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बुधवार, 9 जुलाई 2014

मानसून की बेरुखी से किसान मायूस

अंचल में सूखे के हालात 
50 फीसदी से भी कम बारिश
पत्थलगांव/रमेश शर्मा
        इन दिनो कमजोर मानसून के कारण अभी भी किसानों के खेत सूखे पड़े हैं। बीते वर्ष की तूलना में इस वर्ष 200 मिमी.वर्षा कम होने से सूखे के हालात बनते जा रहे हैं। बारिश के अभाव में धान के खेतों में बड़ी बड़ी दरार दिखने लगी हैं। धान की फसल को बर्बादी के कगार पर देख कर किसान मायूस हो गए हैं।
     पिछले दिनो दो बार हुई हल्की बूंदा बांदी के बाद 50 फीसदी से अधिक किसानों ने खेतों में बोनी का काम कर डाला है। कुछ किसानों ने तो यहां मानसून की दस्तक से पहले ही अपने सूखे खेतों में बोवाई का काम पूरा कर लिया था। अब मानसून की दगाबाजी के कारण इन किसानों के बीज खेतों में ही खराब होने लगे हैं। खेतों में दरार देख कर कई किसानों को कर्ज के भुगतान की चिंता बढ़ गई है।
     पत्थलगांव तहसील में अब तक 173.0 मिमी वर्षा का रिकार्ड है, बीते वर्ष इसी अवधि में यहां 371.6 मिमी.वर्षा दर्ज की गई थी। इस साल अल्पवृष्टि के चलते पिछले वर्ष की औसत वर्षा से 50 फीसदी से भी कम बारिश है। विलंब से शुरू हुई मानसून के बाद इस अचंल के किसानों ने आनन फानन में अपना खेती किसानी का काम शुरू करके खेतों में बीज डाल दिए थे। इन किसानों के खेतों में धान के बीज अंकूरित तो हो गए हैं लेकिन सूखे के कारण ये पौधे अब दम तोड़ने लगे हैं। मानसून की दगाबाजी से किसानों की उम्मीद पर ही पानी फिर गया है।
      पाकरगांव के किसान गणेशचन्द्र बेहरा  तिलडेगा के मनोज अम्बस्थ , धनसाय, बीरिक साय तथा पुरानी बस्ती के किसान बाबा महाराज का कहना है कि इस बार  मानसून साथ नहीं देने के कारण यहां खेती किसानी का काम एक पखवाड़ा पिछड़ गया है। अल्पवृष्टि के चलते यहां पर केवल टयूबवेल वाले किसानों की ही फसल ठीक है, लेकिन वर्षा आधारित किसानों की हालत खराब है। इन दिनों अचंल के ज्यादातर किसान अपने खेतों में फसल की बर्बादी को देख कर मायूस हो गए हैं।
  दरअसल इस अचंल में ज्यादातर किसानों के पास खेतों में सिंचाई करने के लिए टयूबवेल,सिंचाई नहर तथा अन्य साधन नहीं होने के कारण उन्हें इस वक्त मानसून की दगाबाजी काफी भारी पड़ रही है। इस अचंल के किसानों का कहना है कि अब यदि मूसलाधार बारिश होगी तो भी फसल का उत्पादन प्रभावित होगा।
            मूसलधार बारिश की जरूरत 
     यहां घरजियाबथान के किसान डीआर यादव का कहना था कि यहां पर काफी विलंब से पहुंचा मानसून के बाद अब तक हुई बारिश से खेतों की जमीन भी गीली नहीं हो पाई है। इस वक्त धान की बेहतर फसल के लिए मूसलाधार बारिश का होना बेहद जरूरी हे। मानसून की दस्तक देते ही जिन किसानों ने खेतों में बोनी कर दी थी वहां अब पानी के बिना बीज खराब हो रहे हैं। यदि ऐसी ही स्थिति रही तो किसानों को दोबारा बुवाई करनी पड़ सकती है।  मानसून की दगाबाजी को देख कर कृषि विभाग का अमला भी खामोश हो गया है।
   यहां वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी श्रीमती अनिता एक्का का कहना है कि बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक बात है। उन्होंने कहा कि अर्ली वेरायटी के बीज का उपयोग करने वालों को नुकसान की कम संभावना है।

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