ग्राहकों का इंतजार करते हुए टमाटर विक्रेता |
लुड़ेग का टमाटर रस संयंत्र बन्द हो
जाने से भटक रहे किसान
पत्थलगांव/ रमेश शर्मा
जशपुर जिले की पत्थलगांव सब्जी मंडी में इन दिनो किसानों को पानी के मोल में भी टमाटर के खरीददार नहीं मिल रहे हैं। टमाटर की अधिक आवक होने से स्थानीय बाजार में खरीददारों का मनमाने रवैये से किसान काफी निराश हो गए हैं। यहॉं टमाटर की उपज लेने वाले किसानों का कहना है कि उनकी परेषानी से उबारने के लिए राजनैतिक दल के नेताओं के साथ शासकीय अमले ने भी चुप्पी साध रखी है। यहॉं की सब्जी मंडी तथा अन्य साप्ताहिक बाजारों में किसानों को पानी के मोल पर टमाटर खरीदने वाले नहीं मिलने से वे मायुस हो गए हैं। किसानों का कहना है कि इन दिनो खेतों से एक कांवर टमाटर बेच कर उन्हे दिन भर की मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है। टमाटर की फसल बेचकर औने पौने दाम मिलने से निराश होकर ज्यादातर किसानों की अब खेतों से फसल तोड़ने में ही रूचि नहीं रह गई है। पिछले एक सप्ताह से यहॉं सब्जी मंडी में टमाटर के भावों में लगातार गिरावट के बाद 40, 50 रू. प्रति कांवर में भी टमाटर के खरीददार नहीं मिल रहे हैं।
पत्थलगांव सब्जी मंडी में टमाटर की खरीदी करने वाले बाहर के व्यापारी नहीं पहुंचने के कारण यहॉं किसानों अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। टमाटर की लोकल मांग बेहद कम रहने की वजह से सब्जी मंडी में दोपहर के बाद भी टमाटर लेकर पहुंचे किसानों की लम्बी कतार लगी रहती है। ग्राम पगंषुवा से टमाटर के टोकरे लेकर आए किसान मगंलराम ने बताया कि कल सारा दिन खेतों में मेहनत करके उसने टमाटर की फसल निकाली थी। इस फसल को बाजार में लाने के बाद पानी के मोल में भी कोई खरीददार नहीं मिल रहा है। इसी तरह का दुखड़ा मुड़ापारा के हृदयराम, सांझूराम,बखला तथ गणपत का भी था। इन किसानों का कहना था कि घरेलू जरूरत के साथ अन्य काम काज को पूरा करने के लिए वे टमाटर फसल को बाजार में बेचने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन यहॉं पर खरीददार ही नहीं मिल पाते हैं। सब्जी मंडी में इन दिनों अधिक पके हुए टमाटर की थोड़ी सी भी पूछ परख नहीं है।
टमाटर किसानों को चाहिए अच्छा बाजार
टमाटर की अधिक मात्रा में पैदावार लेने वाले किसानों का कहना है कि उनके पास अपनी उपज बेचने के लिए अच्छा बाजार नहीं मिल पाने से अब खेती के काम से भरोसा टूटने लगा है। पत्थलगांव क्षेत्र की अनुकूल जलवायु के चलते यहॉं सौ से अधिक गांवों में टमाटर की दो अलग अलग फसल ली जाती है। इन किसानों का कहना है कि टमाटर की पहली फसल के दौरान ही उन्हे अच्छे दाम मिल पाते हैं। इसके बाद उन्हे खरीददारों की मर्जी पर ही चलना पड़ता है। यहॉं पाकरगांव के किसान गणेशचन्द्र बेहरा ने बताया कि दिसम्बर जनवरी माह में आने वाली टमाटर की दूसरी फसल का भवान ही मालिक रहता है। कई बार मौसम का मिजाज बदलने के दौरान उन्हे टमाटर की उपज को फेंकने के लिए भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। यहॉं कृषि उपज मंडी के पूर्व अध्यक्ष डमरूधर यादव का कहना था कि टमाटर की उपज लेने वाले किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए अच्छा बाजार देने के लिए कई बार सुझाव दिया गया है। लेकिन इस दिषा में सार्थक पहल नहीं होने से किसानों की परेषानी ज्यों कि त्यों बनी हुई है। उन्हांेने कहा कि टमाटर की उपज लेने वाले किसानों के पास स्थानीय स्तर में अच्छा बाजार एवं परिवहन के साधन नहीं होने से उन्हे बार बार खरीददारों के षोषण का षिकार होना पड़ रहा है।
