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गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

और कितनी मौतों का इंतजार

एनएच 43  पत्थलगांव में मरम्मत कार्य के बाद फिर उभरे गड्ढे
22 दुंर्घटनाओं में अब तक 14 मौतें           
पत्थलगांव/   रमेश शर्मा
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में कटनी गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाली को दूर कराने के काम के लिए यहां पर सभी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि असहाय हो गए हैं। जशपुर जिले में 150 कि.मी.लम्बी इस सड़क की जर्जर हालत के चलते वाहनों की दुर्घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। पत्थलगांव शहरी क्षेत्र के आसपास कटनी गुमला एनएच सड़क की बदहाल हालत के चलते बीते साल वाहन दुर्घटना के 22 मामलों में 14 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी यहां चौड़ीकरण और डामरीकरण का काम को स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। एनएच विभाग व्दारा दो माह पहले इस सड़क पर लाखों रुपए खर्च करके गड्ढे भरने का काम में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिए जाने से इस सड़क पर फिर से जगह जगह पुराने गड्ढे उभर आए हैं।
   अम्बिकापुर स्थित एनएच विभाग के कार्यपालन अभियंता ने बीते चार साल में पत्थलगांव क्षेत्र में 10 कि.मी. की जर्जर सड़क पर चौडी़करण और डामरीकरण का एक ही काम के लिए 4 बार निविदा आमंत्रित की जा चुकी हैं। इस कार्य की निविदा के लिए ठेकेदारों व्दारा अधिक दर भरने के कारण विभाग के उच्च अधिकारी काम को स्वीकृति प्रदान नहीं कर रहे हैं। कटनी गुमला मार्ग के कि.मी.क्रमांक 465 से 475 तक सड़क की बदहाल हालत को सुधारने के लिए आमंत्रित की गई निविदा में 46 प्रतिशत अधिक दर आने के बाद इस प्रकरण को केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया है। लेकिन वहंा भी इस जटिल प्रकरण पर निराकरण नहीं हो पाया है।
     एनएच विभाग के कार्यपालन अभियंता एसआर झरबड़े ने बताया कि लगभग एक साल से इस जटिल प्रकरण पर केन्द्रीय वित्त मंत्रालय से स्वीकृति मिलने की प्रतिक्षा की जा रही है। लेकिन वहंा भी पत्थलगांव की सड़क के प्रकरण पर कोई निराकरण नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि इस जर्जर सड़क पर नया काम करने की स्वीकृति नहीं मिल पाने से यहंा पर बार बार राज्य सरकार का सालाना मरम्मत कार्य के मद से सड़क पर गड्ढे भरने का काम कराया जा रहा है।इसमें एक करोड़ से अधिक व्यय करने के बाद भी एनएच सड़क की दषा ज्यों कि त्यों है।
    सबसे दिलचस्प बात यह है कि पत्थलगांव के शहरी क्षेत्र में कटनी गुमला एनएच सड़क पर महज दो माह पहले ही लगभग 50 लाख रुपयों का खर्च करके गड्ढे भरने का काम कराया गया था।इस काम में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देने के कारण इंदिरा चौराहा और वन विभाग कार्यालय के समीप सड़क के पुराने गड्ढे फिर से उभर गए हैं।
एनएच की जर्जर सडक पर दुर्घटना में 14 की मौत

