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मंगलवार, 15 मई 2012

आखिर किस काम का ब्लड स्टोरेज सेंटर

दानदाताओं के बाद भी खून के लिए भटक रहे मरीज


खाली पड़ा ब्लॅड स्टोर
 खून के जरूरतमंद मरीज
 
 
 पत्थलगॉंव /               रमेश शर्मा
     आदिवासी बहुल जशपुर जिले का पत्थलगांव सिविल अस्पताल में ब्लड स्टोरेज की सुविधा के बाद भी यहॉं जरूरतमंद मरीजों को खून के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।साल भर पहले यहॉं लायंस क्लब के सहयोग से ब्लड स्टोरेज सेंटर खोला गया था। मरीज की जरूरत के वक्त यहॉं अक्सर खून के अभाव के कारण मरीज के परिजनों को ही खून के लिए दानदाताओं की तलाश करनी पड़ती है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि आठ माह पहले यहॉं की विभिन्न समाजसेवी संस्था के सदस्यों ने 76 यूनिट खून दान दिया था। विभिन्न ग्रुप का एकत्रित इस बेशकीमती खून को अम्बिकापुर स्थित शासकीय ब्लड मदर बैंक में जमा किया गया था। अब पत्थलगांव के मरीजों को खून की जरूरत पड़ने पर वहॉं स्टॅाक नहीं का बहाना कर वापस लौटा दिया जा रहा है। यहॉं खून के अभाव में मरीजों को बाहर भेजने पर गरीब तबका के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
डा.जेम्स मिंज ब्लॅाक मेडिकल अधिकारी पत्थलगांव

      पत्थलगांव ब्लॅाक मेडिकल अधिकारी डा.जे मिंज का कहना है कि यहॉं पर जब भी मरीजों के लिए खून की जरूरत पड़ती है उस समय अम्बिकापुर के मदर बैंक से स्टॅाक में ब्लड नहीं होने का बहाना कर यहॉं के स्वास्थ्य कर्मचारी को वापस लौटा दिया जाता है। ऐसे हालात में यहॉं मरीज को जीवन रक्षक खून के लिए स्वयं अपने रिष्तेदार अथवा अन्य दानदाताओं की तलाश करनी पड़ती है। कई बार मरीज के लिए समय पर खून उपलब्ध नहीं होने पर मरीज को बाहर भेजना पड़ जाता है। त्थलगांव  सिविल अस्पताल की इस समस्या से अक्सर गरीब मरीजों को परेषानियों का सामना करना पड़ता है।
                         मदर ब्लॅड बैंक से समय पर नहीं मिलता खून
     सड़क दुर्घटना अथवा अन्य गम्भीर मरीजों के लिए महज खून की व्यवस्था नहीं हो पाने से कई बार विकराल स्थिति भी निर्मित हो जाती है। पत्थलगांव में ब्लड स्टोरेज सेंटर के टेक्निषियन भक्त वात्सल्य शर्मा ने बताया कि यहॉं समाजसेवी संस्था के सदस्यों से एकत्रित खून को अम्बिकापुर के मदर बैंक में जमा कराया गया था। उन्होने बताया कि 76 यूनिट ब्लड के बदले अब तक केवल 4 यूनिट ब्लड ही वापस मिल पाया है। श्री शर्मा ने बताया कि ब्लड मदर बैंक में खून की जरूरत पड़ने पर आवष्यक दस्तावेज के साथ एक कर्मचारी को भेजा जाता है। पर वहॉं हर बार स्टॅाक खत्म होने का बहाना कर खाली हाथ लौटा दिया जाता है। पत्थलगांव ब्लड स्टोरेज सेंटर में खून जांच तथा सभी सुविधा होने के बाद भी यहॉं खून के लिए एक माह की समयावधि होने के कारण वे यहॉं अधिक समय तक खून नहीं रख पाते हैं।
                              खून देने को तैयार दानदाता
     पत्थलगांव सिविल अस्पताल में जरूरतमंद मरीजों को समय पर खून नहीं मिल पाने की निरंतर षिकायतों के बाद यहॉं की समाजसेवी संस्था तथा अन्य दानदाताओं ने रक्तदान के लिए मुंह नहीं मोड़ा है।पत्थलगांव में ब्लॅड स्टोरेज सेंटर खोलने में सहयोग देने वाली समाजसेवी संस्था लायंस क्लब के उपाध्यक्ष विजय अग्रवाल ने बताया कि उन्होने यहॉं सिविल अस्पताल में रक्त दानदाताओं के नाम पते दर्ज करा दिए हैं। उन्होने बताया कि सिविल अस्पताल में मरीज के लिए खून की जरूरत पर उनके सदस्य हर समय खून देने को तैयार रहते हैं। श्री अग्रवाल ने बताया कि जरूरतमंद मरीजों के लिए अग्रिम खून उपलब्ध कराने के लिए उनके सदस्य आज भी पीछे नहीं हैं ,पर मदर ब्लड बैंक से जरूरतमंद लोगों को समय पर खाली हाथ वापस नहीं लौटाना चाहिए।
    यहॉं सिविल अस्पताल में शनिवार को ग्राम आमाडोल की महिला मरीज को उसके परिजनों ने लाकर भर्ति कराया था। डा.जे मिंज व्दारा इस मरीज का परीक्षण के बाद इसे खून की कमी की बात कही थी। इस मरीज की जीवन रक्षा के लिए तत्काल बी पाॅजिटिव खून की जरूरत बताई गई थी। सिविल अस्पताल में इस मरीज की जरूरत का खून उपलब्ध नहीं रहने से मरीज के परिजनों को काफी भाग दौड़ करनी पड़ी। इसके बाद भी इस मरीज के परिजन खून की व्यवस्था नहीं कर सके थे।यहॉं मरीज के परिजनों ने बताया कि सिविल अस्पताल में खून उपलब्ध कराने के नाम पर अवैध वसूली भी की जाती है। सिविल अस्पताल के वरिष्ठ डाक्टर बसंत सिंह ने इस आरोप को खारिज कर दिया। उन्होने बताया कि यहॉं प्रतिदिन तीन से चार मरीजों को खून की जरूरत पड़ती है। पर खून उपलब्ध नहीं होने से उन्हे मरीज को अक्सर बाहर के अस्पताल के लिए रेफर करना पड़ जाता है। डा.सिंह का कहना था कि यहॉं की समस्या के प्रति मदर ब्लॅड बैंक को ध्यान देने की जरूरत है।
          अम्बिकापुर स्थित मदर ब्लॅड बैंक में यहॉं के जरूरतमंद मरीजों को खून नहीं मिलने की बात से उच्चाधिकारियों के पास कई बार लिखित षिकायत की जा चुकी है।पर ब्लॅड बैंक का रवैया में आज तक कोई सुधार नहीं हुआ है। 
          

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