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मंगलवार, 22 मई 2012

परंपरा को जीवित रखने का अनूठा प्रयास


कोषाध्यक्ष जगनलाल अग्रवाल

प्रबंधक प्रहलाद रोहिला
बुजुर्गो के सेवा कार्य से सैकड़ो मुसाफिरों को मिलता है लाभ
पत्थलगॉंव / रमेश शर्मा
      शहरों में गरीब यात्रियों के ठहरने का सहारा ध्‍ार्मशाला  की परम्परा भले ही अब लुप्त होने लगी है। मगर जशपुर जिले के पत्थलगांव में  के समाजसेवियों व्दारा इस पुरानी परम्परा का आज भी बेहतर ढंग से सचंालन किया जा रहा है। बस स्टैण्ड यहॉं पर स्थित हरियाणा ध्‍ार्मशाला  को व्यावसायिक उपयोग से अलग रखकर  सेवा और मदद की भावना को ही सबसे उपर रखा गया है।
     पत्थलगांव में 40 साल पहले  पर हरियाणा से आकर बसने वाले बुजुर्गो ने आपस में धनराषि एकत्रित कर इस ध्‍ार्मशाला  की नींव रखी थी।  दानदाताओं की लम्बी कतार के साथ निःस्वार्थ भावना से यंहा का काम में सहयोग देने वालों के चलते इस ध्‍ार्मशाला  की दूर दूर तक पहचान बन गई है। पत्थलगांव की धर्मशाला से गरीबों को ठहरने का सहारा के अलावा कम खर्च पर वैवाहिक कार्यक्रम पूरे करने वालों को अच्छी खासी मदद  मिल जाती है। इस ध्‍ार्मशाला  से होने वाली मामूली आय के साथ अन्य दानदाताओं की आर्थिक सहायता को शामिल कर दूर दराज से आने वाले यात्रियों को अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। महंगाई के बदलते दौर में भी  ठहरने वाले यात्रियों को महज 50 रू. और 10 रू. में कमरा उपलब्ध कराया जा रहा है।
       के प्रबंधक प्रहलाद रोहिला का कहना है कि ध्‍ार्मशाला  में सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए प्रबंधक मंडल ने  पर यात्रियों के लिए कुछ आवश्‍यक नियम बनाऐं हैं। सभी यात्रियों से इन नियमों का पालन करना अनिवार्य रखा गया है। इसके अलावा  साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। उन्होने कहा कि आपराधिक घटनाओं के मददेनजर  ठहरने वाले का पहचान पत्र की कड़ाई अवष्य की गई है। श्री रोहिला ने बताया कि कभी कभी परिस्थितिवश मुसाफिर से ठहरने की शुल्क को भी माफ कर दिया जाता है।
व्यवस्थापक नत्थूराम शर्मा
     हरियाणा से आए हुए बुजुर्गो ने वर्ष 1968 के दौरान जिस उद्देश्‍य को लेकर पत्थलगांव में हरियाणा ध्‍ार्मशाला  की नींव रखी गई थी उस मदद की भावना को आज भी पूरे विष्वास के साथ जारी रखा गया है। चार दषक पहले निर्मित यह ध्‍ार्मशाला  की पिछले दिनों काफी जर्जर हालत हो जाने से इसका पुनः जीर्णोंध्दार कराया गया है। मौजूदा समय में  पर यात्रियों को ठहरने के लिए आधुूनिक सुविधाओं का पूरा खयाल रखा गया है।
