कुल पेज दृश्य

सोमवार, 30 जुलाई 2012

आजादी के 64 साल बाद भी अंधविश्‍वास का सहारा


गरम सलाखों से गला
दाग कर हो रहा उपचार 
  नन्हे बच्चे भी प्रभावित 
रमेश शर्मा 
पत्थलगांव/छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में शिक्षा का व्यापक प्रचार प्रसार के बाद भी यहां के ग्रामीण अचंल के लोग अंध विष्वास की जकड़ से नहीं निकल पाए हैं। यहां इलाज के नाम पर गले में लोहे की गरम सलाखों से जला कर पेट दर्द एवं गला दर्द का उपचार किया जाता है। जिले में पत्थलगांव तहसील अन्तर्गत के ग्रामीण अचंल में पेट दर्द के मरीजों का उपचार का तरिका को देखकर रोंगटे खड़े हो सकते हैं। यहां पेट दर्द के बाद गला दर्द की रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप से मुड़ाबहला गांव के पाकरडाढ़ मुहल्ले में अनेक लोग पीड़ित होने से इस गांव में दहशत का माहौल बन गया है। जुलाई माह में यहां पेट दर्द एवं गला दर्द की शिकायत यत के बाद एक महिला सहित दो लोगों की मौत हो जाने से गांव के लोग इसे दैविय प्रकोप मानकर झाड़फुंक से उपचार करा रहे हैं। मुड़ाबहला के सरपंच हीरालाल ने बताया कि गांव के समीप कुकरगांव में शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र होने के बाद भी पेट दर्द एवं गला दर्द से पीड़ित मरीजो का गरम लोहे तथा तांबे के सिक्के को आग में जला कर उससे मरीज के गले में दाग कर इलाज किया जा रहा है। पिछले दो दिनों में 4 नन्हे बच्चों सहित 37 लोग इस बीमारी की चपेट में आने के बाद यहां अंधविश्‍वास के चलते उनके गले पर गरम लोहे की सलाख से दाग दिया गया हैं।
गरम सलाखों से गला दाग कर किया गया पीड़ितों का उपचार
 पत्थलगांव ब्लॅाक मेडिकल अधिकारी डा. जे मिंज को रविवार को इस बीमारी की जानकारी मिलने के बाद प्रभावित गांव में स्वास्थ्य कैंप लगा कर मरीजों का उपचार शुरू किया गया है। प्रभावित गांव पाकरडाढ़ में तैनात गला कान के विशेषज्ञ चिकित्सक बसंत कुमार सिंग ने सोमवार को बताया कि गला व पेट दर्द की बीमारी से पीड़ित सभी मरीजों का उपचार शुरू कर दिया गया है। उन्होने बताया कि इन मरीजों की जांच के बाद वे पूरी तरह से स्वस्थ्य पाए गए हैं। डा.सिंग ने कहा कि मौसमी बुखार सर्दी खांसी की वजह से गांव के लोग अंधविष्वास में उलझ गए हैं। इसी वजह यहां  मरीजों का झाड़ फूंक अथवा गला में दाग कर इलाज कराया जा रहा था।उन्होने बताया कि गांव में लोगों को समझाने का प्रयास किया जा रहा है। तथा किसी भी तरह की बीमारी की षिकायत पर इन सभी ग्रामीणों को स्वास्थ्य विभाग की सेवाऐं लेने को कहा गया है।
                     गरम लोहे की सलाख से इलाज
    मुड़ाबहला के सरपंच हीरा साय ने बताया कि विगत 4 जूलाई को इस मुहल्ले में मानकुंवर पति मनसुख 30 वर्ष की पेट दर्द व गला दर्द के बाद अचानक मृत्यु हो गई थी। इसके बाद 26 जुलाई को इसी तरह पेट दर्द व गला दर्द की षिकायत के बाद केशर पिता धनसाय नागवंषी 8 वर्ष की भी मृत्यु हो चुकी है। उन्होने बताया कि पिछले तीन दिनो से गांव में पेट दर्द एवं गला दर्द से पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। इसके पहले पेट दर्द व गला दर्द से दो लोगों की मौत होने से गांव में दहशत का वातावरण बन गया था। इसी वजह यहां झाड़ फूंक करने वालों की मदद ली जा रही हैं। मुड़ाबहला का पाकरडांढ़ मुहल्ले में जमलसाय का परिवार के सभी 6 सदस्य पेट दर्द व गला दर्द की बीमारी से पीड़ित हैं। जमलसाय ने अपने 4 नाबालिक बच्चों का गला दाग कर इलाज कराया है।इसी तरह तीन साल की दशमती पिता राधे तथा नौ वर्षिय नन्दकुमार पिता धरम साय सहित 37 पीड़ितों का भी गला दाग कर इलाज किया गया है। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में झाड़फूंक का काम करने वाले विष्णु यादव, मुनेश्‍वर नाग और शांतु नाग व्दारा इस तरह से पीड़ित मरीजों का लोहे की सलाख अथवा तांबे के सिक्के को आग में लाल करके उससे गला में दाग कर उपचार किया गया है।

    मुड़ाबहला के समीप पाकरडाढ़ के आंगनवाड़ी केन्द्र में स्वास्थ्य विभाग का शिविर में गरम सलाखों से दागे जाने के बाद दयाराम, सदानंद, लोहरा, धरमसाय, नन्दकुमार, मुक्ता, कृष्णा, कौशल्या,  सुषिला, सुषमा, हारावती पार्वती बाई रमिला, ढ़ोली बाई करमबती सोनकुमारी, अमरसाय का उपचार किया जा रहा है।
                        पानी की होगी जांच
     मुड़ाबहला गांव में पेट दर्द और गला दर्द की बीमारी से अनेक लोग पीड़ित होने के बाद आज गांव में पानी की जांच के लिए हेण्‍ड पम्प से नमूने भी लिए गए हैं।चिकित्सकों का कहना है कि गांव में आज इस तरह की बीमारी से पीड़ित एक भी नया मरीज नहीं आया है। पुराने मरीजों को भी आवश्‍यक दवा मुहैया कराने के बाद यहां स्थिति नियंत्रण में है।

     

शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

बिना द्रोणाचार्य के चल रही स्कूल

कन्या हाई स्कूल पत्थलगांव
पत्थलगांव/   रमेश शर्मा
  छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में पत्थलगांव का कन्या हायर सेकेन्डरी स्कूल की छात्राओं को बीते पांच वर्षो से गृह विज्ञान विषय के शिक्षको के बगैर ही अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड रही है। इस शासकीय स्कूल में इस वर्ष अन्य महत्वपूर्ण विषयों के भी षिक्षकों की कमी से अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है।कषक्षकों का अभाव के कारण इस स्कूल में अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है इसके बाद भी शिक्षा अधिकारी और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस स्कूल की सुध नहीं ले रहे हैं।
   सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहॉं  की 2 छात्राओं ने बगैर शिक्षकों के गृह विज्ञान की पढ़ाई में अपने बलबूते से स्कूल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोस्ताहन का पुरूस्कार प्राप्त कर चुकी है। यहां  की छात्राओं की गृह विज्ञान विषय को लेकर काफी रूचि के बाद भी शासकीय कन्या हाई स्कूल में बीते पांच वर्षो से गृह विज्ञान विषय के शिक्षकों की पदस्थापना नहीं हो रही है। इंदिरा गांधी कन्या हायर सेकेन्डरी स्कूल के प्राचार्य एम टोप्पो ने बताया वर्ष 2007 से यहॉं  गृह विज्ञान विषय की कक्षाऐं प्रारम्भ की गई हैं। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने यहॉं  पर जल्द ही गृह विज्ञान विषय के शिक्षकों को पदस्थ करने का आश्वासन दिया था।पर पांच साल का लम्बा समय व्यतित हो जाने के बाद भी इस स्कूल में गृह विज्ञान के शिक्षक पदस्थ नहीं हो पाए हैं। उन्होने बताया कि नए षिक्षा सत्र में यहॉं  पर गणित, विज्ञान, भौतिक, अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषय के षिक्षकों का भी टोटा हो गया है। इस स्कूल में 16 षिक्षकों की पदस्थापना के विरूध्द केवल 8 षिक्षकों से ही काम चलाना पड़ रहा है। प्राचार्य ने बताया कि यहॉं  कामर्स विषय की कक्षाऐं नहीं होने के बाद भी इस स्कूल में कामर्स विषय के दो व्याख्याताओं की पदस्थापना कर दी गई है। उन्होने बताया कि ऐसे विपरित हालात में यहॉं  पर छात्राओं को शिक्षा देने का काम किसी चुनौती से कम नहीं है। श्री टोप्पो ने बताया कि गृह विज्ञान विषय के शिक्षक नहीं होने के बाद भी यहॉं  की छात्राओं ने अपने बलबूते पर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
             लाखों के कम्प्यूटर कचरे में
  कन्या हाई स्कूल में छात्राओं को कम्पयूटर की शिक्षा देने के लिए पांच साल पहले भेजे गए लगभग 50 कम्प्यूटर सेट बगैर उपयोग के ही यहॉं  कचरे के ढ़ेर में बदल गए हैं। प्राचार्य श्री टोप्पो का कहना है कि स्कूल में कम्प्यूटर के जानकार शिक्षक नहीं होने से यहॉं  सभी महंगे उपकरण बीगड़ चुके हैं। इस अव्यवस्था को सुधारने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका है पर यहॉं  की व्यवस्था को सुधारने की अब तक कोई पहल नहीं हो पाई है। श्री टोप्पो ने बताया कि यहॉं  अभी भी 8 शिक्षकों की कमी है। इस दिशा में उच्च अधिकारियों व्दारा निदान नहीं करने से स्कूल की समस्या यथावत बनी हुई है। कन्या स्कूल की छात्राओं ने बताया कि वे कम्प्यूटर की शिक्षा लेना चाहती हैं पर उन्हे अपने स्कूल में कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। 
             बगैर शिक्षक के 2 छात्राओं को ज्ञान पुरस्कार
   कन्या हायर सेकेन्डरी स्कूल में वर्ष 2008 में कु नौमी ने गृह विज्ञान विषय में उत्कृष्ट अंक अर्जित कर 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर इस छात्रा को मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना के तहत 10 हजार रू.का नगद पुरूस्कार प्राप्त हुआ था। वर्ष 2010 में भी यहॉं  की छात्रा कु.अमिला ने 12 वीं की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर उसे भी मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना के तहत 10 हजार रू.का नगद पुरस्कार मिल चुका है।

