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गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

जन्मदिन के उपहार ने बनाया लड़ाकू विमान का पायलट

रमेश शर्मा | पत्थलगांव
बचपन में जन्म दिन का उपहार के रूप में मिलने वाला जगुवार जहाज की शक्ल वाला साधारण खिलौना को समझने की उत्सुकता ने ग्राम कछार का होनहार बालक राकेश यादव को वायुसेना में फ्लाइंग आफिसर के पद पर पहुंचा दिया है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे और हैदराबाद में एयर फोर्स का प्रशिक्षण पूरा कर लेने के बाद यह बालक देश के लड़ाकू विमान का पायलट बन जाएगा।
यूपीएससी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे की परीक्षा में 211 वें रेंक के साथ सफलता अर्जित कर लेने के बाद इस युवक ने एसएसबी बोर्ड इलाहाबाद की परीक्षा भी 66 वें रेंक में उत्तीर्ण कर ली है। इस कठिन दौर की परीक्षाओं में शानदार सफलता के बाद राकेश यादव का लड़ाकू विमान के प्रशिक्षण के लिए चयन हो गया है।
पत्थलगांव के समीप छोटा सा कछार नामक गांव का निवासी होनहार बालक 28 दिसंबर से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पूणे में आयोजित तीन साल का प्रशिक्षण में भाग लेने जा रहा है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे में सुपर डिमोना ब्लॅाइडर का प्रशिक्षण के बाद उसे हैदराबाद में एक साल एयर फोर्स अकादमी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसे पूरा कर लेने के बाद राकेश यादव सुखोई, मिग 29 और मिराज 23 की उड़ान भरने लगेगा।
                                                         आड़े नहीं आता ग्रामीण परिवेश
राकेशयादव का कहना है कि यदि एकाग्रता के साथ लक्ष्य बना कर पढ़ाई की जाए तो ग्रामीण माहौल कहीं भी आड़े नहीं पाता। जरूरत इस बात की है कि ग्रामीण अंचल के प्रतिभावान बच्चों को आगे बढ़ने के लिए उनके अभिभावकों को सही पाठयक्रम की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। इससे प्रतिभावान बच्चों को अपना लक्ष्य हासिल करने में समुचित सहयोग मिल जाता है। राकेश यादव का कहना था कि गाला जैसे छोटे से गांव में पढ़ाई की शुरुआत करने के बाद भी उसे सैनिक स्कूल की प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने एवं पाठयक्रम के बारे में पूरी जानकारी उसके पिता से निश्चित समय पर मिल गई थी। इसी की बदौलत उसको अपना लक्ष्य मिल पाया है।
                                                   गाला गांव से हुई थी पढ़ाई की शुरुआत
गाला के सरस्वती शिशु मंदिर में अपनी प्राइमरी शिक्षा की शुरुआत के बाद इस बालक की लगन और मेहनत से उसका रींवा के सैनिक स्कूल में चयन हो गया था। रींवा के सैनिक स्कूल में विभिन्न विषय की पढ़ाई के साथ वहां परेड और अनुशासन के साथ शारीरिक क्षमता पर विशेष ध्यान देने के बाद इस बालक की प्रतिभा में और भी निखार गया था। राकेश यादव का कहना है कि सैनिक स्कूल में पारिवारिक माहौल में रहकर उत्कृष्ट शिक्षा के बाद लड़ाकू विमान में पायलट बनने का सपना आसान दिखने लगा था। इसी लक्ष्य को सामने रख कर राकेश ने गणित एवं कम्प्यूटर साइंस विषय में मजबूत पकड़ बना ली थी। हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई के दौरान इस बालक को गणित में 100 में 100 अंक के अलावा कंप्यूटर साइंस की प्रैक्टिकल परीक्षा में 30 में 30 अंक प्राप्त होते थे। यहां 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसने यूपीएससी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे की परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन भरा था। इसमें 211 वें रेंक की अच्छी सफलता के बाद आगे की राह भी आसान हो गई। राकेश यादव के पिता लक्ष्मण यादव ग्राम गाला में पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनका कहना है कि लगन और लक्ष्य के साथ गांव में रह कर भी ऊंचाइयों को छुवा जा सकता है। फ्लाइंग आफिसर के लिए राकेश यादव का चयन हो जाने के बाद इस होनहार बालक ने अपनी सफलता का श्रेय ग्राम गाला के गुरुजनों के अलावा उसकी माता डिलेश्वरी यादव और पिता लक्ष्मण यादव को दिया है। इस बालक का कहना है कि वह देश की रक्षा के लिए लड़ाकू विमान चला कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करना चाहता है।

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

कटनी गुमला सड़क की बदहाली: केन्द्र सरकार से पूछा सवाल

रमेश शर्मा / पत्थलगांव/        
शहर में एनएच की बदहाल सड़क पर डामरीकरण
का काम में आज भी गुणवत्ता की अनदेखी हो रही है।
 झाड़ू से लिपापोती के बाद डामरीकरण का काम
जशपुर जिले में दैनिक भास्कर व्दारा नागरिकों के सरोकार का मुद्दा कटनी गुमला एनएच सड़क की बदहाली और मानव तस्करी के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए प्रमुखता से उठाई गई खबरों को लेकर राज्यसभा सदस्य रणविजय सिंह जूदेव ने दोनांे मुद्दों पर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है। कटनी गुमला राष्ट्रीय राज मार्ग की बेहद जर्जर हालत को सुधारने के नाम पर बार बार गुणवत्ता की अनदेखी करने और करोड़ों की लागत का डामरीकरण के काम को एक ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को दिए जाने पर राज्य सभा सदस्य रणविजय सिंह जूदेव ने केन्द्र सरकार का ध्यानाकर्षण करा कर इस मामले मे विस्तृत जवाब मांगा है। 3 दिसंबर को राज्यसभा में कटनी गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग के कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी करने का यह मामला राज्यसभा के सदन में उठाए जाने के बाद एनएच विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई है।
                                                 2 माह की सड़क दुर्घटना में 6 की मौतें