                        धर्मशाला में सुविधा विस्तार की बृहद योजना
       हरियाणा ध्‍ार्मशाला  के कोषाध्यक्ष जगनलाल अग्रवाल ने बताया कि इस ध्‍ार्मशाला  में पुराने कमरे और शौचालयों को हटाकर नई सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यात्रियों के लिए चौबीस घन्टे बिजली पानी जैसी जरूरी सुविधाओं के बदले   पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा रहा है। गर्मी के दिनों में यात्रियों कूलर, पंखों की व्यवस्था के साथ ठंड के दिनों में गददे, कम्बल जैसी सुविधाओं का भी बेहतर प्रबंध किया गया है। शहर के दानदाताओं व्दारा हरियाणा ध्‍ार्मशाला  में आर्थिक मदद कर अपने बुजुर्गो के नाम षिलालेख पर दर्ज करा दिए हैं। ध्‍ार्मशाला  के व्यवस्थापक नन्थुराम शर्मा ने बताया कि इस ध्‍ार्मशाला  सचंालन के लिए कभी भी व्यावसायिक दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाता है। वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान पहले आओ पहले पाओ का नियम रखा गया है। उन्होने कहा कि मंहगाई के इस दौर में ज्यादातर शहरों में गरीब यात्रियों के ठहरने की पुरानी ध्‍ार्मशाला  का नाम भले ही लुप्त हो गया है पर  की ध्‍ार्मशाला  में सभी सदस्यों का सहयोग से यात्रियों को निरतंर सुविधा मिल रही है। उन्होने बताया कि इस धर्मशाला में यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जल्द ही बदलाव करने की योजना है। इसके लिए ध्‍ार्मशाला  व्यवस्थापक मंडल ने बृहद कार्य योजना बनाई है। श्री शर्मा ने कहा कि आज महंगाई के दौर में ध्‍ार्मशाला  संचालन का काम  थोड़ा कठिन अवश्‍य है पर  ठहरने वाले गरीब यात्रियों की दुवाओं से काफी सुखद अहसास होता है। श्री शर्मा ने बताया कि लम्बे समय के बाद भी ध्‍ार्मशाला  का सचालन में रूकावट नहीं आने के पीछे इसके सदस्यों की एकता, आपसी भाईचारा तथा सेवा की भावना प्रमुख कारण है।  ध्‍ार्मशाला  व्यवस्थापक मंडल के संरक्षक धर्मपाल अग्रवाल व्दारा आय ब्यय की आडिट के बाद ही नई योजना को स्वीकृति दी जाती है।
     गरीब यात्रियों को इस अनजाने शहर में महंगे होटल और लॉज की दिक्कत के कारण उसे ध्‍ार्मशाला  का काफी बड़ा सहारा मिल जाता है। ध्‍ार्मशाला  में ठहरने का बेहद कम खर्च के बाद गरीब यात्री खाने पीने की महंगाई का आसानी से मुकाबला कर लेते हैं। पत्थलगांव ध्‍ार्मशाला में प्रति दिन 50 से 150 यात्रियों को ठहरने का लाभ मिल रहा है। छोटा व्यवसाय करने वाले लोग बेफिकर होकर पत्थलगांव ध्‍ार्मशाला  पहुंचते हैं।

