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बुधवार, 21 दिसंबर 2011

क्रिसमस त्यौहार की तैयारी जोरों पर


बीटीआई चर्च में शुरू हो गई क्रिसमस की विशेष प्रार्थना
 गिरजाघरों में होने लगी प्रार्थना, दुकानों में उमड़ी भीड़
 मांदल की थाप के साथ बज रहा गिटार का मधुर संगीत 
पत्थलगांव/
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में इसाई समुदाय के लोग बहुतायत में होने के कारण इन दिनो यहंा के बाजारों की रौनक देखते ही बन रही है। क्रिसमस का त्यौहार करीब आते ही इसाई समुदाय के लोग हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाने की तैयारी करने लगे हैं। प्रभु यीशु के जन्म के पर्व की तैयारी में शहर तथा दूर दराज के ग्रामीण अचंल में रहने वाले इसाई समुदाय के लोगों के चेहरों पर खुशियां दिखाई पड़ रही है।
     यहां पर इसाई समुदाय के लोग इन दिनों अपने घर और गिरजघरों की साज सज्जा में जुटे हुए हैं। क्रिसमस का त्यौहार के पहले यहंा के गिरजाघरों में प्रार्थना का दौर शुरू हो गया है, वहीं इस त्यौहार का उत्साह में शहरों से गांव में त्यौहार मनाने की खातिर पहुंच युवक युवतियंा अपने गिटार तथा अन्य वाद्ययंत्र लेकर खुशी से गीत गुनगुनाने लगे हैं।रात के समय इन दिनों मांदल की थाप में युवक युवतियों का नाच गाना देखते ही बन रहा है।
      पत्थलगांव क्षेत्र में इसाई समुदाय के लोगों की अधिक संख्या होने के कारण यहंा पर दिसंबर महिने के पहले पखवाड़े से ही शहर में क्रिसमस के सामानों की दुकानें सजने लगती हैं। अब जब क्रिसमस त्यौहार के कुछ ही दिन बचे हैं तो दुकानों में ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई है। क्रिसमस के मौके पर बिकने वाले सामान क्रिसमस ट्री, स्टार, सजावटी फूल,गुलदस्ता , विद्युत झालर सहित अन्य फैंसी आयटमों से यहंा की दूकानें सज गई हैं। बड़े शहर और महानगरो में काम काज करने वाले इसाई समुदाय के युवक युवतियां क्रिसमस का त्यौहार को अपने परिजनों के साथ मनाने के लिए वापस लौटने लगे हैं। ये लोग अपने परिजनों के बीच पहुंचने से पहले क्रिसमस के सामान की जमकर खरीददारी कर रहे हैं। शहर और गांव में रहने वाले युवक युवतियंा भी दुकानों में पहुंच कर खरीदी में व्यस्त हो गए हैं। यहंा के दुकानदारों का कहना है कि क्रिसमस के मौके पर हल्के सामानों की बिक्री नहीं होती है। इसके विपरित मंहगे इलेक्ट्रानिक झूमर, क्रिसमस ट्री, क्रिसमस स्टार,प्रभु यीशु और माता मरियम की मुर्तियों की अधिक मांग बनी हुई है। यहंा के दुकानदारों ने इस वर्ष चायना के क्रिसमस स्टार और विद्युत झालर के अनेक आयटम रखे हैं। ये सामान ग्राहकों के बजट के अनुरूप होने के कारण इनकी बिक्री अधिक हो रही हैं। क्रिसमस के अवसर पर दुकानदारों ने प्रेम का संदेश देने वाले काफी आकर्षक सांता ड्रेसेज, कैंडल, क्रिव के भी अनेक आयटम मंगा लिए हैं। इन आयटम को ग्राहक अपने बच्चों के लिए अवश्य खरीद रहे हैं। वेलवेट वाली हर साईज की सांताड्रेस इस वर्ष विशेष आकर्षण का केन्द्र बन गई हैं। महज 150 रू. से लेकर 1500 रू. तक की इस ड्रेस को देखने के बाद ग्राहक इसकी खरीदी के बगैर नहीं लौट पाते हैं। इनके अलावा सांता क्लोज के स्टेचु, ग्रिटिंग कार्ड की भी जमकर बिक्री हो रही है। इसाई समुदाय के लोग क्रिसमस के मौके पर जमकर खरीददारी में व्यस्त हो गए हैं।

