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शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

राष्ट्रपति पुरस्कारःमापदंड पर खरे नहीं उतर रहे हैं शिक्षक

 कन्या माध्यमिक स्कूल पत्थलगांव
              की शिक्षिकाओं को नहीं है

कन्या हाई स्कूल की शिक्षिका
विडम्बनाः  ग्रामीण अंचल के शिक्षकों को नहीं है विस्तृत जानकारी
रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
      जशपुर जिले में अब तक किसी भी शिक्षक को शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार नहीं मिल पाया है। यहाँ पर शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कई योग्य शिक्षक तो हैं, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को नियत समय पर आवेदन और आवश्यक  जानकारी देने का समुचित ब्यौरा ही नहीं है। इस वजह भी जिले के शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान से वंचित हैं।
      दरअसल शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य के अलावा चुनाव, जनगणना अन्य जरूरी काम की जिम्मेदारी तो सौंप दी जाती है, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। बुधवार को पत्थलगांव क्षेत्र में बुड़ाढ़ाड़, शिवपुर, गाला, सारसमार, पुरानी बस्ती स्कूल पहुंच कर वहाँ के शिक्षकों से शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान के बारे में जब पूछा गया तो किसी भी स्कूल के शिक्षक इसकी विस्तृत जानकारी नहीं दे पाए। शिक्षकों ने ये तो बता दिया कि देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। लेकिन शिक्षकों को मिलने वाले सम्मान के बारे में शिक्षकों को ही विस्तृत जानकारी नहीं थी।     
कन्या हाई स्कूल
  
                                               नहीं पूरे हुए तय मापदंड
      इस जिले के कई शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार तो मिल चुके हैं। लेकिन राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अब तक किसी भी शिक्षक ने तय मापदंड पूरे नहीं कर पाने से यह उपलब्धि नहीं मिल पाई हैं। यही वजह जशपुर जिले के शिक्षकों का नाम राष्ट्रीय क्षितिज पर रोशन नहीं हो पा रहा है।
       जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता का कहना है कि विभिन्न पुरस्कारों के लिए शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया एक साल पहले से ही प्रारम्भ हो जाती है। शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए जिन शिक्षकों के नाम सामने आते हैं उनके दस्तावेजों की जांच पड़ताल के बाद उच्च अधिकारियों को फाइल भेज दी जाती है। मौजूदा वर्ष 2015 के लिए मनोरा और जशपुर के दो शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए प्रदेश कार्यालय में उनके नाम भेजे गए थे। इन शिक्षकों व्दारा निर्धारित मापदंड पूरा नहीं कर पाने से दोनों नाम पर विचार नहीं हो पाया। श्री गुप्ता ने बताया कि जशपुर जिले में राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अब तक किसी भी शिक्षक ने दावेदारी नहीं की है।
                                         यह मिलता है पुरस्कारस्वरूप
      शिक्षकों को मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान में राष्ट्रपति व्दारा शाॅल श्रीफल, सिल्वर मेडल के साथ 50 हजार रुपयों का चेक दिया जाता है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक को यह सम्मान देने के लिए राष्ट्रपति भवन आमंत्रित किया जाता है। वहाँ पर  राष्ट्रपति  और प्रधानमंत्री की उपस्थिति में रात्रि भोज में भी शामिल किया जाता है। इस सम्मान को प्राप्त करने वाले शिक्षक को जीवन भर रेल यात्रा मंे 50 फीसदी की छूट मिलती है। साथ ही केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय व्दारा अनेक योजनाओं का लाभ भी दिया जाता है। शिक्षा विभाग व्दारा 2 वेतन वृध्दि, शारीरिक रूप से सक्षम होने पर दो साल की सेवावृध्दि के अलावा अन्य सुविधा दी जाती है। 
                          जिले के पांच शिक्षकों को मिल चुका सम्मान
   जशपुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 5 शिक्षकों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। इन शिक्षकों को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के हाथों सम्मानित किया गया है।
                           1.एम.एस.राठौर    सेवानिवृत          वर्ष 2006
                          2.राकेश राठौर     महादेवडांढ़           वर्ष 2008
                          3.बी.डी.मिश्रा      लोदाम                   वर्ष 2009
                          4.सरजीत मिश्रा     जशपुर                वर्ष 2010
                          5.विजय कुमार सिन्हा जशपुर           वर्ष 2011


    

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