रविवार, 1 जुलाई 2012

निजी स्कूलों की मनमानी से पालको को आया पसीना

एक निजी शाला की तस्‍वीर
 पत्थलगांव/   रमेश शर्मा
  छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों व्दारा मनमाना शुल्क वसूलने की ढ़ेरों शिकायतों के बाद भी शिक्षा अधिकारी चुप्पी साध कर बैठे हैं। निजी स्कूलों की शैक्षणिक शुल्क के नाम पर लूट खसोट से पालकों को राहत देने के लिए शिक्षा विभाग के सचिव का कड़ा रुख अपनाए जाने के निर्देशों के बाद भी इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
   यहां पर ज्यादातर निजी स्कूलों में शिक्षा को व्यवसाय के रूप में बदल देने से पालकों की परेशानी बढ़ गई है। निजी स्कूल संचालित करने वाले एक स्कूल में तो भवन निर्माण के नाम पर भी स्कूली छात्रों से शुल्क वसूली करने का मामला सामने आया है। इस स्‍कूल में संचालक का मनमाने रवैए के बारे में शहर के कई पालकों ने षिक्षा अधिकारी को शिकायत की है। मगर धीमी गति से जांच के कारण ऐसी शि कायतों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
     ब्‍लॉक शिक्षा अधिकारी बी एस पैंकरा ने बताया कि यहां एक निजी स्कूल में भवन निर्माण के नाम पर भारी भरकम शुल्क वसूला जा रहा है। इस मामले में कई पालकों ने उनके पास मौखिक शिकायत की है। इस वजह संचालक के विरूध्द कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होने बताया कि इन दिनो निजी स्कूलों में यूनीफार्म, पुस्तक व अन्य गतिविधियों का संचालन के नाम पर मनमाने  ढंग से छात्र छात्राओं से फीस वसूली की लगातार शिकायतें मिल रही है।इस तरह की अवैध वसूली के बारे में पालकों से लिखित षिकायत का मामला सामने आने पर संबंधित स्कूल प्रबंधन के विरूध्द कड़ी कार्रवाई के साथ स्कूल की मान्यता को भी रदद करने की कार्रवाई की जाएगी।श्री पैंकरा ने बताया कि निजी स्कूलों को शिक्षा नियमों का पालन करने की कड़ी हिदायत दी जा चुकी है।
        यहां के पालकों का कहना है कि निजी स्कूलों पर नकेल कसने के सभी उपाय बेकार साबित हो रहे हैं। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की सरकार के इस फैसले पर षिक्षा अधिकारियों को कड़ाई से क्रियान्वयन कराना चाहिए। पालक नत्थूराम शर्मा तथा प्रहलाद रोहिला ने कहा कि बंदियाखार स्थित अग्रंजी माध्यम का निजी स्कूल में भवन निर्माण के लिए 2000 रू. शुल्क के रूप में लिए जा रहे हैं। इस स्कूल के सूचना पटल पर इस आषय का नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है। इन पालकों ने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधन के मनमाने रवैए पर रोक लगाने के लिए पहले भी कानून बनाए गए हैं, पर शिक्षा अधिकारियों व्दारा इन नियमों को अनदेखा करने से पालकों को राहत नहीं मिल पाती है। उन्होने कहा कि निजी स्कूलों का मनमाना रवैया में रोक लगनी चाहिए।