लुड़ेग टमाटर रस संयंत्र का अनुबंध निरस्त
पत्थलगांव/ रमेश शर्मा
जशपुर जिले की पत्थलगांव सब्जी मंडी में इन दिनो किसानों को पानी के मोल में भी टमाटर के खरीददार नहीं मिल रहे हैं। टमाटर की अधिक आवक होने से स्थानीय बाजार में खरीददारों का मनमाने रवैये से किसान काफी निराश हो गए हैं। यहॉं टमाटर की उपज लेने वाले किसानों का कहना है कि उनकी परेषानी से उबारने के लिए राजनैतिक दल के नेताओं के साथ शासकीय अमले ने भी चुप्पी साध रखी है। यहॉं की सब्जी मंडी तथा अन्य साप्ताहिक बाजारों में किसानों को पानी के मोल पर टमाटर खरीदने वाले नहीं मिलने से वे मायुस हो गए हैं। किसानों का कहना है कि इन दिनो खेतों से एक कांवर टमाटर बेच कर उन्हे दिन भर की मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है। टमाटर की फसल बेचकर औने पौने दाम मिलने से निराश होकर ज्यादातर किसानों की अब खेतों से फसल तोड़ने में ही रूचि नहीं रह गई है। पिछले एक सप्ताह से यहॉं सब्जी मंडी में टमाटर के भावों में लगातार गिरावट के बाद 40, 50 रू. प्रति कांवर में भी टमाटर के खरीददार नहीं मिल रहे हैं।
पत्थलगांव सब्जी मंडी में टमाटर की खरीदी करने वाले बाहर के व्यापारी नहीं पहुंचने के कारण यहॉं किसानों अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। टमाटर की लोकल मांग बेहद कम रहने की वजह से सब्जी मंडी में दोपहर के बाद भी टमाटर लेकर पहुंचे किसानों की लम्बी कतार लगी रहती है। ग्राम पगंषुवा से टमाटर के टोकरे लेकर आए किसान मगंलराम ने बताया कि कल सारा दिन खेतों में मेहनत करके उसने टमाटर की फसल निकाली थी। इस फसल को बाजार में लाने के बाद पानी के मोल में भी कोई खरीददार नहीं मिल रहा है। इसी तरह का दुखड़ा मुड़ापारा के हृदयराम, सांझूराम,बखला तथ गणपत का भी था। इन किसानों का कहना था कि घरेलू जरूरत के साथ अन्य काम काज को पूरा करने के लिए वे टमाटर फसल को बाजार में बेचने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन यहॉं पर खरीददार ही नहीं मिल पाते हैं। सब्जी मंडी में इन दिनों अधिक पके हुए टमाटर की थोड़ी सी भी पूछ परख नहीं है।
टमाटर किसानों को चाहिए अच्छा बाजार
टमाटर की अधिक मात्रा में पैदावार लेने वाले किसानों का कहना है कि उनके पास अपनी उपज बेचने के लिए अच्छा बाजार नहीं मिल पाने से अब खेती के काम से भरोसा टूटने लगा है। पत्थलगांव क्षेत्र की अनुकूल जलवायु के चलते यहॉं सौ से अधिक गांवों में टमाटर की दो अलग अलग फसल ली जाती है। इन किसानों का कहना है कि टमाटर की पहली फसल के दौरान ही उन्हे अच्छे दाम मिल पाते हैं। इसके बाद उन्हे खरीददारों की मर्जी पर ही चलना पड़ता है। यहॉं पाकरगांव के किसान गणेशचन्द्र बेहरा ने बताया कि