क्रिसमस के अवसर पर यहंा के सुसडेगा गांव में गिटार के साथ नागपुर का युवक गौरव यदु
     
                 
  कछार घाटी से दिखते हैं जुगनू
  यहंा पर क्रिसमस के मौके पर गांव गांव में रात के समय क्रिसमस स्टार चमकते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। लुड़ेग के समीप झंडाघाट,जशपुर के पास की लोरो घाटी , घरजियाबथान की घाटी तथा कछार घाटी से गुजरते वक्त आसपास के गांवों में रात के समय जुगनु की तरह इन क्रिसमस स्टार की खुबसुरती देखते ही बन रही है। यहंा पर कुनकुरी का बड़ा चर्च और पत्थलगांव स्थित कैथोलिक आश्रम का पुराना चर्च में काफी आकर्षक साज सज्जा की गई है। बीटीआई और राहा कार्यालय में भी क्रिसमस की तैयारी अंतिम दौर पर पहुंच गई हैं। आस पास के गांवों में युवक युवतियां मादंर वाद्ययंत्र की थाप पर झुमते हुए देखी जा रही हैं। यहंा जामजुनवानी, पाकरगांव, कंटगजोर, लुड़ेग, बारबन्द के गिरजाघरों के आस पास रात के समय नाच गानो का दौर देखते ही बन रहा है।
                    मांदल की थाप पर झूम रहे लोग
  यहंा पर क्रिसमस और नव वर्ष नजदीक आते ही बसों में भीड़ बढ़ जाती है। इस अचंल में रहने वाले इसाई समुदाय के लोग मुम्बई,गोवा,दिल्ली,जम्मू,कोलकोता और पंजाब में रह कर नौकरी करते हैं।ये लोग क्रिसमस का त्यौहार अपने परिजनों के साथ गांव में आकर मनाते हैं। इसी वजह इन दिनों बसों में भीड़ बढ़ गई है। इन दिनों छोटे से गांव में मांदल की थाप पर यदि कोई  बड़ा अफसर नाचते हुए मिल जाए तो आश्चर्य की बात नहीं रहती। देश के विभिन्न हिस्सों में उंचे पद पर पदस्थ इसाई समुदाय के लोगों का गांव में जमावड़ा लगने लगा है। ऐसे लोग अपने परिचित और परिवार के साथ क्रिसमस की खुशियों को दोगुना करने में लगे हैं।