बुधवार, 16 मई 2012

कश्‍मीरियों की पहली पसंद जशपुरी चिरोंजी

चिरोंजी की गुठली
चिरोंजी ने ग्रामीणो को बनाया मालामाल
 देश के महानगरों की मांग से कीमत बढ़ी
 पत्थलगांव/  रमेश शर्मा
   छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में इस वर्ष चिरोंजी वनोपज की बम्फर पैदावार के साथ स्थानीय खरीददारों व्दारा काफी उँची कीमत देकर खरीदी शुरू करने से यहंा के ग्रामीणों को अच्छी आमदनी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस फसल से मिलने वाली नगद आय से वे शादी व्याह के मौके पर दिल खोल कर खर्च कर पा रहे हैं। इस अचंल में गर्मी के मौसम कई बार रूक रूक कर हुई बे मौसम की बारिश भी चिरोंजी की फसल के लिए वरदान साबित हुई है।
             यहॉं के ज्यादातर ग्रामीण इन दिनो भोर की पौ फटते ही जगंल का रूख कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन दिनों उनका पूरा परिवार जगंल पहुंच कर वनोपज संग्रहण के काम में व्यस्त है। जगंलों में तेन्दू पत्ता संग्रहण के साथ ग्रामीणों को चिरोंजी वनोपज से अच्छी खासी आमदनी हो रही है। छत्तीसगढ़ की सूखी मेवा के नाम से देश के महानगरों में बिकने वाली चिरोंजी वनोपज की इस बार यहॉं आवक से मांग अधिक है। यहॉं पर बाहर के व्यापारियों से चिरोंजी की मांग बढ़ जाने से स्थानीय खरीददार ग्रामीणों से पांच सौ रू. प्रति किलो की दर पर खरीदी करने लगे है। ग्रामीणों ने बताया कि चिरोंजी वनोपज की यह किमत पहली बार देखने को मिल रही है।
चिरोंजी
           चिरोंजी के अनुपात में गुठली की खरीदी
  वनोपज चिरोंजी के स्थानीय खरीददारों व्दारा सग्रंहणकत्र्ताओं से सीधे चिरोंजी की गुठली खरीद लेने की वजह से अब ग्रामीणों को चिरोंजी गुठली सूखाकर उसका दाना निकालने का झंझट से भी छुटकारा मिल गया है।बताया जाता है कि यहॉं पर चिरोंजी दाने का भाव इन दिनो 500 रू. प्रति किलों पहुंच गया है।यहॉं पर चिरोंजी व्यवसायी विजय श्री अग्रवाल ने बताया कि चिरोंजी गुठली में 20 प्रतिशत दाना निकलता है। इसी अनुपात पर गुठली के दाम 100 रू.प्रति किलो कर दिए गए हैं। उन्होने बताया कि इससे पहले चिरोंजी दाना महज 150 से 200 रू.प्रति किलो की दर पर खरीदा जाता था। उस समय चिरोंजी दाना सग्रंहणक व्दारा ही निकालना पड़ता था। इस काम में ग्रामीणों को अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ती थी। पर अब जगह जगह चिरोंजी गुठली से दाना निकालने के आटोमैटिक प्लांट लग जाने से अच्छी क्वालिटी का माल तैयार होने लगा है।
चिरोंजी का फूल
कश्‍मीरियों की मांग से बढ़ी कीमत
  जशपुर जिले में अच्छी किस्म की चिरोंजी फसल देश के महानगरों में पहंुचने के बाद अन्य जगह की फसल के मुकाबले में 25 रुपए अधिक दर पर हाथों हाथ खरीद ली जाती है। इस वर्ष जशपुर जिले की चिरोंजी खरीदने के लिए उत्तर प्रदेश,और दिल्ली के अलावा श्रीनगर कष्मीर के बड़े व्यवसायियों ने भी यहॉं से माल के अगाउ सौदे कर लिए हैं। इसी वजह यहंा चिरोंजी के दाम में लगातार तेजी का रूख बन गया है। यहॉं के व्यापारियों का कहना है कि अभी चिरोंजी के दाम में 100 से 150 रू. और तेजी की सम्भावना है। छत्तीसगढ़ की सूखी मेवा के लिए बाहर के व्यापारियों की मांग बढ़ने का स्थानीय ग्रामीणों को अच्छा लाभ मिल रहा है।
रमेश शर्मा



मंगलवार, 15 मई 2012

आखिर किस काम का ब्लड स्टोरेज सेंटर

दानदाताओं के बाद भी खून के लिए भटक रहे मरीज


खाली पड़ा ब्लॅड स्टोर
 खून के जरूरतमंद मरीज
 
 
 पत्थलगॉंव /               रमेश शर्मा
     आदिवासी बहुल जशपुर जिले का पत्थलगांव सिविल अस्पताल में ब्लड स्टोरेज की सुविधा के बाद भी यहॉं जरूरतमंद मरीजों को खून के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।साल भर पहले यहॉं लायंस क्लब के सहयोग से ब्लड स्टोरेज सेंटर खोला गया था। मरीज की जरूरत के वक्त यहॉं अक्सर खून के अभाव के कारण मरीज के परिजनों को ही खून के लिए दानदाताओं की तलाश करनी पड़ती है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि आठ माह पहले यहॉं की विभिन्न समाजसेवी संस्था के सदस्यों ने 76 यूनिट खून दान दिया था। विभिन्न ग्रुप का एकत्रित इस बेशकीमती खून को अम्बिकापुर स्थित शासकीय ब्लड मदर बैंक में जमा किया गया था। अब पत्थलगांव के मरीजों को खून की जरूरत पड़ने पर वहॉं स्टॅाक नहीं का बहाना कर वापस लौटा दिया जा रहा है। यहॉं खून के अभाव में मरीजों को बाहर भेजने पर गरीब तबका के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
डा.जेम्स मिंज ब्लॅाक मेडिकल अधिकारी पत्थलगांव