    पत्थलगांव शहर में दीवानपुर चौक से पालिडीह कालेज तक लगभग 10 किमी के क्षेत्र में इस सड़क की बदहाली के चलते यहंा आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं।पत्थलगांव थाना प्रभारी जेपी सिंग ने बताया कि बीते एक वर्ष में यहां 22 सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में पुलिस ने 14 लोगों की मौत के मामले दर्ज किए हैं। उन्होने बताया कि दुपहिया वाहन तथा अन्य राहगिरों को चोट लगने के मामलों की लम्बी सूची बन गई है।
                    पांच साल से अधूरा पड़ा है सड़क निर्माण का काम
     पत्थलगांव क्षेत्र में कटनी गुमला एनएच सड़क की जर्जर हालत को सुधारने के लिए यहंा पर वर्ष 2008ृ - 2009 में 4 करोड़ 21 लाख रू. में 10 कि.मी.सड़क पर चौड़ी करण और नया डामरीकरण का कार्य को स्वीकृत किया गया था।एनएच विभाग के सूत्रो का कहना है कि ठेकेदारों की आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते बेहद कम दर पर इसकी निविदा भरी गई थी। एनएच विभाग के कार्यपालन अभियंता का कहना है कि लगभग पांच साल पहले एनएच सड़क पर चौड़ीकरण और डामरीकरण की निविदा लेने वाले ठेकेदार ने लगभग 10 प्रतिशत काम करने के बाद इस काम को अधूरा छोड़ दिया था। इसके लिए संबंधित ठेकेदार को कई बार चेतावनी दे कर शेश कार्य को पूर्ण करने के लिए तीन बार पुनः निविदा आमंत्रित की जा चुकी है। इस कार्य के लिए वर्ष 2010 और 2011 में बुलाई गई निविदा की दर 43 प्रतिशत अधिक होने के कारण उच्चाधिकारियों से स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
                       3 करोड़ के कार्य की लागत ढाई गुना हुई
     इस कार्य की निविदा भरने वाली कम्पनी मे.हिल ब्रो मेटालिक कम्पनी के संचालक अनिल कुमार का कहना था कि लगभग 3 करोड़ रुपए.के इस कार्य की लागत बढ़ कर अब 8 करोड़ रू.से अधिक हो चुकी है। उन्होने कहा कि सड़क निर्माण सामग्री की दरों में भारी इजाफा के अलावा यह सड़क अब पहले से ज्यादा जर्जर हो गई है। इस सड़क पर समुचित काम करने के लिए पुरानी दर से काम कर पाना सम्भव ही नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में बुलाई गई निविदा की दर 43-89 प्रतिशत अधिक होने के कारण अम्बिकापुर के कार्यपालन अभियंता ने कार्य की स्वीकृति के लिए इस प्रकरण को केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया है। लेकिन वहंा पिछले एक साल से इस जटिल प्रकरण पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
                 सड़क की देखरेख के अभाव में बढ़ रही बदहाली
   एनएच विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री झरबड़े ने बताया कि पत्थलगांव क्षेत्र में लगभग 40 कि.मी. लम्बी एनएच सड़क की देख रेख की जिम्मेदारी का काम अम्बिकापुर के उप अभियंता को सौंपा गया है।लेकिन सौ कि.मी. दूर में रहने वाले उप अभियंता व्दारा इस सड़क की समुचित देख रेख नहीं करने से यहां की बदहाली और बढ़ गई है

बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

गुटका हुआ महंगा व्यापारियों के पौ-बारह

भाव में तीन गुना वृद्धि प्रशासन खामोश
पत्थलगांव / रमेश शर्मा
    तंबाकू गुटखा पाउच की बिक्री पर प्रतिबंध लगने के सात माह बाद भी इसका पालन अधिकांश विक्रेताओं द्वारा नहीं किया जा रहा है। गुटखा पाउच की बिक्री पर पूर्ण रोक लगने के वावजूद शहर की विभिन्न दुकानों में इसकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है।
    शासन व्दारा इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद यहॉं के थोक विक्रेता मनमाना दाम वसूलने लगे हैं। यहॉं पर तंबाकू गुटका पाउच की चिल्हर बिक्री करने वाले दुकानदारों का कहना है कि प्रतिबंध के बाद इसके थोक भाव में दो से तीन गुना तक वृद्धि हो चुकी है। इसी वजह पान ठेला और अन्य दुकानों में चिल्हर विक्रेताओं को भारी भरकम दाम वसूल कर गुटका पाउच की बिक्री करनी पड़ रही है। गुटका के शौकीनों का कहना है कि  इसकी बिक्री पर प्रतिबंध की महज औपचारिकता की गई है। गुटका की अवैध बिक्री को देख कर भी यहॉं का शासकीय अमला चुप्पी साधे हुए हैं। गुटके का सेवन करने वालों ने बताया कि इन दिनों बाजार में गुटका के कई नए ब्रांड भी पहुंच गए हैं। इनमें कई पाउच के अन्दर बेहद बदबूदार तंबाकू की सामग्री रहती है। ऐसे पाउच की भारी कीमत आधी करने के बाद भी उन्हें अपनी बुरी लत से छुटकारा नहीं मिल रहा है। दिन में कई बार गुटका खाने की आदत के कारण गुटका के शौकिनों की जेब जमकर ढीली हो रही है। प्रतिबंध के बावजूद तंबाकू गुटका का सेवन करने वालों में सरकारी अमला के लोगों की भी लम्बी कतार देखी जा रही है। ऐसे लोग कार्यालयीन समय में अपने वरिष्ठ अधिकारी के सामने ही धड़ल्ले से तंबाकू गुटका का सेवन करते देखे जा रहे हैं। इनके अलावा सामान्य लोगों को भी तम्बाकू गुटका पर प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ा है। गुटका के शौकीनों का कहना है कि तंबाकू गुटका पर प्रतिबंध के नाम से केवल मुनाफाखोरी बढ़ गई है। यहॉं पर तंबाकू गुटका के एक चिल्हर विक्रेता ने बताया कि इसकी बिक्री पर प्रतिबंध के बाद पहले दुकानदारों में थोड़ा खौफ बना था लेकिन इसके विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं होने से अब थोक और चिल्हर बिक्री करने वाले दुकानदार फिर बेखौफ हो गए हैं।
                  कड़ा रूख अपनाने की जरूरत
    यहॉं सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक पुरुषोत्तम सुथार का कहना था कि गुटका पाउच में तंबाकू और निकोटीन की मात्रा अधिक मिला देने से सेहत पर इसका विपरित असर पड़ता है। उन्होने कहा कि इसका सेवन से मुख कैंसर जैसी बीमारियों की सम्भावना बढ़ जाती है।श्री सुथार ने कहा कि विगत 26 जूलाई से गुटका की बिक्री पर प्रतिबंध के बाद भी कड़ाई से पालन  नहीं कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस दिषा में से जागरूकता अभियान की भी पहल होनी चाहिए। डा.सुथार ने कहा कि स्वास्थ्य के लिए इस हानिकारक सामग्री की बिक्री पर रोक लगाने के लिए शासकीय अमले को जल्द ही कड़ा रूख अपनाना चाहिए।

