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शनिवार, 10 अगस्त 2013

सरकारी स्कूलों में अभी भी कीड़ेयुक्त भोजन



ग्राम ईला स्कूल के प्रधान
पाठक के साथ पूरे स्कूल के 10 विद्यार्थी
 पत्थलगांव/ रमेश शर्मा
 जशपुर जिले के सरकारी स्कूलों में व्याप्त अव्यवस्था के चलते ज्यादातर स्कूलों में डेढ़ माह के बाद भी पढ़ाई का वातावरण नहीं बन पाया है। कुछ स्कूलों में षिक्षकों की अनुपस्थिति के चलते भी विद्यार्थियों की दर्ज संख्या पर भी विपरित असर पड़ रहा है।गांव के अभिभावकों का कहना है कि षिक्षा अधिकारियों व्दारा स्कूलों का आकस्मिक निरीक्षण के नाम पर केवल औपचारिकता की जाती है। इस वजह षिक्षकों में दंडात्मक कार्रवाई का भय समाप्त हो गया है। यहाँ ग्रामीण अचंल के स्कूलों में प्रधान पाठकों को मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए बार बार चेतावनी देने के बाद भी ज्यादातर स्कूलों में बेहद घटिया खाद्य सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
  यहाँ से 8 कि.मी.दूर ग्राम ईला का प्राथमिक स्कूल में बुधवार को मात्र 10 विद्यार्थी ही उपस्थित थे। यहंा के प्रधान पाठक वासुदेव सिंह सिदार ने बताया कि उनके स्कूल में कुल 15 विद्यार्थियों की ही दर्ज संख्या है। विडंबना की बात यह है कि ग्राम ईला का सरकारी प्राथमिक स्कूल की कक्षा पांचवी में एक भी छात्र नहीं है। स्कूल में विद्यार्थियों की बेहद कम दर्ज संख्या होने के कारण सभी छात्रों को एक ही कमरे में बैठा दिया जाता है। इस स्कूल के दो षिक्षकों में से जयराम बंजारा की अनुपस्थिति के संबंध में प्रधान पाठक का कहना था कि उन्हे प्रषिक्षण के लिए संकुल केन्द्र में बुलाया गया है।
स्कूल अव्यवस्था की ग्रामीणों ने भी की पड़ताल
  घटिया मध्यान भोजन देख कर
 भड़के गांव के अभिभावक 
   बुधवार को इस स्कूल में पदस्थ स्वीपर भी अनुपस्थित था। बाद में प्रधान पाठक ने स्कूली बच्चों को भेज कर स्वीपर को बुला लिया गया था इस स्कूल में मध्यान्ह भोजन की सबसे अधिक दयनीय स्थिति देखने को मिली । मंहंगाई के कारण स्कूली बच्चों को हरी सब्जी नहीं दी जा रही है। ईला स्कूल की पड़ताल के दौरान यहंा कार्यरत महिला रसोइया से जब आज की सब्जी दिखाने को कहा तो कीड़ेयुक्त मटर दिखाई गई। एक बर्तन में रखी गई इस मटर को स्कूल के समीप रहने वाले विद्याधर यादव एवं घनश्‍याम यादव ने अवलोकन किया तो इन ग्रामीणों का कहना था कि ऐसी मटर को मवेषी भी खाना पसंद नहीं करेंगे। स्कूल की अव्यवस्था देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ इकटठा हो जाने के बाद यहाँ के प्रधान पाठक वासुदेव सिंह सिदार ने भविष्य में इस तरह की गलती नहीं करने का आष्वासन देकर क्षमा याचना की है। सरकारी स्कूलों की पड़ताल के दौरान किलकिला प्राथमिक षाला में भी इसी तरह की अव्यवस्था देखने को मिली। यहां पदस्थ षिक्षिका अंजना लकड़ा को राजनैतिक दबाव के कारण शहर के समीप के स्कूल में संलग्न कर देने से इस स्कूल में भी विद्यार्थियों की उपस्थिति पर विपरित प्रभाव पड़ा है।
 राजनैतिक प्रभाव से शिक्षकों का अटैचमैंट
  किलकिला स्कूल की कक्षा 5 में मात्र 3 विद्यार्थी उपस्थित
   किलकिला प्राथमिक स्कूल में बुधवार को 62 विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के विरुद्ध मात्र 20 विद्यार्थी उपस्थित पाए गए। इस स्कूल की ि‍शक्षिका बीना खेस ने बताया कि प्रधान पाठक श्रीमती बलमदीना लकड़ा ने दो दिन के लिए अवकाश लिया था। पर वे बुधवार को भी बगैर छुटटी के पाठषाला में अनुस्थित हैं। इस स्कूल में भी कक्षा पांचवी के विद्यार्थियों की उपस्थिति चिंताजनक देखने को मिली। यहां के षिक्षक रत्नाकर खुंटिया नेबताया कि 14 विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के के मुकाबले मात्र तीन विद्यार्थी ही उपस्थित हैं। किलकिला प्राथमिक शाला में स्कूल भवन की जर्जर हालत के चलते भवन में जगह जगह पानी टपक रहा है। यहां की अव्यवस्था के बारे में कई बार संबधित अधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका है। पर अभी तक स्कूल की अव्यवस्था में सुधार नहीं किया जा सका है।




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