बस स्टैण्ड चौराहे पर एनएच के जानलेवा गड्ढे में फंसा ट्रक
इस सड़क पर जगह जगह जानलेवा गड्ढे बन जाने से यहंा वाहनों की दुर्घटना में भी काफी इजाफा हुआ है। पत्थलगांव क्षेत्र में लगभग 10 कि.मी. लम्बा कटनी गुमला हाइवे की बदहाली का सुधार कार्य कराने के लिए एनएच विभाग के अधिकारियों 4 बार निविदा आमंत्रित कर इन्हे बगैर कारण के ही निरस्त कर दिया था। इस वजह यहंा की जर्जर सड़क पर जानलेवा गड्ढे बन जाने के बाद 2 माह में सड़क दुर्घटना के अलग अलग मामलों में 6 लोगों की मौत हुई थी। कटनी गुमला सड़क की बदहाली से पैदल चलने वाली राहगिरों की मौत और डामरविहिन इस सड़क पर रात दिन उड़ने वाली धूल से परेशान नागरिकों ने कई बार आन्दोलन भी किया था लेकिन एनएच अधिकारियों ने नागरिकों को राहत देने की कोई पहल नहीं की थी।

                                               6 माह में 12 बार हो चुका विरोध प्रदर्शन
      कटनी गुमला सड़क की बदहाली को लेकर यहाँ 6 माह में नागरिकों व्दारा दर्जन भर से अधिक बार आन्दालन कर अपना विरोध जता चुके हैं। एक माह पहले यहाँ के स्कूली छात्र छात्राओं के साथ उनके प्राध्यापकों का मानव श्रृख्ंाला बना कर चक्काजाम आन्दोलन और एसडीएम रामानंदन सिंह का घेराव भी किया गया था। बस स्टैण्ड चौराहे की इस घटना के बाद एसडीएम रामानंदन सिंह ने एनएच अधिकारियों के खिलाफ भू राजस्व संहिता के तहत अपराधिक मामला भी दर्ज किया था लेकिन एनएच अधिकारियों ने जर्जर सड़क पर डामरीकरण कराने की दिशा में कोई पहल नहीं की। शहर में एनएच सड़क पर जानलेवा गड्ढेे बन जाने के बाद कलेक्टर हिमशिखर गुप्ता ने यहंा कि.मी.क्रमांक 466,467 और 468 पर डामरीकरण का काम के लिए बाढ़ आपदा मद से 46 लाख रुपयों का एनएच विभाग को आबंटन उपलब्ध कराया था। इस आंबटन के बाद एनएच विभाग के कार्यपालन अभियंता जेपी तिग्गा ने इस में नरेगा पध्दति की शर्त होने के कारण इस कार्य की निविदा को आमंत्रित कर उसे भी निरस्त कर दिया था। कटनी गुमला हाईवे की बदहाली नहीं सुधर पाने से यहंा के नागरिक खासे परेशान हो गए थे। एनएच सड़क की बदहाली को लेकर पिछले सप्ताह यहंा सभी राजनैतिक दल के लोगों ने एक मंच पर इकट्ठा होकर अनिश्चितकालीन आन्दोलन करने की चेतावनी दी थी। जर्जर एनएच सड़क के विरोध में नागरिकों का आन्दोलन से यहाँ कानून व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा को देख कर एनएच विभाग ने बगैर निविदा के ही शहर के 3 कि.मी. में नया डामरीकरण का काम शुरू करा दिया है,लेकिन इसके आगे और पीछे की सड़क की बदहाली जस की तस है।
                                    दैनिक भास्कर ने उठाया था नागरिकों के सरोकार का मामला
 जिले में कटनी गुमला राष्ट्रीय राज मार्ग के कि.मी.क्रमांक 516 से 541 तक 8 करोड़ रूपयों का डामरीकरण का काम को बगैर पड़ताल के एक ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को दिए जाने की खबर को दैनिक भास्कर ने 12 नवंबर के अंक में प्रमुखता के साथ उठाया था। जशपुर जिले में सुखरापारा से शंख तक 146 कि.मी.लम्बी कटनी गुमला सड़क की बदहाली सुधारने के दौरान बार बार गुणवत्ता की अनदेखी करने से यहंा समूची सड़क जर्जर हो गई है। बीते 4 दिनो से पत्थलगांव का शहरी क्षेत्र में एनएच विभाग ने नया डामरीकरण का काम शुरू कराया है। शहर में 3 कि.मी.की इस सड़क पर करोड़ों रुपयों के इस काम की देखरेख के लिए विभाग के तकनीकी  अधिकारी प्रारम्भ से ही नदारद रहने से यहंा काम की गुणवत्ता पर फिर से सवालिया निशान लग गया है।

