नासिक में आयोेजित कुंभ मेले में दूसरे शाही स्नान में भाग लेने के लिए पत्थलगाँव से श्रद्धालुओं का जत्था 13 सितम्बर को रवाना हुआ। सड़क मार्ग से रवाना हुए इस जत्थे में पत्थलगाँव एवं आसपास के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। नागरिकों ने इन श्रद्धालुओं को खुश होकर विदाई दी। सभी श्रद्धालु पूरे जोश-खरोश के साथ शाही स्नान में भाग लेने के लिए रवाना हुए। इस दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।
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रविवार, 20 सितंबर 2015
बुधवार, 9 सितंबर 2015
मांड नदी से 1600 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई का लाभ
सिंचाई सुविधा में इजाफा के बाद बहनाटांगर क्षेत्र में बढ़ेगा मुगंफल्ली, तिलहन और दलहन का रकबा |
गुड न्यूज
39 करोड़ की लागत की सुसडेगा व्यवपर्तन योजना को मिली
हरी झंडी: 6 ग्राम पंचायत के सैकड़ों किसानों को मिलेगा लाभ
रमेश शर्मा/पत्थलगाँवमांड नदी के तट पर सुसडेगा गांव में किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए 39 करोड़ रुपयों की लागत से सुसडेगा व्यवपर्तन सिंचाई योजना को हरी झंडी मिल गई है। इस अचंल के किसानों ने सिंचाई साधनों की कमी के संबंध में पिछले दिनो क्षेत्रीय विधायक शिवशंकर साय पैंकरा के समक्ष जोर शोर से मांग उठाई थी। श्री पैंकरा ने सुसडेगा अंचल के किसानों को जल्द ही सिंचाई योजना स्वीकृत कराने का आष्वासन दिया था। सुसडेगा व्यवपर्तन सिंचाई योजना से ग्राम पंचायत बहनाटंागर, केराकछार, करमीटिकरा, किलकिला और सुसडेगा के सैकड़ों किसानों को इस सिंचाई योजना के पूरा हो जाने पर उनकी खेती का काम आसान हो जाएगा। सुसडेगा में स्वीकृत इस सिंचाई योजना से 1600 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों के खेतों में पानी की सुविधा मिल जाने से यहंा पर वर्षा के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा।
सुसडेगा के आस पास छः ग्राम पंचायतों में सिंचाई नहरों का जाल बिछ जाने से यहंा भू जल स्तर भी उपर आने की बात कही जा रही है। ग्राम पंचायत बहनाटांगर की महिला सरपंच श्रीमती सम्पति बाई सिदार का कहना था कि इस अचंल की भूमि उपजाउ होने के बाद भी किसानों के पास सिंचाई साधनों की कमी है। इसके चलते ज्यादातर किसान मूँगफल्ली,दलहन और तिलहन फसल की अधिक पैमाने पर उपज नहीं ले पाते हैं। सिंचाई साधनों की कमी से यहंा पर ग्रामीणों को मजदूरी तथा अन्य कार्य करके जीवन यापन करना पड़ता था। उन्होने कहा कि बहनाटांगर में पहले सिंचाई सुविधा के लिए नहरों सं पानी देने की पहल भी हुई थी, लेकिन नहरों का सही रख रखाव नहीं हो पाने से किसानों को वर्षा का पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता था।श्रीमती सिदार का कहना था कि यहंा पर सिंचाई का लाभ मिल जाने के बाद किसान अपने खेतों में धान की उपज के अलावा मुंगफल्ली,तिलहन और अन्य फसल लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकेंगे।
सरगुजा जिले का सीमावर्ती गांव सुसडेगा के समीप मांड नदी का पानी को किसानों के खेतों तक पहुंचाने के लिए लम्बे अर्से से मांग की जा रही थी। लेकिन इस सिंचाई योजना को शासन से स्वीकृति नहीं मिल पा रही थी। पिछले दिनों विधायक शिवशंकर साय ने गांव गांव और घर घर पहुंचकर जनसम्पर्क करने का कार्यक्रम आयोजित किया तो सुसडेगा, सुरेशपुर, बहनाटांगर क्षेत्र के लोगों ने फिर से सिंचाई सुविधा मुहैया कराने की मांग पर जोर दिया था। सुरेशपुर क्षेत्र की उपजाउ भूति होने के बाद भी यहंा सिंचाई के साधनों की कमी है। इस वजह किसानों को खेती के अलावा मजदूरी का काम करना पड़ता है। अब यहंा सुसडेगा व्यवपर्तन योजना के लिए शासन से 3884.99 करोड़ रुपयों की प्रशासकीस स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। इससे अचंल के सैकड़ों किसानों को खेती के काम में भरपूर लाभ मिलेगा।