      पत्थलगांव ब्लॅाक मेडिकल अधिकारी डा.जे मिंज का कहना है कि यहॉं पर जब भी मरीजों के लिए खून की जरूरत पड़ती है उस समय अम्बिकापुर के मदर बैंक से स्टॅाक में ब्लड नहीं होने का बहाना कर यहॉं के स्वास्थ्य कर्मचारी को वापस लौटा दिया जाता है। ऐसे हालात में यहॉं मरीज को जीवन रक्षक खून के लिए स्वयं अपने रिष्तेदार अथवा अन्य दानदाताओं की तलाश करनी पड़ती है। कई बार मरीज के लिए समय पर खून उपलब्ध नहीं होने पर मरीज को बाहर भेजना पड़ जाता है। त्थलगांव  सिविल अस्पताल की इस समस्या से अक्सर गरीब मरीजों को परेषानियों का सामना करना पड़ता है।
                         मदर ब्लॅड बैंक से समय पर नहीं मिलता खून
     सड़क दुर्घटना अथवा अन्य गम्भीर मरीजों के लिए महज खून की व्यवस्था नहीं हो पाने से कई बार विकराल स्थिति भी निर्मित हो जाती है। पत्थलगांव में ब्लड स्टोरेज सेंटर के टेक्निषियन भक्त वात्सल्य शर्मा ने बताया कि यहॉं समाजसेवी संस्था के सदस्यों से एकत्रित खून को अम्बिकापुर के मदर बैंक में जमा कराया गया था। उन्होने बताया कि 76 यूनिट ब्लड के बदले अब तक केवल 4 यूनिट ब्लड ही वापस मिल पाया है। श्री शर्मा ने बताया कि ब्लड मदर बैंक में खून की जरूरत पड़ने पर आवष्यक दस्तावेज के साथ एक कर्मचारी को भेजा जाता है। पर वहॉं हर बार स्टॅाक खत्म होने का बहाना कर खाली हाथ लौटा दिया जाता है। पत्थलगांव ब्लड स्टोरेज सेंटर में खून जांच तथा सभी सुविधा होने के बाद भी यहॉं खून के लिए एक माह की समयावधि होने के कारण वे यहॉं अधिक समय तक खून नहीं रख पाते हैं।
                              खून देने को तैयार दानदाता
     पत्थलगांव सिविल अस्पताल में जरूरतमंद मरीजों को समय पर खून नहीं मिल पाने की निरंतर षिकायतों के बाद यहॉं की समाजसेवी संस्था तथा अन्य दानदाताओं ने रक्तदान के लिए मुंह नहीं मोड़ा है।पत्थलगांव में ब्लॅड स्टोरेज सेंटर खोलने में सहयोग देने वाली समाजसेवी संस्था लायंस क्लब के उपाध्यक्ष विजय अग्रवाल ने बताया कि उन्होने यहॉं सिविल अस्पताल में रक्त दानदाताओं के नाम पते दर्ज करा दिए हैं। उन्होने बताया कि सिविल अस्पताल में मरीज के लिए खून की जरूरत पर उनके सदस्य हर समय खून देने को तैयार रहते हैं। श्री अग्रवाल ने बताया कि जरूरतमंद मरीजों के लिए अग्रिम खून उपलब्ध कराने के लिए उनके सदस्य आज भी पीछे नहीं हैं ,पर मदर ब्लड बैंक से जरूरतमंद लोगों को समय पर खाली हाथ वापस नहीं लौटाना चाहिए।
    यहॉं सिविल अस्पताल में शनिवार को ग्राम आमाडोल की महिला मरीज को उसके परिजनों ने लाकर भर्ति कराया था। डा.जे मिंज व्दारा इस मरीज का परीक्षण के बाद इसे खून की कमी की बात कही थी। इस मरीज की जीवन रक्षा के लिए तत्काल बी पाॅजिटिव खून की जरूरत बताई गई थी। सिविल अस्पताल में इस मरीज की जरूरत का खून उपलब्ध नहीं रहने से मरीज के परिजनों को काफी भाग दौड़ करनी पड़ी। इसके बाद भी इस मरीज के परिजन खून की व्यवस्था नहीं कर सके थे।यहॉं मरीज के परिजनों ने बताया कि सिविल अस्पताल में खून उपलब्ध कराने के नाम पर अवैध वसूली भी की जाती है। सिविल अस्पताल के वरिष्ठ डाक्टर बसंत सिंह ने इस आरोप को खारिज कर दिया। उन्होने बताया कि यहॉं प्रतिदिन तीन से चार मरीजों को खून की जरूरत पड़ती है। पर खून उपलब्ध नहीं होने से उन्हे मरीज को अक्सर बाहर के अस्पताल के लिए रेफर करना पड़ जाता है। डा.सिंह का कहना था कि यहॉं की समस्या के प्रति मदर ब्लॅड बैंक को ध्यान देने की जरूरत है।
          अम्बिकापुर स्थित मदर ब्लॅड बैंक में यहॉं के जरूरतमंद मरीजों को खून नहीं मिलने की बात से उच्चाधिकारियों के पास कई बार लिखित षिकायत की जा चुकी है।पर ब्लॅड बैंक का रवैया में आज तक कोई सुधार नहीं हुआ है। 
          

