देखरेख का अभाव में बन गए थे नशाखोर
पत्थलगांव/ रमेश शर्मा
पूरे दिन शहर घमाचौकड़ी करके जीवन यापन करने वाले
घुमन्तू बच्चों को षिक्षा का ज्ञान देकर उन्हें नई दिषा देने का प्रयास किया जा रहा
है। राजीवगांधी षिक्षा मिशन व्दारा की गई पहल इन बच्चों को भी रास आने लगी है। इससे
पहले बस स्टैण्ड पर भीख मांग कर तथा छोटी मोटी चोरयॉं कर ये बच्चे कई तरह के नशे के
आदी हो गए थे। ये अनाथ बच्चे पानी की बोतल उठाने और बेचने के बहाने बस स्टैण्ड में
यात्रियों की भीड़ भाड़ में शामिल हो जाते थे। इस दौरान मौके का फायदा उठा कर पॉकेटमारी
और चोरी जैसे अन्य अपराधों को अंजाम देते थे। इनमें से कुछ बच्चों की कम उम्र होने
के बाद भी ये लोशन, आयोडेक्स का नषा करने के आदी हो गए थे। रूमाल अथवा प्लास्टिक
की पन्नी का उपयोग कर ये बच्चे पंचर बनाने का लोशन को सूंघ कर प्रसन्न रहते थे। बस
स्टैण्ड, विश्राम गृह का पार्क अथवा अन्य सूनसान जगह पर विभिन्न
तरह का नषा करते हुए इन बच्चों को सभी देख कर गुजर जाते थे। लेकिन इन बच्चों को सुधारने
के लिए कहीं से भी पहल नहीं हो पाई थी।
बच्चों की मदद के लिए बढ़ाया था हाथ
पिछले दिनो यहॉं पर अग्रसेन भवन में आयोजित एक
रंगारंग कार्यक्रम में इन घुमन्तू बच्चों के लिए शहर के युवाओं की टीम ने मदद करने
के लिए हाथ बढ़ाया था। अन्तरराष्ट्रीय समाज सेवी संस्था के सदस्यों ने अपना सालाना जलसा
के कार्यक्रम में इस तरह के बच्चों की खातिर जल्द ही कुछ कर गुजरने की जोर शोर से घोषणा
भी की थी। इस कार्यक्रम में विधायक रामपुकार सिंह के अलावा अनेक गणमान्य नागरिक भी
उपस्थित थे। लेकिन समाजसेवी युवाओं व्दारा की गई इस घोषणा पर आज तक क्रियान्वयन नहीं
हो पाया है।
राजीव गांधी षिक्षा मिशन के खंड स्रोत समन्वयक श्याम लाल साहु ने ऐसे बच्चों को देखने के बाद इन्हे षिक्षा की डगर पर चलाने का प्रयास
किया है। प्रारम्भ में यह काम थोड़ा कठिन होने के बाद भी इन घुमन्तू बच्चों के लिए प्रयास
जारी रहने से अब इन बच्चों को भी पढ़ाई रास आने लगी है। फलस्वरूप अब घुमन्तू कहलाने
वाले बच्चों ने पुस्तकें उठाकर पढ़ने लिखने पर ध्यान देना शुरू किया है। श्री साहू का
कहना है कि घुमंतू बच्चों में एकाएक बदलाव
लाना सम्भव नहीं है। इन बच्चों के अनुरूप षिक्षा का वातावरण बना कर समझाया जाए तो थोड़ी
सफलता अवष्य मिलती है। श्री साहू ने बताया कि घर में रह कर पढ़ाई लिखाई के काम में सजग
रहने वाले बच्चों के पास ले जाकर उनकी दिनचर्या दिखाने पर घुमन्तू बच्चे भी शिक्षा
के प्रति प्रभावित हो जाते हैं।उन्होने बताया कि यहॉं चिन्हित किए गए घुमन्तू बच्चों
को भी साथ में रख कर पहले घुमाया फिराया गया। उनकी बुरी आदतों के परिणाम के बारे में
भी समझाइश दी गई।इस प्रयास के बाद घुमंतूबच्चों को साथ रख कर उन्हे घरों में रह कर
सतत पढ़ाई में ध्यान देने वाले अन्य बच्चों से मुलाकात कराई गई थी। घरों में रह कर पढ़ने
वाले अन्य बच्चों को देख कर घुमंतू बच्चों ने भी अब पुस्तकें उठा ली है। उन्होने बताया
कि यहंा विश्राम गृह के पीछे, दर्रापारा और चट्टान पारा में रहने
वाले कई बच्चों को इस योजना का लाभ मिलने लगा है। श्री साहू ने बताया कि राजीवगांधी
षिक्षा मिशन व्दारा वैकल्पिक एवं नवाचारी शिक्षा योजना के तहत पत्थलगांव विकास खंड अन्तर्गत कोतबा
और पतराटोली में ऐसे ही दो केन्द्रांे का संचालन किया जा रहा है। इन केन्द्रों में
घुमन्तू व कमजोर वर्ग के लगभग 100 बच्चों को रख कर उन्हे विकास की
मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें