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गुरुवार, 6 मार्च 2014

मध्यान्ह भोजन में अव्यवस्था से विद्यार्थियों की दर्ज संख्या घटी

स्कूली बच्चे ही परोसते हैं मध्याह्न भोजन
निरीक्षण की औपचारिकता के चलते ही अव्यवस्था
पत्थलगांव  रमेश शर्मा
    ग्रामीण और शहरी अंचल के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन की योजना का औचक निरीक्षण के नाम पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी व्दारा महज औपचारिकता बरतने के कारण ज्यादातर स्कूलों में भोजन व्यवस्था बुरी तरह से गड़बड़ा गई है। कई स्कूलों में लगा हुआ मिड डे मीनू में जिला प्रशासन व्दारा प्रतिबंधित सोयाबीन बड़ी देने का ही उल्लेख किया गया है।
                   दर्ज संख्या 46 उपस्थिति 12
          ग्रामीण अचंल के स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना अस्त व्यस्त हो जाने के कारण यहाँ विद्यार्थियों की दर्ज संख्या में भारी कमी आई है। किलकिला का बालक प्राथमिक स्कूल में बुधवार को 46 विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के विरूध्द केवल 12 छात्र ही उपस्थित थे। इस विद्यालय के प्रधान पाठक सुखसाय ने बताया कि बुधवार को सवा ग्यारह बजे तक शिक्षक नारायण प्रसाद जांगड़े भी अनुपस्थित है। किलकिला बालक स्कूल में शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के चलते यहाँ की टूटी खिड़कियाँं और दरवाजे भी असत व्यस्त हो गए हैं।शहर के समीप मुख्य मार्ग पर स्थित इस विद्यालय में चारों ओर अव्यवस्था का आलम बना रहता है। इस विद्यालय में लगा हुआ मिड डे का मीनू में आज भी प्रतिबंधित सोयाबीन का शुक्रवार को वितरण करने का उल्लेख किया गया है।
तालाब में स्कूली बच्चे मध्यान्ह
भोजन के बाद साफ सफाई करते हुए
       यहाँ कार्यरत महिला रसोइये ने बताया कि यहाँ मध्यान्ह भोजन के लिए ग्राम पंचायत इंजको का शांति सव सहायता समूह व्दारा खाद्यान सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। यहाँ के प्रधान पाठक सुखसाय ने बताया कि महिला स्व सहायता समूह व्दारा यहाँ पर इंधन,हरी सब्जी आलू की आपूर्ति नहीं की जाती है। यहाँ पर मध्यान्ह भोजन बनाने वाली रसोइया को ही स्वयं आलू,साग सब्जी आदी सामग्री की व्यवस्था करनी पड़ती है। इस संबंध में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को भी कई बार अवगत कराया जा चुका है, लेकिन मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो पाया है।
        बताया जाता है कि इस विकास खंड अन्तर्गत के सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन के लिए खाद्य सामग्री और ईधन की व्यवस्था करने वाली महिला स्वसहायता समूह से जमकर कमीशनखोरी करने के कारण इन दिनो मिड डे में मीनू का कहीं पर भी पालन नहीं किया जा रहा है। शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के चलते सरकारी स्कूलों में संचालित होने वाली यह महत्वपूर्ण योजना दम तोड़ने लगी है। मध्यान्ह भोजन योजना की जिम्मेदारों व्दारा मानिटरिंग नहीं किए जाने से स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति पर भी विपरित असर पड़ने लगा हैं। यहाँ पर महिला स्व सहायता समूह व्दारा एक से दो महिने का समूचा राशन स्कूलों में एक बार ही सप्लाई करने के बाद वहाँ हरी साग सब्जी,अचार पापड़ और इंधन का अता पता नहीं रहता है। कई स्कूलों में रसोईया गायब रहने से भोजन बनाने और परोसने का काम भी स्कूली बच्चों को करना पड़ रहा है। यहाँ ग्राम पचंायत गाला, शिवपुर,बुढ़ाडाढ़ , ईला, घरजियाबथान,भालूघुटरा,लंजियापारा आदि स्कूलों में मध्यान भोजन की अव्यवस्था को लेकर वहाँ पालकों में काफी आक्रोश है।
           तालाब में उतरकर बर्तनों की सफाई
      ग्राम पंचायत गाला के ठंडाराम ने बताया कि यहाँ पर स्कूली बच्चों को मध्यान भोजन करने के बाद अपने बर्तनों को समीप के तालाब में जाकर धोना पड़ता है। छोटे बच्चों को तालाब में घुटने भर पानी में जाकर बर्तनों की साफ सफाई करने से यहाँ पर कभी भी अनहोनी होने की आशंका बनी रहती है। ग्राम गाला की तरह आस पास के अन्य स्कूलों में भी मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था का काफी बुरा हाल है। स्कूल के अध्यापकों का कहना है कि मध्यान भोजन की व्यवस्था महिला स्वसहायता समूह के जिम्मे में देने के बाद संबंधित अधिकारी कभी भी देख रेख नहीं करते हैं। ग्राम मुड़ापारा के स्कूल में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता को लेकर यहाँ के पालकों ने कई बार शिक्षा अधिकारी को शिकायत दर्ज कराई है इसके बाद भी यहाँ की अव्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया है। तमता क्षेत्र के स्कूलों में भी इन दिनो मध्यान्ह भोजन योजना अस्त व्यस्त हो गई है। यहाँ के स्कूलों में मध्यान्ह भोजन करते वक्त स्कूली बच्चे धूल धुसरित स्ािान पर बैठ कर भोजन करने लग जाते हैं। बच्चों को दिया जाने वाला भोजन में पौष्टिकता का पुट जरा भी दिखाई नहीं देता है। यहाँ पर ज्यादातर स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की योजना केवल पेट भरने की योजना बन कर रह गई है। ग्रामीण और शहरी अचंल के सरकारी स्कूलों की दीवारों पर मध्यान भोजन योजना का मीनू को बड़े बड़े अक्षरों में अंकित तो करा दिया है पर इन स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि कहीं पर भी इस मीनू का पालन नहीं किया जा रहा है। पाकरगांव क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में बच्चों को अपने घर से नमक साथ लाकर भोजन करना पड़ रहा है। इन स्कूलों का औचक निरीक्षण के नाम पर केवल औपचारिकता कर देने से किसी भी समूह को कार्रवाई का भय नहीं है।
           खीर पापड़ देने की बात हास्यास्पद   
  यहाँ भाजपा की वरिष्ठ नेता अंजू टोप्पो का कहना था कि मुख्यमं़त्री डा.रमन सिंह ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन कराया है। इस योजना के तहत घर की तरह स्वच्छ और पौष्टिक भोजन देने के लिए पर्याप्त धन राशि उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन दुर्भाग्य है कि बीईओ व्दारा प्रति माह मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन करने वालो व्दारा प्रस्तुत किए जाने वाले बिलों पर आंख बंद करके हस्ताक्षर कर देने से ज्यादातर स्कूलों की महत्वपूर्ण मध्यान भोजना योजना अब दिखावा बन कर रह गई है। उन्होने कहा कि गांव के सरकारी स्कूलों का मध्यान्ह भोजन में दाल चावल के साथ खीर पापड़ अंडा अचार आदि देने की बात जगह जगह हास्यास्पद बन गई है।

 

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