एक निजी शाला की तस्वीर |
पत्थलगांव/ रमेश शर्मा
छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों व्दारा मनमाना शुल्क वसूलने की ढ़ेरों शिकायतों के बाद भी शिक्षा अधिकारी चुप्पी साध कर बैठे हैं। निजी स्कूलों की शैक्षणिक शुल्क के नाम पर लूट खसोट से पालकों को राहत देने के लिए शिक्षा विभाग के सचिव का कड़ा रुख अपनाए जाने के निर्देशों के बाद भी इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
यहां पर ज्यादातर निजी स्कूलों में शिक्षा को व्यवसाय के रूप में बदल देने से पालकों की परेशानी बढ़ गई है। निजी स्कूल संचालित करने वाले एक स्कूल में तो भवन निर्माण के नाम पर भी स्कूली छात्रों से शुल्क वसूली करने का मामला सामने आया है। इस स्कूल में संचालक का मनमाने रवैए के बारे में शहर के कई पालकों ने षिक्षा अधिकारी को शिकायत की है। मगर धीमी गति से जांच के कारण ऐसी शि कायतों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बी एस पैंकरा ने बताया कि यहां एक निजी स्कूल में भवन निर्माण के नाम पर भारी भरकम शुल्क वसूला जा रहा है। इस मामले में कई पालकों ने उनके पास मौखिक शिकायत की है। इस वजह संचालक के विरूध्द कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होने बताया कि इन दिनो निजी स्कूलों में यूनीफार्म, पुस्तक व अन्य गतिविधियों का संचालन के नाम पर मनमाने ढंग से छात्र छात्राओं से फीस वसूली की लगातार शिकायतें मिल रही है।इस तरह की अवैध वसूली के बारे में पालकों से लिखित षिकायत का मामला सामने आने पर संबंधित स्कूल प्रबंधन के विरूध्द कड़ी कार्रवाई के साथ स्कूल की मान्यता को भी रदद करने की कार्रवाई की जाएगी।श्री पैंकरा ने बताया कि निजी स्कूलों को शिक्षा नियमों का पालन करने की कड़ी हिदायत दी जा चुकी है।
यहां के पालकों का कहना है कि निजी स्कूलों पर नकेल कसने के सभी उपाय बेकार साबित हो रहे हैं। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की सरकार के इस फैसले पर षिक्षा अधिकारियों को कड़ाई से क्रियान्वयन कराना चाहिए। पालक नत्थूराम शर्मा तथा प्रहलाद रोहिला ने कहा कि बंदियाखार स्थित अग्रंजी माध्यम का निजी स्कूल में भवन निर्माण के लिए 2000 रू. शुल्क के रूप में लिए जा रहे हैं। इस स्कूल के सूचना पटल पर इस आषय का नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है। इन पालकों ने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधन के मनमाने रवैए पर रोक लगाने के लिए पहले भी कानून बनाए गए हैं, पर शिक्षा अधिकारियों व्दारा इन नियमों को अनदेखा करने से पालकों को राहत नहीं मिल पाती है। उन्होने कहा कि निजी स्कूलों का मनमाना रवैया में रोक लगनी चाहिए।
निजी स्कूलों में नहीं हो रहा नियमों का पालन
पत्थलगांव में दर्जन भर से अधिक निजी स्कूलों का सचंालन किया जा रहा है। इनमें ज्यादातर स्कूलों में शिक्षा विभाग के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन व्दारा मनमानी फीस की वसूली पर अंकुश लगाने के लिए अभी तक शिक्षा अधिकारियों ने ठोस उपाय नहीं किए गए है। पिछले दिनो यहंा षिक्षा अधिकारी ने स्कूलों के प्रबंधन को अधिक शुल्क वसूली पर रोक लगाए जाने संबधी आदेश दिया था। स्कूल षिक्षा विभाग के सचिव क ेआर पिस्दा व्दारा जारी इस आदेष में कहा गया है कि निजी स्कूलों में षिक्षा को व्यवसाय के रूप सचंालित करने की षिकायत पर त्वरित जांच के बाद दोषियों के विरूध्द कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा निजी स्कूलों में लाभ नहीं और हानि नही ंके सिंध्दात को अनदेखा करने पर इनके विरूध्द कार्रवाई करने को कहा गया है। निजी स्कूलों से आय व्यय, षुल्क निर्धारण और स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी सात दिनों के भीतर देने को भी कहा गया था । स्कूलों के मनमाने रवैए पर अकुंष लगाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति गठित कर संबंधित स्कूलों का निरीक्षण करने का आदेष अब फाईलों में सिमट कर रह गया है। पालकों का आरोप है कि निजी स्कूलों में वार्षिक शुल्क में वृध्दि के पूर्व पालक समिति से सहमति नहीं ली जा रही है । शुल्क का निर्धारण युक्तिसंगत नहीं होने से पालकों की परेशानी बढ़ गई है । निजी स्कूलों में पुस्तक,यूनिफार्म,बस ,विकास शुल्क के नाम पर जगह जगह अतिरिक्त फीस वसूली करने के बाद भी स्कूल सचंालक के विरूध्द कार्रवाई नहीं होने से यहां के पालकों में आक्रोश व्याप्त है।
इनका पालन अनिवार्य
छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों व्दारा मनमाना शुल्क वसूलने की ढ़ेरों शिकायतों के बाद भी शिक्षा अधिकारी चुप्पी साध कर बैठे हैं। निजी स्कूलों की शैक्षणिक शुल्क के नाम पर लूट खसोट से पालकों को राहत देने के लिए शिक्षा विभाग के सचिव का कड़ा रुख अपनाए जाने के निर्देशों के बाद भी इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