सिंचाई के साधनों में होगा इजाफा
संसदीय सचिव व क्षेत्रीय विधायक शिवशंकर साय पैंकरा ने बताया पत्थलगांव क्षेत्र में सिंचाई के साधन बढ़ा कर इस अचंल के किसानों को आत्म निर्भर बनाया जाएगा। उन्होने बताया कि सुसडेगा,बहनाटांगर,किलकिला क्षेत्र में सिंचाई साधनों की कमी को देखते हुए यह व्यवपर्तन सिंचाई योजना किसानों के लिए जीवन दायनी योजना साबित होगी। श्री पैंकरा ने बताया कि पत्थलगांव क्षेत्र के किसानों को लाभान्वित कराने के लिए सिंचाई के साधनों में इजाफा करना बेहद जरूरी है। यहंा सुसडेगा व्यवपर्तन योजना के बाद बुढ़ाडांढ़ क्षेत्र के लिए भी एक और सिंचाई योजना स्वीकृत कराने का प्रयास किया जा रहा है। इन सिंचाई योजना को स्वीकृत कराने के साथ इनका नियत समय के भीतर कार्य पूरा कराने का भी प्रयास रहेगा ताकि किसानों को जल्द लाभ मिल सके। श्री पैंकरा ने कहा कि सुसडेगा व्यवपर्तन सिंचाई योजना मांड नदी तट के किनारे वाले 6 गांव के लोगों के लिए वरदान साबित होगी। मिल गई प्रशासकीय स्वीकृति
जल संसाधन विभाग के एसडीओ सुनिल कुमार धमिजा ने बताया कि सुसडेगा व्यवपर्तन योजना की प्रषासकीय स्वीकृति का पत्र प्राप्त हो गया है। इस योजना को पूरा करने के लिए निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। श्री धमिजा ने बताया कि लगभग 39 करोड़ रूपयों की लागत वाली इस सिंचाई योजना की निविदा हो जाने के बाद जल्द ही काम शुरू करा दिया जाएगा।
शुक्रवार, 4 सितंबर 2015
राष्ट्रपति पुरस्कारःमापदंड पर खरे नहीं उतर रहे हैं शिक्षक
कन्या माध्यमिक स्कूल पत्थलगांव
की शिक्षिकाओं को नहीं है
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कन्या हाई स्कूल की शिक्षिका |
विडम्बनाः ग्रामीण अंचल के शिक्षकों को नहीं है विस्तृत जानकारी
रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
जशपुर जिले में अब तक किसी भी शिक्षक को शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार नहीं मिल पाया है। यहाँ पर शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कई योग्य शिक्षक तो हैं, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को नियत समय पर आवेदन और आवश्यक जानकारी देने का समुचित ब्यौरा ही नहीं है। इस वजह भी जिले के शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान से वंचित हैं।
दरअसल शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य के अलावा चुनाव, जनगणना अन्य जरूरी काम की जिम्मेदारी तो सौंप दी जाती है, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। बुधवार को पत्थलगांव क्षेत्र में बुड़ाढ़ाड़, शिवपुर, गाला, सारसमार, पुरानी बस्ती स्कूल पहुंच कर वहाँ के शिक्षकों से शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान के बारे में जब पूछा गया तो किसी भी स्कूल के शिक्षक इसकी विस्तृत जानकारी नहीं दे पाए। शिक्षकों ने ये तो बता दिया कि देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। लेकिन शिक्षकों को मिलने वाले सम्मान के बारे में शिक्षकों को ही विस्तृत जानकारी नहीं थी।
रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
जशपुर जिले में अब तक किसी भी शिक्षक को शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार नहीं मिल पाया है। यहाँ पर शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कई योग्य शिक्षक तो हैं, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को नियत समय पर आवेदन और आवश्यक जानकारी देने का समुचित ब्यौरा ही नहीं है। इस वजह भी जिले के शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान से वंचित हैं।
