डॉक्टरों के अनुसार
सही समय पर
इलाज से हो सकती है रोकथाम
पत्थलगांव/ रमेश शर्मा
शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण
की वजह से स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर दिखाई दे रहा है। इन दिनो प्रदूषण से बचने
के उपाय नहीं करने से सबसे अधिक श्वास संबंधी विकार लोगों में दिखाई दे रहा है। इसी
वजह अस्थमा के मरीज भी बढ़ रहे है। इसके लिए थोड़ी सावधानी और सही समय पर इलाज कराने
से अस्थमा की रोकथाम हो सकती है। मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर यहाँ सिविल
अस्पताल में जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस गोष्ठि के आयोजक डा.बसंत सिंह ने बताया कि
चिकित्सा जगत के डाक्टरों के अनुसार मई महिने के पहले मंगलवार को अस्थमा दिवस के रूप
में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य जीवन के लिए हमें थोड़ी सावधानी बरत कर
इस तरह की बीमारियों से सजग रहने की जरूरत है। डॉ. सिंह ने कहा कि शहर में तेजी से
विकास तो हो रहा है, लेकिन मुख्य सड़क और गांव की गलियों में धूल पसरी पड़ी है, यही वजह ज्यादातर लोग धूल की चपेट
में आकर बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं। उन्होने कहा कि इन दिनो लगातार अस्थाम से
पीडित मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसकी रोकथाम के लिए सभी को सावधानी बरतनी होगी।
आयुर्वेद चिकित्सक श्रीमती सुरेखा भगत का कहना
था कि अस्थमा एक प्रकार की बीमारी है जिसमें श्वास नलियों का संकुचन हो जाता है। उनमे
सूजन आ जाती है। इससे मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है। धूल से बचाव के उपाय
नहीं करने की वजह से ही इन दिनों ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह बात सामने
आई है कि अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले मरीजों में 10 प्रतिशत मरीज अस्थमा होते है। डा.सुरेखा भगत का कहना था कि यह रोग लाइलाज नहीं
है। इसका समय पर उचित उपचार व आवश्यक सावधानियों बरतने से इस रोग से बचा जा सकता है।तमता
स्वास्थ्य केन्द्र के डॉ. हरिशंकर यादव का कहना था कि लोगों में धूम्रपान की लत और
तरह तरह के प्रदूषण इस बीमारी के पनपने का कारण बन रहे हैं।लोगों को सावधान रहते हुए
अस्थमा के प्रकोप से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्वांस संबंधी परेशानी होने पर डाक्टरों
से सलाह लें और नियमित उपचार कराऐं।
इस संगोष्ठी में सुखरापारा के एनएमए अकलूराम
का कहना था कि दिनचर्या में आया बदलाव भी लोगों को बीमारी परोसने लगा है। इस बदलाव
के चलते ही युवा भी अस्थमा बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि अस्थमा
बीमारी की प्रमुख जड़ प्रदूषण है। दिनो दिन बढ़ती धूल व धुएँ के चलते लोग अस्थमा का शिकार
बनते जा रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि लोगों को हरियाली बढ़ाने में अपना योगदान देना चाहिए।
इसके अलावा धूम्रपान की बढ़ती प्रवृत्ति धूल के उठते गुबार, कारखानों से निकलने वाले धुएँ से बचने की दिशा में ठोस उपाय करने चाहिए।
क्या है अस्थमा
डा. पी. सुथार का कहना था कि श्वांस नली
या इससे संबंधित हिस्सों में सूजन के कारण फेफड़ों में हवा जाने वाले रास्ते में रूकावट
आती है। इससे सांस लेने में काफी परेशानी होती है। शरीर की जरूरतों को पूरा करने के
लिए हवा का फेफड़ों के अन्दर बाहर आना जाना जरूरी है। इस प्रक्रिया में रूकावट आना ही
अस्थमा रोग के लक्षण हैं। डॉ. सुथार ने बताया कि अस्थमा की शुरूवात वायरल इंफेक्शन
से होती है। यदि बार बार सर्दी, बुखार की शिकायत हो तो यह एलर्जी का संकेत है। सही समय पर इलाज करवा कर और संतुलित
जीवन शैली से एलर्जी से बचा जा सकता है। समय पर इलाज नहीं कराने से ही एलर्जी ही अस्थमा
का रूप ले लेती है।
अस्थमा दिवस पर आयोजित इस गोष्ठि में वरिष्ठ
पत्रकार राजेश अग्रवाल, वेदप्रकाश मिश्रा शक्तिनाथ मिश्रा पैथोलॅाजी के जानकार कमलेश गुप्ता,जयप्रकाश गुप्ता,दिनानाथ पटेल कु पुनम कुजूर कु अनुगामी तथा पूरक पोषण केन्द्र में उपस्थित सैकड़ो लोग उपस्थित थे।
अस्थमा के यह है
कारण:-
1 अानुवांशिक कारणों से भी होता है अस्थमा।
बाहरी वातावरण में धूल व प्रदूषण के संपर्क में आने से।
आद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले भी हो सकते है पीड़ित।
मौसम परिवर्तन होने पर या अधिक ठंड या गर्मी से भी हो सकता है अस्थमा।
यह है बचाव के उपाय:-
बाहरी वातावरण में धूल से बचाव करना चाहिए।
खानपान में भी अधिक ठंडी या खट्टी वस्तुओं से परहेज करना चाहिए।
एसी में रहने के बाद बहुत गर्मी में निकलने से बचना चाहिए।
अस्थमा दिवस पर आयोजित
इस गोष्ठी को काफी लाभप्रद कार्यक् बताया । यह एक श्वास संबंधित रोग है, यह लाइलाज बीमारी नहीं है। आवश्यक
उपचार से इसका इलाज किया जा सकता है। इस रोग की रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरी है। उन्होंने
कहा कि लोगों को सबसे पहले लोगों को सजग रहने की जरूरत है। घरलू कचरे को को बाहर रख
कर जलाने के बजाए नगर निकाय से सहयोग लेकर इसे दूर नष्ट करें।
डॉ0 परिवेश मिश्रा अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अधिकार पत्थलगॉंव
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