गुरुवार, 10 मई 2012

परंपरागत सरहुल त्योहार से पर्यावरण का संदेश


पत्थलगॉंव /                     रमेश शर्मा
       वनवासियों के प्रत्येक तीज त्यौहारों में प्रेरणादायक संदेश के साथ आपसी भाईचारे की भावना को मजबूती मिलती है। इन्ही में से एक वनवासियों का वर्षो पुराना सरहुल पर्व भी है, जिसमें  गांव गांव से लोग इकट्ठा होकर पेड़ और धरती की पूजा करके पर्यावरण संरक्षण के काम में अनोखी मिसाल कायम कर रहे हैं।

     उक्त बातें पूर्व मंत्री गणेशराम भगत ने 
गुरुवार को पत्थलगांव में आयोजित सरहुल पर्व के दौरान वनवासियों की एक विषाल जनसभा में कही । 10 मई 2012 को भीषण गर्मी के बाद भी पत्थलगांव में आयोजित सरहुल पर्व में शामिल होने के लिए दूर दराज के गांवों से काफी बड़ी संख्या में आदिवासी इकट्ठा हुए थे। इन ग्रामीणों ने पालीडीह के आम बगीचा में घंटो तक लोक नृत्य तथा गीत गाकर एक दूसरे को सरहुल त्योहार की बधाई दी।ग्रामीण अपनी प्राचीन परम्परा के अनुसार साल वृक्ष के फूल भेंट कर इस त्योहार की बधाई दे रहे थे।पालिडीह का आम बगीचा में एकत्रित वनवासियों ने दोपहर 1 बजे गणेशराम भगत की अगुवाई में एक विषाल रैली भी निकाली। लगभग दो कि.मी.लम्बी इस रैली में शामिल वनवासियों ने यहंा तहसील कार्यालय के समीप प्राचीन सरना में जाकर पूजा अर्चना की। बाद में यह रैली बेहद अनुशासित ढंग से पालिडीह का प्राचीन सरना स्थल पर पहुंची। वनवासियों के इस पूजा स्थल में आसपास के गांवों से आए 31 बैगाओं के व्दारा आदिवासियों की संस्कृति से पेड़ों की पूजा कराई गई। सरहुल की रैली में ज्यादातर ग्रामीण अपने हाथों में झंडे लिए हुए थे। इसमें आदिवासियों के नगाड़ों की गूंज तथा नृत्य का दृष्य काफी मनोहारी लग रहा था।सरहुल की रैली में नगाड़ों की गुंज दूर दूर तक सुनाई पड़ रही थी।
     पालिडीह सरना से रैली वापस लौटने पर आम बगीचा में जनसभा का आयोजन किया गया। इसमें अनेक वनवासी नेताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस सभा में गणेशराम भगत ने कहा कि  हमारे बुजुर्गो के अच्छे अनुभव को नई पीढ़ी के बीच में बांटने के लिए ही वनवासियों के तीज त्यौहारों का आयोजन होता है।वनवासियों की प्राचीन संस्कृति में आपसी भाईचारा को जीवित रखने का पाठ पढ़ाया गया है।श्री भगत ने कहा कि सरहुल त्योहार में पेड़ पौधों को काटने के बजाए उनकी पूजा करने की बात कही गई है।उन्होने कहा कि ग्रामीण एवं किसानों के लिए हरियाली का सदैव महत्व रहा है। इस त्यौहार के माध्यम से वनवासी बगैर शासकीय मदद के  वनों की रक्षा करने का सन्देश को दूर दूर तक पहुंचाते हैं। इसी वजह वनवासियों का सरहुल त्योहार अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा की मिसाल बन गया है। उन्होने कहा कि वनवासियों व्दारा सरहुल का त्यौहार को वर्षो से मनाया जा रहा है।आदिवासियों के इन प्राचीन त्यौहारों की बदौलत दूर दराज के ग्रामीणों में भी भाईचारा कायम है। कुछ लोगों व्दारा आदिवासियों के बीच में धर्मान्तरण की दीवार खड़ी करके उन्हे कमजोर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।पर वनवासी समाज में जागरूकता आने के बाद वे लोग सजग हो गए हैं।प्रलोभन देकर धर्मान्तरण करने वालों को इन आदिवासियों ने बाहर का रास्ता दिखला दिया है।
सरहुल रैली में गणेशराम भगत भीषण
 गर्मी में ग्रामीणों की विशाल रैली
  
