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बुधवार, 30 अप्रैल 2014

ड्रिप सिंचाई ने बदली खेतों की तस्वीर

 पानी बर्बादी की बचत के साथ 
                  किसानों की मुश्किलें कम
    रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
       सिंचाई के लिए पानी की लगातार हो रही कमी को देखते हुए यहाँ के किसानों को उद्यान विभाग की ड्रिप पद्धति की सिंचाई योजना काफी रास आ रही है।ड्रिप सिंचाई के साथ किसान इस योजना से अपनी फसल में कीट प्रकोप तथा पौधों में जलन रोग का उपचार करने के लिए दवा और खाद देने का भी उपयोग कर रहे हैं। इससे किसानों को मजदूरों की किल्लत से छुटकारा मिल गया है।
    पत्थलगांव के समीप ग्राम गाला के आधा दर्जन किसानों ने इस योजना को अपनाने के बाद आस पास के अन्य किसानों ने भी अपने खेतों को ड्रिप सिंचाई योजना के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि ड्रिप पद्धति की इस सिंचाई योजना को अपनाने से उन्हे खेती के काम में मजदूरों की किल्लत से बचने के साथ कम पानी में अधिक फसल का लाभ मिलने लगा है। ग्राम गाला में अभिमन्यु आत्मज रामचन्द्र नामक किसान ने अपनी आधा एकड़ भूमि पर साग सब्जी की उपज के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति की शुरूवात की थी। इस किसान ने अपने खेतों में बैंगन, मिर्ची तथा अन्य साग सब्जी की उपज लेकर अच्छा खासा मुनाफा अर्जित किया है। इसी गांव में किर्तन ,विनोद कुमार और पाण्डव नामक किसानों ने भी ड्रिप पद्धति की सिचाई योजना अपना कर अपने खेतों में हरियाली फैला दी है। यहाँ के किसानों ने बताया कि खेतों में लगाई गई उपज के लिए ड्रिप पद्धति सिंचाई योजना अपनाने के बाद पौधों को उनकी जरूरत के मुताबिक पानी,दवा और खाद मिल जाती है। इससे उनकी उपज में दो गुना वृध्दि हुई है। यहाँ के किसानों का कहना है कि साग सब्जी की स्थानीय बाजार में अधिक मांग होने से उनकी फसल हाथों हाथ बिक रही है। इन किसानों ने बताया कि उन्हे करमीटिकरा स्थित उद्यान विभाग में आयोजित किसान प्रशिक्षण शिविर में ड्रिप पद्धति से खेतों में फसल लेने की जानकारी मिली थी। बाद में उद्यान विभाग के अधिकारी से सम्पर्क करने पर उन्हंे इस योजना में शासकीय अनुदान का भी लाभ दिलाया गया है। 
ग्राम गाला के अभिमन्यु ने बताया कि लगभग 43 हजार रूपयों की इस योजना के लिए उसे 75 प्रतिशत राशि का अनुदान प्राप्त हुआ है। गाला, डूडुंगजोर , सारसमार, पगंशुवा खेत्र के किसान साग सब्जी की फसल से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। यहाँ के किसानों ने अपनी छोटी बाड़ी में विभिन्न साग सब्जी की कड़े पैमाने में उपज ली जाती है। यहाँ के कुछ किसानों ने अपनी खाली पड़ी भूमि को सवांर कर वहाँ केला और गन्ना की भी उपज ली जा रही है। इन दिनों सिंचाई पानी की लगातार कमी के चलते यहाँ के किसानों को अपना खेती का व्यवसाय में दिक्कतों का सामना होने लगा था। लेकिन उद्याान विभाग की ड्रिप पद्धति की सिंचाई यअनुदान ने कई किसानों की तकदीर बदल दी है।
 ग्राम गाला में ड्रिप पद्धति सिंचाई योजना से फसल लेने की तैयारी  
   पत्थलगांव में पुरानी बस्ती के किसान बाबा महाराज ने भी इस वर्ष उद्यान विभाग की लाभप्रद योजना के लिए आवेदन दिया था। बाबा महाराज ने बताया कि उन्होने अपनी तीन एकड़ भूमि में ड्रिप सिंचाई पद्धति के लिए तैयारी की है। इस किसान का कहना था कि इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पानी की बर्बादी नहीं होती है। खेतों में सिंचाई का पानी में यूरिया खाद एवं अन्य उपचार की दवा डालने के बाद प्रत्येक पौधे तक जीवन रक्षक सामग्री पहुंच जाती है। इस किसान के खेतों में ड्रिप सिंचाई के लिए तकनीकी जानकारों ने पाईप लगा कर सिंचाई करने की विधि से अवगत कराया है। बाबा महाराज ने बताया कि मौजूदा समय में भू जल स्तर की निरंतर हो रही कमी को देखते हुए ज्यादातर किसानों को ड्रिप पद्धति की सिंचाई योजना को अपनाने की जरूरत है।            
                                                               फसल का उत्पादन दोगुना
    उद्यान अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया ने बताया कि ड्रिप सिंचाई योजना के तहत पांच एकड़ से कम भूमि वाले किसान को 75 प्रतिशत अनुदान तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर ड्रिप सिंचाई योजना का लाभ उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि खेतों में पौधों को ड्रिप योजना के तहत पानी के साथ खाद तथा विभिन्न रोग का उपचार के लिए दवा भी मिल जाने से फसल को अच्छा लाभ मिल जाता है। यहाँ के किसानों को साग सब्जी की नगद फसल का उत्पादन में दो गुना वृध्दि होने से इस योजना के प्रति अन्य किसानों का भी रूझान बढ़ा है।श्री भदौरिया ने बताया कि ड्रिप सिंचाई योजना से इस अचंल में फूलों की खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है।


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