बुधवार, 14 दिसंबर 2011


घर पर ही जैविक खाद तैयार कर रहा किसान



किसान कर रहे हैं साग सब्जी के साथ फूलों की खेती
 रमेश शर्मा
पत्थलगांव/छत्तीसगढ़/
जशपुर जिले के पत्थलगांव विकास खंड अन्तर्गत 18 गांव के किसानों ने रासायनिक खाद को छोड़कर जैविक खाद का उपयोग करना शुरू किया है। किसानों के घर में ही उपलब्ध गोबर तथा कूड़ा करकट से बनने वाली जैविक खाद का उपयोग करने से खेतों की हरियाली बढ़ गई है। इन किसानों का कहना है कि प्रारम्भिक तौर पर जैविक खाद का उपयोग करने के अच्छे नतिजे सामने आए हैं।
      लुड़ेग के किसान सुभाष प्रधान ने बताया कि यहंा के अन्य किसानों व्दारा अपने खेतों में रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद का इस्तेमाल करते हुए देख कर  उसने भी अपने खेतों में इस बार जैविक खाद को अपनाया है। सुभाष प्रधान ने अपनी लगभग डेढ़ एकड़ भूमि में जैविक खाद के सहारे साग सब्जी की खेती शुरू की है। इस किसान का कहना था कि गोभी मिर्ची और भिंडी के पौधे लगाने के बाद एक महिने में ही उसके खेतों में हरियाली छा गई थी। अब वह पहली बार इस फसल से नगद लाभ लेने लगा है। इस किसान का कहना था कि एक एकड़ में लगभग 50 किलो रासायनिक खाद के बदले उसे महज तीन किलो जैविक खाद का उपयोग करना पड़ रहा है। सुभाष प्रधान का कहना था कि इन दिनो खेती के काम में मजदूरों की समस्या को देखते हुए जैविक खाद ने उसकी कई मुश्किलों को दूर कर दिया है।
  लुड़ेग में रूद्रधर खुंटिया, केडी खंुटिया, प्रफुल्ल पटेल तथा सुरेश अग्रवाल ने भी अपने खेतों में रासायनिक खेती के बदले जैविक खाद का उपयोग करना शुरू किया है। इन किसानों ने भी जैविक खाद को अधिक उपयोगी बताया है। सुरेश अग्रवाल का कहना था कि इन दिनों किसान के पास में सबसे बड़ी मजदूर की समस्या रहती है। उन्होने बताया कि रासायनिक खाद का प्रयोग करने पर उन्हे युरिया, डीएपी तथा पोटाश खाद खेतों में डालने के लिए बार बार मजदूरों की तलाश करनी पड़ती थी। जैविक खाद की अपेक्षा रासायनिक खाद काफी महंगी होने के कारण इस पर मजदूरी खर्च भी अधिक रहता था। इसके विपरित जैविक खाद का उपयोग करने पर मजदूरी का खर्च भी नाममात्र रह गया है। यहंा के किसानों का कहना कि यदि अपने खेतों में ही जैविक खाद तैयार की जाए तो खेती किसानी का खर्च पहले के मुकाबले में आधा से भी कम पड़ रहा है।
           कुड़ा करकट से बनने लगी खाद
  पत्थलगांव में उद्यान विभाग के अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया ने बताया कि पत्थलगांव विकास खंड में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए यहंा पर 18 गांव के 66 किसानों को निशुल्क जैविक खाद उपलब्ध कराई गई है। इन किसानों को अपने घर की बाड़ी में जैविक खाद बनाने के लिए आधुनिक टेंक का भी वितरण किया गया है। किसान अपने घर पर ही गोबर तथा कुड़ा करकट के साथ पत्तियों को खाद के टेंक में डाल कर खाद तैयार कर रहे हैं। मिर्जापुर के अकलू राम ने बताया कि उसने अपनी बाड़ी में ही जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया है। अकलू राम का कहना था कि खाद बनाने के टेंक में गोबर तथा कुड़ा करकट डाल कर तीन माह में लगभग साढ़े चार क्विंटल अच्छी खाद तैयार कर ले रहा है। कई किसानों के पास अधिक भूमि होने पर उनके व्दारा खाद तैयार करने के दो से ज्यादा टेंक बना रखें हैं।  उद्यान विभाग की पहल के बाद यहंा पर केराकछार, ईला, तमता, बटूराबहार, मिर्जापुर, पत्थलगांव, मक्कापुर, पालीडिह, पाकरगांव गांव में किसान अपने घर पर ही केंचवा जैविक खाद बनाने लगे हैं।
            पाकरगांव में फुलों की खेती
   इस अचंल के किसानों का कहना था कि रासायनिक खाद के मुकाबले में जैविक खाद की फसल का उपयोग करना काफी लाभप्रद साबित हो रहा है। पाकरगांव में गणेश बेहरा ने अपनी बाड़ी में  साग सब्जी की फसल के साथ फुलों की खेती का काम भी शुरू किया है। उन्होने कहा कि इसमें जैविक खाद का प्रयोग करने से काफी अच्छा उत्पादन आया है। स्थानीय बाजार में फुलों की हर समय मांग बनी रहने से इस किसान के पास घर बैठे फूलों के ग्राहक मिलने लगे हैं।
रमेश शर्मा पत्‍थलगॉंव