वनवासियों की एकजुटता से नक्सलियों ने रास्ता बदला
     श्री भगत ने कहा कि वनवासियों में आपसी भाईचारा और एकजुटता के कारण वे बड़ी से बड़ी समस्या का आसानी से हल ढूंढ़ लेते हैं।उन्होने कहा कि वनवासियों की एकजुटता के चलते नक्सलियों को भी वापस भागने के लिए मजबूर होना पड़ता है।श्री भगत ने कहा कि जशपुर जिले से लगा हुआ सरगुजा जिले का केरजू गांव के आसपास नक्सलियों ने डेरा डाल दिया था। यहंा के वनवासियों ने इपनी एकजुटता का परिचय देकर इन नक्सलियों को रास्ता बदलने के लिए मजबूर कर दिया।इसी तरह जशपुर जिले में भी राज्य की सीमा से लगे सरहदी गांवों में आदिवासियों की एकता के कारण नक्सलियों को अपना रास्ता बदलना पड़ गया है।यहंा वनवासियों के महापुरुष बिरषा मुण्डा तथा रामपुर के जगमोहन बाबा का भी स्मरण किया गया।इन महापुरुषों की वीर गाथा को याद कर नक्सलियों से मुकाबला करने की बात कही गई।वनवासियों की सभा में अखिल भारतीय कल्याण आश्रम के अध्यक्ष जगदेवराम, रामप्रकाश पाण्डेय सत्यप्रकाश तिवार शैलेन्द्र ठाकुर  बगीचा के मुकेश शर्मा, केशव यादव, चन्द्रदेव यादव सरगुजा के संजय गुप्ताबलदेव जोशी, श्रीमती रामवती जायसवाल, रोशन प्रताप साय रम्मू शर्मा, विशु शर्मा सुरेन्द्र कुमार चेतवानी ,राजेश अग्रवाल सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

                     मधु मख्खियों का हमला में बाल बाल बचे गणेशराम
    पालिडीह का सरना में गुरूवार को दोपहर तीन बजे सरहुल पूजा कर वापस लौटते वक्त वनवासियों की रैली पर अचानक मधुमख्खियों ने हमला बोल दिया था।इस हमले में पूर्व मंत्री गणेशराम भगत बाल बाल बच गए। श्री भगत की सुरक्षा में तैनात पुलिस जवान सुधीर भगत, मनोहर राम तथा जशपुर के रामप्रकाश पाण्डेय पर मधुमख्खियों ने कई जगह हमला कर उन्हे घायल कर दिया। इन घायलों को पत्थलगांव स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ति कराया गया जंहा उपचार के बाद छुटटी दे दी गई। इस रैली में दो बच्चों सहित दर्जन भर ग्रामीणों पर भी मधुमख्खियों नेे हमला कर उन्हे घायल कर दिया था।सरहुल पूजा के आयोजक रोशन प्रताप तथा विषु शर्मा ने इन्हे भी उपचार के लिए सिविल अस्पताल में भर्ति कराया ।यहंा स्वास्थ्य कर्मियों ने घायलों का तत्काल उपचार शुरू किया। जिससे घायलों को राहत मिल सकी।

सोमवार, 7 मई 2012

मिलावटी चीजें बाजार में, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग गहरी नींद में



