। बीते सप्ताह यहां शल्य चिकित्सा कर हड्डी में राॅड डालकर इंटर लाकिंग का सफल आपरेशन किया गया। स्वास्थ्य अधिकारी डा.जेम्स मिंज का कहना है कि पूरे जिले में अब तक का यह पहला आपरेशन है।
          सिविल अस्पताल में सर्व सुविधायुक्त आपरेशन थियेटर तैयार कर लेने के बाद इस मशीन का उपयोग कर अलग अलग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल दो लोगों का आर्थोपेडिक्स सर्जन डा. प्रफुल्ल चैहान की टीम के व्दारा सफल आपरेशन किया जा चुका है। बीएमओ डा.जेम्स मिंज ने बताया कि सिविल अस्पताल में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलने से यहंा पर पड़ोसी रायगढ़ और सरगुजा जिले से भी जटिल समस्या वाले मरीज आने लगे हैं।उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में मरीजों का उपचार के लिए अन्य जरूरी सुविधा बढ़ाने की भी तैयारी की गई है। इस क्रम में डेंटल मरीजों का उपचार की भी सुविधा बढ़ाई जा रही है।डा.मिंज ने बताया कि सिविल अस्पताल में डेंटल चिकित्सक अनूप भगत की पदस्थापना हो जाने के बाद 15 जून से यहां डेंटल संबंधित सघन चिकित्सा की भी शुरुआत की जा रही है।
        आर्थोपेडिक्स सफल आपरेशन केश नम्बर 1
 घुटने की हड्डी जोड़ने के लिए मरीज मलिक राम
 का टेंसन बैंड वायरिंग का सफल आपरेशन
  1. किलकिला के समीप ग्राम गोलाबुड़ा का बिहानु राम मांझी 30 वर्ष का दुर्घटना में बाऐं पैर में जांघ की हडडी टूट गई थी। इस मरीज के परिजनों ने उसके उपचार के लिए तीन दिन पहल इसे पत्थलगांव सिविल अस्पताल में भर्ती कराया था। आर्थोपेडिक्स सर्जन प्रफुल्ल चैहान ने जब दुर्घटना में घायल बीहानु राम मांझी का परीक्षण किया तो उसके पैर के जांघ की टूटी हुई हडडी को प्लास्टर बांध कर जोड़ने में संदेह लग रहा था। डा.चैहान ने अपने अन्य सहयोगियो से सलाह मशविरा के बाद इस मरीज के पैर का आपरेशन कर राॅड लगाने की योजना बनाई गई। सिविल अस्पताल के आपरेशन थियेटर कक्ष में स्थापित की गई सीआॅर्म मशीन का उपयोग कर इस मरीज का सफल आपरेशन कर दिया गया है। टूटी हुई पैर की हड्डी में शल्य चिकित्सा कर लोहे की राड डाल कर इंटर लाकिंग करने के इस काम में यहां के चिकित्सक डा.डी.पटेल और लैलूंगा के डा.राजकुमार गुप्ता की भी सेवाएं ली गई। लगभग दो घंटे तक चले इस आपरेशन की बाद मरीज और उसके परिजनों से भी अधिक इस काम में जुटे सभी चिकित्सक व उनके सहयोगियों के चेहरों पर खुशी झलक रही थी। इस मरीज का सफल आपरेशन के बाद उसे सघन देख रेख के लिए अभी पत्थलगांव सिविल अस्पताल में ही रखा गया है। बीएमओ डा.जेम्स मिंज ने बताया कि जशपुर जिले में हडडी इंटर लांकिग का यह अब तक का पहला सफल आपरेशन है।
 सी आॅर्म मशीन को उपयोगी बना लेने से मरीजों
 को आपरेशन सुविधा का मिलने लगा लाभ
   आर्थाेपेडिक्स सफल आपरेशन केश नम्बर 2.
      यहां के सिविल अस्पताल में मरीजों के लिए सर्व सुविधायुक्त आपरेशन थियेटर उपलब्ध हो जाने के बाद बीते सप्ताह कोतबा के समीप ग्राम राजाआमा निवासी मलिकराम पिता सिमन उम्र 35 वर्ष भी सफल आपरेशन किया गया है। इस मरीज के घुटने की कटोरी टूट जाने से आर्थोपेडिक्स सर्जन डा.प्रफुल्ल चैहान ने ही टूटी हड्डी पर टेंसन बैंड वायरिंग का सफल आपरेशन किया है। इस मरीज को भी सिविल अस्पताल में ही देख रेख के लिए भर्ती रखा गया है। इस मरीज के परिजनों का कहना था कि परिवार की गरीब हालत के चलते वे दुर्घटना के बाद मालिकराम को बाहर ले जा कर इलाज कराने की स्थिति में नहीं थे। लेकिन यहॉं के सरकारी अस्पताल में ही सफल आपरेशन करके मलिक राम का बेहतर इलाज हो जाने से सभी लोग काफी खुश थे। 

