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बुधवार, 30 अप्रैल 2014

ड्रिप सिंचाई ने बदली खेतों की तस्वीर

 पानी बर्बादी की बचत के साथ 
                  किसानों की मुश्किलें कम
    रमेश शर्मा/पत्थलगांव/
       सिंचाई के लिए पानी की लगातार हो रही कमी को देखते हुए यहाँ के किसानों को उद्यान विभाग की ड्रिप पद्धति की सिंचाई योजना काफी रास आ रही है।ड्रिप सिंचाई के साथ किसान इस योजना से अपनी फसल में कीट प्रकोप तथा पौधों में जलन रोग का उपचार करने के लिए दवा और खाद देने का भी उपयोग कर रहे हैं। इससे किसानों को मजदूरों की किल्लत से छुटकारा मिल गया है।
    पत्थलगांव के समीप ग्राम गाला के आधा दर्जन किसानों ने इस योजना को अपनाने के बाद आस पास के अन्य किसानों ने भी अपने खेतों को ड्रिप सिंचाई योजना के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि ड्रिप पद्धति की इस सिंचाई योजना को अपनाने से उन्हे खेती के काम में मजदूरों की किल्लत से बचने के साथ कम पानी में अधिक फसल का लाभ मिलने लगा है। ग्राम गाला में अभिमन्यु आत्मज रामचन्द्र नामक किसान ने अपनी आधा एकड़ भूमि पर साग सब्जी की उपज के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति की शुरूवात की थी। इस किसान ने अपने खेतों में बैंगन, मिर्ची तथा अन्य साग सब्जी की उपज लेकर अच्छा खासा मुनाफा अर्जित किया है। इसी गांव में किर्तन ,विनोद कुमार और पाण्डव नामक किसानों ने भी ड्रिप पद्धति की सिचाई योजना अपना कर अपने खेतों में हरियाली फैला दी है। यहाँ के किसानों ने बताया कि खेतों में लगाई गई उपज के लिए ड्रिप पद्धति सिंचाई योजना अपनाने के बाद पौधों को उनकी जरूरत के मुताबिक पानी,दवा और खाद मिल जाती है। इससे उनकी उपज में दो गुना वृध्दि हुई है। यहाँ के किसानों का कहना है कि साग सब्जी की स्थानीय बाजार में अधिक मांग होने से उनकी फसल हाथों हाथ बिक रही है। इन किसानों ने बताया कि उन्हे करमीटिकरा स्थित उद्यान विभाग में आयोजित किसान प्रशिक्षण शिविर में ड्रिप पद्धति से खेतों में फसल लेने की जानकारी मिली थी। बाद में उद्यान विभाग के अधिकारी से सम्पर्क करने पर उन्हंे इस योजना में शासकीय अनुदान का भी लाभ दिलाया गया है। 
ग्राम गाला के अभिमन्यु ने बताया कि लगभग 43 हजार रूपयों की इस योजना के लिए उसे 75 प्रतिशत राशि का अनुदान प्राप्त हुआ है। गाला, डूडुंगजोर , सारसमार, पगंशुवा खेत्र के किसान साग सब्जी की फसल से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। यहाँ के किसानों ने अपनी छोटी बाड़ी में विभिन्न साग सब्जी की कड़े पैमाने में उपज ली जाती है। यहाँ के कुछ किसानों ने अपनी खाली पड़ी भूमि को सवांर कर वहाँ केला और गन्ना की भी उपज ली जा रही है। इन दिनों सिंचाई पानी की लगातार कमी के चलते यहाँ के किसानों को अपना खेती का व्यवसाय में दिक्कतों का सामना होने लगा था। लेकिन उद्याान विभाग की ड्रिप पद्धति की सिंचाई यअनुदान ने कई किसानों की तकदीर बदल दी है।
 ग्राम गाला में ड्रिप पद्धति सिंचाई योजना से फसल लेने की तैयारी  
   पत्थलगांव में पुरानी बस्ती के किसान बाबा महाराज ने भी इस वर्ष उद्यान विभाग की लाभप्रद योजना के लिए आवेदन दिया था। बाबा महाराज ने बताया कि उन्होने अपनी तीन एकड़ भूमि में ड्रिप सिंचाई पद्धति के लिए तैयारी की है। इस किसान का कहना था कि इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पानी की बर्बादी नहीं होती है। खेतों में सिंचाई का पानी में यूरिया खाद एवं अन्य उपचार की दवा डालने के बाद प्रत्येक पौधे तक जीवन रक्षक सामग्री पहुंच जाती है। इस किसान के खेतों में ड्रिप सिंचाई के लिए तकनीकी जानकारों ने पाईप लगा कर सिंचाई करने की विधि से अवगत कराया है। बाबा महाराज ने बताया कि मौजूदा समय में भू जल स्तर की निरंतर हो रही कमी को देखते हुए ज्यादातर किसानों को ड्रिप पद्धति की सिंचाई योजना को अपनाने की जरूरत है।            
                                                               फसल का उत्पादन दोगुना
    उद्यान अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया ने बताया कि ड्रिप सिंचाई योजना के तहत पांच एकड़ से कम भूमि वाले किसान को 75 प्रतिशत अनुदान तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर ड्रिप सिंचाई योजना का लाभ उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि खेतों में पौधों को ड्रिप योजना के तहत पानी के साथ खाद तथा विभिन्न रोग का उपचार के लिए दवा भी मिल जाने से फसल को अच्छा लाभ मिल जाता है। यहाँ के किसानों को साग सब्जी की नगद फसल का उत्पादन में दो गुना वृध्दि होने से इस योजना के प्रति अन्य किसानों का भी रूझान बढ़ा है।श्री भदौरिया ने बताया कि ड्रिप सिंचाई योजना से इस अचंल में फूलों की खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है।