        कैमिकल से बनता है सरसों तेल व शुध्द घी
       
पत्थलगांव/                    रमेश शर्मा 

मिलावटी दूघ विक्रेता
  मिलावट खोरो पर स्वास्थ्य विभाग का श‍िकंजा नहीं कस पाने से यहॉं ज्यादातर खादय सामग्री में जमकर मिलावट का खेल हो रहा है।प्रति दिन उपयोग में आने वाली इन खादय सामग्री के भाव देखने के बाद  इसमें मिलावट की बात सहज ढंग से उजागर हो जा रही है। इसके बाद भी उपभोक्ताओं के हितों का सरंक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
     इन दिनों बाजार में चना दाल का भाव 50 रू. प्रति किलों की दर पर बिक रही है।पर इसी चना दाल का शुध्द बेसन महज 40 रू. प्रति किलो में आसानी से मिल जा रहा है।किराना की दुकानों में इसी तरह आटा, खादय तेल तथा  शुध्द बेसन जैसी खादय सामग्री के मुंहमांगे दाम देने के बाद भी उपभोक्ताओं को धीमा जहर खरीदना पड़ रहा है।यहॉं पर अमृत भोग बेसन का पैकेट चना दाल से भी कम दाम पर मिल रहा है। शुध्द बेसन के इस पैकेट पर वनज 500 ग्राम तथा इसकी किमत 20 रू. दर्शाई गई है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि बेसन के पैकेट पर इसके निर्माता का कहीं भी नाम पता नहीं दिया गया है। खादय सामग्री के इन्ही पैकेटों से होटलों में आलू चाप, सेव ,भजिया बना कर ग्राहकों के सामने परोसा जा रहा है। होटल मालिकों का कहना है कि बाजार में मिलावटी सामग्री बेचने वालों पर स्वास्थ्य विभाग की पकड़ नहीं होने से उन्हे इस तरह के मिलावटी खादय सामग्री से काम चलाना पड़ रहा है।
शुध्द बेसन का पैकेट

    इसी तरह दूध, पनीर तथा अन्य खादय सामग्री में भी जमकर मिलावट हो रही है। दूध में कई घातक तत्व की मिलावट के साथ इसकी बिक्री होने से छोटे बच्चों को इसका अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। शहर में इन दिनो उपभोक्ताओं व्दारा दूध विक्रेताओं को उनकी मुंहमांगी किमत देने के बाद भी शुध्द दूध नहीं मिल पा रहा है। बताया जाता है कि बाजार में दूध की किमत 30 रू.से लेकर 40 रू. प्रति लीटर होने के बाद भी उपभोक्ताओं को मिलावटी दूध से काम चलाना पड़ रहा है।यहंा के उपभोक्ता महेन्द्र सोनी ने बताया कि बाजार में पैकेट बन्द खादय सामग्री में जमकर मिलावट होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग व्दारा इस ओर कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होने कहा कि इन दिनों चाय, मसाला, खादय तेल ,शुध्द घी के नाम पर उपभोक्ताओं को धीमा जहर परोसा जा रहा है।यहॉं पर उड़ीसा से घटिया तेल के ड्रम लाकर उसमें कैमिकल डाल कर उसे देखते ही देखते सरसों तेल का रूप दे दिया जाता है।इस मिलावटी सरसों तेल को एक किलो तथा अन्य पैक डिब्बों में भर कर दुकानदार धड़ल्ले से बिक्री कर रहे हैं। इन सामग्री के डब्बों पर इसके निर्माता का नाम पता नहीं होने के कारण इसके निर्माता पर स्वास्थ्य विभाग का षिकंजा नहीं कस पाता है।  महेन्द्र सोनी ने कहा कि  इन दिनों बाजार में घटिया खादय सामग्री के विरूध्द में कड़ाई पूर्वक अभियान चलाने की जरूरत है। 
                          क्या कहता है स्वास्थ्य विभाग 
      मिलावटी खादय सामग्री बेचने वालों पर शिकंजा कसने के लिए जिले में 36 दुकानदारों से विभिन्न खादय सामग्री के सेम्पल भरे गए थे। इनमें 11 सेम्पल मानक स्तर से कम पाए जाने पर उन्हे नोटिष दिया गया है। दूध विक्रेताओं व्दारा भी मिलावट करने की कई जगह से षिकायतें मिली हैं। उनके विरूध्द जल्द ही अभियान चला कर कार्रवाई की जाएगी।
                   भारत भूषण बोर्डे, जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी 