मंगलवार, 16 जून 2015

मधु मक्खियों के हमले से दूर भागे जंगली हाथी

रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
    पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के दर्जन भर गांवों में उत्पात मचा रहे जंगली हाथियों को अन्यत्र खदेड़ने के काम में वन अधिकारियों के सारे प्रयास भले ही विफल हो गए थे, लेकिन मधुमक्खियों का झुंड ने इन उत्पाती हाथियों की चंद मिनटों में ही अकल ठिकाने लगा कर दूर भागने के लिए मजबूर कर दिया।
      बताया जाता है कि बीते माह पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के महेष्षपुर गांव में ग्रामीणों के घरों में तोड-फोड़ करने वाले जगंली हाथियों को यहां का वातावरण इतना रास आ गया था कि वे यहंा से हटने का नाम ही नहीं रहे थे। महेशपुर के बाद खाड़ामाचा,खमगड़ा आदि गांवों में उत्पात मचाने वाले इन हाथियों के यंहा पर डेरा डाल देने से वन अधिकारी भी खासे परेशान हो गए थे।
      महेशपुर, खाड़ामाचा और कोतबा क्षेत्र में एक पखवाड़ा से डेरा डाल कर बैठे जंगली हाथियों के सामने दो दिन पहले उस समय असहज स्थिति बन गई थी जब खाड़ामाचा गांव के समीप इन हाथियों पर मधु मक्खियों के बड़े झुंड ने अचानक हमला बोल दिया। उत्पात मचाने वाले जंगली हाथियों की गतिविधियों की देख रेख करने वाले ग्रामीणों ने बताया कि कोतबा क्षेत्र के एक जलाशय में कई घंटों तक जल क्रीडा करने के बाद हाथियों का दल ने गांव की ओर जाने का रुख किया था। खाड़ामाचा गांव पहुंचने से पहले जंगली हाथियों का दल ने जैसे ही एक पेड़ की टहनियां तोड़ी उसी वक्त अचानक मधु मक्खियों के बड़े दल ने इन हाथियों पर हमला बोल दिया।एक साथ सैकड़ों मधु मक्खियों का हमला हो जाने से जंगली हाथियों का दल विचलित हो गया था। इधर उधर भागने के बाद भी जब मधु मक्खियों के हमले से इन हाथियों को राहत नहीं मिली हाथियों ने वापस भागने में ही अपनी भलाई समझी।
       ग्राम पंचायत खाड़ामाचा के एक प्रत्यक्षदर्शी मंगल साय ने बताया कि मधु मक्खियों से पीछा छुड़ाने के लिए जंगली हाथियों का दल देखते ही देखते वहंा से ओझल हो गया। बाद में जंगली हाथियों के इस दल को छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर स्थित जशपुर वन मंडल के तपकरा वन परिक्षेत्र के जंगलों में देखा गया है।
                                     तपकरा क्षेत्र पहुंचा हाथियों का दल
      पत्थलगांव के वन उप मंडल अधिकारी व्हीके साहु ने बताया कि बीते एक पखवाड़ा से काडरो क्षेत्र में डेरा डाल कर बैठा जंगली हाथियों का दल ने यहंा के दर्जन भर गांव में 50 से अधिक लोगों के घरों में तोड़ फोड़ कर काफी नुकसान पहुंचाया है। जंगली हाथियों के इस दल को अन्यत्र खदेड़ने के लिए वन विभाग की हल्ला बोल पार्टी, पटाखों के शोर तथा मशाल जलाने जैसे कई उपाय किए गए। इसके बाद भी उत्पाती हाथी यहंा से अन्यत्र जाने का नाम नहीं ले रहे थे।श्री साहू ने बताया कि इन जंगली हाथियों का लगातार उत्पात से इस अचंल के ग्रामीण खासे परेषान हो कर उन्होने वन कर्मियों के विरोध में ही मोर्चा खोल दिया था। इसी वजह वन सहायक तथा दो बीट गार्डो ने अपनी छुटटी का आवेदन देकर घरों में बैठ गए थे। श्री साहु ने कहा कि जंगली हाथियों का दल दूर भाग जाने के बाद यहां के ग्राम वासियों के साथ वन कर्मियों ने भी राहत की सांस ली है।

