अस्पताल में नेत्र रोगियों की कतार |
सिविल अस्पताल में विशेषज्ञ सहित सभी सुविधाएँ उपलब्ध
आंख के मरीजों को काम नहीं आ रही समाजसेवियों की मदद
मोतियाबिंद के मरीजों को अंधेपन का खतरा बढ़ा
रमेश
शर्मा /पत्थलगांव/
यहाँ
मोतियाबिंद के मरीजों को समय पर आपरेशन की सुविधा नहीं मिल पाने से उनके लिए अंधेपन
का खतरा बढ़ने लगा है। एक साल पहले पत्थलगांव विकासखंड में स्वास्थ्य विभाग व्दारा कराया
गया सर्वे में गरीब तबके से ताल्लुक रखने वाले 573 मरीज मोतियाबिंद के रोग से पीड़ित पाए गए थे।
इन मरीजों को अभी तक स्वास्थ्य विभाग से आपरेशन कराने की सुविधा नहीं मिल पाई है। इससे
मोतियाबिंद के मरीजों के सामने रोशनी गंवांने की समस्या मंडाराने लगी है।
बताया जाता है कि यहाँ पर ज्यादातर मरीज राजधानी रायपुर अथवा अन्य निजी चिकित्सालयों
में जाकर मोतियाबिंद का इलाज कराने की स्थिति में नहीं हैं। गरीब तबके के इन मरीजों
को सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में आयोजित होने वाले मोतियाबिंद शिविर का बेकरारी से
इंतजार रहता था। पर अब ऐसे शिविर लगने बंद हो जाने से यहाँ के मरीजों की मुश्किलें
बढ़ गई हैं।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में वर्ष 2011 एवं 2012 में मोतियाबिंद के मरीजों का आपरेशन के दौरान
अनेक मरीजों की आंखों की रोशनी चले जाने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने मोतियाबिंद आपरेशन
का काम से हाथ खींच लिए हैं।मोतियाबिंद के मरीजों की सहायता के लिए स्वयं सेवी संस्था
व्दारा भी की जा रही पहल को भी स्वास्थ्य विभाग अनदेखा कर रहा है।
प्रदेश का सबसे बड़ा मोतियाबिंद आपरेशन
पत्थलगांव सिविल अस्पताल में सितंबर 2012 में आयोजित एक शिविर में मोतियाबिंद के 1153 आपरेशन का सर्वोच्च
कीर्तिमान स्थापित किया गया था। इस बृहद शिविर के बाद मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने कलेक्टर
सहित स्वास्थ्य अमले को बधाई दी थी। इसके बाद अब यहाँ इक्का दुक्का मरीजों का भी मोतियाबिंद
आपरेशन नहीं हो पा रहा है।
पत्थलगांव सिविल अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ सहित अन्य सभी सुविधाऐं उपलब्ध
हैं। यहाँ शल्य चिकित्सा के महँगे उपकरण के अलावा सर्वसुविधायुक्त आपरेशन कक्ष भी उपलब्ध
है। लेकिन पिछले वर्षो में मोतियाबिंद के आपरेशन में कई मरीजों की रोशनी चले जाने से
अब यहाँ तरह तरह के बहाने करके मोतियाबिंद का आपरेशन करने में अपने हाथ खींच रहे हैं।
सिविल अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि बीते वर्ष यहाँ एक भी मोतियाबिंद आपरेशन का
कैम्प आयोजित नहीं हो पाया। ऐसा नहीं है कि यहाँ मोतियाबिंद के मरीज नहीं है। पत्थलगांव
सिविल अस्पताल के बीएमओ डा.जेम्स मिंज का कहना है कि एक साल पहले इस अंचल में स्वास्थ्य
विभाग व्दारा कराया गया सर्वे में 573 मरीजों के नाम पते दर्ज किए गए हैं। इनमें
से कई ऐसे भी मरीज हैं जिनको समय पर मोतियाबिंद का आपरेशन की सुविधा नहीं मिलने से
उनकी आंखों की रोशनी समाप्त हो सकती है। समाजसेवी संस्था ने बढ़ाए थे मदद के हाथ
पत्थलगांव क्षेत्र में मोतियाबिंद मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए बीते
वर्ष यहाँ की समाजसेवी संस्था ग्रामीण विकास परिषद और रोटरी क्लब ने पत्थलगांव सिविल
अस्पताल में मोतियाबिंद आपरेशन का बृहद कैम्प आयोजित करने की लिखित पेशकश की थी। लेकिन
स्वास्थ्य अमला ने दोनो ही बार अलग अलग बहाने करके अपनी असमर्थता जाहिर कर दी थी।
बढ़ सकता है अंधेपन का खतरा
बढ़ सकता है अंधेपन का खतरा
प्रमुख समाजसेवी एवं नेत्र विशेषज्ञ डा.परिवेश मिश्रा का कहना है कि केन्द्र
सरकार के दिशा निर्देश के मुताबिक प्रति हजार में 4 व्यक्तियों को मोतियाबिंद होता है। इसके अनुसार
राज्य में 1 लाख 20 हजार से अधिक आपरेशन
सालाना होने चाहिए। ऐसे में लक्ष्य का यदि पांच प्रतिशत ही आपरेशन होंगे तो मरीजों
के लिए अंधेपन का खतरा बढ़ना स्वाभाविक बात है।
मोतियाबिंद का केवल 5 फीसदी लक्ष्य
दरअसल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी प्रदेश के कवर्धा में सितंबर 2011, बालोद सितंबर 2011, दुर्ग 2012,बागबाहरा 2012 का नेत्र कांड घटनाओं
के डर से इस काम में हाथ डालने का साहस नहीं कर पा रहे हैं। जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा
अधिकारी डॉ.बीबीएस बोर्डे ने बताया कि प्रदेश में मोतियाबिंद के आपरेशन शिविरों में
कई मरीजों की आखों की रोशनी चले जाने के बाद से काफी सावधानियां बरती जा रही हैं। उन्होंने
बताया कि बीते वर्ष जिले में मोतियाबिंद के मरीजों का आपरेशन करने का लक्ष्य 3000 रखा गया था लेकिन पूरे
जिले में एक साल के दौरान केवल पांच प्रतिशत अर्थात 116 मोतियाबिंद के आपरेशन
हो पाए हैं।
डॉ.बोर्डे ने बताया कि नेत्र शल्य चिकित्सा के दिशा निर्देश के अनुसार कोई भी
विशेषज्ञ चिकित्सक एक दिन में 20 नेत्र मरीजों का ही आपरेशन कर सकेगा। इसके लिए मरीज को तीन
दिन तक अनिवार्य रूप से अस्पताल में भर्ती रख कर उसकी समुचित देखरेख की जानी है। उन्हो1ने कहा कि जिले में केवल
दो नेत्र विशेषज्ञ होने से भी यह काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। डॉ.बोर्डे का कहना
था कि मोतियाबिंद के मरीजों को राहत देने के लिए जल्द ही ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
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