सोमवार, 28 अप्रैल 2014

बच्चे भी चाहते हैं बदलाव

बच्चों को रास नहीं आ रहे 
गुडडे और टेडीबियर
पत्थलगांव/     रमेश शर्मा
   स्कूली बच्चों की छुट्टियां शुरू होते ही खिलौना मार्केट में ग्राहकों की चहल पहल जरूर बढ़ गई है, लेकिन अब छोटे बच्चे पहले की तरह गुड्डे गुड़िया या गाड़ी मोटर अथवा टेडीबियर की तरफ अपनी उंगली नहीं करते हैं।
      मनोरंजन का शौक में बदलाव का दौर के चलते ही बच्चों ने अपने माता पिता से जिद करना छोड़ दिया है। छोटे बच्चों का वीडियोगेम का शौक मोबाइल हैंडसेट से पूरा हो जाने के कारण दुकानदार अब ड्राईंग बाक्स व पेंटिंग वाले खिलौने पहले दिखा रहे हैं।
   यहाँ खिलौने बिक्री करने वाले दुकानदार जगन्नाथ गुप्ता का कहना है कि अब बदलते दौर में खिलौने बनाने वाली कंपनियां भी बच्चों का मनोरंजन को ध्यान में रख कर कलात्मक अभिरूचि को पूरा कर रही हैं। इसी वजह खिलौना बाजार में अब बच्चों के लिए पेंटिंग व ड्राईंग के प्रति आकर्षित करने वाले सामानों की पूछ परख बढ़ गई है।
   छुट्टियों में बच्चे टेडीबियर और महंगी कार को अनदेखा कर लैपटाप खिलौने व गिटार, माईक अथवा पेंटिंग ड्राईंग प्रोजेक्टर के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। खिलौने विक्रेताओं का कहना है कि बच्चों में टीवी के रियलिटी प्रोग्राम देख कर गाने की झिझक दूर करने की चाहत बढ़ गई है।
                     खिलौना दुकानदारों का कहना था कि पहले स्कूल की छुटिटयॉं शुरू होते ही उनके पास वीडियोगेम का जबरदस्त क्रेज था। लेकिन अब बच्चों का वीडियोगेम से ध्यान हट गया है। इन दिनो मोबाइल के हैंडसेटों में ऐसे ऐसे गेम आ गए हैं कि दुकान पर वीडियोगेम पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है। पहले महंगे से महंगे वीडियोगेम की आसानी से बिक्री हो जाती थी लेकिन अब इन खिलौनों की पूछ परख बिल्कुल बंद हो गई है।
        बच्चों की पंसद को ध्यान में रखने के कारण चायना मार्केट का आज भी दबदबा कम नहीं हो पाया है। चायना खिलौनों में शिक्षा को बढ़ावा देने वाले आयटम बच्चों को खूब रास आ रहे हैं। कई बच्चे लैपटाप लेकर उसी के खेल में व्यस्त रहना अधिक पसंद कर रहे हैं। एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी नीतेश शर्मा का कहना था कि लैपटाप में बच्चों को ड्रांईग में रंग भरना तथा अन्य खेल मिल जाने से उनका शिक्षाप्रद मनोरंजन हो रहा है। यही वजह है कि वे अपने बच्चे को लैपटाप से दूर नहीं कर पा रहे हैं।
    अन्य पालक भी अपने बच्चों की रूचि को देख कर शिक्षाप्रद नए खिलौनों को बेहतर मान रहे हैं। स्कूलों के समर वेकेशन शुरू होते ही शहर में म्यूजिक क्लासेस में भी बच्चों की भीड़ बढ़ने लगी है।बच्चों का म्यूजिक क्लासेस में बढ़ता रूझान को देख कर कुछ निजी स्कूलों ने सुगम संगीत,फिल्मी व गैर फिल्मी गीत सिखाने की शुरुआत कर दी है।स्कूल की छुट्टियां होने के बाद कई घरेलू कामकाज करने वाली महिलाओं ने डांस की ट्रेनिंग का काम शुरू कर दिया है। इनके पास छोटे बच्चे और युवतियों की भीड़ बढ़ने लगी है। डांस ट्रेनिंग में एक गीत को नृत्य के साथ सिखाने के लिए 150 रुपए.फीस ली जा रही है। इसमें ब्रेक डांस को बारीकी के साथ सिखाया जा रहा है।  