गुरुवार, 21 मई 2015

शादी का सीजन से फूलों की बढ़ी मांग

गांव से भी आने लगी शादी व्याह पर फूलों की मांग
 अग्रिम बुकिंग के बगैर नहीं हो रही फूलों की आपूर्ति                       रमेश शर्मा/ पत्थलगांव/
   शादी का सीजन के चलते इन दिनों फूलों की बिक्री खूब हो रही है। शहर में फूलों का कारोबार करने वाले व्यवसायी ग्राहकों की अग्रिम बुकिंग पर ही प्रति दिन कोलकाता और महाराष्ट्र से फूल मंगा कर आपूर्ति कर रहे हैं। एकाएक फूलों की अधिक मांग आ जाने से विक्रेताओं को अपने ग्राहकों की मांग पूरी कर पाने में असमर्थता जाहिर करनी पड़ रही है।
    इन दिनों वैवाहिक कार्यक्रम के लिए शहरी अंचल के अलावा ग्रामीण अंचल से भी फूलों की मांग आ जाने से बिक्री में काफी इजाफा हुआ है। बताया जा रहा हे कि ग्रामीण अचंल में भी धूमधाम से वैवाहिक कार्यक्रमों के दौरान ताजा फूलों का ही उपयोग किया जा रहा है।गांव में सम्पन्न परिवार के लोग एक दूसरे को देख कर ताजा फूलों की साज सज्जा पर खूब जोर दे रहे हैं। शादी मंडप, गाड़ी डिजाइन के अलावा अन्य साज सज्जा में लोग अब फूलों का अधिक प्रयोग करने लगे हैं। यहां फूलों का व्यवसाय करने वाला प्रदीप बोआल का कहना था कि पहले वह अकेले ही इस व्यवसाय को संभाल लेता था, लेकिन अब  गांव और शहरों से फूलों के कई कई आर्डर आ जाने से उसे अपने साथ दर्जन भर से अधिक सहयोगी रखने पड़ रहे हैं। दूसरे शहरों के फूल व्यवसायी भी यहां पहुंच कर आर्डर लेकर शादी व्याह में फूलों की आपूर्ति करने लगे हैं। अनेक लोग इस व्यवसाय में जुड़ जाने के बाद भी दिन प्रति दिन फूलों की मांग में बढ़ोत्तरी हो रही है।
   शहर में इन दिनों गेंदा, रजनीगंधा, गुलाब, ग्लेडी,गेटलस, जरबेरा की मांग काफी अधिक देखी जा रही है। कोलकाता और नागपुर से फूल मंगाने के कारण यहंा प्रति नग के अनुसार फूलों की कीमत बोली जा रही है। इन दिनों 10 रुपए में बिकने वाली गेंदा लरी के दाम बढ़ कर 20 से 30 रुपए बोले जा रहे हैं। इसी तरह रजनीगंधा 10रुपए, गुलाब 10 से 30 रू.,गेटलस 30 से 40 रुपए एवं जरबेरा 20 रुपए में बेचा जा रहा  है। फूल व्यवसायियों का कहना है कि शादियों में ज्यादातर लोग मांेगरा, गेंदा और गुलाब की मांग कर रहे हैं।
                                             ग्रामीण अंचल में भी फूलों की खपत
    यहां के फूल व्यवसायी प्रदीप का कहना था कि अब ग्रामीण अंचल से भी फूलों की मांग बढ़ गई है। गांव के सरपंच तथा अन्य लोग उन्हे फूलों के साथ गांव चल कर सजाने की भी जिम्मेदारी सौंप रहे हैं। फूल विक्रेता का कहना था कि शहरों की तरह गांवों में भी फूलों की खपत बढ़ जाने से उन्हें आपूर्ति करने में कई बार काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस फूल विक्रेता का कहना था कि शहरों में वैवाहिक मंडप सजाने के लिए अलग अलग दर ले रहे हैं। विवाह का मंडप 1 हजार से लेकर 5 हजार रुपयों में सजा कर तैयार किया जा रहा है। गाडियों की साज सज्जा में भी लोग मोल भाव नहीं करने लगे हैं। उन्होंने बताया कि गाड़ी सजाने में भी 2 हजार से 5 हजार तक का खर्च आने लगा है।  
                                                आर्टिफिशियल फूलों ने बनाई जगह
     फूल विक्रेताओं का कहना था कि बाहर के बाजार में फूलों की मांग बढ़ जाने से उनका मुनाफा कम हो गया है। कई बार पहले की बुकिंग पर फूलों की आपूर्ति करने में उन्हे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ जा रहा है। फूल विक्रेता का कहना था कि इन दिनों फूलों की कमी के चलते वैवाहिक गाड़ी सजाने तथा स्टेज के काम में आर्टिफिशियल फूल तथा चुनरी कपड़े का अधिक इस्तेमाल होने लगा है। ताजा फूलों की मांग बढ़ जाने के बाद आर्टिफिशियल फूलों ने अपनी अच्छी जगह बना ली है।


