रमेश शर्मा/पत्थलगांव
यहॉं मिर्जापुर गांव की बंजर भूमि में एक दशक पहले अकलूराम नामक किसान द्वारा
रोपे गए आम के बगीचे की हरियाली अब अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का सबब बन गई है। अकलूराम
को आम का बगीचा से प्रति वर्ष फलों की बिक्री से होने वाली लाखों रुपयों की आय से अन्य
किसानों ने भी अपनी अनुपयोगी भूमि पर वृक्षारोपण करना शुरू कर दिया है।
यहां समीप ग्राम मुड़ापारा के किसान द्वारा लगभग
छह वर्ष पहले रोपा गया आम का बगीचा में इस वर्ष मीठे फलों की बहार छाई हुई है। निरजंन
साय के साथ ही ग्राम केराकछार में बुढ़न राम, सुखरापारा में जागेश्वर राम, सुसडेगा में सालिगराम एवं कुम्बन साय तथा मिर्जापुर में सोहन नामक किसानों ने
भी अपनी बंजर भूमि में आम के पौधे रोप कर अब
फलों का खूबसूरत बगीचा तैयार कर लिया है। इस वर्ष इन किसानों द्वारा रोपे गए आम के
पौधों पर फल लग जाने से इन किसानों का उत्साह देखते ही बन रहा है।
ग्राम मुड़ापारा में आम का बगीचा |
ग्राम मुड़ापारा के किसान निरंजन साय ने बताया
कि उसके पास लगभग साढ़े चार एकड़ भूमि पथरिली होने के कारण उस पर खेती का काम नहीं हो
पाता था। मिर्जापुर गांव में इसी तरह की भूमि पर आम का बगीचा में हरियाली को देख कर
उसने भी अपनी बंजर भूमि पर आम का बगीचा लगाने
का निर्णय लिया था। इस किसान ने बताया कि फुलेता स्थित उद्यान विभाग के अधीक्षक प्रकाश
सिंह भदौरिया से सम्पर्क करने पर उसे सघन फलोद्यान योजना के तहत निषुल्क 250 आम के पौधे प्राप्त हो गए थे। निरजंन साय ने बताया कि बाद में उसने चैसा,लंगड़ा,अल्फांजो प्रजाति के आम के पौधे भी
लाकर लगाए थे। यहॉं विभिन्न प्रजाति के फलदार पौधे रोपने के लिए तकनीकी जानकारी के
साथ उद्यान विभाग से उसे खाद,दवा का भी सहयोग मिलने लगा था। दो
वर्ष तक देख रेख की मेहनत के बाद उसकी बंजर
भूमि में भी हरियाली फैलने लगी थी।अब यहॉं पर आम के पेड़ों की हरियाली के साथ
अनेक पेड़ो पर मीठे फलों की भी बहार दिखने लगी है। निरजंन साय का कहना था कि कुछ दिनो
पहले आंधी तूफान के चलते कई पेड़ों पर लगे आम के फल टूट कर गिर गए थे। इसके बाद भी यहॉं
पेड़ों पर लटके हुए आम के फल लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन गए हैं।इस किसान का कहना
है कि बीते दो वर्ष से आम की बिक्री करके उसे अच्छी खासी आमदनी होने लगी है।
केले के बगीचे से नगद
आमदनी
बंजर
एवं खेती के लिए अनुपयोगी भूमि पर मेहनत के बाद ग्राम गाला के कुशकुमार नामक
एक किसान ने केले का बगीचा तैयार किया है।कुशकुमार ने बताया कि उसने भी शासन की फलोद्यान
योजना की विस्तृत जानकारी के बाद अपनी तीन एकड़ बंजर भूमि पर केले की खेती करने का निर्णय लिया था। पहले
कई किसानों ने इसे घाटे का सौदा बताकर उसे परेषान कर दिया था लेकिन बाजार में केले
की अच्छी मांग को देख कर उसने हिम्मत नहीं हारी थी। उद्यान विभाग से केले के पौधे प्राप्त
करने के बाद प्रारम्भ के वर्षो में उसे काफी मेहनत करनी पड़ी थी। गांव के आवारा मवेषियों
से बगीचे की देख रेख करने की परेषानी से वह थोड़ा हतोत्साहित जरूर हुआ था। लेकिन केले
का बगीचा के चारों ओर कंटीले पौधों का घेराव से अब स्थायी सुरक्षा बन गई है। बीते दो
वर्षो से कुशकुमार अपना बगीचा से फलों की बिक्री करके प्रति वर्ष एक से डेढ़ लाख रूपयों
की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने लगा है। इस किसान का कहना था कि उसके बगीचे में लगे
फलों को खरीदने के लिए घर बैठे ग्राहक पहुंचने लगे हैं। फलो के थोक विक्रेताओं को गाला
स्थित केलों का बगीचा की जानकारी मिलने के बाद उससे फल के लिए फोन से ही सम्पर्क हो
जाता है। इस किसान का कहना था कि केले का बगीचा से मिलने वाली नगद आमदनी के बाद वह
अन्य फलदार पौधों रोपने की तैयारी करने लगा है।
बंजर भूमि पर किसानों ने फैलाई हरियाली
यहॉं उद्यान अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया ने बताया
कि यहॉं के अनेक गांवों में बंजर भूमि पर वृक्षारोपण
हो जाने के बाद वहंा अब अच्छी खासी हरियाली फैल गई है। बंजर भूमि पर फलदार पौधे रोपने वाले किसानों को अतिरिक्त
आमदनी के साथ पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी अच्छी पहल हुई है। उन्होने बताया
कि इन किसानों से प्रेरणा लेकर अन्य किसान भी उनके पास पहुंच कर विभिन्न फलदार एवं
छायादार पौधों की मांग करने लगे हैं।श्री भदौरिया ने बताया कि पत्थलगांव क्षेत्र में
दर्जन भर से अधिक किसानों की बंजर तथा अनुपयोगी
भूमि पर इन दिनो आम व अन्य फलों के बगीचे लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।
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