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

वनांचल में दिखा भारी उत्साह

युवा भी मतदान करने में पीछे नहीं थे
ग्रामीण क्षेत्र में देर शाम तक हुई वोटिंग
 मतदान प्रतिशत बढ़ने की सम्भावना
 पत्थलगांव/रमेश शर्मा
     लोकसभा चुनाव में मतदान को लेकर शहर सहित ग्रामीण अचंल में आम मतदाताओं के साथ युवा वर्ग ने जमकर उत्साह दिखाया। गर्मी के कारण दोपहर में मतदान केन्द्र सूने हो गए थे पर सुबह से मतदान केन्द्रों में उमड़ी भीड़ ने चुनाव के प्रति अपनी जागरूकता को साबित कर दिया था।
     शहर के सभी बूथों में सुबह से ही मतदाताओं की लम्बी कतार लग गई थी। दोपहर को अपेक्षाकृत कम लोग रहे लेकिन शाम होते ही फिर से मतदाताओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। यहाँ पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लोकसभा चुनाव के लिए मतदान शांतिपूर्ण हुआ। समाचार लिखे जाने तक कहीं भी अप्रिय घटना की खबर नहीं है।
    इस चुनाव में निर्वाचन आयोग व्दारा सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान कराए जाने के निर्देश का उत्साह प्रारंभिक दौर में दिखाई दिया। 11.30 बजे के बाद चिलचिलाती धूप ने मतदान की गति धीमी कर दी थी। वहीं दोपहर तीन बजे के बाद फिर से मतदाताओं की कतार दिखने लगी थी। धूप से बचने के लिए देर से मतदान केन्द्र पहुंचने वाले मतदाताओं के चलते शाम 6 बजे के बाद भी कई मतदान केन्द्र में मतदान करने वाले लाईन में अपनी बारी आने की प्रतिक्षा कर रहे थे। 16 वीं लोकसभा चुनाव को लेकर यहाँ राजनैतिक दल के नेताओं से अधिक मतदाताओं में उत्साह दिखाई पड़ रहा था। युवा मतदाता मौसम अग्रवाल का कहना था कि  उसका राजनीति में पहले से ही रूझान रहा है। अब जब उसे पहली बार मतदान का अवसर मिला है तो इस काम को प्राथमिकता के साथ कर रहा हूं। आम्बेटकर नगर में रहने वाले युवा सारांश अग्रवाल भी मतदान को लेकर बेहद उत्साहित दिखे।  मतदान मतदाता पर्ची घर घर पहुंच जाने से उसमें केन्द्र का नाम स्पष्ट होने से मतदाता सीधे अपने पोलिंग केन्द्र पहुंच कर लाइन में लग रहे थे।  
नए वोटर्स बनने वाली युवती तथा महिलाओं में 
      मतदान करने का भारी उत्साह दिखाई दिया
गजब का जज्बा कहा जब तक
 है जान करेंगे मतदान
      मतदान को लेकर चलने फिरने में अशक्त बुजुर्गो में भी काफी उत्साह रहा। कई बुजुर्गो का कहना था कि जब तक है जान करेंगे मतदान। अपनी बात की दृढ़ता को साबित करने के लिए ये बुजुर्ग चिलचिलाती धूप में भीष्ण गर्मी की भी परवाह नहीं कर रहे थे। यहाँ पर कुछ बुजुर्ग तथा निशक्तजनों को उनके परिजन तो कहीं पड़ोसियों की मदद लेकर मतदान करते हुए देखा गया। शहर का बालक स्कूल में भाथुडाड की