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

छुक-छुक गाड़ी का इंतजार तीन दशक से

तत्कालीन सांसद सुश्री पुष्पा देवी सिंह ने की थी पहल
पत्थलगांव / रमेश शर्मा
    रेल सुविधा से वंचित छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के लोगों का सपना इस बार भी पूरा होने की सम्भावना दिखाई नहीं दे रही हैं।पिछले चार दषक से इस अंचल के लोग यातायात सुविधा के लिए रेल का सपना को आंखों में संजोए हुए हैं। दो साल पहले कोरबा से लोहरदगा तक 326 कि.मी लम्बी नई रेल लाइन का सर्वे का काम पूरा हो चुका है। इस नई रेल लान का सर्वे के बाद 2443.74 करोड़ रू.की लागत का यह प्रोजेक्ट वर्ष 2011 में  रेल्वे बोर्ड के पास जमा किया जा चुका है। यह नई रेल लाईन आदिवासी अचंल के लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के साथ सरकार के लिए भी फायदे का काम बताया जा रहा है।  के लोग अब यातायात सुविधा में रेल लाईन का सपना को हकीकत में बदलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
    आदिवासी बहुल इस अंचल के लोगों का कहना है कि लगभग तीन दशक पहले तत्कालीन सांसद पुष्पादेवी सिंह ने कोरबा से रांची के बीच नई रेल लाइन का संसद में प्रस्ताव देकर अविभाजित रायगढ़ जिले में यातायात की सुविधा बढ़ाने की पहल की थी।  के प्रमुख पर्यावरणविद निशिकांत अग्निहोत्री ने बताया कि सांसद सुश्री सिंह ने इस परियोजना से आदिवासी अचंल के लोगों का सर्वांगिण विकास की बात पर जोर देते हुए इसके लिए अन्य सांसदों का भी समर्थन जुटाया था। उन्होने बताया कि सुश्री सिंह व्दारा इस काम के लिए की गई सार्थक पहल के परिणामस्वरूप ही इस परियोजना को पूरा करने के लिए समय समय पर आवाज उठती रही है। बाद में केन्द्र की यूपीए सरकार ने भी इस रेल परियोजना के महत्व को स्वीकार करते हुए इसे कोरबा से लोहरदगा तक नई रेल योजना का नाम दिया था। इसी के तहत ममता बनर्जी के रेल मंत्रालय ने कोरबा से लोहरदगा रेल लाइन का सर्वे के आदेदिए थे। 
         जशपुरवासियों का रेल सपना पूरा होने को लेकर 2010 के रेल बजट में आशा की किरण दिखाई पड़ी थी। एस बार कोरबा से लोहरदगा तक रेल लाईन का सर्वे कराने की स्वीकृति मिलने के बाद जिले के लोगों ने खुशी व्यक्त की थी।
         रेल्वे बोर्ड के पास पहुंची प्रोजेक्ट रिपोर्ट
    सांसद विष्णुदेव साय का कहना है कि  पर  कोरबा से लोहरदगा तक की रेल लाईन की परियोजना को गति देने के लिए कई बार संसद में आवाज उठाने के बाद भी केन्द्र सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।उन्होने बताया कि 326 कि.मी.लम्बी रेल लाईन में रायगढ़ जिले का धरमजयगढ़ एवं पत्थलगांव व जषपुर को शामिल किया गया है। श्री साय ने बताया कि कोरबा से लोहरदगा की  इस नई रेल लाइन का सर्वे का काम पूरा कर 2443.74 करोड़ रू.की लागत के इस प्रोजेक्ट को विगत 1 फरबरी 2011 को  इसे रेलवे बोर्ड के पास जमा किया जा चुका है।उन्होने बताया कि आदिवासी बहुल जषपुर और रायगढ़ जिले के लोगो को इस परियोजना से काफी तेजी से विकास हो सकेगा। उन्होने कहा कि कोरबा से लोहरदगा की नई रेल लाईन का काम के लिए प्रदेके सांसदों का दल ने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री से भी मुलाकात की है। पर यातायात की सुविधा के अलावा परिवहन के काम में भी सरकार को करोड़ों रू.का लाभ हो सकता है।उन्होने कहा कि मौजूदा समय में कोयला तथा अन्य खनीज का परिवहन के लिए रेलवे को लम्बी दूरी का सफर पूरा करना पड़ता है। लेकिन कोरबा से लोहरदगा तक नई रेल लाईन बन जाने से इस कम दूरी वाली रेल लाईन का लाभ मिल सकता है।
           जूदेव से थी उम्मीद
  भाजपा के जिला मंत्री हरजीत सिंह भाटिया का कहना था कि अब जषपुरवासियों का रेल सपना हर हालत में पूरा होना चाहिए।उन्होने कहा कि केन्द्रीय मंत्री मंडल में  के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव को स्थान मिलने के बाद  के लोगों को विकास के अधूरे काम पूरे होने की उम्मीद बढ़ गई थी। इसमें कोरबा लोहरदगा रेल लाईन का समना पूरा होने की भी उम्मीद जगी थी।यहॉं श्री भाटिया ने कहा कि जषपुर जिले के लोगों का रेल लाइन का सपना जल्द पूरा होना चाहिए।

