एसडीएम आवास के सामने कचरे से पटा हुआ कुआं |
वार्ड क्रमांक 7 में संधारण
की बाट जोह
रहा एक कुंआ
|
इन्ही कुओं से पूरे शहर का
काम चलता था,
नगर पंचायत की लापरवाही से अस्तित्व खतरे में
रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
गर्मी के दिनों में स्थानीय लोगों के साथ बाहर
से आने वाले राहगीरों को पेयजल समस्या से निजात दिलाने वाले प्राचीन कुएं अब अपना अस्तित्व
खोते जा रहे हैं। नगर पंचायत व्दारा शहर के सार्वजनिक कुओं के साथ तालाबों का संधारण
के काम से मुंह फेर लेने के बाद अब अनेक कुएं और तालाब यहां पूरी तरह विलुप्त होने
के कगार पर पहुंच गए हैं।
विलुप्त होने के कगार में पहुंच गया सूता तालाब
|
यहां जल स्तर में तेजी से आ रही गिरावट को देख
कर शहर के लोगों को घरेलू व पेयजल आपूर्ति के लिए जगह जगह स्थापित सार्वजनिक कुओं की
याद आने लगी है। यहां के बुजुर्ग नागरिक जगनलाल अग्रवाल का कहना था कि तीन दशक पहले
भारी गर्मी के बाद भी कुओं और तालाब से पानी मिलना बन्द नहीं होता था। आज नल जल योजना
का पानी मटमैला के साथ बार बार जल आपूर्ति में रूकावट आने से नागरिकों की परेशानी बढ़
गई है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने वर्षो
पहले सार्वजनिक कुओं, तालाब और राहगीरों के
लिए प्याऊ की सुविधा उपलब्ध कराई जाती थी। सार्वजनिक कुओं से जहां लोगों को आसानी से
पीने का पानी मिल जाता था, वहीं तालाब से निस्तारी
काम के साथ पशुओं की मुश्किलें कम हो जाती थी। उन्होने कहा कि यहां पर गुरुदयाल सिंह
भाटिया का निवास परिसर, प्राचीन शिव मंदिर परिसर, एसडीएम निवास के सामने ऐसे कुएं थे, जिसमें रात दिन पानी निकालने के बाद भी इन कुओं में पानी भरा
रहता था। इसी वजह शहर के लोगों को भीषण गर्मी के बाद भी पेयजल समस्या का सामना नहीं
करना पड़ता था। वास्तव में हमारे बुजुर्गो की सीख को आज की युवा पीढ़ी ने अनदेखा कर दिया
है। इसी वजह हम लोगों को पीने का पानी की किल्लत उठानी पड़ रही है। श्री अग्रवाल ने
कहा कि हमारे पूर्वजों की इन धरोहर पर नगर पंचायत ने कभी भी ध्यान नहीं दिया।इसके लिए
हमारे चुने गए जनप्रतिनिधि भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होने कहा कि हमारे जिम्मेदार
जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासनिक अमले के लोग अपने कर्त्तव्य से विमुख होने के कारण
ही यहां के कुएं और तालाबों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
यहां के युवा उद्योगपति आशिष अग्रवाल का कहना
था कि पूर्वजों व्दारा किए जाने वाले सेवाभावी कार्यो पर हमारी युवा पीढ़ी को विराम
नहीं लगने देना चाहिए। उन्होने कहा कि इसके पहले कुओं से मिलने वाला पानी में स्वच्छता
के साथ हर समय ठंडकता का आनंद आता था। लेकिन नल जल योजना से मिलने वाला पानी की स्वच्छता
को लेकर हमेशा भय बना रहता है। उन्होने कहा कि हमारे बुजुर्गो की धरोहर को नहीं बचा
पाने से ही आज पेयजल के लिए मारामारी बढ़ गई है।
शहर में दो दर्जन से भी अधिक कुएं अपना अस्तित्व
खो चुके हैं। यहां पर कई ऐसे कुएं थे जिनका पानी भीषण गर्मी के बाद भी कम नहीं होता
था वहां नगर पंचायत का नियमित संधारण नहीं होने से वे अब पूरी तरह विलुप्त हो गए हैं।
यहां एसडीएम निवास के सामने पूरे बस स्टैण्ड के आस पास रहने वाले घरों तथा होटल वालों
के लिए बेहद उपयोगी कुंआ माना जाता था। इस कुएं का संधरण कराने के बजाए नगर पंचायत
ने इसमें कचरे का ढेर भर कर इसे ऊपर तक पाट दिया है। इसी तरह की बदहाली का नजारा रायगढ़
रोड़, पुरानी बस्ती, जशपुर रोड़ और अम्बिकापुर रोड़ में जगह जगह देखा जा सकता है। शहर
में रख रखाव के अभाव में तालाबों का अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है।
गंदगी के ढेर में बदलने लगे तालाब
यहां
का सबसे साफ सुथरा सुता तालाब का सौंदर्यीकरण कराने के नाम पर नगर पंचायत ने 20 लाख रू.से अधिक व्यय करना बताया है लेकिन भ्रष्टाचार के चलते
यह तालाब अब गंदगी के ढेर में बदल गया है। इसी तरह पूर्व विधायक रामपुकार सिंह के निवास
के समीप तीन पुराने तालाबों में भी अब केवल गंदगी का ढेर दिखाई देता है। यहां तालाब
और सार्वजनिक कुओं की लगातर बर्बादी को देखकर नागरिकों में आक्रोश व्याप्त है।
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