लगभग 90 वर्षिय महिला सुकारी बाई जो चलने फिरने में अक्षम होने के साथ उसकी आंखों की रोशनी नहीं होने के बाद भी उसने अपनी बहु के सहयोग से अपने मत का प्रयोग किया। इस महिला का मतदान करने का उत्साह देखते ही बन रहा था। इस महिला को उसके परिवार के लोग कुर्सी में बैठा कर मतदान केन्द्र पर लेकर पहुंचे थे। इसी तरह 75 वर्षिय खेदूराम को भी उसके परिवार के सदस्य सायकल पर बैठा कर मतदान केन्द्र पहुंचे थे। युवाओं से अधिक बुजुर्गो का उत्साह देख कर सुरक्षा में तैनात जवान भी उन्हे देख कर आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे।
    खेदूराम ने बताया कि वह अब तक सभी चुनाव में अपने मत का प्रयोग करते रहा है। इसी वजह लोकसभा चुनाव में वह मतदान करना नहीं भूला है। शहर के सभी मतदान केन्द्रो में महिलाओं की भी लम्बी लम्बी कतार लगी हुई थी।कुछ महिलाऐं तो अपने नन्हे बच्चों को गोद में उठा कर लाई थी।
           श्रीमती आरती सिंह ने किया खोखी स्कूल में मतदान
      रायगढ़ संसदीय सीट पर कांग्रेस की टिकट अपना भाग्य अजमा रही श्रीमती आरती सिंह ने गुरूवार को 8.30 अजे यहाँ पुलिस थाना के समीप खोखी स्कूल के मतदान केन्द्र क्रमांक 167 में अपना वोट डाला। उन्होने कहा कि महिलाओं में इस बार काफी उत्साह दिखाई पड़ रहा है।इस वजह उन्हे अपनी जीत का पूरा भरोसा है। श्रीमती आरती सिंह ने शहरी और ग्रामीण अचंल  के अन्य मतदान केन्द्रों में भी पहुंच कर वहाँ का अवलोकन किया।   शहर में मतदान केन्द्रों में गर्मी का प्रकोप को देखते हुए पंडाल लगाने के निर्देश तो दिए गए थे। पर यहाँ ज्यादातर मतदान केन्द्रों में पंडाल की छांव का अता पता नहीं था। मतदाताओं को मतदान के लिए जगह जगह पसीना बहाना पड़ रहा था। स्कूल परिसर में लम्बा बरामदा होने के कारण कई जगह मतदाताओं को गर्मी से राहत मिल गई थी, लेकिन कुछ केन्द्रों में ऐसी सुविधा नहीं होने से सभी लोग बेबस दिखाई पड़ रहे थे।  इस बार लोकसभा का चुनाव का मतदान में भाजपा के बजाए कांग्रेसी कार्यकर्त्ता ज्यादा मुस्तैदी से तैनात नजर आए।
           मतदान केन्द्र की प्रत्येक गतिविधियों पर नजर
    पत्थलगांव क्षेत्र के 3 मतदान केन्द्र में इस बार वैब कास्टिंग सीसीटीवी कैमरों से वहाँ की प्रत्येक गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जा रही थी। एसडीएम रामानंदन सिंह ने बताया कि मतदान केन्द्र क्रमांक 161,163 और 165 में वैब कास्टिंग कर यहाँ की सभी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि मतदान के दिन प्रातः तमता में केन्द्र क्रमांक 127 तथा पंगशुवा के केन्द्र क्रमांक 175 में वोटिंग मशीन में खराबी आ जाने से वहाँ नई मशीन लगा कर मतदान कराया गया।