 
कैप्राज्यसभा सदस्य रणविजय सिंह जूदेव
                सीधी बात: रणविजय सिंह जूदेव, राज्यसभा सांसद
सवाल/ राज्यसभा सदस्य बनने के बाद जशपुर जिले में अच्छी सड़कों का निर्माण कराना आपने पहली प्राथमिकता बताई थी। इस दिशा में क्या प्रयास हो रहे है?
      राज्यसभा सदस्य बनने के बाद मैंने राज्यसभा की कार्रवाई को समझने के बाद सबसे पहला सवाल कटनी गुमला राष्ट्रीय राज मार्ग की बदहाली को लेकर ही उठाया है। इस सड़क की बदहाली का मेरा सवाल 3 दिसंबर को सदन के पटल पर रखा गया है। इस पर जल्द ही केन्द्र सरकार जवाब देगी।
       इसके अलावा जशपुर जिले में आदिवासी युवक युवतियों को अच्छी नौकरी देने का झांसा देकर उन्हे देश के महानगरों में बेचने का भी मामला पर केन्द्र सरकार से सवाल किया गया है। मानव तस्करी की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार क्या नियम बना रही है, इस समस्या पर कैसे अंकुश लग सकेगा, अब तक कितने लोग प्रभावित हुए हेैं, ऐसी बहुत सारी बातें हैं। इसके लिए केन्द्र सरकार से सवाल किया गया है। इसके बाद मानव तस्करी के मामलों में अवश्य रोकथाम हो पाएगी।
सवाल/ कटनी गुमला हाईवे की बदहाली से आप अवगत हैं !
          कटनी गुमला सड़क का निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी करने से जशपुर जिले के नागरिकों को आवागमन में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। पूरे जिले में नागरिकों की इस गंभीर समस्या के मददेनजर ही यह मामला को राज्यसभा में उठा कर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा गया है।
सवाल/ केन्द्र सरकार के सामने एनएच विभाग की कौन-कौन सी खामियों को उठाया गया है ? 
   जिले में कटनी गुमला सड़क पर डामरीकरण का काम को गुणवत्ता के साथ कब तक पूरा कर लिया जाएगा ! इसके अलावा यहंा डामरीकरण की निविदा को आनन फानन में किसी ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को देने की शिकायत पर भी पुष्ट जानकारी मांगी गई है। इस मामले में केन्द्र सरकार से विस्तृत जानकारी देने के लिए सदन में सवाल उठाया गया है।

गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

रोगों के उपचार में भी ज्योतिष शास्त्र उपयोगी: डा.त्रिपाठी

डा. शत्रुघन त्रिपाठी  ज्योतिषविद पत्थलगांव
पत्थलगांव/ 
ज्योतिष शास्त्र में मांगलिक व वैवाहिक कार्यो का मुहूर्त के अलावा हृदय रोग, नेत्र रोग तथा अनेक जटिल रोगों का उपचार के लिए कई उपयोगी उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को निश्चित समय पर करने से न केवल स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है बल्कि रोग का सही उपचार के बाद जीवन की निराशा से भी बचा जा सकता है।
     उक्त बातें शनिवार को किलकिवरधाम में आयोजित निरोग जीवन के लिए जरूरी उपाय विषय पर आयोजित संगोष्ठि में प्रमुख ज्योतिषविद डा.शत्रुघन त्रिपाठी ने कही। काषी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रोफेसर डा.त्रिपाठी को इस वर्ष हृदय रोग का ज्योतिष शास्त्रीय निदान एवं उपचार विषय पर किए गए शोध पर उन्हे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पुरस्कार से सम्मानित किया है।
       इस संगोष्ठि में उन्होने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में मानव जीवन के भाग्य निर्धारण, शुभाशुभ निर्धारण के साथ स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारी पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। प्राचीनकाल में केवल 2 विज्ञान थे, पहला आयुर्वेद विज्ञान जो स्वास्थ्य रक्षण में तत्पर था । दूसरा आज के विख्यात सभी विज्ञान के अनुभागों को अपने गर्भ में संजोया था। उन्होने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में आयुर्वेद विज्ञान मौजूदा समय में मानव के रोग निदान के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहा है।
        डा.त्रिपाठी का कहना है कि  ऋग्वेद के 10 वें मंडल में हृदयरोग की चर्चा सबसे पहले प्राप्त होती है। इसमें हृद्रोग मम सूर्य हरिमाण्य च नाषय मंत्र के आधार पर सूर्य को हृदयरोग का प्रमुख कारण निवारण पाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के विविध ग्रन्थों में कुल 66 ग्रहयोग हैं। इन ग्रहयोगों के अध्यन के उपरांत जातक की जन्तकुंडली के अधार पर रोगों से बचने का भी उपाय ज्ञात हो जाता है।
                 जन्मकुंडली जीवन का आईना
           डा.त्रिपाठी ने बताया कि वास्तव में ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली को जीवन का आईना भी माना गया है। इसका अध्ययन करने पर यदि चतुर्थ भाव में सूर्य, शनि एवं मंगल की स्थिति के अलावा दषमस्थ शनि सूर्य की स्थिति, शत्रुक्षेत्री सूर्य यदि पाप ग्रहों के साथ चतुर्थ भाव में विराजमान रहने से हृदय रोग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस रोग का बचाव के लिए ज्योतिष शास्त्र में ही अचूक उपाय भी बताए गए हैं। इनमें हृदय रोग से बचाव के लिए ललिता सहस्त्रनाम मंत्र, हृदयघात होने पर नृसिंह मंत्र का जाप, हृच्छूल होने पर राहु व आदितहृदयस्त्रोत का पाठ, हृदयरोग की शल्यक्रिया की सफलता हेतु भविष्य पुराणोक्तं आदित्य हृदय का विधि विधान से पाठ, घातक स्थिति में विषिष्ठ मृतसंजीवनी मंत्र व पाषुपतास्त्र का पाठ विशेष फलदायी रहता है। डा.त्रिपाठी ने कहा कि किसी को सामान्य हृदयरोग होने की स्थिति में रविवार को सूर्य की आराधना व माणिक्य पांच रत्ती धारण करने से रोगी को अवष्य लाभ मिलता है।
                हृदय रोग के कारक ग्रह 
 ज्योतिष शास्त्र में हृदयरोग का मुख्य कारक ग्रह शनि, सूर्य, राहु, मंगल तथा गुरू है। जिस ग्रह की दशा अन्तरदशा में रोग के लक्षण दिखते हैं उसके अनुसार पूजा अर्चना से ही लाभ मिलता है। उन्होने कहा कि जन्मकुंडली में नीचस्थ सूर्य एवं दशम भावस्थ मंगल में मधुमेह व उच्च रक्तचाप की संभावना बढ़ जाती है। इन रोगों का भी ग्रहदशा से निदान का उपाय है। जन्मलग्न में 12 वां भावस्थ शुक्र तथा अष्टमावस्था में शनि से कोलेस्ट्राल में विकार उत्पन्न करता है। चैथे भावस्थ शनि, मंगल एवं राहू की युक्ति से रोगी को राहत दिलाई जा सकती है। डा.त्रिपाठी का कहना था कि शनि,गुरू,राहु की सूर्य की दशाओं में यह रोग उत्पन्न होता है तथा कष्टप्रद भी होता है। निरोग जीवन के लिए आयोजित इस संगोष्ठि में मारवाड़ी युवा मंच के पूर्व अध्यक्ष अनिल अग्रवाल, साधुराम अग्रवाल, पार्षद वेदप्रकाश मिश्रा, शक्तिनाथ मिश्रा, विजय शर्मा, जगन्नाथ गुप्ता के अलावा अनेक बुध्दिजीवियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