दरअसल शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य के अलावा चुनाव, जनगणना अन्य जरूरी काम की जिम्मेदारी तो सौंप दी जाती है, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। बुधवार को पत्थलगांव क्षेत्र में बुड़ाढ़ाड़, शिवपुर, गाला, सारसमार, पुरानी बस्ती स्कूल पहुंच कर वहाँ के शिक्षकों से शिक्षा के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान के बारे में जब पूछा गया तो किसी भी स्कूल के शिक्षक इसकी विस्तृत जानकारी नहीं दे पाए। शिक्षकों ने ये तो बता दिया कि देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। लेकिन शिक्षकों को मिलने वाले सम्मान के बारे में शिक्षकों को ही विस्तृत जानकारी नहीं थी।
कन्या हाई स्कूल |
नहीं पूरे हुए तय मापदंड
इस जिले के कई शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार तो मिल चुके हैं। लेकिन राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अब तक किसी भी शिक्षक ने तय मापदंड पूरे नहीं कर पाने से यह उपलब्धि नहीं मिल पाई हैं। यही वजह जशपुर जिले के शिक्षकों का नाम राष्ट्रीय क्षितिज पर रोशन नहीं हो पा रहा है।
जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता का कहना है कि विभिन्न पुरस्कारों के लिए शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया एक साल पहले से ही प्रारम्भ हो जाती है। शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए जिन शिक्षकों के नाम सामने आते हैं उनके दस्तावेजों की जांच पड़ताल के बाद उच्च अधिकारियों को फाइल भेज दी जाती है। मौजूदा वर्ष 2015 के लिए मनोरा और जशपुर के दो शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए प्रदेश कार्यालय में उनके नाम भेजे गए थे। इन शिक्षकों व्दारा निर्धारित मापदंड पूरा नहीं कर पाने से दोनों नाम पर विचार नहीं हो पाया। श्री गुप्ता ने बताया कि जशपुर जिले में राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अब तक किसी भी शिक्षक ने दावेदारी नहीं की है।
यह मिलता है पुरस्कारस्वरूप
शिक्षकों को मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान में राष्ट्रपति व्दारा शाॅल श्रीफल, सिल्वर मेडल के साथ 50 हजार रुपयों का चेक दिया जाता है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक को यह सम्मान देने के लिए राष्ट्रपति भवन आमंत्रित किया जाता है। वहाँ पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की उपस्थिति में रात्रि भोज में भी शामिल किया जाता है। इस सम्मान को प्राप्त करने वाले शिक्षक को जीवन भर रेल यात्रा मंे 50 फीसदी की छूट मिलती है। साथ ही केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय व्दारा अनेक योजनाओं का लाभ भी दिया जाता है। शिक्षा विभाग व्दारा 2 वेतन वृध्दि, शारीरिक रूप से सक्षम होने पर दो साल की सेवावृध्दि के अलावा अन्य सुविधा दी जाती है।
जिले के पांच शिक्षकों को मिल चुका सम्मान
जशपुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 5 शिक्षकों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। इन शिक्षकों को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के हाथों सम्मानित किया गया है।
1.एम.एस.राठौर सेवानिवृत वर्ष 2006
2.राकेश राठौर महादेवडांढ़ वर्ष 2008
3.बी.डी.मिश्रा लोदाम वर्ष 2009
4.सरजीत मिश्रा जशपुर वर्ष 2010
5.विजय कुमार सिन्हा जशपुर वर्ष 2011
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