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शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

देखा, धोती वाले बाबा का प्रेम: जूदेव

पत्थलगाँव/ रमेश शर्मा 
भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव भले ही आज हम सबसे दूर हो गए हों, पर सच तो यह है कि वे आज भी अपनी सादगी को लेकर यहाँ के आदिवासियों के बीच भगवान की तरह पूजे जाते हैं। अंचल में ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे, जिसके पास उनकी यादों का जखीरा है। वे उन्हें याद करते नहीं थकते। मिलनसार व्यक्तित्व के धनी जूदेव ने क्षेत्र के विकास के लिए बहुत कुछ किया है। उनकी विकास गाथाएँ भी लोगों की मुंहजबानी है। उनके समर्थक आज भी उनकी पुरानी बातों को नहीं भुला पा रहे हैं। संचार सुविधा से अलग थलग जषपुर जिले में बीएसएनएल की मोबाइल सेवा लाने का श्रेय श्री जूदेव को ही जाता है।
    जिले में बीएसएनएल की मोबाइल सेवा प्रारम्भ होने के बाद तत्कालीन केन्द्रीय राज्य मंत्री दिलीप सिंह जूदेव ने देष के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को अपने नए मोबाइल से फोन से बधाई दी थी।दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय ने श्री जूदेव को बताया था कि अभी प्रधानमंत्री आवश्यक बैठक में व्यस्त हैं। कुछ देर बाद उन्हे आपका संदेष दे दिया जाएगा। 
      जषपुर के वन विश्राम गृह में इस संवाददाता सहित अपने खास मित्रो के साथ बैठ कर श्री जूदेव प्रधानमंत्री कार्यालय में फोन आने की प्रतिक्षा करने लगे थे। उन्होने बताया था कि जब बाजपेयी जी को मेरा सन्देष मिलेगा, तो उनका फोन जरूर आएगा। लगभग आधा घंटा इंतजार करने के बाद अचानक श्री जूदेव का मोबाइल की घंटी बजी। हलो कहते हीे उधर से आवाज आई कि सर , मैं प्रधानमंत्री के कार्यालय से बोल रहा हूं। आपसे माननीय प्रधानमंत्री जी बात करेंगे। इस फोन को सुनते ही श्री जूदेव ने मेरी तरफ मुस्कराते हुए कहा कि देखा धोती वाले बाबा का प्रेम।
     इसके बाद श्री जूदेव ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से बातें शुरू कर दी। उन्होने कहा कि सर मैं आपका जंगल और पर्यावरण की रक्षा करने वाला मंत्री दिलीप सिंह जूदेव बोल रहा हूं। आपके आशीर्वाद से मेरे आदिवासी बहुल जिले में भी बीएसएनएल की मोबाइल सेवा शुरू हो गई है। उन्होने जिले के सभी लोगों की तरफ से प्रधानमंत्री को पुनः बधाई देते हुए इसी तरह विकास का क्रम जारी रखने का आग्रह किया था। श्री जूदेव की इस बैठक में छत्तीसगढ़ के पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष कृष्ण कुमार राय, भाजपा नेता नरेष नन्दे, परमजीत सिंह बासु तथा विनोद जैन भी वहाँ उपस्थित थे। श्री जूदेव ने ही विनोद जैन को बीएसएनएल का आकर्षक नम्बर 9425252525 दिलाया था।

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अब जशपुर अंचल के लिए कौन आगे आएगा
पत्थलगाँव/          रमेश शर्मा
        भाजपा के स्टार प्रचारक एवं हिंदूवादी नेता दिलीप सिंह जूदेव का निधन के बाद हर कोई जूदेव से जुड़ी हुई बातों को याद कर उनका स्मरण कर रहा है।  पत्थलगांव में जूदेव के समर्थकों की सूची में केवल भाजपा के ही लोग नहीं हैं, बल्कि अन्य विचारधारा के लोग भी उनके कार्यो के प्रषंसक रहे हैं। ऐसे लोगों को अब जषपुर जिले की हरियाली और कानून व्यवस्था को लेकर चिंता सताने लगी है। यहाँ के उद्योगपति सत्यप्रकाष अग्रवाल का कहना था कि दिलीप सिंह जूदेव केवल चुनाव के समय राजनैतिक बातें किया करते थे। इसके विपरित अन्य समय वे हर किसी से पारिवारिक सरोकार बना लेते थे। श्री अग्रवाल का कहना था कि जूदेव के चलते जषपुर जिले की हरियाली कायम रहने के साथ यहाँ शांति व्यवस्था भी बरकरार है। छŸाीसगढ़ का सरहदी जिला होने के बाद भी यहाँ के व्यवसायियों को पड़ोसी राज्य के बदमाषों का भय नहीं रहता था। श्री अग्रवाल ने कहा कि दिलीप सिंह जूदेव ने जषपुर जिले में हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य को कायम रखने के लिए उद्योग धन्धो को दूर रखने का बेहद सराहनीय काम किया है।
       यहाँ के व्यवसायी धनवंत सिंह भाटिया का कहना था कि स्व.जूदेव राजनेता से अधिक अपने परोपकारी और धार्मिक व्यक्तित्व को लेकर लोकप्रिय थे। हिन्दू कट्टरवादी नेता होने के बाद भी उन्होने दूसरे धर्म के लोगों से कभी भी दूरी नहीं बनाई। इस नेता के पास फरियाद लेकर जाने वाले गरीब तबका के लोगों को वे अपने करीब बैठाकर बेहद आत्मीयता के साथ उनकी बातें सुनते थे। श्री भाटिया का कहना था कि जूदेव का मिलनसार व्यवहार को उनके समर्थक कभी नहीं भूल पाएंगे। पत्थलगाँव में भाजपा से विपरित विचारधारा के लोग भी उनके निधन से काफी व्यथित थे। यहाँ ईसाई मिषन के लोगों ने भी स्व.जूदेव के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
     लंबे समय से बीमार चल रहे जूदेव के सैकड़ों समर्थकों ने यहाँ किलकिलेष्वर धाम में उनका स्वास्थ्य लाभ के लिए पूजा अर्चना शुरू कराई थी। जूदेव का निधन की खबर सुनने के बाद ऐसे समर्थकों को गहरा धक्का लगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय त्रिपाठी का कहना था कि स्व.जूदेव की याददाष्त शक्ति बेहद तेज थी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अंचल से उनके पास फरियाद लेकर पहुँचने वाले से वे अगली बार नाम लेकर सम्बोधित करते थे। ऐसे में ग्रामीण अंचल का व्यक्ति उन्हंे अपना भगवान मानकर उनकी पूजा करने लग जाता था।

 

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