पानी ब्यर्थ बह जाने के बाद खाली पड़ा गेरा नाला सिंचाई बांध की तस्वीर |
बांध की लागत से दो
गुना खर्च के बाद भी नहरों का काम अधूरा
हरित क्रांति लाने वाले सिंचाई बांध पानी के बगैर अनुपयोगी
रमेश शर्मा /पत्थलगांव/
कमजोर मानसून को
देख कर इस वर्ष किसानों को सूखे की चिंता सताने लगी है। बोनी का काम एक माह पिछड़ जाने
के बाद अब किसानों की बेचैनी बढ़ते जा रही है। किसानों का कहना है कि आगे अच्छी बारिश
होगी या नहीं इस बात को सोच कर वे रात को सो नहीं पा रहे हैं। मानसून के पहले बोए गए
बीज खेतों में ही खराब होने की शिकायत मिल रही है। कई किसान अब दोबारा बोने के लिए
बीज खरीद रहे हैं।
सबसे बड़ी विडंबना यह
है कि कम बारिश से चिंतित यहां के किसानों को करोड़ो रूपयों की लागत वाले सिंचाई बांधों
से भी खरीफ फसल के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। जल संसाधन विभाग व्दारा इस अचंल में
हरित क्रांति लाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर बनाए गए 8 सिंचाई बांधों में इस
समय केवल दो बांध में ही पानी उपलब्ध है। शेष बांध यहां पर सफेद हाथी साबित हो रहे
हैं। यहां का गेरा नाला और घरजियाबथान सिंचाई बांध का पानी नहीं सहेज कर रखने से ये
दोनो बांध खरीफ फसल में किसानों के लिए अनुपयोगी साबित हो रही हैं।
पाकरगांव के किसान
गणेशचन्द्र बेहरा का कहना था कि मानसून की देरी के बाद अब हल्की बुन्दा बान्दी से खेतों
की मिट्टी भी गिली नहीं हो पा रही है। ऐसे में किसान सिंचाई के लिए बेहद बेकरार हो
रहे हैं। इस अचंल में अनेक किसानों ने अपने खेतों में बीज भी डाल दिए हैं, लेकिन खेतों में पर्याप्त
पानी का अभाव से अभी तक बीज अंकुरित नहीं हो पा रहे हैं।
पत्थलगांव जल संसाधन
विभाग व्दारा करोड़ों रूपयों की लागत से बनाए गए सिंचाई बांधों में पानी नहीं रहने से
ये बांध किसानों के लिए बेकार साबित हो रहे हैं। यहां पर 17 करोड़ रू.की लागत वाला
घरजियाबथान सिंचाई बांध का निर्माण में 23 करोड़ रू. से अधिक राशि व्यय करने के बाद इस
बांध में 2 साल के बाद भी नहरों
का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। इसी तरह जल संसाधन विभाग का गेरा नाला सिंचाई बांध
में भी पानी नहीं रहने से किसानों के लिए यह बांध अनुपयोगी साबित हो रहा है। लगभग 10 करोड़ की लागत से बनाया
गया इस सिचांई बांध में भी नहरों का काम अधूरा रह जाने से हरित क्रांति लाने वाले ये
बांध अब सफेद हाथी बन कर रह गए हैं। सबसे बड़ी विडमंना यह है कि करोड़ों रू.की लागत से
बनाए गए इन बांधों का रख रखाव के लिए जल संसाधन विभाग ने फुटी कौड़ी का भी प्रावधान
नहीं रखा है। गेरा नाला सिंचाई बांध में मुख्य गेट का व्दार खराब हो जाने के बाद इसका
रख रखाव के लिए महज ढाई हजार रू.का आबंटन नहीं मिल पाने से इस बांध का पूरा पानी ब्यर्थ
में बह गया था। छैः माह पहले गेरा नाला बांध से ब्यर्थ पानी बहने के संबंध में आस पास
के किसानों ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को शिकायत भी की थी। लेकिन पत्थलगांव
जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी के पास इस बांध का रख रखाव के नाम पर फुटी कौड़ी
का भी आबंटन नहीं रहने से मुख्य गेट पर सुधार का काम नहीं हो पाया था। गेरा नाला बांध
में अब 10 प्रतिशत पानी भी नहीं
बच पाया है। गेरा नाला के समीप जामझोर के सरंपच नन्द देव साय ने बताया कि गेरा नाला
सिंचाई बांध से आस पास के आधा दर्जन गांवों में खरीफ और रबि की फसल को सिंचाई सुविधा
मुहैया कराने का दावा किया गया था। लेकिन यह दावा केवल कागजी बन कर रह गया है। नन्द
देव ने बताया कि गेरा नाला सिंचाई बांध का काम पूर्ण करने का दावा तो किया गया है लेकिन
यहां पर कोकियाखार तथा अन्य नहरों का काम आज भी अधूरा पड़ा है। उन्होने बताया इस समय
आस पास के किसान अल्प वृष्टि से खासे परेशान हैं। यहां पर करोड़ों रू.की लागत का सिंचाई
बांध और नहरों का जाल बिछ जाने के बाद भी पानी के अभाव में गेरा नाला बांध अनुपयोगी
साबित हो रहा है।
लापरवाह अधिकारी
पर दंडात्मक कार्रवाई जरूरी
बागबहार के भाजपा
नेता आनंद शर्मा का कहना था कि महज 2 हजार रू.का आबंटन नहीं मिल पाने से गेरा नाला
सिंचाई बांध का समूचा पानी ब्यर्थ बह जाना बेहद दुर्भाग्य की बात है। इसमें जल संसाधन
विभाग के अधिकारी की लापरवाही अधिक झलकती है। ऐसे अधिकारियों के विरूध्द शासन को दंडात्मक
कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होने कहा कि गेरा नाला सिंचाई बांध का पानी यदि ब्यथ नहीं
बहता तो इस पानी से जामझोर ,कोकियाखार आदि गांव के सैकड़ों एकड़ भूमि में अल्पवृष्टि के बाद
भी खरीफ की फसल का लाभ मिल सकता था। उन्होने कहा कि गेरा नाला सिंचाई बांध की नहरों
का निर्माण पर करोड़ों रू.का व्यय करने के बाद आज भी कोकियाखार क्षेत्र में नहरों का
काम अधूरा पड़ा है।श्री शर्मा ने कहा कि गेरा नाला सिंचाई बांध का निर्माण कार्य के
दस्तावेजों की जांच करने से यहां पर करोड़ों रू.की वित्तिय अनियमितता का खुलासा हो सकता
है।
गेरा नाला सिंचाई बांध का मुख्य गेट रख रखाव के अभाव में बह गया पानी |
सिंचाई बांधों
का रख रखाव में आबंटन की कमी
यहां जल संसाधन विभाग
के सहायक यंत्री एसके धमिजा ने बताया कि यहां बनाए गए सिंचाई बांधों का रख रखाव के
लिए आंबटन का प्रावधान नहीं होने से उन्हेa काफी दिक्कतों का सामना
करना पड़ रहा है। श्री धमिजा ने बताया कि यहां के 8 सिंचाई बांध में केवल दो बांध में ही खरीफ
फसल के लिए सिंचाई का पानी उपलब्ध है। उन्होने बताया कि यहां पर किसी भी सिंचाई बांध
में चौकीदार रखने का प्रावधान नहीं होने से इन दिनो सिंचाई के लिए पानी का गेट भी नहीं
खुल पा रहा है। सिंचाई बांध के आस पास के किसान स्वयं देखरेख करने से यहां पर मौजूदा
हालात को अच्छा नहीं कहा जा सकता है।
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