शनिवार, 15 नवंबर 2014

रास आने लगा महंगे पान का जायका

पान लबों की शान के साथ विक्रेता
 
संडे स्पेशलः
गुटखा,पाउच का दौर में भी दूर
 नहीं हुए पान के शौकीन

रास आने लगा महंगे पान का जायका

रमेश शर्मा /पत्थलगांव

लबों की शान कहलाने वाला पान के टेस्ट में तरह-तरह के बदलाव के साथ इसकी पैकिंग को विशेष बना देने से इसके शौकीन महंगाई के बाद भी पान की दूकान से दूर नहीं हो पा रहे हैं। गुटका पाउच का चलन बढ़ जाने के बाद पान विक्रेता अपना पारम्परिक व्यवसाय को जीवित रखने के लिए अब सादा पान से लेकर आयुर्वेदिक, ग्लुकोज,ड्रायफ्रू
और चॉकलेटी पान की वैराइटी उपलब्ध कराने लगे हैं। अलग अलग रेंज के मंहगे पान होने के बाद भी युवकों के साथ युवतियों को भी यह स्वाद काफी रास आने लगा है।

वैसे तो पान पुराने लोगों की पसंद माना जाता है लेकिन अब फूड और शीतल पेय की तरह पान के फ्लेवर में भी कई तरह के बदलाव कर देने से पान का व्यवसाय भी अच्छी कमाई का जरिया बन गया है। ठंड के दिनों में पान पत्तों की आवक कम हो जाने से इसके थोक दाम बढ़ जाने के चलते पान विक्रेताओं को अपने ग्राहकों की मांग के अनुसार पहले से ही पर्याप्त मात्रा में स्टॅाक रखना पड़ता है।

यहां के पान विक्रेता धर्मेंद्र साहू का कहना है कि इन दिनों गुटका और पाउच का दौर शुरू हो जाने से उन्हे पान के टेस्ट के अलावा उनकी पैंकिंग पर भी विशेष ध्यान देना पड़ रहा है। उनके पास पहुंचने वाले पान के शौकीनों के लिए लम्बा सफर के लिए खास तरह की पैंकिग करनी पड़ती है। इससे उनके ग्राहक निरंतर बने रहते हैं। श्री साहू का कहना था कि इन दिनों सबसे ज्यादा क्रीम और चॉकलेट
फ्लेवर वाले पान पसंद किए जा रहे हैं। पान में डाले जाने वाले मसाले में चॉकलेट नटस रखे जाते हैं,इससे मुंह में पान का स्वाद और बढ़ जाता है। पान को बांधने के बाद उस पर चॉकलेट की कोटिंग के साथ क्रीम का जायका लगा देने से यह युवक युवतियों की खास पसंद बन जाता है।


रसगुल्ला व ड्रायफ्रूयुक्त पान

यहां के पान विक्रेताओं ने ड्रायफ्रूट युक्त पान की खास वैरायटी तैयार की जा रही हैं। ऐसे पान सगाई,बर्थ डे तथा खास अवसर पर ग्राहकों के आर्डर पर ही तैयार किए जाते हैं। ये पान 5 से 10 दिन तक खराब नहीं होते हैं। इसलिए महंगे पान के भी पान विक्रेताओं को खूब आर्डर मिल रहे हैं। रसगुल्ला पान की खासियत उसका स्वाद और शेप है। रसगुल्ले की तरह यह सॉप्ट तो होता ही है लेकिन मुंह में रखने के बाद इसके स्वाद की तारीफ अवश्य होती है।

स्पेशल डिब्बी में औषधीय पान

पान विक्रेता धर्मेन्द्र साहू का कहना था कि औषधीय पान की पैंकिग के लिए स्पेशल डिब्बियां मिलने लगी हैं। इसमें पान पैक करके दिए जाते हैं। इस तरह की पैकिंग के कारण पान में लम्बे समय तक ताजगी बनी रहती है। उन्होने बताया कि मुंह के छाले, जुकाम और सर्दी से छुटकारा दिलाने के लिए औषधीय पान ग्राहकों के बीच काफी लोगप्रिय होने लगा है।

मीठे पत्ते पर फ्रूटी खोपरा,ग्लुकोज और गुलकंदयुक्त पान फैमिली पान के रूप में आज भी अपनी पहले की तरह जगह बनाए हुए है। यह सबसे पुरानी रामेष्वर पान दुकान के विक्रेता बिहारी सिंग का कहना है कि गुटका और पाउच का दौर में भी ग्राहक इस पान से दूर नहीं हो पाए हैं। फर्क इतना है कि सर्दी के दिनों में मीठे पत्ते और गर्मी के दिनों में मघई या बनारसी पत्ते पर यह तैयार किया जाता है।
 



शनिवार, 8 नवंबर 2014

प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में भव्य शोभायात्रा

पंज प्यारे के सामने निशान साहेब
कीर्तन में गूँज . बोले सो निहाल, सतश्री अकाल
पत्थलगांव/    रमेश शर्मा
      बोले सो निहाल, सतश्री अकाल का जयकारे गुरुवार को शहरभर में गूंजे । काफी बड़ी संख्या में सिक्ख समाज जन सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव जी की महिमा का गुणगान करते शहर के प्रमुख मार्गो से निकले।
          अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत ते सब बन्दे की सुमधुर पंक्तिय को जत्थों व्दारा गाया जा रहा था। रंग बिरंगे फूलों से सजी शोभायात्रा का जगह जगह लोगों व्दारा आत्मीय स्वागत किया जा रहा था। पूरे रास्ते भर प्रसाद का वितरण किया जा रहा था। इस शोभायात्रा में शस्त्र कला व युद्ध कौशल के प्रदर्षन ने खासा रोमांच जगाया। यहां  पर गुरुसिंह सभा के गुरुव्दारा में 11 बजे से कीर्तन की शुरूवात हो गई थी। कीर्तन से पहले पूर्ण गुरुसिखी मर्यादा के अनुसार अरदास की गई।
       दोपहर गुरु अटूट लंगर के पश्चात सुसज्जित ट्रक में सजी हुई पालकी में गुरुग्रंथ साहिब को विराजमान किया गया। यहां  सिक्ख संगत ने काफी आकर्षक ढंग से पालकी को सजाया था। इस सवारी के आगे पंज प्यारे की भूमिका में अमरजीत सिंह काके, गोल्डी भाटिया, इन्दरजीत, अपनी एक जैसी वेश भूषा में उपस्थित थे। सवारी के आगे सिक्ख संगत के कार्यकत्र्ता सड़क धोने व झाड़ू से मार्ग साफ करने की सेवा कर रहे थे। शोभा यात्रा के साथ नगर कीर्तन के इस के कार्यक्रम में गुरुव्दारे का शब्दी जत्था भी उपस्थित था। शोभा यात्रा में सबसे आगे निशान साहेब के साथ अवनित भटिया चल रहे थे। सीतापुर के बेदी ढ़ोलकी तथा विभिन्न वाद्ययंत्रों के साथ बेहद अनुशासित रूप से पूरी संगत आगे बढ़ रही थी। इस शोभायात्रा और कीर्तन में शस्त्र कला व युध्द कौशल के प्रदर्षन ने खासा रोमांच जगाया।
       वीर खालसा गतका ग्रुप,स्मार्ट इंटरनेशनल गतका एकेडमी के युवकों ने युध्द कौशल का प्रदर्षन शानदार ढंग से किया। गुरुव्दारा गुरुसिंह सभा से निकल कर भव्य शोभायात्रा के साथ सिक्ख संगत सबसे पहले जशपुर रोड़ गई। यहां  अन्य समुदाय के लोगों ने भी गुरुग्रंथ साहेब का आत्मीय स्वागत कर संगत के लिए स्वलपाहार की व्यवस्था कराई थी। इस शोभायात्रा में सीतापुर, धर्मजयगढ़, कांसाबेल से भी सिक्ख संगत काफी बड़ी संख्या में शामिल हुई थी। 
                                               दिखा सांप्रदायिक सौहार्द
 गुरुग्रथ्ंा साहिब की शोभायात्रा एवं नगर कीर्तन के कार्यक्रम में सांप्रदायिक सौहार्द के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सफाई का संदेशके प्रति जागरूकता का दृष्य भी दिखाई दिए। यहां  बस स्टैण्ड का इंदिरा चैराहा के समीप अग्रवाल सभा के युवकों ने गुरुग्रंथ साहेब का स्वागत करने के पश्चात पूरी संगत के लिए जलपान की व्यवस्था की थी।रायगढ़ रोड़ ,जशपुर रोड़ और अम्बिकापुर रोड़ में भी कई जगह विभिन्न समुदाय के लोगों ने शोभा यात्रा के साथ पंज प्यारों का स्वागत कर सभी के लिए जलपान की व्यवस्था कराई थी। सरदार हरपेज सिंह भाटिया ने शोभायात्रा के दौरान सभी वर्ग के लोगों को प्रसाद वितरण किया गया।


बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

जज्बे से छँट गया अंधेरा

महिला मंडल की सदस्य दृष्टिबाधित बच्चों के साथ दीपावली का पर्व मनाते हुए

दूसरों से मिलती हैं त्योहार की खुशियॉं
दृष्टिबाधित बच्चों के चेहरों पर फैली खुशियॉं
   रमेश शर्मा/  पत्थलगांव/     
       अपनी जिन्दगी में रोशनी के उजाले से दूर रहने वालों के चेहरों पर यदि खुशियां लाई जाए, तो यह क्षण दीपोत्सव के अवसर पर तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद से भी अधिक प्रभावशाली साबित होता है। जीवन की तेज भागदौड़ की व्यस्तता के बीच पत्थलगांव महिला मंडल की सदस्यों ने बुधवार को यहां दृष्टि बाधित गरीब बच्चों को ढेर सारे उपहार भेंट कर ऐसी ही खुशियों का आनंद लिया।
    यहां की समाज सेवी संस्था राहा व्दारा ग्रामीण अचंल में रहने वाले 20 दृष्टिबाधित बच्चों को पत्थलगांव का शक्ति सेवा केन्द्र में पढ़ा लिखा कर आत्म निर्भर बनाने की पहल शुरू की है। इन 20 बच्चों के लिए आवास भोजन की निशुल्क व्यवस्था के साथ ब्रेल लिपि के प्रशिक्षित शिक्षक इन्हे जीवन में आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हुए हैं। बताया जाता है कि इन बच्चों की बचपन से ही आंखों की रोशनी नहीं रहने से इनके अभिभावक अपनी गरीबी के कारण इन बच्चों को केवल बोझ की तरह ढो रहे थे। ऐसे बच्चों को यहां ब्रेल लिपि से पढ़ाने के साथ अन्य बच्चों के साथ खेल तथा पढ़ाई लिखाई कराने से इन्हे अपने जीवन में कुछ कर दिखाने के लिए नई डगर मिल गई है।
    पत्थलगांव की महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती चन्दा राजकुमार गर्ग ने बताया कि गरीब तबका के दृष्टिबाधित इन बच्चों के बारे में जब उन्हे जानकारी मिली तो वे महिला मंडल की अन्य सदस्यों के साथ किसी भी तीज त्योहार के समय इन बच्चों के लिए विभिन्न उपहार लेकर उनके बीच पहुंच जाती हैं। दृष्टिबाधित इन बच्चों व्दारा गीत संगीत के साथ खेल कूद और पढ़ने में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा दिया है। सभी बच्चे प्रातः खेल कूद में भाग लेने से पहले योग का भी शानदार प्रदर्शन करना सीख गए हैं। यहां के कई बच्चे जब मधुर संगीत के साथ गीतों का स्वर निकालते हैं तो किसी को विश्वास ही नहीं होता कि इनकी जिन्दगी में अंधेरा फैला हुआ है। दृष्टिबाधित बच्चों ने ब्रेल लिपि लिखने एवं पढ़ने की गति बढ़ाकर सामान्य लोगों की तरह चलने फिरने ,सार्वजनिक स्थलों में बिना किसी के सहयोग के चलने के अलावा अपने कार्यो को करने में सक्षम हो रहे हैं। राहा की निदेशक सिस्टर एलिजाबेथ ने बताया कि दृष्टि बाधित इन बच्चों में सीखने का जज्बा के साथ उनमें रूचि के साथ ध्यानपूर्वक कठिन अभ्यास करने की लगन है। इसी वजह इन बच्चों ने अपने जीवन से अधंकार को हटाने सफलता हासिल की है।
             
जीने का जज्बे से छंट गया अंधेरा
                            छलके खुशी के आंसू
  महिला मंडल की सदस्यों ने दृष्टिबाधित इन बच्चों को दीपावली के अवसर पर नए कपड़े, मिठाई और खिलौने भेंट किए तब सभी बच्चों ने हंसते हुए एक साथ थैक्स आंटी कहा तो वहंा उपस्थित अन्य लोगों की आंखों में भी आंसू निकल पड़े थे। महिला मंडल की सह सचिव श्रीमती अर्चना अग्रवाल का कहना था कि दृष्टिबाधित इन बचचों ने अपनी लगन और मेहनत से ईश्वर के कोप को भी निरर्थक बना दिया है। उन्होने कहा कि ऐसे बच्चों की खुशियों से ही त्योहार की सच्ची खुशी मिलती है। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष पवन अग्रवाल, सिविल अस्पताल के बीएमओ डा.जेम्स मिंज, सेंट जेवियर स्कूल के प्राचार्य फादर पंखरासियुस सहित अनेक लोग उपस्थित थे।


गुरुवार, 7 अगस्त 2014

प्यार के संदेश की पूरी सुरक्षा



   सात समंदर पार पहुंचेगी रेशम की डोर
  रमेश शर्मा /पत्थलगांव /
       बारिश के बाद भी बहनों व्दारा भेजा गया आत्मीय और पवित्र रिश्ते का संदेश को भाइयों के पास पूरी हिफाजत के साथ पहुंचाने के लिए इस वर्ष डाक विभाग ने राखियों के लिए विशेष लिफाफों का इंतजाम किया है। प्लास्टिक कोटेड होने के कारण डाक विभाग का राखी के लिए विशेष लिफाफा बरसात के दिनों में पानी से भीगने का कोई डर नहीं है।
   यहां के डाक घर में राखी के लिए पहंचे इन विशेष लिफाफे को बहनों व्दारा काफी पसंद किया जा रहा है। यहां की रजनी दुबे ने बताया कि वह प्रति वर्ष अपने भाई के पास आस्ट्रेलिया में राखी भेजती है। रजनी का कहना था कि वह इस बात का ध्यान रखती है कि उसका भेजा हुआ प्यार का संदेश भाई के हाथों में समय पर पहुंच जाए। इस बार यहां डाक विभाग के प्लास्टिक कोटेड लिफाफे से उसकी बरसात में पानी से बचाने की चिंता कम हो गई है। यहां डाक विभाग के सूत्रों के अनुसार राखी के अवसर पर कई बहनों व्दारा सरहद में तैनात अपने भाइयों के पास राखी भेजी जाती है। इसके अलावा चेन्नई, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा तथा राजस्थान के दूरस्थ क्षेत्र में यहां से राखियां पोस्ट की जाती हैं। ऐसे लोगों के लिए डाक विभाग के विशेष लिफाफे काफी कारगर साबित हो रहे हैं। यहां अम्बेडकर नगर में रहने वाले सारांश अग्रवाल का कहना था कि उसकी बहन प्रीति उसे प्रति वर्ष कनाडा से राखी भेजती है। उसे बहन की राखी का बेसब्री से इंतजार रहता है।
                 पवित्र रिश्‍ते की मध्यस्थता गर्व की बात
     यहां उप डाक पाल श्रीमती रजनी तिग्गा का कहना था कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि इस पवित्र रिश्ते की मध्यस्थता हमारा विभाग करता है। बहनों व्दारा भेजा गया प्यार का संदेश के लिफाफों को सुरक्षित व सतर्कता से भेजने के पूरे प्रयास किए जाते हैं। इसी कड़ी में यहां अत्याधुनिक व आकर्षक राखी के लिफाफे उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होने बताया कि राखी के विशेष लिफाफे की कीमत मात्र 7.50 रू. है। इन लिफाफों में बरसात के बावजूद आत्मीय और पवित्र रिश्ते का संदेश के साथ इसमें रेशम की डोर सुरक्षित पहुंच रही है।  