बुधवार, 23 अप्रैल 2014

पर्यावरण असंतुलन का कृषि पर भी असर

 ग्राम गाला के समीप राजस्व भूमि पर अवैध कटाई के बाद पेड़ो के ठूंठ    
विश्‍व पृथ्वी दिवस पर संगोष्‍ठी :
जरूरी उपायों में देना होगा वक्त
  पत्थलगांव/       रमेश शर्मा       
      पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ने के बाद भी अपने ज्ञान का उपयोग पर्यावरण को बचाने में नहीं हो पा रहा है। इस दिशा में केवल हवा हवाई प्रयास के चलते  भू जल, वन, पर्यावरण और हमारी कृषि सबसे अधिक प्रभावित हुई है।
       विश्व पृथ्वी दिवस पर यहाँ सामुदायिक भवन में आयोजित संगोष्ठी में इस अंचल के प्रमुख पर्यावरणविद डा.परिवेश मिश्रा के मुताबिक शासकीय अमला भी पर्यावरण की चिंता केवल फाइलों में कर के शांत बैठ जा रहे हैं। इससे कृषि पर विपरित असर पड़ने के साथ सभी चीजें प्रभावित हो रही हैं। इससे हमारी पृथ्वी का संतुलन तेजी से बिगड़ रहा है। उन्हांेने कहा कि प्रदेश के हर हिस्से में भू-जल स्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है। इसके वाद भी हम जरूरी उपायों को लागू कर पाने में कोताही बरत रहे हैं। डा.मिश्रा ने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग के मामले में हमारी लापरवाही सबसे अधिक देखी जा रही है। नए बनने वाले शासकीय भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग न होना बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि वर्षा कराने में सहायक वनों को भी विकास की भेंट चढ़ाते जा रहे हैं। 
      औद्यौगिक विकास के कारण प्रदूषण तो फैल ही रहा है साथ ही रोज नई बीमारियों को जन्म दे रहा है। मौसम का मिजाज बदलने में प्रदूषण सबसे बड़ा कारक साबित हुआ है। खंड वर्षा, अमलीय वर्षा और बे मौसम बरसात से हमारी कृषि का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। डा.मिश्रा का कहना था कि धरती के संरक्षण और हरियाली को सीेजने की प्रत्येक व्यक्ति के व्दारा ईमानदारी से कोशिश होनी चाहिए। उन्होने कहा कि इस दिशा में कलेक्टर की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। प्रति सप्ताह समय अवधि की बैठक के बाद इस कार्य का औचक निरीक्षण से कार्यो में कसावट आ सकती है।
       वरिष्ठ पत्रकार राजेश अग्रवाल का कहना था कि धरती को बचाने कई संस्थाओं ने बोगस कार्य से केवल लूट-खसोट का काम किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर बोगस कार्य करने वालों के विरूध्द दंडात्मक कार्रवाई में विलंब नहीं होना चाहिए। इससे अन्य संस्था भी अपना काम को ईमानदारी पूर्वक करके धरती सरंक्षण में बेहतर सहयोग करेगी।
लुड़ेग के समीप वनों की अंधाधुंध कटाई ने बिगाड़ा धरती का स्वरूप