                निजी स्कूलों में नहीं हो रहा नियमों का पालन
     पत्थलगांव में दर्जन भर से अधिक निजी स्कूलों का सचंालन किया जा रहा है। इनमें ज्यादातर स्कूलों में शिक्षा विभाग के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन व्दारा मनमानी फीस की वसूली पर अंकुश लगाने के लिए अभी तक शिक्षा अधिकारियों ने ठोस उपाय नहीं किए गए है। पिछले दिनो यहंा षिक्षा अधिकारी ने  स्कूलों के प्रबंधन को अधिक शुल्क वसूली पर रोक लगाए जाने संबधी आदेश दिया था। स्कूल षिक्षा विभाग के सचिव क ेआर पिस्दा व्दारा जारी इस आदेष में कहा गया है कि निजी स्कूलों में षिक्षा को व्यवसाय के रूप सचंालित करने की षिकायत पर त्वरित जांच के बाद दोषियों के विरूध्द कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा निजी स्कूलों में लाभ नहीं और हानि नही ंके सिंध्दात को अनदेखा करने पर इनके विरूध्द कार्रवाई करने को कहा गया है। निजी स्कूलों से आय व्यय, षुल्क निर्धारण और स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी सात दिनों के भीतर देने को भी कहा गया था ।  स्कूलों के मनमाने रवैए पर अकुंष लगाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति गठित कर संबंधित स्कूलों का निरीक्षण करने का आदेष अब फाईलों में सिमट कर रह गया है। पालकों का आरोप है कि निजी स्कूलों में वार्षिक शुल्क में वृध्दि के पूर्व पालक समिति से सहमति  नहीं ली जा रही है । शुल्क का निर्धारण युक्तिसंगत नहीं होने से पालकों की परेशानी बढ़ गई है । निजी स्कूलों में पुस्तक,यूनिफार्म,बस ,विकास शुल्क के नाम पर जगह जगह अतिरिक्त फीस वसूली करने के बाद भी स्कूल सचंालक के विरूध्द  कार्रवाई  नहीं होने से यहां के पालकों में आक्रोश व्याप्त है।
                    इनका पालन अनिवार्य
  •    प्रत्येक निजी स्कूलों को हर साल ऑडिटेड आय व्यय का ब्यौरा जिला शिक्षा अधिकारी को प्रस्तुत करना होगा।
  •   मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन के साथ स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी जिला षिक्षा अधिकारी को देनी होगी।
  •    हर स्कूल को प्रति वर्ष के लिए निर्धारित शुल्‍क का प्रारूप का प्रकाशन किया जाएगा।
  •  शुल्क बढ़ाने से पहले पालकों की सहमति लेना अनिवार्य है।