दिसम्बर जनवरी माह में आने वाली टमाटर की दूसरी फसल का भवान ही मालिक रहता है। कई बार मौसम का मिजाज बदलने के दौरान उन्हे टमाटर की उपज को फेंकने के लिए भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। यहॉं कृषि उपज मंडी के पूर्व अध्यक्ष डमरूधर यादव का कहना था कि टमाटर की उपज लेने वाले किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए अच्छा बाजार देने के लिए कई बार सुझाव दिया गया है। लेकिन इस दिषा में सार्थक पहल नहीं होने से किसानों की परेषानी ज्यों कि त्यों बनी हुई है। उन्हांेने कहा कि टमाटर की उपज लेने वाले किसानों के पास स्थानीय स्तर में अच्छा बाजार एवं परिवहन के साधन नहीं होने से उन्हे बार बार खरीददारों के षोषण का षिकार होना पड़ रहा है।
लुड़ेग टमाटर रस संयंत्र का अनुबंध निरस्त
स्थानीय
खरीददारों ने भी टमाटर से मुंह मोड़ा |
यहॉं के किसानों को टमाटर उपज के अच्छे दाम दिलाने के लिए लुड़ेग
में स्थापित शासकीय
टमाटर ग्रेडिंग एवं प्रोसेसिंग युनिट पर भी बीते एक साल से ताला लग गया है। इस युनिट को जिला
कलेक्टर अंकित आनंद ने रायपुर के निजी व्यवसायी को लीज पर दिया था। कुछ दिनों तक यहॉं किसानों से टमाटर की खरीदी करके विभिन्न उत्पाद तैयार किए गए थे। लेकिन अब इस युनिट पर ताला लग जाने से यहॉं पहुंचने वाले
किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। इस युनिट में लाखों रू. लागत वाली मषीन बेकार साबित हो रही हैं। उद्यान विभाग व्दारा यहॉं बिजली बिल का
भुगतान नहीं करने से यहॉं का बिजली कनेक्षन काटा जा चुका हैं। बागबहारा के कांग्रेस नेता जगन्नाथ गुप्ता का कहना है कि
भाजपा शासन की लापरवाही
का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता है। उन्होने कहा कि लुड़ेग में टमाटर की शासकीय युनिट को प्रारम्भ
करने में जिला प्रशासन कोई रूचि नहीं दिखा रहा है। इस
वजह किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बिचौलियों के पास शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।
पत्थलगांव उद्यान विभाग के अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया ने बताया कि लुड़ेग स्थित शासकीय टमाटर रस संयत्र बीते एक साल से बन्द पड़ा है।
पत्थलगांव उद्यान विभाग के अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया ने बताया कि लुड़ेग स्थित शासकीय टमाटर रस संयत्र बीते एक साल से बन्द पड़ा है।
खेतों में टमाटरों के ढेर |
इस उद्योग को लीज पर लेने वाले व्यापारी की
धरोहर राशि जप्त कर
उनका अनुबंध निरस्त कर दिया गया है। श्री भदौरिया ने बताया कि लुड़ेग में स्थापित किया गया टमाटर रस
संयत्र की देख रेख करने के लिए कोई भी चौकीदार अथवा अन्य कर्मचारी नहीं होने से उन्हे काफी दिक्कतों
का सामना करना पड़ रहा है। उन्होने बताया कि इस संयत्र की बिजली कट जाने के बाद यहॉं शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है। ऐसे में रात को यहॉं चोरों का हमेषा भय बने रहता है। लुड़ेग का शासकीय टमाटर रस संयत्र चलाने के लिए अब नए व्यवसायी
की तलाश की जा रही है।
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