             दो साल में 200 वर्ग कि.मी. जंगल घटा
          यहाँ के वन प्रेमी निशिकांत अग्निहोत्री का कहना था कि बीते दो साल में ही छत्तीसगढ़ में 200 वर्ग किलोमीटर जंगल घट गया है। उन्होंने बताया कि वनभूमि को तेजी से सामान्य भूमि में बदल दिए जाने के कारण अब चिंताजनक हालत बनने लगी है। श्री अग्निहोत्री का कहना था कि बांध तो बनाए जा रहे हैं पर उनमें पानी भराव और कार्य की गुणवत्ता को अनदेखा कर देने से भू जल स्तर में गिरावट कम नहीं हो रही हैं। उन्होने बताया कि बीते एक दशक में छत्तीसगढ़ की जलवायु में इतना परिवर्तन हुआ है कि कई इलाकों में बारिश की मात्रा में अप्रत्याशित कमी दर्ज की गई है। उन्होने कहा कि वन भूमि का तेजी से घटते रकबे के चलते खेती के कामकाज पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है।
       यहाँ के किसान नेता वेदप्रकाश मिश्रा ने कहा कि हम रासायनिक खाद के उपयोग से धान का उत्पादन तो बढ़ा रहे हैं,लेकिन इससे फसल की गुणवत्ता घट रही है और उपजाउ मिटटी भी खराब हो रही है। श्री मिश्रा ने कहा कि तापमान में लगातार हो रही वृध्दि के चलते धान और गेंहू का उत्पादन पर भी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि पहले असिंचत अवस्था में गेहू का उत्पादन होता था,जो अब बंद हो गया है। श्री मिश्रा ने कहा कि किसानों को फसलों का सुधार के लिए अब फसल चक्र में परिवर्तन की जरूरत है।
             बंजर भूमि में फलोद्यान कार बनाया आय का साधन
     प्रमुख समाजसेवी डा.मेनका सिंह का कहना था कि दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही धरती की तपन का मुख्य कारण वैसे तो प्रकृति के साथ हो रहे छेड़छाड़ को ही माना जाता है। उन्होने कहा कि जंगलों की अंधाधुंध कटाई पर अभी भी लोग सचेत नहीं हो रहे हैं। हमारे विकास कार्यो में क्राक्रीटीकरण पर ही सबसे अधिक जोर दिया जा रहा है। हाई पावर की विद्युत लाईन अथवा उद्योग धंधों का विस्तार में सबसे पहले हरियाली को नष्ट किया जा रहा है। तेजी से होने वाले कांक्रीटीकरण के चलते भूगर्भ में जल का प्रवेश अवरूद्ध़ होने से जगह जगह पानी की दिक्कतें बढ़ रही है। डा.मेनका सिंह का कहना था कि  धरती के साथ छेड़छाड़ करके हम अपनी मुश्किलों में लगातार इजाफा कर रहे हैं। उन्होने कहा कि अब विचार विमर्श नहीं बल्कि कुछ ठोस व सार्थक पहल करनी होगी। इस संगोष्ठि में मिर्जापुर के किसान अकलू राम व्दारा अपनी बजंर और पथरीली भूमि में रसीले आम का बगीचा तैयार करने की सराहना की गई। इसी तरह ग्राम मुड़ापारा में वहाँके किसान निरंजन साय ने भी अपनी अनुपयोगी भूमि पर सघन फलोद्यान करके उसे अच्छी कमाई का साधन बनाने पर भी चर्चा की गई। यहाँ पर उपस्थित किसानों का कहना था कि ऐसे लोगों को पुरूष्कृत करके उनके अनुभव का दूसरे किसानों को भी लाभ देना चाहिए।





      

मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

उत्सव उनके परेशानी सब की

एसडीएम निवास के सामने खाली भूखंड
में कचरे का ढेर तथा कचरे से पटी नालियाँ
 एसडीएम निवास के सामने गंदगी का ढेर
 बस स्टैण्ड की नालियां भी कचरे से पटी   

