एमजीएमएल शिक्षा पद्धति की
सामग्री
हुई अनुपयोगी |
रेडियो से अंग्रेजी पढ़ाना भी बंद
रमेश शर्मा/ पत्थलगांव/
प्राथमिक स्कूल के बच्चों को भारी भरकम बस्ते का बोझ से छुटकारा दिलाने के लिए
शुरू की गई एमजीएमएल अर्थात खेल खेल में शिक्षा देने की पद्धति अब दम तोड़ती नजर आ रही
है। सरकारी स्कूलों में इस पद्धति के तहत खरीदी गई लाखों रू.की सामग्री अब कचरे के
ढ़ेर में बदलने लगी है। इसके पहले प्राथमिक स्कूलों में रेड़ियों के माध्यम से अंग्रेजी
पढ़ाने की शुरूवात की गई थी। बगैर सोच विचार के नन्हे बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर बार बार
प्रयोग करने से बच्चों पर विपरित असर पड़ रहा है।
साल भर पहले तक सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों को खेल खेल में पढ़ाई का काम
शुरू किया गया था। शिक्षक शिक्षिकाओं व्दारा स्कूली बच्चों को महापुरूष व पशु पक्षी
के चित्र तथा गिनती के साथ शिक्षाप्रद बातें सिखाई जाती थी। सरकारी स्कूलों में खेल
खेल की पद्धति को सफल बनाने के लिए शासन ने भारी भरकम राशि खर्च की थी। स्कूल के बच्चों
को खेल खिलौने की इस सामग्री को व्यवस्थित ढंग से सहेज कर रखने के लिए मंहगी प्लास्टिक
की ट्रे के अलावा लकड़ी का फर्नीचर भी उपलब्ध कराया गया था। इस शिक्षा पद्धति के माध्यम
से छोटे बच्चों को बेहतर तरीके से समझा कर ज्ञानवर्धन कराने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण
देने के नाम पर लाखों रूपयों का खर्च भी किया गया था। लेकिन विडंबना यह है कि अब खेल
खेल में पढ़ाने वाली समूची सामग्री को कमरों
में बंद कर वहंा ताला जड़ दिया गया है। इस शिक्षा सामग्री को छोटे बच्चे याद तो करते
हैं लेकिन शिक्षक इस पद्धति को अधिकारियों का तुगलकी फरमान बता कर चुप्पी साध लेते
हैं।
अंग्रेजी शिक्षा के रेडियो भी बेकार
एमजीएमएल शिक्षा पद्धति की
सामग्री
हुई अनुपयोगी |
शिक्षकों का कहना है कि इसके पहले भी स्कूल में छोटे बच्चों को अंग्रेजी की
शिक्षा देने के लिए दोपहर रेडियो के माध्यम से पढ़ाने की व्यवस्था कराई गई थी। सभी स्कूलों
में खरीदे गए रेडियो अब कचरे के ढेर में पड़े हैं। शिक्षकों का कहना है छोटे बच्चों
की पढ़ाई लिखाई पर बार बार प्रयोग करने से उन पर विपरित असर पड़ रहा है।
प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए लागू की गई एमजीएमएल पद्धति को स्कूल के कमरे
में बंद कर देने के बाद अब फिर से बच्चों को बस्ता लेकर स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। खेल
खेल में पढ़ाई के लिए खरीदी गई सामग्री पर धूल की मोटी परत जम चुकी है। ज्यादातर स्कूलों
में एमजीएमएल पद्धति की पढ़ाई के लिए आकर्षक साज सज्जा के साथ पेंटिग के नाम पर भी भारी
भरकम खर्च किया गया था। इन सब सामग्रियों का अब पढ़ाई में उपयोग नहीं हो पाने से स्कूल
के शिक्षकों ने उन कमरों पर ताला जड़ रखा है।
एमजीएमएल पद्धति से छोटे बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना था
कि यह पद्धति जल्द बाजी में तैयार की गई थी। इस पद्धति से बच्चों को पढ़ाने पर उनका
मानसिक विकास सही तरिके से नहीं हो पा रहा था। खेल खेल में बताई गई शिक्षा की बातों
को बच्चे अगले ही क्षण भूल कर दूसरे सवाल करने लगते थे। खेल खेल की पद्धति में शिक्षकों
को अधिक मेहनत करने की वजह से शिक्षकों ने बगैर किसी आदेश के इस शिक्षा व्यवस्था को
कमरों में बंद करना शुरू कर दिया था।
खेल खेल के बजाए सतत व व्यापक मूल्यांकन
ब्लॅाक शिक्षा अधिकारी बरसाय पैंकरा ने बताया कि छोटे बच्चों की शिक्षा के लिए
अब सतत एवं व्यापक मूल्याकंन पद्धति शुरू की गई है। इसमें बच्चों की प्रत्येक गतिविधि
पर नजर रख कर उसे फार्म में दर्ज करना है। श्री पैंकरा का कहना था कि स्कूलों में रेडियो
के माध्यम से अंग्रेजी की पढ़ाई और खेल खेल में पढ़ाई का काम बंद हर दिया गया है।इसके
बदले अब स्कूली बच्चों का सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की नई शिक्षा पद्धति पर बेहतर क्रियान्वयन
कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।