किसान की सूझबूझ काम आई, खुद ही बनाई जैविक खाद

 प्रगतिशील किसान वेदप्रकाश  मिश्रा अपने खेतों में
     
पत्थलगांव
        रमेश शर्मा
  वर्तमान में किसानों को जहां रासायनिक खादों से खेती करना महंगा साबित हो रहा है।वहीं यहॉं पर एक प्रगतिशील किसान वेदप्रकाश मिश्रा ने अपने ही खेतों में जैविक खाद बनाकर दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा की मिसाल बन गए हैं।
      इस किसान ने पुरानी बस्ती के पास अपने खेतों में ही जैविक खाद तैयार करके न केवल खेती का रकबा बढ़ा लिया है, बल्कि खाद पर नाममात्र का खर्च करके अपने खेतों में पैदावार को दो गुना से अधिक कर लिया है।श्री मिश्रा ने इस वर्ष धान आदि की खेती के अलावा गन्ना का बम्फर उत्पादन लेकर अपनी आमदनी को तीन गुना बढ़ा लिया है। इस किसान के खेतों में जैविक खाद का उपयोग को देखने के लिए आसपास के गांवों से किसान पहुंच रहे हैं। श्री मिश्रा अब इन किसानों को जैविक खेती से अधिक मुनाफे का गुर सीखा रहे हैं।श्री मिश्रा ने चर्चा के दौरान बताया कि उसने अपने खेत पर जैविक खाद के तहत दीवार नाडेप, केंचुवा खाद, समाध खाद, विभिन्न प्रकार की पत्तियंा से कीट नियंत्रक दवा तैयार की है। इसका अपने खेतों में उपयोग करके लगभग 12 एकड़ भूमि में उन्नत फसल का लाभ लिया है।इस किसान ने बताया कि खेतों के बीच में खाली भूमि पर विभिन्न साग सब्जी उगा लेने से उसे बाजार में महंगी सब्जी नहीं खरीदनी पड़ रही है। इस किसान का कहना था कि उसके खेतों में तैयार होने वाली फसल के साथ वह साग सब्जी से भी नगद आमदनी ले रहा है। वेद प्रकाश मिश्रा के खेतों में इन दिनों विभिन्न फसल को उगाने का तरिका तथा जैविक खाद बनाने की विधि को आस पास के किसान देख रहे हैं।
     श्री मिश्रा ने अपने खेतों में नींबू ,मिर्च के भी पौधे लगा लिए हैं।उनका कहना था कि कृषि विभाग से बीते वर्ष उन्होंने तालाब निर्माण के लिए सहायता मांगी थी। इस आवेदन पर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीमती अनिता एक्का ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे तालाब निर्माण के लिए अनुदान उपलब्ध कराया था। इस किसान के खेत में तालाब बनाने के बाद वहॉं  इन दिनों लबालब पानी भर गया है। इस किसान का कहना था कि वह सरकारी मदद के बाद जैविक खाद का उपयोग करकें अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहा है।जैविक खाद के बारे में अपना रूझान के संबंध में वेद प्रकाष मिश्रा ने बताया कि रासायनिक खाद खादों का लगातार उपयोग करने से उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है।खेत की मिटटी का उपचार नहीं होने से धीरे धीरे फसल में काफी कम उत्पादन होने लगता है।उन्होने बताया कि रासायनिक खाद की महंगाई तथा उत्पादन कम होने से उन्होने जैविक खाद बनाने पर विचार किया था।अब यह जैविक खाद उसके विकास का आधार बन चुकी है।