बुधवार, 20 मई 2015

वरदान बनी बैमौसमी बारिश

भरारी के समीप अपनी खरबूज की
फसल के साथ किसान रफैल उरांव
   मिठास घोल रहे हैं पत्थलगांव के खरबूज-तरबूज
रमेश शर्मा/ पत्थलगांव/
        पिछले दिनों हुई बेमौसम की बारिश के बाद गर्मी का मौसमी फल खरबूज और तरबूज की फसल को मामूली नुकसान के बाद भी इसकी अच्छी क्वालिटी बन कर बाजार में पहुंचने से इसका मिठास पड़ोसी जिले के लोगों को भी खूब रास आ रहा है।
         इस अचंल में अधिक पैदावार होने के चलते खरबूज और तरबूज के भाव में भी ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं होने से ग्राहक हाथो हाथ इन फलों की खरीद कर इसका भरपूर स्वाद ले रहे हैं। प्रारंभ में 80 रूपये प्रति किलो बिकने वाला खरबूज इन दिनों 10 से 15 रूप्ये प्रति किलों में बिक रहा है। इसकी उपज लेने वाले किसानों का कहना है कि बेमौसम की बरसात होने से उनके खेतों में तैयार खरबूजा 2 से 3 किलो वजन का निकल रहा है। यंहा भरारी के समीप खरबूज,तरबूज, ककड़ी के साथ अन्य साग सब्जी फसल लेने वाला किसान रफैल उरांव का कहना था कि गर्मी के सीजन में इन फसल के खरीददार उनके खेतों में ही पहुंच जा रहे हैं। नगद भुगतान मिलने से किसानों के लिए गर्मी के मौसमी फलों ने मालामाल कर दिया है।  
    यहंा तिलडेगा,कंटगतराई तथा आस पास के किसानों व्दारा भरारी नाला के किनारे वाले क्षेत्र में गर्मी के दिनों में साग सब्जी की फसल के अलावा ककड़ी, खरबूज और तरबूज की भी काफी बड़ी मात्रा में उपज ली जा रही हैं।इस वर्ष बेमौसम की बारिश ने इन किसानों की लवकी,तोराई तथा अन्य साग सब्जी की फसल को भले ही थोड़ा नुकसान पहुंचाया है लेकिन दो तीन बार हुई इस बारिश के बाद खरबूज और तरबूज की अच्छी क्वाल्टिी बन गई है। इन किसानों के खेतों में पक कर तैयार रस भरे और मीठे खरबूज की फसल देखते ही बन रही है। किसानों का कहना है कि बेमौसम की बरसात ने खरबूज की अच्छी पैदावार हो गई है। किसानों को इस बात की खुशी है कि गर्मी का मौसमी फल खरबूज और तरबूज केवल देखने में ही नहीं बल्कि इसका जायका भी बढ़ गया है। इन दिनों यहंा के ग्राहकों को टोकरों में भर कर खरबूज और तरबूज का बेसब्री से इंतजार रहता है। गर्मी के इन मौसमी फलों को लेकर आने वाले कई किसान बाजार पहुंचने से पहले ही रास्ते में अपनी उपज की बिक्री कर ले रहे हैं।
               फलोद्यान से अतिरिक्त आय
गर्मी का मौसमी फल तरबूज की भी हुई बम्फर पैदावार
उद्यान अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया का कहना है कि इस अंचल में फलोद्यान की काफी अच्छी संभावना है। यहंा गर्मी के दिनों में साग सब्जी की लोकल डिमांड काफी अधिक रहती है।इस वजह किसानों को साग सब्जी के अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहंा के किसानों को गर्मी के मौसमी फल के लिए प्रोत्साहित करने के बाद इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। यहाँ तरबूज, खरबूज, ककड़ी तथा केला,आम लीची की अच्छी पैदावार होने से किसानों को लाखों रूपयों की अतिरिक्त आय होने लगी है।
           पड़ोसी जिलों में पहुंचा गर्मी का मौसमी फल
       इन दिनों पत्थलगांव क्षेत्र में ककड़ी,खरबूज और तरबूज की आवक बढ़ जाने के बाद रायगढ़ जिले के लैलूंगा, धरमजयगढ़, कापू और सरगुजा जिले के सीतापुर,प्रतापगढ़ और बतौली क्षेत्र के साप्ताहिक बाजार में भी गर्मी के इस मौसमी फल की खूब पूछ परख होने लगी है।अन्य फलों की मंहगाई के बीच लोकल फल कम दाम पर उपलब्ध होने से ग्राहकों को भी गर्मी के मौसमी फलों का स्वाद खूब रास आ रहा है।