यहां पर ज्यादातर निजी स्कूलों में शिक्षा को व्यवसाय के रूप में बदल देने से पालकों की परेशानी बढ़ गई है। निजी स्कूल संचालित करने वाले एक स्कूल में तो भवन निर्माण के नाम पर भी स्कूली छात्रों से शुल्क वसूली करने का मामला सामने आया है। इस स्कूल में संचालक का मनमाने रवैए के बारे में शहर के कई पालकों ने षिक्षा अधिकारी को शिकायत की है। मगर धीमी गति से जांच के कारण ऐसी शि कायतों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बी एस पैंकरा ने बताया कि यहां एक निजी स्कूल में भवन निर्माण के नाम पर भारी भरकम शुल्क वसूला जा रहा है। इस मामले में कई पालकों ने उनके पास मौखिक शिकायत की है। इस वजह संचालक के विरूध्द कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होने बताया कि इन दिनो निजी स्कूलों में यूनीफार्म, पुस्तक व अन्य गतिविधियों का संचालन के नाम पर मनमाने ढंग से छात्र छात्राओं से फीस वसूली की लगातार शिकायतें मिल रही है।इस तरह की अवैध वसूली के बारे में पालकों से लिखित षिकायत का मामला सामने आने पर संबंधित स्कूल प्रबंधन के विरूध्द कड़ी कार्रवाई के साथ स्कूल की मान्यता को भी रदद करने की कार्रवाई की जाएगी।श्री पैंकरा ने बताया कि निजी स्कूलों को शिक्षा नियमों का पालन करने की कड़ी हिदायत दी जा चुकी है।
यहां के पालकों का कहना है कि निजी स्कूलों पर नकेल कसने के सभी उपाय बेकार साबित हो रहे हैं। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की सरकार के इस फैसले पर षिक्षा अधिकारियों को कड़ाई से क्रियान्वयन कराना चाहिए। पालक नत्थूराम शर्मा तथा प्रहलाद रोहिला ने कहा कि बंदियाखार स्थित अग्रंजी माध्यम का निजी स्कूल में भवन निर्माण के लिए 2000 रू. शुल्क के रूप में लिए जा रहे हैं। इस स्कूल के सूचना पटल पर इस आषय का नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है। इन पालकों ने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधन के मनमाने रवैए पर रोक लगाने के लिए पहले भी कानून बनाए गए हैं, पर शिक्षा अधिकारियों व्दारा इन नियमों को अनदेखा करने से पालकों को राहत नहीं मिल पाती है। उन्होने कहा कि निजी स्कूलों का मनमाना रवैया में रोक लगनी चाहिए।
निजी स्कूलों में नहीं हो रहा नियमों का पालन
पत्थलगांव में दर्जन भर से अधिक निजी स्कूलों का सचंालन किया जा रहा है। इनमें ज्यादातर स्कूलों में शिक्षा विभाग के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन व्दारा मनमानी फीस की वसूली पर अंकुश लगाने के लिए अभी तक शिक्षा अधिकारियों ने ठोस उपाय नहीं किए गए है। पिछले दिनो यहंा षिक्षा अधिकारी ने स्कूलों के प्रबंधन को अधिक शुल्क वसूली पर रोक लगाए जाने संबधी आदेश दिया था। स्कूल षिक्षा विभाग के सचिव क ेआर पिस्दा व्दारा जारी इस आदेष में कहा गया है कि निजी स्कूलों में षिक्षा को व्यवसाय के रूप सचंालित करने की षिकायत पर त्वरित जांच के बाद दोषियों के विरूध्द कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा निजी स्कूलों में लाभ नहीं और हानि नही ंके सिंध्दात को अनदेखा करने पर इनके विरूध्द कार्रवाई करने को कहा गया है। निजी स्कूलों से आय व्यय, षुल्क निर्धारण और स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी सात दिनों के भीतर देने को भी कहा गया था । स्कूलों के मनमाने रवैए पर अकुंष लगाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति गठित कर संबंधित स्कूलों का निरीक्षण करने का आदेष अब फाईलों में सिमट कर रह गया है। पालकों का आरोप है कि निजी स्कूलों में वार्षिक शुल्क में वृध्दि के पूर्व पालक समिति से सहमति नहीं ली जा रही है । शुल्क का निर्धारण युक्तिसंगत नहीं होने से पालकों की परेशानी बढ़ गई है । निजी स्कूलों में पुस्तक,यूनिफार्म,बस ,विकास शुल्क के नाम पर जगह जगह अतिरिक्त फीस वसूली करने के बाद भी स्कूल सचंालक के विरूध्द कार्रवाई नहीं होने से यहां के पालकों में आक्रोश व्याप्त है।
इनका पालन अनिवार्य
- प्रत्येक निजी स्कूलों को हर साल ऑडिटेड आय व्यय का ब्यौरा जिला शिक्षा अधिकारी को प्रस्तुत करना होगा।
- मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन के साथ स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी जिला षिक्षा अधिकारी को देनी होगी।
- हर स्कूल को प्रति वर्ष के लिए निर्धारित शुल्क का प्रारूप का प्रकाशन किया जाएगा।
- शुल्क बढ़ाने से पहले पालकों की सहमति लेना अनिवार्य है।
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