जिद करो और
दुनिया बदलो का जुनून
पत्थलगांव/ रमेश शर्मा
कहा जाता है कि अपने दुख को भुलकर जो दूसरों के दुख में शामिल
होते हैं, वे सचमुच ईश्वर के प्रतिनिधि होते हैं।
स्वयं तो पोलियो से ग्रस्त हैं, उस पर विकलांग, फिर भी दूसरे विकलांगों की सेवा कर वे सचमुच ईश्वर के करीब हो रहे हैं। पर
दुख को अपना बनाना बहुत मुश्किल होता है, पर इसे कर दिखाया है
अंजलुस मिंज, अघन साय और श्रीमती ज्योति मिंज ने।
पोलियो की भयावह बीमारी के बाद भी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और मजबूत
हौसले की बदौलत यहॉं एक महिला सहित 3 लोगो की टीम हर समय दूसरे मरीजों के चेहरों पर
मुस्कान बिखेरने का प्रयास करती रहती है। यहॉं विकलांग सेवा केन्द्र में कार्यरत इस
टीम के तीनो सदस्य बचपन से ही पोलियो की बीमारी से पीड़ित थे। ग्रामीण परिवेश में रह
कर भी इन तीनों में जिद करो और दुनिया बदलो का जुनुन था । फलस्वरूप इन्होने अब पोलियो
जैसी भयावह बीमारी को बौना बना कर दूसरे लाचार और विकलांगों की मदद के काम में अपनी
अहम भूमिका बना ली है।
इस अचंल की प्रमुख
समाज सेवी संस्था अम्बिकापुर रायगढ़ हेल्थ एसोसिएशन व्दारा संचालित विकलांग केन्द्र
में प्रातः से ही पोलियो, लकवा तथा हडडी
की तकलीफ से पीड़ित मरीजों की कतार लग जाती है। ऐसे मरीजों को व्यायाम,एक्यूप्रेशर तथा गरम सिंकाई कर के उनकी पीड़ा को दूर किया जाता है। कई मरीजों
को यहॉं एक पखवाड़ा अथवा सप्ताह भर नियमित पहुंचना पड़ता है। इसके बाद इन मरीजों के चेहरों
पर दर्द के बजाए मुस्कराहट झलकती है।
पोलियो से पीड़ित तीन लोगो की टीम राहा निदेशक के साथ |
पत्थलगांव स्थित विकलांग
सेवा केन्द्र में एक महिला सहित तीन विकलांगों की टीम हर समय रोगियों की सेवा के काम
में व्यस्त रहते हैं। यहॉं पर बाएं पैर में बचपन से पोलियों की पीड़ा झेलने वाला अंजलुस
मिंज व्दारा यहॉं विकलांग लोगों के लिए कृत्रिम पैर व हाथ तैयार करने का काम काफी खूबसूरती
से किया जाता है। इसी तरह अघन साय एक्का भी पोलियो से पीड़ित होकर भी अब पोलियो के मरीजों
को बेहतर सेवा उपलब्ध करा रहा है। अघन साय का कहना है कि पहले वह स्वयं लाचार था ।
पर अब यहॉं पोलियो व लकवा ब्याधि से पीड़ितों का सफल उपचार कर उनके साथ खुशियॉं बांट
रहा है। विकलांग सेवा केन्द्र में ही कार्यरत श्रीमती ज्योति मिंज भी पोलियों की बीमारी
से पीड़ित थी । लेकिन इस महिला ने बैंगलुरू में
एक्युप्रेसर का प्रषिक्षण लेकर यहॉं
हडडी का दर्द तथा अन्य परेशानियों का सामना करने वाले मरीजों का उपचार करना शुरू कर
दिया है। विकलांग सेवा केन्द्र में मरीजों के लिए कृत्रिम हाथ,पैर तैयार करने के काम में
अंजलूस मिंज ने बताया कि विकलांग व्यक्तियों के लिए कृत्रिम
हाथ व पैर तैयार करने का उसने जयपुर और बैंगलुरू में प्रषिक्षण प्राप्त किया था। इसके
बाद वह पिछले एक दशक से विकलांगों की ही सेवा
के काम में व्यस्त है। इस केन्द्र में आने वाले मरीजों के चेहरों पर खुशियॉं देख कर
उन्हे भी सुकून मिलता है।
राहा की निदेशक
सिस्टर एलिजाबेथ ने बताया कि इस विकलंाग केन्द्र में दूरदराज के ग्रामीण अचंल से आनेवाले मरीजों को निषुल्क आवास व भोजन की सुविधा
भी मुहैया कराई जाती है। यहॉं गरीब तकबा के लोगों को यहॉं महंगी दवाओं के बजाए व्यायाम
व एक्युप्रेशर के माध्यम से राहत देने का प्रयास किया जाता है। उन्होने कहा कि पीड़ित
के चहरे पर जब खुषी ढलकती है तो उन्हे भी अपने काम पर सन्तुष्टि होती है।
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