शुक्रवार, 15 मई 2015

पेड़ की छाँव तले खेल का अनोखा स्कूल

पेड़ की छांव तले शिक्षिका स्नेहा का अनोखा स्कूल
रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
       गर्मी की छुटिटयाँ शुरू होते ही शहरी क्षेत्र के बच्चे भले ही अभिनय, नृत्य, ध्यान और व्यक्तित्व विकास की कक्षाओं में शामिल हो गए हैं, लेकिन ग्रामीण अंचल के बच्चों के सामने इस तरह की सुविधाओं का सर्वथा अभाव रहता है। गांव के बच्चों को ग्रीष्मकालीन छुटिटयों में चिलचिलाती धूप में इधर उधर घूमना तथा मवेशियों के साथ उठा पटक करते देख कर तिलडेगा माध्यमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षिका श्रीमती स्नेहा श्रीवास्तव ने पेड़ की छांव तले प्रति दिन 2 घंटे तक खेल और पढ़ाई का अनोखा स्कूल चलाया जा रहा है।
     ग्रीष्मकालीन छुटिटयों के इस स्कूल में गांव के बच्चों को कभी 2 घंटे तो कभी 1 घंटे में ही छुट्टीे दी जाती है। ग्रामीण बच्चों को खेल खेल में रंगोली, बागवानी, वाद विवाद, नृत्य व गीत सिखाया जा रहा है। गांव के बच्चों को खेलकूद के साथ अन्य मनोरंजक कार्यक्रम काफी रूचिकर लगने लगे हैं। पेड़ की छांव तले स्कूली बच्चों की भीड़ के साथ अन्य ग्रामीण भी उपस्थित रहते हैं। ग्रामीण बच्चों को लुका छिपी के खेल तथा नाच गाने के साथ विज्ञान और अंग्रेजी विषय की पढ़ाई भी खूब रास आ रही है।
खेल खेल में ज्ञान की बातें भी
        पेड़ की छांव तले ग्रामीण बच्चों का अनोखा स्कूल चलाने वाली शिक्षिका स्नेहा ने बताया कि यहां गर्मी की छुटिटयंा होते ही ज्यादातर बच्चें मवेशी चराने और पेड़ पर चढ़कर धमाचौकड़ी जैसे अनुपयोगी काम में व्यस्त हो जाते थे। तेज गर्मी का मौसम के दौरान धूप में बाहर खेलने से कई बच्चे बुखार तथा अन्य बीमारियों की चपेट में आ जाते थे। ग्रामीण बच्चों के लिए ग्रीष्मकालीन छुटिटयों में मनोरजन कम और परेशानी अधिक मिलने की बात पर शिक्षिका स्नेहा काफी व्यथित हुई थी। उन्होंने बताया कि इन्ही बातों को देख कर उसके मन में खेल कूद का अनोखा स्कूल शुरू करने का विचार आया था। इसके तहत गांव के इन बच्चों को एकत्रित कर जब उन्हे खेल खेल में पढ़ाने का काम शुरू किया तो सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। तिलडेगा गांव में अब गांव के अनेक बच्चे यहाँ पहुंच कर अपना कला कौशल निखारने में जुट गए हैं। इन छोटे बच्चों के खेल कूद के इन कार्यक्रमों में कई बार बच्चों के अभिभावक भी उपस्थित रहते हैं। 
अभिभावक भी चिंतामुक्त
पहले चिलचिलाती धूप में मवेशियों पर बैठकर होती थी धमाचौकड़ी
राडोल के उपसरपंच मनोज अम्बस्थ ने बताया कि इस अंचल में ग्रीष्मकालीन छुटिटयां शुरू होते ही आस पास गांवों के ज्यादातर बच्चे मवेशियों के बीच रह कर खेल कूद में व्यस्त हो जाते थे।मवेशियों पर बैठ कर तालाब और नदी नालों में चले जाने से इन बच्चों के अभिभावक भी चिंतित रहते थे। श्री अम्बस्थ ने बताया कि अब चिलचिलाती धूप में इधर उधर घूमने के बजाए इन बच्चों को मनोरजंन के खेल कूद के साथ पेड़ की छांव तले पढ़ाने का काम गांव के बुजुर्गो को भी पसंद आ रहा है।