बुधवार, 6 अगस्त 2014

जीर्णोद्धार की बाट जोहता मुक्तिधाम


सीसी रोड़ का घटिया निर्माण के चलते
 सड़क पर भी उग गई घास
 संकल्प लेने वाले भूल जाते हैं वायदा

    अव्यवस्था से होती है परेशानी

 रमेश शर्मा /पत्थलगांव

         शहर में दानदाता और समाज सेवियों की लम्बी कतार के बाद भी यहां का मुक्तिधाम की बदहाली सुधारने की कोई पहल नहीं हो रही है। अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार के वक्त यहां पहुंच कर अक्सर मुक्तिधाम का कायाकल्प करने का संकल्प तो लिया जाता है, लेकिन इस परिसर से बाहर निकलते ही लोग अपने वादे को भुलकर व्यवसाय तथा अन्य गैर जरूरी कार्यो में उलझ जाते हैं।
               दो वर्ष पहले यहां अन्तरराष्ट्रीय समाज सेवी संस्था ने मुक्तिधाम का जीर्णोद्धार करने का बीड़ा उठाया था, लेकिन मुक्तिधाम में दरवाजा लगाने के बाद इस संस्था के पदाधिकारियों ने भी अपने हाथ खींच लिए हैं। शहर का मुक्तिधाम पर चोरों की नजर पड़ जाने के बाद यहां अंतिम संस्कार करने वाले लोहे के गटर काट कर गायब कर दिए गए हैं। बताया जाता है कि आस पास कबाड़ का व्यवसाय करने वाले यहां का लोहा ,दरवाजे तथा अन्य सामान खरीद लेने से मुक्तिधाम में अक्सर चोरो का डेरा लगा रहता है। यहां शव दाह स्थल से चोरों ने कई बार लोहे के मोटे गटर काट कर गायब कर देने से बरसात के दिनों में अंतिम संस्कार करने वालों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मुक्तिधाम परिसर में चारों ओर घांस और गंदगी का साम्राज्य बन जाने से यहां मृतक का अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी बेहद कठिन काम हो गया है। इस परिसर में पानी की खाली बोतल और अन्य कचरे का ढ़ेर से लोगों को दो घड़ी बैठ कर श्रध्दाजंलि देने के लिए भी जगह नहीं मिल पाती है।
यहां बने नवनिर्मित भवन के दरवाजे भी गायब
         नगर पंचायत ने इस परिसर में सीसी रोड़ बनवाने की पहल की थी लेकिन ठेकेदारी प्रथा का भ्रष्टाचार यहां भी अछूता नहीं रहा। सीसी रोड का निर्माण कार्य में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देने से इस सड़क पर बरसात के बाद जगह जगह घास उग गई है। सीसी रोड का बेहद घटिया कार्य को लेकर लोग अक्सर यहां चर्चा करने लग जाते हैं। लेकिन सीसी रोड़ का निर्माण में भ्रष्टाचार करने वाले ठेकेदार के प्रति लोगों का आक्रोश चाय के उबाल की तरह रहता है। यहां मुक्तिधाम परिसर में बनाई गई सीसी सड़क अब जर्जर हालत में जा पहुंची है। मुक्तिधाम परिसर में ही पोस्ट मार्टम भवन के दरवाजे और खिड़कियों को भी चोरो ने निकाल कर इस भवन को बदनुमा बना दिया है। इसका सुधार कराने के बजाए नगर पंचायत ने मुक्तिधाम परिसर में बगैर जरूरत के फिर से लाखों रूपयों की लागत से नया भवन निर्माण कार्य का ठेका दे दिया गया है। इस निर्माण कार्य की देख रेख नहीं होने से इस नए भवन की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग गया है।
    यहां पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों के सामने घास,कूड़ा से जीव जन्तु निकल कर सामने आ जाने से अक्सर जान के लाले पड़ जाते हैं। ऐसे वक्त यहां पर हर बार की तरह इस स्थल का कायाकल्प करने का संकल्प तो लेते हैं, लेकिन मुक्तिधाम से बाहर निकलते ही अपना वायदा को भूल जाते हैं।   
              मिलजुल कर दें जिम्मेदारी
   यहां के प्रमुख व्यवसायी श्रवण अग्रवाल का कहना है कि शहर में जनहित के कार्य कराने के लिए यहां दानदाताओं की कमी नहीं है। ऐसे कार्यो के लिए आपस में मिलजुल कर जिम्मेदारी बांटनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुक्तिधाम का कायाकल्प करने के लिए रोटरी क्लब के डिस्ट्रीक्ट गवर्नर सहित यहां दानदाता रामअवतार अग्रवाल, अनिल मित्तल, सुशील रामदास ने लाखों रू.उपलब्ध कराए हैं। उन्हांेने कहा कि समाजसेवियों में दृढ इच्छाशक्ति के अभाव के चलते मुक्तिधाम का जीर्णोद्धार आज भी अधूरा पड़ा है।                   
 मुक्तिधाम परिसर में चारों ओर उग गई घास       
रोटरी क्लब करेगा पुनः पहल
     रोटरी क्लब के पूर्व अध्यक्ष महेन्द्र अग्रवाल पेटू ने बताया कि संस्था की ओर से इस मुक्तिधाम का कायाकल्प करने का बीड़ा उठाया था लेकिन संस्था के अन्य पदाधिकारियों का सहयोग नही मिल पाने से उनका सपना अधूरा रह गया। यहां मुख्य द्वार लगाने के बाद इस परिसर में छायादार वृक्षारोपण, विद्युत व्यवस्था की योजना आज भी अधूरी पड़ी है। श्री अग्रवाल का कहना था कि यहां पर साफ सफाई का अभाव और प्रकाश व्यवस्था का अभाव के चलते बरसात के दिनों में मुष्किलें और बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि मुक्तिधाम का जीर्णोद्धार के लिए शहर के समाजसेवी व दानदाताओं की मदद से एक बार फिर जीर्णोद्धार का प्रयास किया जाएगा ताकि इस महत्वपूर्ण स्थल को बेहतर बनाया जा सके।

