मानसून के लिए पूजा करते किसान |
देरी से किसान चिंतित
पत्थलगांव/छत्तीसगढ़/
रमेश शर्मा
आषाढ़ का महीना शुरू होने के बाद अब अचंल के
किसान राहत देने वाली मानसून की बारिश का बेसब्री से इंतजार करने लगे हैं।
किसानों का कहना है कि यदि आषाढ़ की शुरुआत के साथ
मानसून आ जाता है तो उत्तम खेती होती है। इस वर्ष आषाढ़ का महीना शुरू होने के बाद भी
मानसून का अता पता नहीं होने से गांव में किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। बुधवार को ग्राम
पचंायत खुंटापानी के ग्रामीणों ने आसमान में पानी के मेघा को जल्दी बुलाने के लिए सरना स्थल पर कई घंटे तक पूजा
अर्चना की। इन ग्रामीणों का मानना है कि गांव का प्राचीन सरना देव की पूजा अर्चना करने
से जल्द बारिश हो जाती है।
खुंटापानी गांव का मुखिया शिवचरण सिंह ने बताया
कि आषाढ़ का महीना प्रारम्भ हो जाने के बाद भी आसमान में पानी वाले मेघा का नामोनिषान
नहीं दिखाई दे रहा है। लगातार चिलचिलाती धूप, तपिश, उमस और रात को भी भीषण गर्मी
से किसानों का खेती का काम पिछड़ने लगा है। षिवचरण का कहना था कि किसानों ने अपने खेतों
में हल चला कर खाद डालने का काम पूरा कर लिया है। अब किसानों को केवल पानी वाले बादलों
का बेसब्री से इन्तजार है। इन किसानों का कहना था कि यदि आषाढ़ की शुरुआत में ही बारिश
हो जाती है तो अच्छी फसल होती है।
नवतपा समाप्त हो जाने के बाद भी मानसून का आसार
नहीं दिखने से इन किसानों के माथे पर चिन्ता की लकिरें स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी। इन
दिनो भीषण गर्मी के चलते गांव में सभी तालाब, कुंए और हेण्डपम्प सूख चूके हैं। किसानों को अपने मवेषियों को
पानी पिलाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।प्रति वर्ष मानसून की देरी और अल्प
वर्षा के चलते कई किसान खेती के कामकाज से विमुख हो गए हैं। किसानों का कहना था कि
बारिश में देरी के चलते फसल की गुणवत्ता पर भी विपरित असर पड़ता है। यदि समय पर मानसून
आ जाता है तो किसानों की खुषी दोगुनी हो जाती है।
ग्राम पचंायत खुंटापानी में बुधवार को गांव के
बाहर सरना स्थल पर सुबह से ही चहल पहल बढ़ गई थी। सरना स्थल पर सभी छोटे बड़े किसान पहुंचने
के बाद स्थानीय बैगा मनीराम ने यहंा पर पेड़ों की पूजा शुरू की थी। सरना स्थल पर पहुंचने
वाला प्रत्येक किसान अपने घर से एक मुट्ठी चांवल लेकर पहुंचा था। मिटटी के नए घड़े में
पानी लाकर यहंा प्राचीन परम्परा के साथ गांव में हरियाली की कामना के लिए काफी धूमधाम
के साथ पूजा की जाती है।
मानसून का इंतजार , बारिश के लिए ग्रामीणों ने की पूजा |
गरजो मेघ , बरसो मेघ ....
यहां पर पूजा करने वाले बैगा मनीराम ने बताया
कि इस सरना स्थल पर जब भी पानी वाले मेघा के लिए पूजा की गई है तो महज एक सप्ताह के
भीतर बारिश अवष्य हुई है। यहंा के ग्रामीणों का कहना था कि इस बार मानसून आने में देरी
हो रही है।इसी वजह किसानों की चिन्ता बढ़ते जा रही है। किसानों का कहना था कि धान की
खेती के लिए इस समय बारिश का होना बेहद जरूरी है। गांव के किसान इन दिनों बारिश के
लिए इन्द्रदेवता को टकटकी लगाए बैठे हैं। मगर अभी आसमान में बारिश वाले मेघ का कहीं
पता नहीं लग पाया है। इस गांव के बुजुर्ग किसान बहादुर राम ने बताया कि मानसून के पहले
हवा की दिषा से बरसात होने का संकेत मिल जाता है। इस बार हवा का रूख से भी मानसून का
पता नहीं चल पाया है। थक हार कर इन किसानों ने अपनी प्राचीन परम्परा की सुध ली है।
सरना स्थल पर एकत्रित सभी किसान एक ही बात के लिए दुआ कर रहे थे गरजो मेघ बरसो मेघ...
रमेश शर्मा
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