बुधवार, 29 अप्रैल 2015

थोड़ा सा दाना, थोड़ा सा पानी

पेड़ पौधों पर पक्षियों के लिए मिटटी के बर्तन में पानी
अच्छी खबर..........
पक्षियों को दाना पानी की छोटी पहल का बड़ा लाभ
        रमेश शर्मा/ पत्थलगांव/
       गर्मी के दिनों में सूरज की तपन से मनुष्य ही नहीं, बल्कि पशु पक्षियों को भी राहत की जरूरत होती है। शहर में कई लोगों व्दारा सूरज की तपन बढ़ते ही पक्षियों के लिए दाना पानी उपलब्ध कराने की सार्थक पहल की जा रही है। परोपकार के इस काम में अब कई लोग आगे बढ़ कर हाथ बंटाने लगे हैं। पक्षियों के लिए थोड़ा दाना थोड़ा पानी देने के इस सहयोग का अन्य लोग भी अनुषरण करने लगे हैं। गर्मी के दिनों में दाना पानी देने की इस छोटी सी पहल का अनेक पक्षियों को अच्छा खासा लाभ मिल जाता है।
    यहां इंगलैंड के नाॅटिंघम से अन्तरराष्ट्रीय कानून तथा विकास पर एलएलएम की शिक्षा लेकर लौटी कुलिशा मिश्रा का कहना है कि उन्हे गर्मी के दिनों में पक्षियों को थोड़ा दाना,थोड़ा पानी देने में काफी सुकून मिलता है। उन्हांेने कहा कि पक्षियों के लिए पानी की एक एक बंूद का महत्व रहता है।उन्होने जब घर में रहने वाली गौरैया को पानी की एक बून्द से तृप्ति करते हुए देखा तभी से वह पक्षियों के लिए नियमित रूप से दाना पानी देने का काम कर रही है। कुलिशा का कहना था कि आमतौर पर हर घर में नजर आने वाली गौरैया चिडि़या अब शहर से ही दूर होने लगी है। इसके लिए तेजी से बढ़ते पाॅल्यूशन,रेडिएशन और हरियाली की कमी ने गौरैया को शहरों से दूर कर दिया है। हालांकि शहर के कुछ हरियाली भरे क्षेत्र में गौरैया सुबह शाम झुंड में नजर आती हैं, लेकिन इन्हे घरों में रखने की हमारी पहल में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। कुलिशा का कहना था कि वास्तव में गौरैया चिडि़या भी मनुष्य के आस पास रहने में ही दिलचस्पी दिखाती है। इस नन्ही चिडि़या को वापस घर में बुलाने के लिए हमारी पहल अवश्य लाभप्रद साबित होगा।
घर की छत पर कुलिशा मिश्रा पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करते हुए