बुधवार, 23 जुलाई 2014

खेल खेल में पढ़ाने की पद्धति पर लगा ग्रहण

           एमजीएमएल शिक्षा पद्धति की
 सामग्री हुई अनुपयोगी
 कबाड़ में बदली शिक्षा सामग्री
 रेडियो से अंग्रेजी पढ़ाना भी बंद
  रमेश शर्मा/   पत्थलगांव/  
         प्राथमिक स्कूल के बच्चों को भारी भरकम बस्ते का बोझ से छुटकारा दिलाने के लिए शुरू की गई एमजीएमएल अर्थात खेल खेल में शिक्षा देने की पद्धति अब दम तोड़ती नजर आ रही है। सरकारी स्कूलों में इस पद्धति के तहत खरीदी गई लाखों रू.की सामग्री अब कचरे के ढ़ेर में बदलने लगी है। इसके पहले प्राथमिक स्कूलों में रेड़ियों के माध्यम से अंग्रेजी पढ़ाने की शुरूवात की गई थी। बगैर सोच विचार के नन्हे बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर बार बार प्रयोग करने से बच्चों पर विपरित असर पड़ रहा है।
      साल भर पहले तक सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों को खेल खेल में पढ़ाई का काम शुरू किया गया था। शिक्षक शिक्षिकाओं व्दारा स्कूली बच्चों को महापुरूष व पशु पक्षी के चित्र तथा गिनती के साथ शिक्षाप्रद बातें सिखाई जाती थी। सरकारी स्कूलों में खेल खेल की पद्धति को सफल बनाने के लिए शासन ने भारी भरकम राशि खर्च की थी। स्कूल के बच्चों को खेल खिलौने की इस सामग्री को व्यवस्थित ढंग से सहेज कर रखने के लिए मंहगी प्लास्टिक की ट्रे के अलावा लकड़ी का फर्नीचर भी उपलब्ध कराया गया था। इस शिक्षा पद्धति के माध्यम से छोटे बच्चों को बेहतर तरीके से समझा कर ज्ञानवर्धन कराने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के नाम पर लाखों रूपयों का खर्च भी किया गया था। लेकिन विडंबना यह है कि अब खेल खेल में पढ़ाने वाली समूची सामग्री  को कमरों में बंद कर वहंा ताला जड़ दिया गया है। इस शिक्षा सामग्री को छोटे बच्चे याद तो करते हैं लेकिन शिक्षक इस पद्धति को अधिकारियों का तुगलकी फरमान बता कर चुप्पी साध लेते हैं।
                  अंग्रेजी शिक्षा के रेडियो भी बेकार
          एमजीएमएल शिक्षा पद्धति की
 सामग्री हुई अनुपयोगी
     शिक्षकों का कहना है कि इसके पहले भी स्कूल में छोटे बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा देने के लिए दोपहर रेडियो के माध्यम से पढ़ाने की व्यवस्था कराई गई थी। सभी स्कूलों में खरीदे गए रेडियो अब कचरे के ढेर में पड़े हैं। शिक्षकों का कहना है छोटे बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर बार बार प्रयोग करने से उन पर विपरित असर पड़ रहा है।
    प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए लागू की गई एमजीएमएल पद्धति को स्कूल के कमरे में बंद कर देने के बाद अब फिर से बच्चों को बस्ता लेकर स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। खेल खेल में पढ़ाई के लिए खरीदी गई सामग्री पर धूल की मोटी परत जम चुकी है। ज्यादातर स्कूलों में एमजीएमएल पद्धति की पढ़ाई के लिए आकर्षक साज सज्जा के साथ पेंटिग के नाम पर भी भारी भरकम खर्च किया गया था। इन सब सामग्रियों का अब पढ़ाई में उपयोग नहीं हो पाने से स्कूल के शिक्षकों ने उन कमरों पर ताला जड़ रखा है।
       एमजीएमएल पद्धति से छोटे बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना था कि यह पद्धति जल्द बाजी में तैयार की गई थी। इस पद्धति से बच्चों को पढ़ाने पर उनका मानसिक विकास सही तरिके से नहीं हो पा रहा था। खेल खेल में बताई गई शिक्षा की बातों को बच्चे अगले ही क्षण भूल कर दूसरे सवाल करने लगते थे। खेल खेल की पद्धति में शिक्षकों को अधिक मेहनत करने की वजह से शिक्षकों ने बगैर किसी आदेश के इस शिक्षा व्यवस्था को कमरों में बंद करना शुरू कर दिया था। 
            खेल खेल के बजाए सतत व व्यापक मूल्यांकन
     ब्लॅाक शिक्षा अधिकारी बरसाय पैंकरा ने बताया कि छोटे बच्चों की शिक्षा के लिए अब सतत एवं व्यापक मूल्याकंन पद्धति शुरू की गई है। इसमें बच्चों की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रख कर उसे फार्म में दर्ज करना है। श्री पैंकरा का कहना था कि स्कूलों में रेडियो के माध्यम से अंग्रेजी की पढ़ाई और खेल खेल में पढ़ाई का काम बंद हर दिया गया है।इसके बदले अब स्कूली बच्चों का सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की नई शिक्षा पद्धति पर बेहतर क्रियान्वयन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।