सोमवार, 12 दिसंबर 2011

जैविक खाद से खेतों में छाई हरियाली

घर पर ही जैविक खाद तैयार कर रहा किसान

किसान कर रहे हैं साग सब्जी के साथ फूलों की खेती

रमेश शर्मा
पत्थलगांव/छत्तीसगढ़/
जशपुर जिले के पत्थलगांव विकास खंड अन्तर्गत 18 गांव के किसानों ने रासायनिक खाद को छोड़कर जैविक खाद का उपयोग करना शुरू किया है। किसानों के घर में ही उपलब्ध गोबर तथा कूड़ा करकट से बनने वाली जैविक खाद का उपयोग करने से खेतों की हरियाली बढ़ गई है। इन किसानों का कहना है कि प्रारम्भिक तौर पर जैविक खाद का उपयोग करने के अच्छे नतिजे सामने आए हैं।
      लुड़ेग के किसान सुभाष प्रधान ने बताया कि यहंा के अन्य किसानों व्दारा अपने खेतों में रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद का इस्तेमाल करते हुए देख कर  उसने भी अपने खेतों में इस बार जैविक खाद को अपनाया है। सुभाष प्रधान ने अपनी लगभग डेढ़ एकड़ भूमि में जैविक खाद के सहारे साग सब्जी की खेती शुरू की है। इस किसान का कहना था कि गोभी मिर्ची और भिंडी के पौधे लगाने के बाद एक महिने में ही उसके खेतों में हरियाली छा गई थी। अब वह पहली बार इस फसल से नगद लाभ लेने लगा है। इस किसान का कहना था कि एक एकड़ में लगभग 50 किलो रासायनिक खाद के बदले उसे महज तीन किलो जैविक खाद का उपयोग करना पड़ रहा है। सुभाष प्रधान का कहना था कि इन दिनो खेती के काम में मजदूरों की समस्या को देखते हुए जैविक खाद ने उसकी कई मुश्किलों को दूर कर दिया है।
  लुड़ेग में रूद्रधर खुंटिया, केडी खंुटिया, प्रफुल्ल पटेल तथा सुरेश अग्रवाल ने भी अपने खेतों में रासायनिक खेती के बदले जैविक खाद का उपयोग करना शुरू किया है। इन किसानों ने भी जैविक खाद को अधिक उपयोगी बताया है। सुरेश अग्रवाल का कहना था कि इन दिनों किसान के पास में सबसे बड़ी मजदूर की समस्या रहती है। उन्होने बताया कि रासायनिक खाद का प्रयोग करने पर उन्हे युरिया, डीएपी तथा पोटाश खाद खेतों में डालने के लिए बार बार मजदूरों की तलाश करनी पड़ती थी। जैविक खाद की अपेक्षा रासायनिक खाद काफी महंगी होने के कारण इस पर मजदूरी खर्च भी अधिक रहता था। इसके विपरित जैविक खाद का उपयोग करने पर मजदूरी का खर्च भी नाममात्र रह गया है। यहंा के किसानों का कहना कि यदि अपने खेतों में ही जैविक खाद तैयार की जाए तो खेती किसानी का खर्च पहले के मुकाबले में आधा से भी कम पड़ रहा है।
           कूड़ा करकट से बनने लगी खाद
  पत्थलगांव में उद्यान विभाग के अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया ने बताया कि पत्थलगांव विकास खंड में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए यहंा पर 18 गांव के 66 किसानों को निशुल्क जैविक खाद उपलब्ध कराई गई है। इन किसानों को अपने घर की बाड़ी में जैविक खाद बनाने के लिए आधुनिक टेंक का भी वितरण किया गया है। किसान अपने घर पर ही गोबर तथा कुड़ा करकट के साथ पत्तियों को खाद के टेंक में डाल कर खाद तैयार कर रहे हैं। मिर्जापुर के अकलू राम ने बताया कि उसने अपनी बाड़ी में ही जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया है। अकलू राम का कहना था कि खाद बनाने के टेंक में गोबर तथा कुड़ा करकट डाल कर तीन माह में लगभग साढ़े चार क्विंटल अच्छी खाद तैयार कर ले रहा है। कई किसानों के पास अधिक भूमि होने पर उनके व्दारा खाद तैयार करने के दो से ज्यादा टेंक बना रखें हैं।  उद्यान विभाग की पहल के बाद यहंा पर केराकछार, ईला, तमता, बटूराबहार, मिर्जापुर, पत्थलगांव, मक्कापुर, पालीडिह, पाकरगांव गांव में किसान अपने घर पर ही केंचवा जैविक खाद बनाने लगे हैं।
            पाकरगांव में फूलों की खेती
   इस अचंल के किसानों का कहना था कि रासायनिक खाद के मुकाबले में जैविक खाद की फसल का उपयोग करना काफी लाभप्रद साबित हो रहा है। पाकरगांव में गणेश बेहरा ने अपनी बाड़ी में  साग सब्जी की फसल के साथ फुलों की खेती का काम भी शुरू किया है। उन्होने कहा कि इसमें जैविक खाद का प्रयोग करने से काफी अच्छा उत्पादन आया है। स्थानीय बाजार में फुलों की हर समय मांग बनी रहने से इस किसान के पास घर बैठे फुलों के ग्राहक मिलने लगे हैं।
रमेश शर्मा