हा                  सुकृत्य से मिलता है सुकून
         दरअसल तापमान में वृध्दि के बाद पानी की एक एक बून्द के लिए पक्षियों को भी मशक्कत करते हुए देखा जाता है। गर्मी में पक्षियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए यहां के राईस मिलर श्रवण अग्रवाल ने भी सराहनीय पहल की है। उनके व्यावसायिक परिसर में गौरैया को खाने के लिए दाना तो भरपूर मिल जाता था, लेकिन पानी की दो बूंद के लिए इन पक्षियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। पक्षियों की परेशानी को महसूस कर इस व्यवसायी ने अपने परिसर तथा आस पास के अनेक पेड़ की टहनियों पर मिटटी की तश्तरियंा टांग दी हैं। इनमें नियमित रूप से पीने का पानी भरने से अब यहां हर वक्त चिडियों का शोरगुल सुनाई देने लगा है।श्रवण अग्रवाल का इस सुकृत्य की सीख उसके बुजुर्गो से मिली थी। गर्मी के दिनों में दाना पानी की अनुपलब्धता के कारण कई छोटे पक्षी दम तोड़ देते हैं। इन पक्षियों को बचाने के लिए मिटटी के बर्तन में पानी रखने से उन्हे निष्चित ही लाभ मिलता है। इस वजह गर्मी के दिनों में पक्षियों के लिए दाना पानी उपलब्ध कराने से उन्हे काफी सुकून मिलता है।
                                         दैनिक भास्कर ने की है दाना पानी की पहल
 यहां के पर्यावरणविद डा.परिवेश मिश्रा ने गौरैया चिडि़या की लगातार कम होती संख्या पर चिंता जाहिर की है। उन्होने कहा कि गौरैया मूलतः अपने घर में ही या आसपास ही देखने को मिल जाती थी, लेकिन अब पक्के घरों में गौरैया के घोंसले बनाने की जगह नहीं मिल पाने से यह बाहर उड़ चुकी है। लोगों को जागरूक करने के लिए दैनिक भास्कर ने थोड़ा सा दाना थोड़ा पानी का नारा देकर इस दिशा में सार्थक पहल की है। उन्होने कहा कि गर्मी के दिनों में सभी को घरों की छत पर या उंचाई वाले स्थान पर पक्षियों के लिए दाना पानी देने के काम में अपनी भागिदारी निभानी चाहिए।

गुरुवार, 1 जनवरी 2015

सात समंदर पार से आई खुशी

जर्मनी की बाला का छत्तीसगढ़ प्रेम
सेवा के कार्य में भाषा नहीं बनती रूकावट
    रमेश शर्मा /पत्थलगांव/
         