पत्थलगांव/          रमेश शर्मा
    शहर में अग्रसेन भवन और सत्यनारायण धर्मशाला में होने वाले उत्सवों के बाद संबंधित तो अपने घर लौट जाते हैं, पर उसके बाद वहाँ पॉलीथिन डिस्पोजल व जूठन का कचरा से उठने वाली दुर्गंध से आस पास के रहवासी कई दिनों तक खासे परेशान रहते हैं। यहा एसडीएम निवास के सामने खाली भूखंड में कचरा और बदबू का वातावरण से लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
     अग्रसेन भवन के सामने खाली भूखंड तथा सत्यनारायण धर्मशाला में होने वाले उत्सवों के बाद वहाँ पर पॉलीथिन और अन्य कचरा का ढेर सड़क पर पहुंच जाता है। इस अव्यवस्था के संबंध में नागरिकों की बार बार शिकायतों के बाद भी नगर पंचायत के प्रभारी सीएमओ नारायण प्रसाद सिंह ने इसका समाधान की आज तक कोई सार्थक पहल नहीं की हैं।
       शहर के नागरिकों का कहना है कि पत्थलगांव नगर पंचायत में इन दिनो साफ सफाई व्यवस्था को लेकर घोर लापरवाही बरती जा रही है।नागरिकों को बुनियादी सुविधा महैया कराने में नगर पंचायत की उदासिनता के चलते ही ज्यादातर लोगों ने अपने करों का भुगतान देना बंद कर दिया है। नागरिकों का कहना है कि नगर पंचायत के जिम्मेदार पदाधिकारी भी सीएमओ का मनमाना रवैया की बात कह कर चुप्पी साध ले रहे हैं। ज्यादातर नालियंा कचरे से पट जाने के बाद वहाँ गंदा पानी की निकासी नहीं हो रही है। घरों के आस पास बनाई गई इन नालियों की कई महिनों से साफ सफाई नहीं हो पाने से नागरिकों में काफी आक्रोश व्याप्त है।
 दो दिन पहले शहर के नागरिकों का एक प्रतिनिधि मंडल ने नगर पंचायत पहुंच कर एसडीएम निवास के सामने पॉलीथिन कचरा की संडांध तथा बस स्टैण्ड में लम्बे अर्से से नालियों की साफ सफाई कराने के लिए एक ज्ञापन सौंपा। नागरिकों का कहना था कि अग्रसेन भवन के सामने होने वाले उत्सवों के बाद वहाँ खुले भूखंड में ही पॉलीथिल तथा अन्य डिस्पोजल को छोड़ दिया जाता है। नगर पंचायत के साफ सफाई कर्मियों द्वारा यहाँ की सफाई व्यवस्था को अनदेखा कर देने से आस पास रहने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गई है। यहाँ पर पॉलीथिन तथा अन्य डिस्पोजल का कचरा उड़कर मुख्य सड़क पर फेलने के साथ वहाँ की नालियों को भी जाम कर रहा हैं।
            एसडीएम निवास के सामने गंदगी का साम्राज्य
     शहर के नागरिकों का कहना था कि यहाँ एसडीएम के निवास के सामने साफ सफाई का काम में नगर पंचायत की लापरवाही के बाद शहर के अन्य मुहल्लों में व्याप्त रहने वाली गंदगी का सहज अंदाज लगाया जा सकता है।यहाँ के पार्षद वेदप्रकाश मिश्रा का कहना है कि कलेक्टर हिम शिखर गुप्ता ने विभिन्न शासकीय कार्यालयों का औचक निरीक्षण करने से वहाँ अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों को अपने कर्तव्यपालन की सीख मिल गई है। श्री मिश्रा ने कहा कि शहर में नगर पंचायत सीएमओ का मनमाना रवैया से परेशान यहाँ के नागरिक पत्थलगांव में कलेक्टर का भ्रमण तथा नगर पंचायत कार्यालय का औचक निरीक्षण के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।  
             सफाई अव्यवस्था बनी परेशानी का सबब
  नगर पंचायत अध्यक्ष डा.बीएल भगत का कहना था कि यहाँ सफाई की अव्यवस्था उनके लिए परेशानी का सबब बन गई है। उन्होने बताया कि शहर का बस स्टैण्ड, सब्जी बाजार, एसडीएम गली तथा अन्य मुख्य सड़कों पर साफ सफाई का अभाव को लेकर उनके पास आए दिन शिकायते मिल रही हैं। श्री भगत ने कहा कि अग्रसेन भवन के सामने खाली भूखंड और धर्मशाला में होने वाले उत्सवों के बाद वहाँ तत्काल साफ सफाई कराने के कड़े निर्देश के बाद भी प्रभारी सीएमओ व्दारा इस दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है। श्री भगत ने कहा कि नालियों की नियमित साफ सफाई नहीं होने से शहर के कई मुहल्लों में आक्रोश व्याप्त है। उन्होने बताया कि लोकसभा चुनाव के बाद वे प्रभारी सीएमओ की लापरवाही के संबंध में उच्च अधिकारियों को स्वयं लिखित शिकायत करेंगे। 