रमेश शर्मा
                        
                                

सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

पानी के मोल टमाटर, खरीददार नदारद

ग्राहकों का इंतजार करते हुए टमाटर विक्रेता

            
लुड़ेग का टमाटर रस संयंत्र बन्द हो जाने से भटक रहे किसान
पत्थलगांव/ रमेश शर्मा
 
पुर जिले की पत्थलगांव सब्जी मंडी में इन दिनो किसानों को पानी के मोल में भी टमाटर के खरीददार नहीं मिल रहे हैंटमाटर की अधिक आवक होने से स्थानीय बाजार में खरीददारों का मनमाने रवैये से किसान काफी निरा हो गए हैं। यहॉं टमाटर की उपज लेने वाले किसानों का कहना है कि उनकी परेषानी से उबारने के लिए राजनैतिक दल के नेताओं के साथ शासकीय अमले ने भी चुप्पी साध रखी है यहॉं की सब्जी मंडी तथा अन्य साप्ताहिक बाजारों में किसानों को पानी के मोल पर टमाटर खरीदने वाले नहीं मिलने से वे मायुस हो गए हैंकिसानों का कहना है कि इन दिनो खेतों से एक कांवर टमाटर बेच कर उन्हे दिन भर की मजदूरी भी नहीं मिल पा रही हैटमाटर की फसल बेचकर औने पौने दाम मिलने से निरा होकर ज्यादातर किसानों की अब खेतों से फसल तोड़ने में ही रूचि नहीं रह गई हैपिछले एक सप्ताह से यहॉं सब्जी मंडी में टमाटर के भावों में लगातार गिरावट के बाद 40, 50 रू. प्रति कांवर में भी टमाटर के खरीददार नहीं मिल रहे हैं 
           
पत्थलगांव सब्जी मंडी में टमाटर की खरीदी करने वाले बाहर के व्यापारी नहीं पहुंचने के कारण यहॉं किसानों अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा टमाटर की लोकल मांग बेहद कम रहने की वजह से सब्जी मंडी में दोपहर के बाद भी टमाटर लेकर पहुंचे किसानों की लम्बी कतार लगी रहती है ग्राम पगंषुवा से टमाटर के टोकरे लेकर आए किसान मगंलराम ने बताया कि कल सारा दिन खेतों में मेहनत करके उसने टमाटर की फसल निकाली थी इस फसल को बाजार में लाने के बाद पानी के मोल में भी कोई खरीददार नहीं मिल रहा है इसी तरह का दुखड़ा मुड़ापारा के हृदयराम, सांझूराम,बखला तथ गणपत का भी था इन किसानों का कहना था कि घरेलू जरूरत के साथ अन्य काम काज को पूरा करने के लिए वे टमाटर फसल को बाजार में बेचने के लिए पहुंचते हैं लेकिन यहॉं पर खरीददार ही नहीं मिल पाते हैं सब्जी मंडी में इन दिनों अधिक पके हुए टमाटर की थोड़ी सी भी पूछ परख नहीं है 
                             