         ममतामयी मदर टेरेसा के दिखाए मार्ग पर चल कर समाज सेवा करने के लिए सात समन्दर पार रहने वाली एक विदेशी बाला ने देश के सैकड़ों शहरों में पत्थलगांव को चुना है। जर्मनी की इस बाला ने यहां की समाज सेवी संस्था राहा व्दारा संचालित विकलांग सेवा केन्द्र में रहने वाले असहाय बच्चों को अपनी सेवा देकर उन्हे आत्म निर्भर बनाने का निर्णय लिया था। सेवा के इस काम में उसे खुशियों का खजाना मिल गया है। इस विदेशी बाला ने पूरी लगन और ईमानदारी से सेवा के दायित्व का निर्वहन किया, जिससे लारा नामक विदेशी युवती अब यहां रहने वाले विकलांग बच्चों के साथ उनके परिजनों की भी चहेती बन गई है।  
       रायगढ़ अम्बिकापुर हेल्थ एसोसिएशन नामक समाज सेवी संस्था की निदेषक सिस्टर एलिजाबेथ ने बताया कि जर्मनी में स्कूली षिक्षा पूरी करने के बाद कम से कम दो वर्ष तक समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने की अनिवार्यता है। इसी के चलते जर्मनी के स्काच शहर की निवासी सुश्री लारा बुसेमर ने दो साल पहले छत्तीसगढ़ के पत्थलगांव शहर में आकर समाज सेवा का मन बनाया था। लारा को यहां विकलांग बच्चों के साथ रह कर उन्हे पढ़ाने लिखाने का माहौल इतना रास आया कि उसकी निर्धारित समयावधि देखते ही देखते पूरी हो गई। बाद में लारा ने यहां के ग्रामीण विकलांग बच्चों का प्यार और आत्मीयता को देख कर उनके बीच में लगभग दो माह और व्यतित कर लिए हैं। यहां लारा ने अपने समाज सेवा के काम से सभी को आष्चर्य चकित कर डाला है।
                                                   याद खींच लाई दुबारा
         शहर का विकलांग सेवा केन्द्र में रहने वाले विकलांग बच्चे तथा यहां पदस्थ अन्य स्टॅाफ से मिला प्यार दुलार की यादें लारा को यहां फिर से खींच लाई है। इस बार लारा अकेली नहीं बल्कि अपनी माता श्रीमती जेली व पिता पीटर बुसमेर को भी साथ लेकर आई है। विकलांग सेवा केन्द्र में रह कर विद्या अध्ययन करने वाले बच्चे भी फिर से लारा को अपने बीच में देख कर काफी खुश हैं। लारा का कहना था कि दूसरी बार पत्थलगांव पहुंच कर उसे बेहद प्रसन्नता हो रही है, क्योकि यहां पोलियो और अन्य बीमारियों से पीड़ित इन बच्चों ने अब अपने पैरों पर खड़ा होना सीख लिया है। ये बच्चे पढ़ लिख कर जब आत्म निर्भर बन जाएंगे, उस दिन का उसे बेसब्री से इंतजार है। 21 साल की सुरी लारा का कहना था कि उसकी जिन्दगी में यहां व्यतित किया गया समय एक यादगार समय बन कर रह गया है। यहां छोटे बच्चों की भाषा नहीं समझने के बाद भी उनके व्दारा इशारों में अपनी बात को समझाने का ढंग तथा बेहद भोलेपन के साथ किया जाने वाला हंसी मजाक के क्षण को वह कभी भी नहीं भूल पाती है।
                                                 मदर टेरेसा है प्रेरणा
    लारा ने बताया कि उसे ममतामयी मदर टेरेसा के बारे में पढ़ने के बाद ही भारत में आकर समाज सेवा के कार्य करने की इच्छा हुई। तदर की प्रेरणा से उसने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद भारत के किसी गांव में आकर समाज सेवा करने का निश्चय किया था। स्कूल के एक सहपाठी ने इंटरनेट पर छत्तीसगढ़ के पत्थलगांव शहर में विकलांग बच्चों के लिए काम करने वाला इस सेवा केन्द्र का नाम सुझाया था। लारा ने बताया कि पत्थलगांव के बारे में जितना सुना था, यहां पहुंच कर उससे भी ज्यादा अच्छा वातावरण देखने को मिला । इस विदेशी बाला का कहना था कि भविष्य में भी उसकी समाज सेवा के कार्यो से जुड़े रहने की तमन्ना है। लारा ने कहा कि मदर टेरेसा के दिखाए मार्ग पर चल कर वह भी अपने पराए का भेद भुला कर सेवा के सहयोग में अपना हाथ बांटना चाहती है।