सोमवार, 14 अप्रैल 2014

शादी के सीजन में सोने का कारोबार मंदा


          सराफा दुकानदार के पास ग्राहकों व्दारा
 चांदी के आाभूषणों की पूछ-परख
चांदी की पूछ परख बढ़ी
पत्थलगाँव / रमेश शर्मा
   शादी सीजन होने के कारण इन दिनों सराफा बाजार में ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है। सोने के भाव में 35 हजार रुपए प्रति तोला की रिकार्ड तेजी के बाद अब लगभग 5 हजार की गिरावट के बाद भी गरीब वर्ग के साथ मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों ने भी स्वर्ण आभूषणों से दूरी बना ली है।
      सराफा व्यापारियों का कहना है कि इस साल शादी का आधा सीजन बीत जाने के बाद भी उनका कारोबार 20 फीसदी तक नहीं पहुंच पाया है। यहां मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों का कहना है कि मंहगाई के दौर में साने की खरीददारी के बाद इसे पहन कर आवाजाही करने में भी भय बना रहता है। यही वजह है कि अपनी बीटिया के हाथ पीले करके चांदी देकर विदा करने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।
      इधर सराफा दुकानदारों का कहना है कि पहले की अपेक्षा सोने का कारोबार 40 फीसदी भी नहीं रह गया है। इन दिनों शादी का सीजन होने के बाद भी उनके पास पहुंचने वाले ज्यादातर ग्राहक चांदी से ही काम चला रहे हैं। सोने की खरीदी के नाम पर अंगूंठी अथवा कम बजट के दूसरे आभूषण की खरीददारी से काम चला रहे हैं। पत्थलगांव में सराफा का काफी बड़ा बजार है। यहां पर दर्जन भर सराफा दुकानों में शादी ब्याह का सीजन में प्रति दिन लाखो रूप्यों का कारोबार होता है। सोने चांदी के आभूषणों की खरीदी करने वाले ग्राहकों का कहना है कि यहां का बाजार में राजधानी रायपुर के भाव में मामली अंतर होने के चलते यहां रायगढ़, जशपुर के अलावा सरगुजा जिले के कस्बों से ग्राहकों की भीड़ पहुंचती है। शादी और त्यौहारी सीजन के समय यहां के दुकानदारों की व्यस्तता काफी बढ़ जाती है, लेकिन इस बार शादी का सीजन में साने की बिक्री बेहद कम हो गई है।
     यहां सराफा दुकानदार श्रवण अग्रवाल का कहना था कि दो दशक पहले सोना साढ़े चार हजार रुपए तोला तथा दस साल पहले छः हजार रुपए तोले में बिकने वाला पीला धातु सोने की कीमत बढ़ कर अब 30 हजार रुपए प्रति तोला हो गया है। बीते वर्ष सोने के भाव में रिकार्ड तेजी के बाद इसके भाव 35 हजार रुपए .प्रति तोला की उंचाइयों में जा पहुंचे थे। साने के भाव में अप्रत्याशित तेजी के कारण यह धातु अब गरीब वर्ग से दूर हो गई है। यहां सराफा व्यवसायी सुरेश अग्रवाल का कहना था कि उनके पास ग्राहकों की भीड़ तो पहले की तरह पहुंच रही है, लेकिन सोने के भाव सुन कर लोग मायूस हो जाते हैं और खरीदी नहीं कर पाते हैं।
               साने में निवेश हुआ कम
यहां सोने के भाव स्थिर नहीं रहने से इसमें निवेश करने का हर व्यक्ति साहस नहीं कर रहा हैं। जानकार लोगों का कहना था कि सोने में उतार चढ़ाव का दौर से सराफा व्यापारियों के साथ निवेश के शौकीनों के भी होश उड़ गए हैं। यहां पर जमीन का कारोबार करने वाले व्यवसायी रम्मू शर्मा ने बताया कि साने का कारोबार में इन दिनों भविष्य सुरक्षित दिखाई नहीं दे रहा है। इसके विपरित जमीन का कारोबार में साल दो साल का इंतजार के बाद ही लाभ की गुंजाइश दिखने लग जाती है।
                       खरीददार उच्च वर्ग
      सराफा व्यवसायी चन्द्रशेखर अग्रवाल का कहना था कि सोने के रेट में तेजी जरूर आई है,लेकिन इसकी खरीददारी बुरी तरह से प्रभावित हो गई है। उन्होने कहा कि अब सोने के खरीददारों की बड़ी संख्या उच्च वर्ग के लोगों की ही रह गई है। उन्होंने कहा कि इन दिनों सोने के दाम में गिरावट का दौर बन जाने से मध्यमवर्गीय परिवार इसकी मामली खरीदी करने लगे हैं। पर वे भी अपना बजट से बाहर जाने का साहस नहीं कर पाते हैं। उन्होने बताया कि होली के बाद से ही सोने के दाम में रूक रूक कर कमी आई है। अब शादियों का सीजन शुरू हो जाने के बाद भी खरीददारी में वृध्दि नहीं हो पाई है।
                    चांदी से कन्यादान
     यहां गोलाबुड़ा के शुद्रोधर महकुल का कहना था कि पहले की अपेक्षा साने के भाव में बेतहाषा वृध्दि हो जाने से अब इसकी खरीददारी के बारे में सोचना ही छोड़ दिया है। उन्होने कहा कि वे अपनी लाडली को कन्यादान में सोने के गहने देने के बजाए चांदी से ही काम चला लेंगे। उन्हांेने कहा कि गरीबों के लिए धीरे धीरे सोना दुर्लभ धातु बन गया है। इसकी खरीदी करना अब हर किसी के बस की बात नहीं है।इसलिए चांदी के गहनों के साथ बेटी की बिदाई सबसे बेहतर काम है।