टमाटर किसानों को चाहिए अच्छा बाजार
    
टमाटर की अधिक मात्रा में पैदावार लेने वाले किसानों का कहना है कि उनके पास अपनी उपज बेचने के लिए अच्छा बाजार नहीं मिल पाने से अब खेती के काम से भरोसा टूटने लगा हैपत्थलगांव क्षेत्र की अनुकूल जलवायु के चलते यहॉं सौ से अधिक गांवों में टमाटर की दो अलग अलग फसल ली जाती है इन किसानों का कहना है कि टमाटर की पहली फसल के दौरान ही उन्हे अच्छे दाम मिल पाते हैंइसके बाद उन्हे खरीददारों की मर्जी पर ही चलना पड़ता है यहॉं पाकरगांव के किसान गणेचन्द्र बेहरा ने बताया कि दिसम्बर जनवरी माह में आने वाली टमाटर की दूसरी फसल का भवान ही मालिक रहता है कई बार मौसम का मिजाज बदलने के दौरान उन्हे टमाटर की उपज को फेंकने के लिए भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं यहॉं कृषि उपज मंडी के पूर्व अध्यक्ष डमरूधर यादव का कहना था कि टमाटर की उपज लेने वाले किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए अच्छा बाजार देने के लिए कई बार सुझाव दिया गया है लेकिन इस दिषा में सार्थक पहल नहीं होने से किसानों की परेषानी ज्यों कि त्यों बनी हुई है उन्हांेने कहा कि टमाटर की उपज लेने वाले किसानों के पास स्थानीय स्तर में अच्छा बाजार एवं परिवहन के साधन नहीं होने से उन्हे बार बार खरीददारों के षोषण का षिकार होना पड़ रहा है 
                      
लुड़ेग टमाटर रस संयंत्र का अनुबंध निरस्त
स्थानीय खरीददारों ने भी टमाटर से मुंह मोड़ा
    यहॉं के किसानों को टमाटर उपज के अच्छे दाम दिलाने के लिए लुड़ेग में स्थापित शासकीय टमाटर ग्रेडिंग एवं प्रोसेसिंग युनिट पर भी बीते एक साल से ताला लग गया हैइस युनिट को जिला कलेक्टर अंकित आनंद ने रायपुर के निजी व्यवसायी को लीज पर दिया थाकुछ दिनों तक यहॉं किसानों से टमाटर की खरीदी करके विभिन्न उत्पाद तैयार किए गए थे लेकिन अब इस युनिट पर ताला लग जाने से यहॉं पहुंचने वाले किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा हैइस युनिट में लाखों रू. लागत वाली मषीन बेकार साबित हो रही हैंउद्यान विभाग व्दारा यहॉं बिजली बिल का भुगतान नहीं करने से यहॉं का बिजली कनेक्षन काटा जा चुका हैंबागबहारा के कांग्रेस नेता जगन्नाथ गुप्ता का कहना है कि भाजपा शासन की लापरवाही का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता हैउन्होने कहा कि लुड़ेग में टमाटर की शासकीय युनिट को प्रारम्भ करने में जिला प्रशासन कोई रूचि नहीं दिखा रहा है इस वजह किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बिचौलियों के पास शोषण का शिकार होना पड़ रहा है
   
पत्थलगांव उद्यान विभाग के अधीक्षक प्रका सिंह भदौरिया ने बताया कि लुड़ेग स्थित शासकीय टमाटर रस संयत्र बीते एक साल से बन्द पड़ा है 
खेतों में टमाटरों के ढेर
इस उद्योग को लीज पर लेने वाले व्यापारी की धरोहर राशि जप्त कर उनका अनुबंध निरस्त कर दिया गया हैश्री भदौरिया ने बताया कि लुड़ेग में स्थापित किया गया टमाटर रस संयत्र की देख रेख करने के लिए कोई भी चौकीदार अथवा अन्य कर्मचारी नहीं होने से उन्हे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैउन्होने बताया कि इस संयत्र की बिजली कट जाने के बाद यहॉं शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता हैऐसे में रात को यहॉं चोरों का हमेषा भय बने रहता हैलुड़ेग का शासकीय टमाटर रस संयत्र चलाने के लिए अब नए व्यवसायी की तला की जा रही है