मंगलवार, 1 मई 2012

शहीद जवान का परिवार उपेक्षा का शिकार

शहीद की विधवा श्रीमती सीमा
 कुजूर अपने दो बच्‍चों के साथ 

 सुकमा कलेक्टर अपहरण कांड 
  पत्थलगांव/ जशपुर रमेश शर्मा        
       सुकमा कलेक्टर अलेक्स पॉल मेनन को अगवा करने से पहले नक्सलियों की गोलियों से शहीद हाने वाला जवान किशुन कुजूर का परिवार पिछले एक सप्ताह से षासकीय नुमाईदों से मिलने वाली आर्थिक सहायत की बाट जोह रहा है पर अभी तक किसी भी अधिकारी ने इस शहीद के परिजनों के कच्चे घर में पहुंचकर दस्तक नही दी है। सुकमा कलेक्टर की रिहाई के लिए समुचे प्रदेश में कैंडल जलाकर उनके  सकुशल वापस लौटने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है पर इसी कलेक्टर की सुरक्षा में तैनात शहीद जवान किशुन कुजूर का परिवार अपने कच्चे घर में अंधरे के बीच अकेला बैठा हुआ है।सरकारी अमला की उपेक्षा से दुखी शहीद की माँ श्रीमती जेरमीना का कहना है कि उसे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है लेकिन प्रशासनिक अमला की उपेक्षा से काफी दुख पहुंचा है। जेरमीना ने कहा कि उसका छोटा बेटा भी पुलिस सेवा में कार्यरत है। अपने बड़े बेटे के शहीद होने के बाद सरकारी उपेक्षा से पीड़ित इस महिला ने छोटा बेटा आमोद कुजूर की नौकरी से त्यागपत्र दिलाने का मन बना लिया है।
       बीते सप्ताह ग्राम सुराज अभियान के दौरान सुकमा कलेक्टर श्री मेनन की सुरक्षा के लिए तैनात यह शहीद नक्सलियों की गोलियों का षिकार बन गया था। कलेक्टर को अगवा करने के बाद इस शहीद का शव जशपुर जिले में बगीचा के समीप उसके पैत्रृक गंाव सेमरडीह भेजा गया था। इसके पहले परिजनों को अपने जवान बेटे की मौत की खबर भी नही थी। शहीद के पिता अब्राहम ने आज बताया कि अचानक गांव में पुलिस अधिकारियों की गाड़ियों का काफीला और तिंरगे में लिपटा हुआ ताबुत जब उसके घर के सामाने पहूंच तो उसे अनहोनी कि आषंका हो गई थी। अब्राहम ने बताया कि उसके दोनो बेटे पुलिस सेवा में तैनात है इसलिए वह समझ नही पा रहा था कि इस ताबुत में कौन से बेटे का शव है।
   जब उसे पुलिस अधिकारियों ने बताया कि किशुन कुजूर अब उनके बीच नही रहे तो अब्राहम का पूरा परिवार फफक फफक कर रोने लगा था।छोटे से गांव में यह खबर आग की तरह फैल गई थी। इस खबर को सुनते ही पुरा गांव उसके घर पर इकट्ठा हो गया था। पुलिस कर्मियों ने दुख की इस घड़ी में उसके परिवार को ढाढस बंधाया और शहीद के अंतिम संस्कार करने में मदद की थी। इसके बाद एक पुलिस अधिकारी ने अब्राहम कुजूर को 25 हजार रू.नगद राशि का लिफाफा दिया था। यह लिफाफा इस घर में आज भी ज्यों का त्यों रखा हुआ है। शहीद जवान के परिवार के पास उसके आंसू पोछने के लिए अब कोई भी नही है।
               कांग्रेस नेताओं ने भी मुंह फेरा
    जवान किशुन कुजूर के पिता अब्राहम ने बताया कि सबसे बड़ी बिडम्बना तो यह है कि  बगीचा जशपुर मुख्य मार्ग पर मेरा गांव है मगर आज तक कोई भी अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उनका हालचाल जानने नही पहुंचे हैं।अब्राहम ने बताया कि कांग्रेस विधायक शक्राजित नायक एवं रामपुकार सिंह सहित अन्य कांग्रेसी नेता वादा निभाओं आन्दोलन के तहत बगीचा पहुंचे थे। पर इन नेताओं ने भी उनके पास आकर बातचीत करने की जरूरत नहीं समझी।इसके पहले कांग्रेस के नेता वोट के लिए कई बार उसके घर पहुंच कर दस्तक दे चुके हैं। दुःख की घड़ी में कांग्रेसी नेताओं का इस तरह मुंह फेर लेना ठीक नहीं है।अब्राहम के परिजनों का कहना हैं कि शहीद के परिवार को क्या आर्थिक सहायता मिलती है। इस बारे में उसे कुछ भी पता नही है।